जितना उस काली रात को मुग्धा भूलना चाहती थी उतनी ही उसे तड़पाती! उस काली रात को मरते दम तक नहीं भूल सकती! कितने खुश थे मुग्धा और रजत! नौकरी के सिलसिले में परिवार से दूर रहते थे, शादी को 4 साल हो गए थे किंतु अभी तक बच्चों का सुख उन्हें नसीब नहीं हुआ था किंतु इसे भी
भगवान की मर्जी समझ कर वह दोनों खुश रहते थे, हमेशा की भांति उस दिन रजत अपनी बाइक से घर आ रहा था की तभी उसका एक्सीडेंट हो गया, वही आसपास के लोगों ने उसे अस्पताल में तो भर्ती करवा दिया किंतु उसके बाद सब उसे छोड़कर चले गए किसी ने मुग्धा के फोन पर सूचना दे दी,
मुग्धा बदहवास भागती हुई अस्पताल पहुंची तब तक रात के लगभग 1:00 बज गया था, रजत को आईसीयू में भर्ती किया गया किंतु डॉक्टर ने कहा कि उनके लिए एक इंजेक्शन की तुरंत व्यवस्था करनी होगी और जो हमारे पास उपलब्ध नहीं है दूसरे अस्पताल से लाना होगा, मुग्धा तो वहां किसी
को जानती भी नहीं थी और इंजेक्शन की कीमत भी 45000 रुपए थी कहां से इंतजाम करें समझ नहीं आ रहा था! डॉक्टर ने कहा कि हमारे पास सुबह तक का वक्त नहीं है इंजेक्शन का इंतजाम अभी करना होगा हालांकि मुग्धा ने अपने परिवार वालों को फोन कर दिया था लेकिन वह बेचारे सुबह तक की आ पाएंगे, मुग्धा ने घर से निकलते वक्त यह समझदारी जरूर दिखाई उसने 10-20000 और
एक एटीएम कार्ड अपने पर्स में डाला क्योंकि उसे पता था पैसे बिना तो कुछ होने वाला है ही नहीं! वह परेशान सी चक्कर काट रही थी सोच रही थी इतनी दूर अंधेरे में कैसे तो पैसे निकलवाने जाए और कैसे इंजेक्शन खरीद कर लाए कि तभी देव दूत के रूप में एक नर्स बॉय उपस्थित हुआ और मुग्धा की परेशानी जानकर उसने उसे सांत्वना देते हुए कहा… आप घबराइए मत मैं आपके साथ
चलता हूं पहले आप पैसे निकाल लीजिए और फिर इंजेक्शन लेकर अपने पति का इलाज करवाइए! मुग्धा हालांकि अनजान व्यक्ति पर विश्वास नहीं कर पा रही थी पर मरती क्या ना करती इस वक्त उसे अपने पति के अलावा और कुछ नहीं सूझ रहा था, बस कैसे भी रजत की जान बच जाए और वह व्यक्ति के साथ चली गई !एटीएम से पैसे निकल वाने के बाद जैसे ही इंजेक्शन के लिए दूसरे
अस्पताल की मेडिकल शॉप पर जा रही थी तभी सुनसान रास्ते में उस देव दूत लगने वाले व्यक्ति ने मुग्धा के साथ जो दरिंदगी की, वह पल उसकी आंखों से हटता नहीं था लेकिन उस अंधेरे में उसकी पुकार सुनने वाला वहां कोई नहीं था कुछ समय बाद मुग्धा ने हिम्मत करके और खुद को संभाल
अपने आंसुओं को अंदर ही अंदर पीकर सबसे पहले इंजेक्शन लेकर अस्पताल पहुंची और तब डॉक्टर ने उसके पति का इलाज शुरू कर दिया अस्पताल के ही बाथरूम में जाकर मुग्धा जोर-जोर से रोई किंतु मुग्धा में इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपना दुख किसी को कह सके! एक तो पहले ही पति के एक्सीडेंट का दुख और फिर उससे भी बड़ा अपने साथ हुए हादसे का दुख और अगर वह किसी को
