कलंक नहीं… खुशी – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

तुझे कितनी बार कहा है मेरे दोस्तों से दूर रहा कर, पता नहीं तुझे क्या मजा आता है उनसे बात करने में? क्यों.. जब तेरे दोस्त इतने खराब है तो घर में लेकर आता ही क्यों है और मुझे कोई शौक नहीं है तेरे दोस्तों से बात करने का.. समझ गया, जैसा तू वैसे तेरे दोस्त..

आवारा और निकम्मे! और तू जो मेरी सहेलियों से बातें करता है.. मैं तो कुछ नहीं  कहती! निहाल और कनिका दोनों बहन भाई इसी तरह लड़ते झगड़ते रहते, निहाल 21 वर्ष का था जबकि कनिका 18 वर्ष की, कनिका को निहाल के  दोस्तों से बातें करना बहुत अच्छा लगता था

क्योंकि उसकी उम्र ही कुछ ऐसी थी, किंतु निहाल को अपनी बहन का किसी भी लड़के से बातें करना बिल्कुल पसंद नहीं था चाहे वह उसके दोस्त ही क्यों ना हो, निहाल नहीं चाहता कि उसका कोई भी दोस्त घर पर आए किंतु कभी-कभी वह निहाल की मम्मी के हाथ की कॉफी पीने की जिद कर बैठते

जिसे निहाल मना नहीं कर पाता और आए दिन इस बात का घर पर झगड़ा हो जाता, निहाल के पापा मम्मी भी निहाल को समझाते.. की जब तेरी बहन का उनसे बोलना तुझे पसंद नहीं है तो फिर तू इन्हें घर पर लेकर आता ही क्यों है,  तुझे पता है तेरी बहन बड़ी हो गई है कल को कोई उच् नीच  हो गई

तो हम क्या जवाब देते  फिरेंगे! तब निहाल कहता अरे पापा.. वह दोस्त बस थोड़ा बोलने में ही ऐसे हैं बाकी दिल के बहुत अच्छे हैं, और पढ़ने में भी, आपको पता है ना कितने  होशियार हैं, देखना कुछ समय बाद सभी अच्छी जगह पर सेटल हो जाएंगे और फिर निहाल की दलील के आगे कोई कुछ ना बोल पाता! खैर…

दो-तीन साल बाद निहाल और निहाल के सभी दोस्त नौकरियों में लग गए और कनिका भी शादी लायक हो गई, अब घर वालों को कनिका की शादी की चिंता सताने लगी, एक दिन कनिका के पेट में बहुत तेज दर्द हुआ, मम्मी पापा घबरा गए और तुरंत हॉस्पिटल  लेकर गए तब वहां पता चला कनिका 2

महीने की गर्भवती है, यह सुनकर तो मम्मी पापा बिल्कुल जड़ हो गए, समझ नहीं आ रहा क्या करें, उनका सबसे पहले शक निहाल के दोस्तों पर ही गया, शायद यह सब  उन्हीं  किसी दोस्त का किया धरा है, पहले तो उन्होंने घर आकर कनिका को खूब डांटा और मारा और उससे पूछने लगे….

बता…यह सब क्या है, किसका है? तूने तो आज हमारे नाम पर कलंक लगा दिया, हमारे प्यार का तूने यह सिला दिया, यहां तेरी शादी की तैयारी में लगे हुए थे और वहां तू यह सब कर रही थी, बेटा तुझसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी, माना तेरा भाई थोड़ा आवारा किस्म का है लेकिन कभी भी ऐसी शिकायत नहीं

आई कि उसने किसी लड़की को छेडा हो या किसी लड़की के साथ बदतमीजी की हो, और यहां जिस बेटी पर हमें नाज होना चाहिए उसने शर्म से हमारा सर झुका दिया, तब उन्होंने निहाल को बुलाया और पूछा निहाल… सच सच बता, तेरा कौन सा दोस्त है जिसने कनिका के साथ यह सब किया है,

यह सुनकर तो निहाल भी एकदम अचंभित  रह गया, उसे भी अपने दोस्तों से ऐसी उम्मीद नहीं थी क्योंकि वह सब खाली हंसी मजाक करते थे या पहले फालतू  सड़कों पर घूमते थे पर कभी भी किसी भी दोस्त का किसी भी लड़की के साथ इस तरह का कोई मामला नहीं था, अब तो सभी नौकरी वाले हो गए हैं

तो इन सबके लिए उनके पास समय ही नहीं है, तब उन्होंने कनिका को पास बिठाकर पूछा.. बता बेटा …अब जो हो गया सो हो गया किंतु अब हम क्या करें?  उस लड़के का नाम बता जिसने यह सब किया है, क्या निहाल के किसी दोस्त ने ही यह सब किया है? और अगर ऐसा है तो हम उसके घर वालों के सामने जाकर 

बिनती करेंगे और उनसे कहेंगे नादानी में बच्चे भूल कर बैठे थे अब कृपया हमारी बेटी को स्वीकार कर लीजिए, अब इस कलंक को लेकर हम कैसे जिएंगे और तू कैसे जीएगी? तब  कनिका ने बताया नहीं पापा… निहाल भाई का कोई भी दोस्त इसमें शामिल नहीं है, यह तो मेरे ही  दोस्त का किया  धरा है,

मेरे दोस्त ने  मेरा फायदा उठाया है मैं सचिन से बहुत प्यार करती थी और हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए उसने मुझसे शादी का वादा भी किया था किंतु मुझे पता नहीं था इसका परिणाम इस रूप में सामने आएगा और जब मैंने दो दिन पहले सचिन से इस बारे में बात की तो

उसने शादी से साफ मना कर दिया, अब मैं क्या करूं पापा? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा, पापा मुझजैसी बेटी को तो  मर जाना चाहिए, आपने हम दोनों बहन भाइयों को अच्छी  संस्कार परवरिश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी, क्यों  हम दोनों ही बहन भाई आपका नाम रोशन करने की बजाय डुबोने में लगे हैं,

अब मैं क्या करूं पापा, आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगी, ऐसा कहकर कनिका जोर-जोर से रोने लगी! मम्मी पापा को कनिका के ऊपर गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर कर भी क्या सकते थे तब उन्होंने निहाल से इस बारे में बात की कि इस परेशानी का अब क्या हल निकाला जाए, किसी से कुछ कह भी नहीं सकते,

कुछ समय पश्चात निहाल का एक दोस्त जो आजकल एक अच्छी कंपनी में मैनेजर था, वह उनके घर आया और कहने लगा.. अंकल आंटी… आप मेरे माता-पिता के समान है, माना कि हम थोड़े आवारा  किस्म के थे किंतु वह हमारा बचपना था अगर आप इजाजत दे तो मैं कनिका से शादी करना चाहता हूं

,मैं पहले भी इसे बहुत पसंद करता था किंतु अपने दोस्त निहाल की वजह से चुप था, किंतु कल जब निहाल ने मुझे अपनी परेशानी बताई तो मैंने निहाल से कहा था …अगर तुम्हें कोई परेशानी ना हो तो मैं इस कलंक को (जैसा कि आप मानते हैं) उसे अपनी खुशी मनाना चाहता हूं, अगर कनिका हां कर दे,

मैं आज भी कनिका को उतना ही प्यार करता हूं और करूंगा! यह सुनकर तो निहाल के पापा मम्मी धन्य हो गए उन्हें पता था कि विक्रम एक अच्छा लड़का है और उन्होंने कनिका की ओर देखते हुए कहा.. कनिका तुम्हारा इस बारे में क्या ख्याल है? तब कनिका ने कहा.. पापा जैसा आप उचित समझे मुझे कोई दिक्कत नहीं है, और फिर धूमधाम से विक्रम और कनिका का विवाह हो गया!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित 

   कहानी प्रतियोगिता कलंक 

   कलंक नहीं… खुशी

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