hindi stories with moral : अब प्यार का इजहार तो हो गया पर कॉलेज का आखिरी दिन था तो रोज मिलना तो संभव था नही तो अब एक ही जरिया था जिससे उन दोनो का प्यार परवान चढ़ सकता था वो था फोन …तो फोन पर लम्बी लम्बी बाते होने लगी …। दोनो ने भविष्य के ढेरो सपने देखे हमेशा साथ निभाने का वादा भी किया। सच प्यार कितना मासूम होता है ना ठिकाना कल का नही होता सपने सदियों के देख लेता है । खैर भविष्य मे क्या लिखा वो देखा जायेगा अभी तो केशव और मीनाक्षी अपने प्यार को जी रहे थे।
” मीनू क्या हम मिल नही सकते ?” एक हफ्ते बाद केशव ने फोन पर कहा।
” देखो केशव अभी हम दोनो को अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए ये मिलना मिलाना हमारा ध्यान भटका देगा और हमे जल्द से जल्द अपने पैरो पर खड़े होना है तभी तो हमेशा को साथ रह पाएंगे इसलिए तुम अभी अपनी नौकरी पर फोकस करो मैं भी वही कर रही हूँ नौकरी मिलते ही दोनो साथ सेलिब्रेट करेंगे !” मीनाक्षी ने कहा।
” हां मीनू मैं जल्द से जल्द नौकरी ढूंढ तुमसे मिलने आऊंगा फिर तुम्हारे पापा से तुम्हारा हाथ मांग लूंगा तुम हमेशा को में हो जाओगी फिर , तब ना तो दूरी होगी कोई ना मजबूरी !” केशव बोला।
” अच्छा जी लगता है मेरे प्यार ने तुम्हे शायर बना दिया !” हँसते हुए मीनाक्षी बोली। ” अच्छा केशव तुम मुझे लव लेटर कब लिखोगे ?” अचानक मीनाक्षी बोली।
” अरे लव लेटर क्यो ? मोबाइल के जमाने मे लेटर कौन लिखता है भला हम रोज बात करते तो है लव लेटर तो तब लिखे जब बात ना हो !” केशव हैरानी से बोला।
” नही मुझे लेटर चाहिए मोबाइल पर बात करके मन थोड़ी भरता है लेटर को तो मैं बार बार पढ़ सकती हूँ …तुम मुझे लेटर लिखना और सुमन ( मीनाक्षी और केशव की दोस्त ) के हाथ भेज देना मैं भी तुम्हे लेटर लिखूँगी । फिर जब हमारे पोते पोती होंगे तो उन्हे अपने प्रेम की दास्ता पढ़ कर सुनाएंगे !” मिनाक्षी रोमांटिक होती हुई बोली।
” तुम ना पागल हो बिल्कुल अभी शादी का ठिकाना नही और तुम पोते पोती पर पहुँच गई …तुम्हारे पापा को पता लगा ना कि तुम मुझ जैसे निठल्ले के साथ अपने भविष्य के सपने देख रही हो तो तुम्हे कुछ कहे ना कहे मुझे सूली पर चढ़ा देंगे !” केशव हँसते हुए बोला।
” जी नही ऐसा कुछ नही होगा मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते है और मैं उनसे जो मांगू मुझे लाकर देते है फिर तुम तो मेरी जिंदगी हो मैं उनसे अपनी सारी खुशियों के बदले तुम्हे मांग लूंगी !” मीनाक्षी प्यार से बोली और दोनो ने एक दूसरे को अलविदा कहा।
धन्य हो गया केशव मीनाक्षी का प्यार देख । सच ही तो कहा मीनाक्षी ने उसे जल्द से जल्द अच्छी नौकरी देखनी होगी तभी तो वो मीनाक्षी को अपने घर ला पायेगा। और फिर केशव ने जी जान लगा दी नौकरी ढूंढने के लिए कम्प्यूटर कोर्स वो किये ही हुआ था तो उसे यकीन था कि जल्द ही कोई अच्छी जॉब मिल जाएगी उसे तब वो अपने माता पिता को मीनाक्षी के घर रिश्ता लेकर भेजेगा। पर चाहा इतनी आसानी से होता कहाँ है अगर हो जाये तो लोग ईश्वर का नाम लेना भी भूल जाये शायद।
