कहानी से समाधान – लतिका श्रीवास्तव  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : कैसे कुसंस्कारी बच्चे हैं कहा तो ये जाता है कि जो भी संस्कार तीज त्योहार  बचे हैं वे गांवों में ही हैं शहर में तो लोगों को नौकरी करने पैसा जोड़ने से ही फुर्सत नहीं मिल पा रही है।

शिवानी ने सोचा इनके माता पिता को बुलाना आवश्यक है

दिवाली के त्योहार पर रात में अपना घर छोड़कर ये लड़के स्कूल कैंपस में आ गए जम के पटाखे फोड़े गुटखा खाया … जब स्कूल खुला तो पूरे परिसर में जगह जगह पटाखे के अवशेष राख कचरा और गुटखा थूकने के निशान पड़े हुए थे….. शिवानी के आते ही भृत्य ने शिकायत की “” कक्षा के सामने जाकर गंदगी किए हैं बंद दरवाजे के नीचे से फुलझड़ी और लड़ी बम जलाए हैं… कक्षा के सामने के लंबा चौड़ा बरामदे की पूरी उजली टाइल्स में लाल काले निशान पड़े हुए हैं आप खुद ही देख लीजिए मैडम जी…”अक्रोषित भ्रत्य की शिकायत ने शिवानी को भी आक्रोशित कर दिया….. !

बेकार गांव है कोई ध्यान ही नही देता रात में पता नहीं कौन आवारा लड़के स्कूल में घुसकर बदमाशी कर जाते हैं गंदगी कर जाते हैं कोई देखने वाला ही नही है अभी सरपंच से बात करती हूं शिवानी ने गुस्सा प्रगट किया तो भृत्य कम्मो बाई ने बीच में ही टोक दिया

…..नहीं मैडम जी बाहर के ना होएं या सब हमरे स्कूल के ही है हैं!!

क्या..! हमारे स्कूल के!! यहीं पढ़ते हैं?? कौन हैं तुमने देखा हैं उनको ?? आज आए हैं स्कूल जाओ बुला के लाओ..!!शिवानी के आश्चर्य और क्रोध का ठिकाना नहीं था।

थोड़ी ही देर में भृत्य्य करीब पांच लड़कों को बुला लाई।

क्यों किया तुम लोगों ने ऐसी हरकत..!!

नो मैडम हमने नहीं किया

तो ये बाई झूठ बोल रही है क्या।

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….. मैडम हम लोगों ने इससे कहा जरूर था की स्कूल की चाभी लेकर हमारे साथ चलो वहां पटाखे फोड़ना है लेकिन हमारे बार बोलने पर भी  इसने मना कर दिया कि मैडम जी सुनेगी तो डांटेगी पहले उनसे परमिशन ले लो…इसकी बात सुनकर हम लोग भी डर गए और यहां से चले गए थे कोई और लडको ने ये सब किया है मैडम जी…. l

दो तीन लड़के तो काफी अच्छे थे पढ़ाई में भी और रेगुलर स्कूल भी आते थे और आज्ञाकारी भी थे।

उनकी बात सुनकर और चेहरे देख कर लगा कि शायद bai को कोई गलत फहमी हो गई है ।

अच्छा अगर तुम्हारी बात सच है फिर भी स्कूल में ये हरकत तो हुई है किसने की!??

हमे नही पता मैडम जी.. समवेत दीन स्वर में सब बोल उठे।

ठीक है कम्मो सुनो तुम ये सब सफाई नहीं करोगी जिन लडको ने ये सब गंदगी की है वही ये सब साफ करेंगे और तुम लोग  भी सुनो एक दिन का समय दे रही हूं कल तक उन लड़को का पता करके मुझे बताओ जिन्होंने स्कूल कैंपस में ये सब किया अन्यथा तुम्हारे माता पिता को बुला कर बात करनी पड़ेगी .. समझ गए शिवानी ने पेंडिंग कार्यों की व्यस्तता देखते हुए चेतावनी देते हुए बात समाप्त की।

जी मैडम जी… हम पता लगा लेंगे आश्वासन देते हुए वे सभी क्लास में चले गए।

हद है कैसे लड़के हैं और कोई जगह नही मिली इन लोगों को इतने साफ सुथरे स्कूल को कचरा बना दिया …इनके दिमाग में ऐसा विचार आया ही क्यों..!..शिवानी को पता नहीं क्यों यकीनी तौर पर महसूस हो रहा था कि इन्हीं लड़कों ने ये हरकत की है और अब डर और बेइज्जती के मारे स्वीकार नहीं कर रहे हैं…!

