कैसा जमाना आ गया – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

 सुलभा जबसे शादी समारोह से आई थी तबसे उसका मन बड़ा खिन्न सा था ।वो सोंच रही थी कैसा जमाना आ गया है। आजकल लड़के लड़कियों में लाज शर्म बिल्कुल रह ही नहीं गया है। उसके मन में विचारों का तर्क वितर्क चल रहा था , साथ ही उसे किटी में भी जाना था सो तैयार भी हो रही थी ‌।

             जब किटी पार्टी में पहुंची तो वहां साथी महिला ने सुलभा को टोंक दिया अरे सुलभा तुम तो शादी में गई थी कैसी शादी रही ।बस फिर क्या था सुलभा तो भरी बैठी थी पता नहीं उर्मिला भाभी आजकल नई पीढ़ी को क्या हो गया है लाज शर्म बड़ों का लिहाज तो जैसे रहा ही नहीं है ।अब बताओ जयमाल को दुल्हन आ रही है (दुल्हन क्या कहें) तो उसके साथ बराबर की आठ दस लड़कियां भी अच्छे से ड्रेसअप होकर दुल्हन के साथ थी और दुल्हन के पहले वो एक एक करके डांस करती हुई आगे आ रही थी और दूल्हे के दोस्त उन्हें गले में हाथ डाल कर स्टेज तक पहुंचा रहे थे।

और फिर दुल्हन की बारी आई तो वो भी डांस करती हुई  आईं और फिर दूल्हे ने उसको गोद में उठा कर स्टेज तक ले गया और दोनों एक दूसरे के गालों पर चुम्बन भी ले रहे थे । इतनी बेशर्मी देखकर तो वहां बैठे बड़े लोगों की नजरें झुक गई । बहुत लोग तो कानाफूसी भी करने लगे।

                 इतने में शालीनी बोल पड़ी हां भाभी जी और तो और आजकल प्री वेडिंग शूट भी चल रहा है। किटी में आई अन्य साथी महिलाएं भी बोलने लगी हां शादी के पहले छोटे छोटे कपड़े पहन कर प्री वेडिंग शूट करवाते हैं और फिर उसको बड़े शान से शादी समारोह में बड़ी स्क्रीन लगाकर दिखाया जाता है क्या है ये सब । कुछ चीजें तो शादी के बाद और अकेले में ही अच्छी लगती हैं ।ये नुमाइश करना कहां तक सही है ।

            किटी की दूसरी सदस्य सरोज बोली हां अभी तो हम भी इतने बूढ़े नहीं हुए हैं सीनियर सिटीजन ही तो है लेकिन ये सब अच्छा नहीं लगता ।हम लोगों ने तो शादी से पहले पति को ढंग से नजर भरके देखा भी नहीं था एक शर्म का पर्दा था आंखों में । शादी की बात घर में चलती थी तो हम लोग मम्मी पापा के सामने से बात नहीं करते थे ।अब तो वो शरमाती सी सकुचाती सी दुल्हन देखने को ही नहीं मिलती । सबकुछ इतना खुल्लम खुल्ला हो गया है कि शर्म आती है।

               तभी वहां बैठी चालीस साल की ज्योति बोल पड़ी क्योंकि वो अभी नये ज़माने की ही थी कि आंटी जी अब समय बदल गया है सोशल मीडिया ने सब दूरियां मिटा दी है । आजकल हर चीज को लोग यादगार बनाना चाहते हैं जिसमें शादी को तो सबसे ज्यादा । तभी सुलभा और उर्मिला बोल पड़ी बेटा जो धीरे-धीरे जानने में है और जो कुछ शादी के बाद करने को है जो चीज जिस समय के लिए बना है वो उसी समय अच्छा लगता है ।जो चीजें छिपा कर करने को है उसको खुल्लम खुल्ला कर देना क्या सही है। कुछ चीजें एकान्त के लिए होती है।

शादी के पहले इतना सबकुछ जान लेना इतना खुल जाना हमारे लिए ही नुकसान दायक हो सकती है ।कल को यदि शादी किसी वजह से नहीं चलती है तो तो लड़की पर और उसके माता-पिता पर क्या बीतती है ।पर जो भी है हम लोगों के तो समझ में नहीं आया ये कैसा जमाना आ गया है और आगे पता नहीं क्या क्या होगा ।

           मेरे ख्याल से ऊपर लिखे वाकये से समाज का एक वर्ग शर्मिंदा हैं , लेकिन कोई आवाज नहीं उठाता। बच्चों से यदि आप कहते हैं तो बच्चे यह कर टाल देते हैं कि पापा मम्मी अब ऐसा ही जमाना आ गया है । सबकुछ बदल गया है और यही जमाना है जैसा आप देख रहे हो ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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