hindi stories with moral : ” बेटा मुझे माफ़ कर दे मैने ये सब सिर्फ तुम दोनो को एक करने को किया था लेकिन मुझे पता होता केशव यहाँ आया है तो मैं नवीन को कभी सामने आने ना देता उसके !” सुरेंद्र जी सोफे पर बैठते हुए दुखी स्वर मे बोले।
” पापा आपने कुछ गलत नही किया कोई भी माता पिता वही करते जो आपने किया । गलती मेरी थी मैने ही केशव को समझने मे भूल कर दी आप मुझे माफ़ कर दीजिये मेरी वजह से आज आपको केशव ने इतना कुछ कहा और नवीन अंकल के सामने भी आपको शर्मिंदा होना पड़ा !” मीनाक्षी सिर झुका कर बोली।
” कोई मुझे भी बताएगा क्या हुआ है या बस एक दूसरे से माफ़ी ही मांगते रहोगे बाप बेटी !” अनिता जी उनकी बाते सुन असमंजस मे बोली। तब मीनाक्षी ने उन्हे सारी बात बताई।
” मम्मी आज जो केशव ने पापा की बेइज्जती की है वो मैं कभी नही भूल सकती कभी नही !” सारी बात बता मीनाक्षी रोते हुए बोली।
” बेटा ये उसने बहुत गलत किया अगर उसे बुरा लगा उसका ईगो हर्ट भी हुआ तो बैठ कर ठंडे दिमाग़ से बात करता आखिर वो इस घर का दामाद है तुम्हारा पति है प्रेम विवाह किया है तुमने !” अनिता जी बोली।
” मम्मी अब वो इस घर का या मेरा कुछ नही आपने मेरी उससे शादी करवा कर अपना फर्ज अच्छे से निभाया अब मेरा फर्ज है मैं आप लोगो की इज्जत पर आंच ना आने दूँ।” मीनाक्षी ये बोल वहाँ से उठकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई । उसके थके थके कदम उसके दिल का हाल बयान कर रहे थे । जिस केशव के लिए अभी थोड़ा पहले उसके मन मे प्यार का सागर उमड़ रहा था उसी केशव के लिए अब उसके मन मे नफरत थी । एक औरत सब बर्दाश्त कर सकती है अपने पति का गुस्सा , नाराजगी , कड़वी बाते सब पर वो अपने जन्मदाता का अपमान नही बर्दाश्त कर सकती । उस एक क्षण मे वो सारा प्यार भूल एक पत्नी से बेटी बन जाती है और वही मीनाक्षी ने किया।
” बेटा सुन तो !” मीनाक्षी को यूँ थके कदमो से जाते देख अनिता जी ने आवाज़ दी।
” मत रोको अनिता उसे अभी उसे जी भर के रो लेने दो वो हमारे सामने मजबूत बनने का दिखावा करेगी और भीतर भीतर दुख के सैलाब मे डूबी होगी ऐसी स्थिति किसी के लिए भी भयावह होगी इसलिए बेहतर है वो अपना गुबार निकाल ले !” सुरेंद्र जी पत्नी को रोकते हुए बोले।
मीनाक्षी अपने कमरे मे आ दरवाजा बंद कर फूट पड़ी ।
” मुझे तुमसे नफरत है केशव तुम क्यो लौटे मेरी जिंदगी मे वापिस । जो आज हुआ उससे बेहतर वो इंतज़ार था जो मैं कर रही थी उस इंतज़ार के सहारे ही सारी जिंदगी कट जाती कम से कम तुम्हारा ये रूप तो ना देखती मैं !” मीनाक्षी तकिये मे मुंह छिपा बोली ।
इधर केशव के घर वाले जो किसी खुशखबरी के इंतज़ार मे केशव का इंतज़ार कर रहे थे क्योकि केशव सुबह कहकर गया था आज मीनू को घर वापिस आने को मना ही लूंगा।
” बेटा तू आ गया क्या बात हुई बहू से ,वो कब लौट रही है , तूने उसे बोला ना अब बस लौट आये अब हमसे और इंतज़ार नही होता ?” केशव के घर मे घुसते ही सरला जी उसकी तरफ लपकी और बोली।
“हम्म” केशव ने सिर्फ हुनकारा भरा।
“क्या हम्म अरे बता ना हम तो कबसे बाट जोह रहे है बस वो जल्दी से आये दुबारा से ग्रहप्रवेश करवाउंगी उसका । फिर से इस घर मे उसकी पायल की आवाज गूंजेगी उसकी हंसी से घर चहकेगा । मुझे मेरी दूसरी बेटी मिल जाएगी , काशवी को उसकी दोस्त जैसी भाभी । तू उससे मेरी बात् करवा मैं कहती हूँ उसे बस कल ही आजा !” सरला जी अपनी धुन मे बोली।
” हाँ भैया अब भाभी बिना ये घर बहुत सूना लगता है !” काशवी बोली।
” अब ये घर ऐसा ही रहेगा समझे आप लोग भूल जाओ माँ की आपकी कोई बहू भी थी और काशवी तेरी कोई भाभी भी थी । अब सब रिश्ते खत्म उससे समझे आप लोग । कोई नही वो इस घर की या हमारी !” केशव एक दम से चिल्लाया तो हैरान रह गये सभी ।
” ये क्या कह रहा है तू पगला तो नही गया । शादी ब्याह के रिश्ते गुड्डे गुड़िया का खेल है जो जब चाहा बंध गये जब चाहा टूट गये ।” इतनी देर से चुप कैलाश जी बेटे पर भड़के।
” खेल तो था ही ये पापा और मैं नादान कुछ ना समझा । मुझे इस बात का दुख नही उन लोगो ने मेरे साथ खेल खेला । दुख तो इस बात का है आप लोग भी इस खेल मे शामिल थे और मैं अंजान आप सबकी बातो मे आ गया !” केशव अचानक रोने लगा।
” कैसा खेल और किसने खेला तेरे साथ खेल कुछ बताएगा भी हुआ क्या ?” कैलाश जी ने पूछा ।
” गुप्ता जी आपके दोस्त है , कौन से दोस्त है कहाँ रहते है वो ?” केशव एकदम पिता के सामने खड़ा होकर उनकी आँखों मे झाँकता बोला ।
” वो …वो मेरे साथ पढ़ा हुआ है !” निगाह चुराते हुए कैलाश जी बोले।
” पापा आपका नज़र चुराना सब बता रहा है । क्यो किया आपने ऐसा , क्या मजबूरी थी ऐसी ? मैं ढूंढ रहा था ना नौकरी फिर क्यो आप भी उनके बहकावे मे आ गये । वो लोग तो चाहते ही थे मुझे नीचा दिखाना पर आपने क्यो उनका साथ दिया ?” केशव रोते हुए बोला।
” वो लोग क्यो चाहेंगे तुझे नीचा दिखाना । सुरेंद्र जी ने ये सिर्फ अपनी बेटी का घर बसाने और तुझे डिप्रेशन से बाहर निकालने को किया वरना उन्हे क्या जरूरत पड़ी थी हमसे बात करने की ।” कैलाश जी बोले।
” पापा आप कुछ नही जानते आपने उनका साथ दे मुझे मेरी नज़रो मे गिरा दिया । और नतीजा आप देख ही लो बेटे का घर तो टूटा ही आपके बेटा भी टूट गया !” केशव ये बोल वापिस बाहर जाने लगा।
” बहू से क्या बात हुई ऐसी जो तू बावला हुआ जा रहा है और अब कहाँ जा रहा है तू ?” सरला जी उसे जाते देख बोली।
” उससे तो अब जो बात होगी अदालत मे होगी !” गुस्से मे एक एक शब्द चबाता केशव बोला और झटके से बाहर निकल गया।
” क्या ….!!” आवाक् रह गये सभी केशव के मुंह से ये सुनकर ।
क्या होगा अब क्या सच मे दोनो का तलाक हो जायेगा या फिर नियति कुछ और रचे बैठी है इनके लिए जानने के लिए बने रहिये
दोस्तों आज का भाग थोड़ा छोटा है उसके लिए पहले से ही क्षमा चाहती हूँ आज थोड़ा व्यस्त थी तो इतना ही समय दे पाई
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