उनके मां बाप को बुला कर या सख्ती से पूछ ताछ करके डर दिखा कर किसी नतीजे पर पहुंचा तो जा सकता था लेकिन शिवानी चाहती थी अभी संस्कार सीखने की उम्र है इन्हे खुद से अंदर से अपनी गलती महसूस होनी चाहिए और ये खुद आकर अपनी गलती स्वीकार करें बिना धमकाए या डराए।

संस्कार क्या हैं व्यवहार करने के तरीके ही तो हैं हर बात को हर काम को करने का एक सही और सुव्यवस्थित तरीका होता है बस वही समझना  सीखना और पालन करना ही तो संस्कारी होना है।

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व्यक्तित्व निर्माण की  खतरनाक उम्र है किशोर अवस्था…. उद्वेगो और संवेगो के पनपने नियंत्रित करने और संभलने या बिगड़ने का ही दौर होता है .. अभी जब अपनी गलती, गलत तरीके, गलत व्यवहार गलत आदतें सम्मानजनक व्यवहार का लेना देना ….महसूस करना नही सीखेंगे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं करेंगे तब तक ऐसी गलतियां बार बार हर बार करते रहेंगे इससे भी ज्यादा बड़ी गलतियां करने की राह खोलते जायेंगे.. चरित्र निर्माण का संस्कारों के बीज पल्लवित होने का यही समय है ….खुद का मूल्यांकन खुद का सुधार।

शाम हो गई कोई भी लड़का नहीं आया किसने किया अभी तक अज्ञात था।

शाम की प्रार्थना के बाद बच्चों द्वारा सुविचार सामान्य ज्ञान की जानकारी दी जाने वाली थी।

आज मैं तुम लोगों को अपने बचपन की एक कहानी सुनाऊंगी  शिवानी ने आकर कहा तो सारे बच्चे हैरान भी हुए और प्रसन्न हो गए सभी ने तालियां बजाकर अपनी खुशी और उत्सुकता जाहिर की।

जब मैं छोटी थी लगभग तुम्हीं लोगो की उम्र की थी तब की बात है एक बार रिश्तेदारी में कोई शादी थी हमारी पढ़ाई का नुकसान ना हो इसलिए हम सब भाई बहनों को घर पर छोड़ कर मम्मी पापा एक दिन के लिए शादी में चले गए… हम लोग बहुत प्रसन्न हो गए… वाह अब कोई नही है हमे टोका टाकी करने वाला ….जिसको जो पसंद था सबने अपने पसंद की खाने की चीजे बनाई खूब सामान फैलाया ….. सुबह में पापा मम्मी गए थे दूसरे दिन सुबह लौटना था उन्हें… अप्रत्याशित रूप से वे शाम को ही आ गए… सारा घर अस्त व्यस्त.. सारे बर्तन गंदे… जैसे सारे घर में भूचाल आया ही….मम्मी बेहद नाराज हुई …..किसने किया पूछने पर हम चारो भाई बहन एक दूसरे का नाम लगाते रहे…!

देखो अगर ये सब कर लिया है तो कर लिया अब सब साफ सफाई भी कर दो बस।मम्मी इतना कह कर पड़ोस में चली गईं

हम ने एक दूसरे की तरफ देखा और तत्काल सारी चीजे व्यवस्थित करने में लग गए… सारे बर्तन धो कर अच्छे से जमा दिए सारे कमरे झाड़ कर पूरा घर व्यवस्थित कर दिया… फिर पड़ोस से जाकर मम्मी को बुला लाए… मम्मी के आते ही सबने उनसे सॉरी किया और मम्मी ने हंसकर बात समाप्त कर दी।

इस से यह शिक्षा मिलती है की बच्चे हों या बड़े हों गलतियां सबसे हो जाती हैं अपनी गलती स्वीकार करना और उसका दंड भुगतने की हिम्मत हो तो जिंदगी में दुबारा वही गलती नही होगी।

सबने ताली बजाई और घर चले गए।

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शिवानी काफी उद्वेलित थी बच्चो की हरकतें और झूठ बोलते जाना उसे असह्य हो रहा था।

सोच रही थी इन सबके माता पिता को बुला ले पर गांव में माता पिता भी तो संस्कार सिखा नही पाते ना ही स्कूल आते हैं किसी बच्चे को कोई सजा दे दो तो लड़ाई करने जरूर आ जाते हैं किया क्या जाए अगर दोषी को सजा नही मिली तो स्कूल का अनुशासन बिगड़ेगा….मन में भारी उथल पुथल लिए दूसरे दिन  शिवानी स्कूल पहुंच गई।

जो देखा विश्वास नहीं हुआ…..

पांचों लड़के पूरे स्कूल की सफाई में लगे थे दो लड़के झाड़ू लेकर सारा कचरा साफ कर रहे थे और तीन में से एक हैंड पंप से बाल्टी में पानी में भर रहा था एक  बाल्टी से पानी डाल डाल टाइल्स धो रहा था और एक वाइपर से रगड़ रगड़ कर सारे लाल काले दाग धब्बे छुड़ा रहे था।

अभी शिवानी अपनी बचपन की कहानी का यह ये खूबसूरत असर देख ही रही थी कि दो बाहर के लड़के आ गए।

मैडम जी मेरा भाई स्कूल में पढ़ने आता है पानी और झाड़ू लेकर फर्श साफ करने नहीं आता सफाई करने का काम आपके चपरासी का है उससे आप क्यों नही करवाती… उसके साथ का लड़का भी तब तक बोलने लगा मैडम जी हम लोग फोटो खींच कर ऊपर तक भेजेंगे पेपर में छपवाएंगे आपकी शिकायत करेंगे….

ए भैया लोग तमीज से तमीज से बात करिए ये हमारी मैडम जी हैं … वाइपर और झाड़ू छोड़कर लड़के तत्काल वहां आ गए और उनकी बात काटते हुए कहने लगे… आइए हमारे साथ आइए सुनिए स्कूल गंदा हमने किया है तो साफ भी हम ही करेंगे चपरासी क्यों करेगा हमारी गलती सुधारने का यही तरीका है और मैडम जी ने हमसे ये सब सफाई करने के लिए नहीं कहा है हम तो खुद ही अपनी गलती सुधारने का यत्न कर रहे हैं जिन मैडम जी आप शिकायत करने की बात कर रहे हैं उन्होंने हमारी गलती होने पर भी मां पिता जी से हमारी शिकायत नहीं की क्योंकि यह चाहती हैं की हम खुद समझे और सुधारें…!

शिवानी आनंदित हो उठी मनचाहा सुधार देख कर…. तब तक पांचों लडको ने आकर पैर छू लिए…” सॉरी मैडम जी अब से गलती नही करेंगे।

गलती हो भी जाए तो उसे स्वीकार कर सुधार कर लेना बस …. मुस्कुराते हुए शिवानी उनसे कह उठी थी।

जी मैडम जी कहते हुए सब चले गए थे ।

पूरा स्कूल धुला धुला साफ चमक रहा था धुले चमकते हुए मन की तरह।

(कई बार कहानियां ही छोटे बड़ो सभी को सिखाने समझाने का सशक्त सार्थक माध्यम बन जाती हैं समाधान सहज उपलब्ध करा देती है मन की उधेड़बुन का हल ढूंढ लातीं हैं।)

लतिका श्रीवास्तव 

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