बता भी देती तो सब उसे ही गलत समझते, उसकी स्थिति जानने की कोई भी कोशिश नहीं करता! 5 7 दिन में रजत सही होकर घर आ गया! मुग्धा ने कितनी बार कोशिश की की रजत को अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताएं पर वह सोच कर घबरा जाती की अगर रजत ने उसे ही गलत समझा तो… और यही सोचकर वह अपने दुख को पी जाती! रजत के घर आने के 1 महीने बाद ही पता चला की मुग्धा
पेट से है जब रजत को यह पता चला तो वह खुशी से पगला गया और उसे कहां पता था इन सब में मुग्धा के ऊपर क्या बीत रही है! मुग्धा के अलावा कौन यह सब जानता था! 9 महीने बाद उसने एक स्वस्थ सुंदर बेटी को जन्म दिया, रजत और उसका पूरा परिवार बहुत खुश थे पर मुग्धा खुश नहीं थी
जब भी वह बेटी को देखती उस दरिंदे का अंश नजर आने लगती, उसे अपने साथ हुआ वह भयानक मंजर याद आ जाता और वह अपनी बेटी से प्यार भी नहीं कर पाती! आज 5 साल की हो गई है.. तरु नाम रखा है उसका… इन 5 सालों में मुग्धा ने कैसे अपने आप को संभाला है यह वही जानती है
उसकी अंतरात्मा आज भी रोती है! किंतु आज उसने सोच लिया अपने साथ घटित हादसे के बारे में वह रजत को अवश्य बताएगी तभी वह शांति से जी पाएगी चाहे उसका अंजाम जो भी हो, तभी उसका मन हल्का होगा वह और घुट घुट कर नहीं जी सकती जब रजत उसकी बेटी को प्यार करता है उसे
बहशी की शक्ल याद आने लग जाती! आज मुग्धा ने सारी बात रजत को बता दी! मुग्धा को जैसी अपेक्षा थी की रजत उसके ऊपर चिल्लाएगा लड़ेगा पर वह सब सहन करने के लिए आज तैयार थी! लेकिन आशा के विपरीत रजत ने कहा.. मुग्धा तुम इतने समय से अपने अंदर दुख के सैलाब को समेटे
हुए हो, इतनी हिम्मत कहां से लाई? तुमने मुझे बताया तो होता, क्या तुम्हें मुझ पर जरा भी विश्वास नहीं था? हां मेरा स्वभाव कड़क जरूर है किंतु क्या मैं तुम्हारी स्थिति नहीं समझता, क्या तुमने मुझे इस लायक भी नहीं समझा, तुमने इन सालों में कैसे इतना कुछ सह लिया और मुग्धा इसमें तुम्हारी कोई
गलती नहीं है गलती तो उस जानवर की है तुम अपने आप को दोषी मत ठहराओ और तरु सिर्फ हम दोनों की बेटी है और किसी का इसमें कोई अस्तित्व नहीं है! हम कल ही पुलिस थाने में जाकर तुम्हारे साथ हुए हादसे की रिपोर्ट दर्ज करवाएंगे और उस दरिंदे को कड़ी से कड़ी सजा दिलवा कर रहेंगे
और तुम कभी भी अपने आप को अकेली मत समझना मैं हर कदम पर हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं! रजत के मुंह से ऐसी बातें सुनकर मुग्धा को विश्वास नहीं हो रहा था और आज इतने सालों का गुबार मुग्धा की आंखों से आंसुओं के रूप में बाहर निकाल गया! आज रजत ने भी उसे जी खोलकर रोने दिया ताकि इतने सालों का उसके मन का भरा हुआ जहर बाहर बह जाए और एक नई मुग्धा का जन्म हो!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता (काली रात)
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