hindi stories with moral : मीनाक्षी को अस्पताल मे आज दसवा दिन था अभी तक केशव उसके सामने नही आया था। पर वो दूर रहकर उसकी देखभाल कर रहा था ये बात मीनाक्षी को बैचैन कर रही थी। वो चाहती थी केशव एक बार उसके सामने आये तो सारी बात साफ हो जब उसे मीनाक्षी से तलाक ही लेना है तो वो यहां क्यो है , क्यो इतनी परवाह कर रहा है वो ? सवाल बहुत से थे जिनके जवाब सिर्फ केशव के पास थे लेकिन केशव तो सामने ही नही आ रहा था तो वो पूछे कैसे उससे। मन ही मन उसने कुछ सोचा और उसके होठो पर मुस्कान तैर गई।
थोड़ी देर बाद जब नर्स उसको दवाई देने आई तब उसने उसे कुछ कहा जिसे सुन नर्स भी मुस्कुरा दी। इधर मीनाक्षी के पास अब सारा दिन बस अनिता और केशव रहते है क्योकि सुरेंद्र जी को व्यापार भी देखना होता है वैसे वो सुबह , शाम आकर डॉक्टर से जरूरी बात कर जाते है।
” मम्मी आज मेरा ये सब बीमारो वाला खाना खाने का मन नही है !” जब नर्स उसे खाना खिलाने आई तो वो बोली।
” बेटा कुछ दिन की बात है घर जाकर जो मन हो खाना अभी यही खा लो !” अनिता जी प्यार से बोली।
” नही मम्मी मुझे तो आपके हाथ का खाना खाना है प्लीज प्लीज !” मीनाक्षी मचलते हुए बोली।
” बेटा ये क्या बच्चो की तरह जिद कर रही हो आज तुम !” अनिता जी हैरान हो बोली।
” बस मम्मी पता नही क्यो आज बहुत मन कर रहा है !” माँ के गले मे बाहें डाल मीनाक्षी बोली आखिरकार उसकी जिद के कारण अनिता जी को डॉक्टर से इजाजत ले जाना पड़ा घर उसके लिए कुछ लेने। वो केशव और नर्स से मीनाक्षी का ध्यान रखने को बोल चली गई। उनके जाते ही नर्स भी वहाँ से खिसक ली और मीनाक्षी लेट गई।
” पानी …पानी !” थोड़ी देर बाद मीनाक्षी बोली केशव ने उसकी आवाज़ सुनी और नर्स को देखने लगा पर नर्स उसे नज़र ना आई । वो जाकर दूसरी नर्स बुलाता इससे पहले उसने देखा मीनाक्षी खुद पानी लेने को खड़ी हो रही है ।
इससे पहले की मीनाक्षी लड़खड़ा कर गिरती जानी पहचानी दो मजबूत बाहों ने उसे थाम लिया । उन बाहों का सहारा मीनाक्षी को वैसा ही अपना लगा जैसा कॉलेज के समय मे लगता था।
” मुझे पता था केशव तुम मुझे गिरने नही दोगे ।” मीनाक्षी मन ही मन बोली।
” क्या जरूरत थी तुम्हे उतरने की मैं नर्स को बुला रहा था ना !” केशव उसे बेड पर बैठाता हुआ बोला।
” वो ..प्यास लगी थी !” मीनाक्षी बोली। केशव ने मीनाक्षी को पानी पिलाया और बाहर जाने लगा ।
” रुको केशव ! मुझे तुमसे बात करनी है !” मीनाक्षी उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली। केशव की हिम्मत नही थी वहाँ रुकने की पर मीनाक्षी ने उसका हाथ मजबूरी से पकड़ा था । मीनाक्षी का यूँ पकड़ना केशव के सोये जज्बात जगा रहा था उसका मन कर रहा था वो तुरंत मीनाक्षी को गले लगा ले और उससे कहे – क्यो मुझे छोड़ कर जाना चाहती थी किसे हक दिया तुम्हे ये । पर प्रत्यक्ष मे वो कुछ नही बोल पा रहा था।
” बोलो !” थोड़ी देर बाद पीठ फेरे फेरे केशव बोला।
” क्यो कर रहे हो तुम ऐसा ? जब हमारा तलाक होने वाला है तो ये परवाह क्यो ? क्यो मेरे लिए ईश्वर से दुआ मांगते रहे क्यो पल पल खबर रखते हो मेरी । मुझे क्या चाहिए , मुझे क्या अच्छा लगता है , मुझे क्या चीज खुशी देगी क्यो है इन सबका ख्याल ?” मीनाक्षी हाँफ्ते हुए बोली।
” मीनू तुम्हे अभी आराम की जरूरत है अभी कुछ मत कहो तुम प्लीज !” केशव उसकी तरफ पलटते हुए बोला। कमजोरी के कारण मीनाक्षी को भी दिक्कत हो रही थी किन्तु वो आज केशव को यूँही नही जाने दे सकती थी उसको इस कमरे के अंदर लाने के लिए ही तो उसने ये सब नाटक किया था।
” नही केशव मुझे आराम नही करना मुझे वजह जाननी है क्यो तुम मेरे लिए परेशान हो जब हमारा तलाक होने वाला है तो ?” मीनाक्षी बोली।
” मीनू मैं सब बातो का जवाब दूंगा तुम्हारी बस अभी तुम आराम करो मेरी कसम है तुम्हे !” केशव बोला।
” ठीक है तो तुम्हे भी मेरी कसम है जब तक मैं यहां हूँ तुम यूँ बाहर से नही इस कमरे मे आकर मेरा ख्याल रखोगे । मैं नही चाहती अस्पताल स्टाफ हमारे बारे मे कुछ गलत समझे !” मीनाक्षी बोली । मजबूरी मे केशव को उसकी ये बात माननी पड़ी । तभी वहाँ नर्स आ गई जो उन्हे साथ देख मुस्कुरा रही थी।
” कहाँ गई थी तुम मीनू को कुछ हो जाता तो ?” केशव उसे देख भड़का।
” जिनके साथ आप जैसा पति है उन्हे भला क्या हो सकता है आप तो उन्हे मौत के मुंह से वापिस लाये है !” नर्स मुस्कुराते हुए बोली। केशव ये सुनकर फिर उदास हो गया वो बोला कुछ नही पर उसके दिल से आवाज़ आई ” नही सिस्टर बल्कि इसे मौत के मुंह मे ले जाने वाला मैं हूँ !”
” लो बेटा अब जल्दी से कुछ खा लो तुम्हे दवाई भी लेनी है !” तभी अनिता जी कमरे मे दाखिल हुई और केशव को वहाँ देख उन्हे हैरानी भी हुई।
” मैडम आप आ गई मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है आप आइये !” नर्स अनिता जी को देख कर बोली।
” क्या बात है सिस्टर आप मुझे बताइये ?” केशव बोला।
” नही वो तो इनसे ही करने की है आप बस एक फेवर कर दीजिये मीनाक्षी को ये खाना खिला दीजिये !” नर्स ये बोल अनिता जी को ले चली गई । क्योकि मीनाक्षी के हाथ मे भी पट्टी बंधी थी इसलिए वो खुद से नही खा सकती थी । केशव चुपचाप उसे खाना खिलाने लगा।
खाना खाते हुए मीनाक्षी लगातार केशव को देख रही थी और केशव असहज हो उससे निगाह नही मिला पा रहा था।
” देखती हूँ मिस्टर केशव आप कब तक मेरे सवालों से दूर भागेंगे !” खाना खत्म कर जैसे ही केशव वहाँ से बाहर चला गया तब मीनाक्षी मुस्कुरा कर बोली।
अब केशव मीनाक्षी के कमरे के बाहर नही बैठा रहता था बल्कि अंदर आकर नर्स को हिदायते देता था । पर अभी भी वो मीनाक्षी से नज़र चुराता था , कोई बात करने से झिझकता था । यहां तक कि जो फूल वो मीनाक्षी के लिए लाता था वो भी बाहर ही नर्स को दे देता था।
ये सब देखते हुए मीनाक्षी को केशव पर बहुत प्यार आता पर केशव तो उसकी तरफ देखता तक नही था इसलिए वो मन मसोस कर रह जाती थी।
” केशव तुम्हारी आँखों मे मैं वही कॉलेज वाला प्यार देखती हूँ । क्या तुम्हे नही दिखाई देता वो प्यार मेरी आँखों मे । वक्त ने हमारे बीच जो फ़ासले ला दिये है क्या वो भर नही सकते ?” यूँही केशव को सामने बैठा देख मीनाक्षी के दिल ने कहा।
” क्या होगा उससे , केशव आज प्यार का इजहार कर भी दे किन्तु क्या वो मीनाक्षी को सम्मान दे पायेगा क्या फिर से उसका ईगो बीच मे नही आएगा ?” उसके दिमाग़ ने कहा।
” जब किसी को खोने का डर होता है तो ईगो खुद ब खुद दम तोड़ देता है !” दिल से फिर आवाज़ आई।
” केशव जैसे पुरुषों का ईगो दम नही तोड़ता बस कुछ समय के लिए सो जरूर जाता है और फिर तुम कैसे भूल रही हो उसने तुम्हारे पिता की बेइज्जती की थी । वैसे भी तुम दोनो का तलाक का केस अदालत मे है और फाइनल फैसला आने ही वाला है जैसे ही तुम पूरी तरह सही होगी तुम्हारा और केशव का तलाक हो जायेगा । फिर उसकी तरफ आकर्षित होने का उसकी आँखों मे प्यार देखने का फायदा क्या ?” दिमाग़ बोला।
” नही नही मैं कुछ नही भूली पर हो सकता है केशव को अब प्यार का एहसास हो गया हो , हो सकता है मेरी तरह वो भी चाहता हो ये तलाक ना हो । वरना वो मेरी इतनी चिंता क्यो करता ?” मीनाक्षी दिल और दिमाग़ की बात सुन बुद्बुदाई।
” ये चिंता सिर्फ इसलिए है क्योकि तेरा एक्सीडेंट हुआ है वो भी उसकी वजह से वरना तो प्यार का एहसास तो उसे तब भी हुआ था ना पर क्या हुआ एक झटके से सब खत्म भी हो गया ना !” दिमाग़ बोला।
” क्या हुआ बेटा क्या सोच रही हो ?” तभी सुरेंद्र जी की आवाज़ से मीनाक्षी अपनी सोच के घेरे से बाहर आई।
” पापा आप !” मीनाक्षी चौंक कर बोली।
” हाँ बेटा मैं ही हूँ और रोज आता हूँ मैं तो इसमे चौंकने की क्या बात !” हँसते हुए सुरेंद्र जी बोले।
” नही नही पापा कुछ नही मीनाक्षी बोली । फिर दोनो बाप बेटी बात करने लगे । मिलने का वक्त खत्म होने पर सब चले गये अब बस अनिता जी और मीनाक्षी बचे।
” मुझे केशव से दूर ही रहना होगा क्योकि फिर से मैं वही सब झेलने की स्थिति मे नही हूँ । वैसे भी कुछ दिनों बाद हमारा तलाक हो जायेगा फिर वो अपने रास्ते मैं अपने रास्ते !” मीनाक्षी ने रात को मन ही मन सोचा। किन्तु ये आसान तो नही था। ये सब सोचते सोचते ही मीनाक्षी की आँखों से आँसू बहने लगे । क्योकि भले दोनो का केस चल रहा पर है तो दोनो एक दूसरे का पहला प्यार और पहले प्यार को भुलाना आसान तो नही । जब तक मीनाक्षी इस स्थिति मे नही आई थी तब तक मन मे फिर से एक होने की उम्मीद बहुत धूमिल थी किन्तु नर्स से केशव की उसके प्रति चिंता देख उसके मन मे फिर से प्यार के फूल खिलने लगे थे ।
लेकिन अब मीनाक्षी ने फैसला किया वो खुद को संभालेगी और केशव से एक दूरी बनाएगी।
क्रमश….
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