आज सुरेश जी बहुत खुश दिखाई दे रहे थे !आखिर खुशी की बात भी थी!
उनके इकलौते पुत्र राघव ने इस बार आठवीं कक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की थी! कई सालों बाद आज यह खुशी का दिन आया था !
राघव के मना करने के बावजूद सुरेश जी ने शाम को अपने सभी परिचितों ,मिलने वालों और विद्यालय के सभी शिक्षक गणों को दावत पर आमंत्रित किया था!
आज उनका सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था! दिन भर दावत की तैयारियों में निकल गया! शाम होते होते लोगों का आना शुरू हो गया !
सुरेश जी ने इस खुशी को साझा करने के लिए बड़े से केक का भी इंतजाम किया था! 8:00 बजते बजते लगभग सभी लोग दावत में आ गए !
तब उन्होंने अपने बेटे राघव को बुलाया और सबसे पहले केक काटने के लिए बोला! जैसे ही राघव केक काटने को हुआ ….
उसी समय उसके विद्यालय के प्रिंसिपल अपने दो शिक्षकों के साथ पधारे !तब उन्होंने सुरेश जी से अकेले में कुछ बात करने को कहा!
जब सुरेश जी उनकी बात सुनकर आए, तो वह क्रोध में लाल हो रहे थे, और उनका चेहरा गुस्से में तमतमा रहा था! उन्होंने राघव को बुलाकर उसके गाल पर एक कसकर थप्पड़ लगाया,
जिसे देखकर वहां मौजूद हर एक व्यक्ति स्तब्ध रह गया! आखिर ऐसा क्या हो गया…. सुरेश जी ने दावत में यह सब क्यों किया. ?
राघव ने अगर कोई शरारत भी भी करी होती तो वह सब मेहमानों के जाने के बाद भी उसे समझा सकते थे, किंतु मामला शायद गंभीर था!
तब सुरेश जी ने राघव से पूछा… उसने ऐसा क्यों किया ?आज उसने सबके सामने उनकी इज्जत पर कलंक लगा दिया ? तुम्हें ऐसा करते जरा भी मेरी इज्जत का ख्याल नहीं आया. ?
अरे तुम जैसे बच्चे को तो डूब मरना चाहिए, जो अपने परीक्षा में सफल होने की झूठी अंक तालिका बनवा लाया, और गर्व से अपने द्वितीय श्रेणी में पास होने की बात भी कर रहा है!
अरे तुम्हारी आंखों का पानी बिल्कुल मर चुका है..? तुम्हारी आंखों में जरा भी शर्म नहीं बची? आज मेरी तो तुमने सबके सामने इज्जत मिट्टी में मिला दी!
यह मेरे लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है..! जिस बेटे पर मैं इतना गर्व कर रहा था, उसने तो मुझे शर्मिंदा करके छोड़ दिया,
और ऐसा कह कर बेहद दुख और गुस्से में रोने लगे !आज उनका बेटा अपने किए पर बहुत शर्मिंदा था! किंतु अब इस कलंक को मिटाना संभव नहीं था!
हेमलता गुप्ता
स्वरचित