केशव ने एड़ी चोटी का जोर लगा लिया पर उसे नौकरी नही मिली इधर मीनाक्षी के पिता के रुतबे के कारण उसे नौकरी आसानी से मिल गई हालाँकि उसके पिता नही चाहते थे वो किसी की नौकरी करे पर उसकी जिद के कारण हां कर दी। और अब तो घर मे उसकी शादी की बात उठने लगी।
” सुनिए माधवी जीजी ने अपनी मीनू के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता बताया है !” मीनाक्षी की माता जी अनिता जी ने उसके पिता सुरेंद्र जी से कहा।
” अच्छा पर हम अपनी बेटी की शादी यूँही नही करने वाले तुम लड़के वालों का फोन नंबर लो हम पहले अपनी तसल्ली करेंगे तभी उन्हे बुलाएंगे !” सुरेंद्र जी बोले।
” किसको बुलाया जा रहा है पापा ?” तभी मीनाक्षी ऑफिस से आ बोली।
” बेटा तुम्हारी बुआ ने तुम्हारे लिए रिश्ता बताया है बस उन्ही को बुलाने की बात हो रही है !” अनिता जी बोली।
” क्या …मेरी शादी वो भी अभी से नो वे प्लीज पापा मुुझे अभी शादी नही करनी !” मीनाक्षी माँ की बात सुन अपने पापा के पास बैठती हुई बोली।
” बेटा अभी सिर्फ बात उठी है कौन सा हम कल की कल शादी कर रहे है सब देखे भालेंगे परखेंगे तब कोई फैसला लेंगे। वैसे भी शादी की उम्र तो तुम्हारी हो रही है फिर तुम नौकरी करना चाहती थी वो भी कर ही रही हो तो अब समय आ गया हम तुम्हारी शादी कर दे !” सुरेंद्र जी बेटी को लाड लड़ाते हुए बोले।
” अरे वाह मतलब अब दीदी इस घर से चली जाएगी और पूरे घर पर मेरा राज होगा साथ ही मम्मी पापा के प्यार पर भी मेरा हक होगा !” तभी वहाँ मीनाक्षी का भाई माधव आकर मीनाक्षी को छेड़ने लगा तो मीनाक्षी वहाँ से उठकर चली गई।
” लगता है शरमा गई !”अनिता जी हँसते हुए बोले तो माधव और सुरेंद्र जी भी हंस दिये।
” केशव मेरे घर मे मेरी शादी की बात उठने लगी है मैं क्या करूँ !” कमरे मे आ मीनाक्षी ने केशव को फोन मिलाया।
” ओह्ह पर मीनू मुझे अभी जॉब नही मिली हां एक दो जगह इंटरव्यू को जाना है पर पक्का कुछ नही अभी !” केशव बोला।
” तुम बैठे रहना हाथ पर हाथ रख और पापा मेरी शादी किसी ओर से कर देंगे !” मीनाक्षी गुस्से मे बोली।
” तो क्या करूँ मैं मीनू ढूंढ रहा हूँ ना जॉब नही मिल रही यार इसमे मेरी क्या गलती है । अब मैं कोई अमीर बाप का बेटा तो हूँ नही जो यूँही नौकरी मिल जाएगी मुझे !” केशव लाचारी से बोला।
” अच्छा मैं कोई इंतज़ाम करती हूँ अपने ऑफिस मे बात करके देखती हूँ तुम चिंता मत करो !” केशव की लाचारी देख मीनाक्षी कुछ सोचते हुए बोली। थोड़े देर बाद दोनो तरफ से फोन रख दिया गया।
क्या होगा अब आगे क्या केशव को नौकरी मिलेगी ?
क्या मीनाक्षी और केशव के प्यार को मंजिल मिलेगी ?
जानने के लिए इंतज़ार कीजिये भाग 3 का । तब तक अगर आपको कहानी अच्छी लगी तो लाइक, शेयर और कमेंट के रूप मे अपना प्यार दीजिये और नही अच्छी लगी तो अपने सुझाव दीजिये ।
धन्यवाद मिलती हूँ अगले एपिसोड मे
कैसा ये इश्क है ( भाग – 3)
कैसा ये इश्क है ( भाग – 3) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral
कैसा ये इश्क है ( भाग -1)
कैसा ये इश्क है ( भाग -1) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral
– संगीता अग्रवाल
2 thoughts on “कैसा ये इश्क है ( भाग – 2) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral”