“एक सवाल हमेशा मेरे मन में रहा है,क्या हमारे ये वरिष्ठ नागरिक अर्थात् हमारे बड़े बुजुर्ग, सदा सही कार्य ही करते है?… जिंदगी के खट्टे मिट्ठे, गम के पल, खुशी के पल, इतने अनुभवों के होने के बाद भी क्यों ये कभी कभी अनुभवहीन जैसा बर्ताव करते है।
जीवन के आखिरी मोड़ पर आकर, जहां हमारे बुजुर्गों को चाहिए की आराम से, गरिमा के साथ अपने इस जिम्मेवारियों से मुक्त समय का लुफ्त उठाए पर गिनती के कुछ लोगो को छोड़कर कोई भी मुक्त भाव से अपने इस सुनहरे समय का आनंद नही ले पाता… कारण बेवजह दखलंदाजी करना,दो पुत्र, बहुएं होने पर भेदभाव करना, एक के लिए दूसरे को नीचा दिखाना , जोकि बिलकुल ही अनुचित है, अगर आप सभी समस्याओं का हल नहीं निकाल सकते तो उसे तूल भी न दे।
समय के साथ समस्याओं का समाधान तो हो जाता है पर घर के बुजुर्गो के द्वारा सही फैसला ना लेने और तीर की तरह चुभती बातो से जब अंतरात्मा लहूलुहान हो जाती है, फिर चाहे वो कितना भी प्यार क्यों न बरसा ले, मन से अपनापन, आदर और सम्मान सब नाममात्र को ही रह जाता है।
पुरुषो में ये प्रवृत्ति कम और महिलाओं में अधिक पाई जाती है।….
इसके कारण “परिस्थितिवश”सबके भिन्न भिन्न हो सकते हैं,… मैने अनपढ़ लोगो को भी बड़े सलीके से घर को संभालते देखा है और “पढ़े लिखे”सलीकेदार लोगो के घरों में आए दिन क्लेश होते भी देखे है।
परन्तु जीवन के अनुभव हमे इतना परिपक्त कर जाते है की फिर किताबी ज्ञान की कोई आवश्यकता ही नहीं रह जाती।
ये विचार किसी का भी दिल दुखाने के लिए या नीचा दिखाने के लिए नही है, ये पूरी तरह मेरे अपने विचार है।
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घर में बुजुर्गो का साथ ईश्वर के आर्शीवाद से कम नहीं होता,.हमेशा अपने बुजुर्गो का मान सम्मान करना चाहिए।पर कभी कभी हमारे बुजुर्ग भी जाने अनजाने अपने व्यवहार से बहुत दुख दे जाते हैं ..
मेरी सभी वरिष्ठ नागरिकों से हाथ जोड़कर ये ही प्रार्थना है की अपना प्यार और आशीर्वाद सब को एक समान दे,
क्या पता आपकी जरूरत आपके दूसरे बच्चे को अधिक हो, जो बाहर से दिखा ना पा रहा हो और अन्दर से बिलकुल टूटा हो…..और ये ही बात बच्चो पर, बहुओं पर, बेटों पर भी समान रूप से लागू होती है…अपने बुजुर्गो का मान सम्मान करे और कभी भी इनका दिल ना दुखाए …ये तो सुख के वोह दरखत है जो जीते जी अपने बच्चो पर कभी दुख की
परछाई भी नहीं आने देते……
सभी समस्याओं का समाधान प्यार और बात से होता है, नाकी तानो और बात सुनाने से… आखिर मै बस ये पंक्तियां
(कल आज और कल के लिए)…..
“एक नज़रिया रखे सबके लिए
सम्मान पाए जीवन भर के लिए”
आज जहां है बुजुर्ग हमारे
हम भी होंगे कल वही”
बच्चे हो या बुजुर्ग दोनों ही गलत नही होते हमेशा, कभी कभी अवहेलना, अकेलेपन का कारण आप खुद भी होते है।….
स्वरचित,दिल से
#जन्मोत्सव
प्रथम रचना
कविता भड़ाना