अरे जीजी दिन चढ़ आया है और तुम्हारी बहू अब तक ना उठी।, न जाने कैसा जमाना आ गया है बहू के होते सास काम कर रही है? हमारे जमाने में तो जरा सी खटर पटर सुनकर घर की बहुएं सुबह-सुबह उठ जाती थी। सुबह से देख रही हूं आप कितनी जल्दी उठकर काम में लगी हुई हो। सावित्री जी की गांव से आई भाभी वंदना जी ने उनसे कहा सावित्री जी मुस्कुराते हुए बोली भाभी आओ हमारे साथ तुम भी चाय पी लो, तुम तो जानती हो तुम्हारे जीजा जी सुबह 8:00बजे ही नाश्ता करते है।
मुझे पहले से ही सुबह जल्दी उठकर पूजा पाठ करने के बाद नाश्ता बनाने की आदत है। इसीलिए मैं नाश्ते की तैयारी कर लेती हूं। इसमें गलत क्या है? बहु रात ऑफिस का काम करके देर से सोई थी इसीलिए उसे उठने में देर हो गई होगी। लेकिन जीजी ज्यादा ढील छोड़ने से बहुएं सर पर चढ़ जाती हैं और प्यार का नाजायज फायदा उठा लेती हैं। चाय पीती हुई वंदना जी ने अपनी नंद से कहा। समय के साथ बदलना जरूरी है
भाभी, पहले की बात और थी अब जमाना बदल गया है ऐसा नहीं है आज की पीढ़ी अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं करती लेकिन उनके रहन-सहन के तरीके थोड़े से अलग है। बस थोड़ी सी समझदारी की जरूरत है। सावित्री जी के पति उमेश जी ने कहा। तभी उनकी बहू नव्या ऊपर से तैयार होकर नीचे आ गई और देर से आंख खुलने के लिए अपनी सास से कहां सॉरी मम्मी जी आज ज्यादा ही लेट हो गया?
नव्या ने तीनों के चरण स्पर्श भी किये, सावित्री जी ने कहा कोई बात नहीं बेटा तुम देर से भी तो सोई थी हम तीनों ने नाश्ता कर लिया है और तुम्हारा नाश्ता बना हुआ रखा है। बस तुम चाय बना लो। अरे नव्या तुम्हारी तो लॉटरी लग गई जो ऐसा ससुराल मिला है और हमारी जीजी जैसी सास मिली है तुम्हें बिल्कुल सही कह रही है मामी जी आप सावित्री जी के गले में बाहेंडालती हुई नव्या ने कहा और थोड़ी देर में ही चाय बनाकर ले आई।
सावित्री जी को फीकी चाय देते हुए नव्या बोली मम्मी जी मैं आपकी फीकी चाय बनाई है मुझे पता है आपने सबके साथ मीठी चाय पी होगी। अरे अब क्या तुम जीजी के खाने-पीने पर भी रोक-टोक लगाओगी?हमारे जीजा जी ने तो कभी नहीं टोका जीजी को किसी चीज के लिए बस मुंह से निकलने की देर थी सब कुछ हाजिर हो जाता था जीजी के लिए, जब से जीजी का ब्याह हुआ है जब से देख रही हूं।
2 दिन पहले ही तुम्हारी नंद की शुगर चेक कराई थी। शुगर लेवल हाई है इसीलिए नव्या इन्हें फीकी चाय देती है। उमेश जी जवाब देते हुए बोले। नाश्ता करने के बाद नव्या ने दोपहर के खाने की तैयारी कर दी तभी सावित्री जी के फोन पर उनकी कामवाली बाई का फोन आता है वह आने के लिए मना कर रही थी सफाई और बर्तन सब कुछ पड़ा हुआ था, मम्मी जी मैं आधे दिन की छुट्टी ले लूंगी।,
आपसे अकेले सब कुछ नहीं हो पाएगा नव्या ने फटाफट सिक में पड़े हुए सारे बर्तन साफ कर दिए अरे बहु तुम ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ बाकी बचा हुआ काम मै खुद देख लूंगी सावित्री जी ने कहते हुए अपनी बहू को टिफिन देकर ऑफिस के लिए वरुण के साथ भेज दिया।
नव्या के ऑफिस जाने के बाद वंदना जी अपनी नंद से बोली तुम्हारे सीधेपन का बहुत फायदा उठा रही है तुम्हारी बहु आजकल की लड़कियों को आप जानती नहीं हो मीठा बोल बोल कर सारा काम निकलवाना जानती हैं। उसने मुझे कुछ करने को कहां कहा भाभी। वह तो छुट्टी लेने के लिए कह रही थी। मैंने ही उसे छुट्टी लेने को मना किया था । नौकरी तो मेरी बहू भी करती है लेकिन मैं तो इतना ना दबकर रह सकती।
तभी तो आप अकेली रह रही हैं भाभी, रश्मि को आपकी इन्हीं आदतों के कारण एक ही शहर में अलग घर लेना पड़ा आप समझती क्यों नहीं है अब तो यह आदतें छोड़ दो? हम अपने बच्चों के साथ जैसा करेंगे हमें बदले में वैसा ही मिलेगा मेरा ऐसा मानना है थोड़ा बहुत समझौता तो करना ही पड़ेगा।
आज नहीं तो कल इस बात को सबको स्वीकार करना ही पड़ता है। नहीं तो खुद का ही बुढ़ापा खराब हो जाता है आगे तो भाग्य में जो लिखा होगा वैसा ही होगा। वंदना जी सावित्री जी की बातों के सामने चुप हो गई। शायद उन्हें अब कोई जवाब नहीं सूझ रहा था।
पूजा शर्मा