एक मां के दो बेटे थे मां ने दोनों बेटों की शादी कर दी मां को पता था मेरे दोनों बेटे कम पढ़े लिखे हैं इसलिए शहर में नौकरी मिल पाना कठिन है मां ने अपने सोने के आभूषण बेचकर एक किराने की दुकान खुलवा दी दोनों बेटों को नौकरी के लिए अब दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा —
छोटे भाई ने अच्छे व्यवहार के कारण ग्राहकों की संख्या बढ़ा ली थी किंतु बड़ा भाई नवीन जब दुकान में बैठता तो ग्राहक ना आते वह मक्खी मारता रहता एक रात बड़े भाई ने अपने छोटे भाई राम की तारीफ अपनी पत्नी नीतू से करते हुए कहा राम दुकान सही चला लेता है उसे दुकान चलाने का तजुर्बा है
तब नवीन की पत्नी नीतू चिढ़ते हुए बोली जब देखो अपने छोटे भाई की तारीफ करते रहते हो अगर इसी तरह राम की तारीफ करते रहोगे तो देखना एक दिन सारी दुकान राम के हिस्से में चली जाएगी जैसा मैं कहती हूं वैसा करो राम को दुकान से निकलवाने की कोई योजना बनाओ और राम की पत्नी सीता को घर से मैं निकलवाने की योजना बनाती हूं रात भर दोनों जागते रहे और उन्हें एक तरकीब सूझी —
सुबह छोटा भाई जब दुकान में पहुंचा तो बड़े भाई ने राम को बताया मैं कार चलाना सीखना चाहता हूं जब कार चलाना सीख जाऊंगा तब मैं यह दुकान तुझे दे दूंगा और मैं शहर में ड्राइवर की नौकरी कर लूंगा मैं रोज गल्ले से कुछ रुपए लूंगा तू मां को मत बताना यह बात हम दोनों के बीच रहनी चाहिए राम ने अपने बड़े भाई की बात मान ली ,,
क्योंकि बड़ा भाई पिता समान होता है
बड़ा भाई रोज गल्ले से रुपए निकाल लेता और राम ,, मां ,, को बताता आज थोड़ी ही बिक्री हुई है
मां ,, राम की बातों का भरोसा कर लेती नवीन कबाड़ी की दुकान से खाली शराब की बोतल ले आता और राम के कमरे में रखे डस्टबिन में रोज की एक खाली बोतल सबकी नजर बचाकर डाल देता जब राम दुकान पर होता और उसकी पत्नी सीता बच्चों को स्कूल से लेने जाती तब राम का कमरा खाली हो जाता था तब बड़ा भाई,, मां ,, को राम के घर पर रखे डस्टबिन को खोलकर दिखाता ,, देखो मां ,, राम ने जब से दुकान पर बैठना शुरू किया है शराब पीनी शुरू कर दी है यह देखो डस्टबिन में शराब की खाली बोतल तब मां बोली तू सही कह रहा है आजकल दुकान के गल्ले के पैसे भी कम होते जा रहे हैं शुरू शुरू में दुकान से खूब रुपए रोज आ जाते थे
इस कहानी को भी पढ़ें:
आजकल दुकान से कम रुपए ही मिल पाते हैं ,,,
तब नवीन ने कहा देखो ,, मां ,, वह मेरा छोटा भाई है उसे सही रास्ते पर लाना मेरा काम है तुम इस बात का जिक्र राम से मत करना मैं सब संभाल लूंगा जल्दी ही उसकी दारू छुड़वा दूंगा नवीन अपनी चाल में कामयाब रहा ,, मां कुछ ना कह सकी ,,
इधर जेठानी ने अकेले में देवरानी को कहा मेरे पास दो सिल्क की नई साड़ियां है कुछ दिनों से मेरे कमरे में कोई नया चूहा आ गया है मुझे डर है कहीं वह चूहा मेरी नई साड़ियां कुतर ना दे मेरी सिल्क की दोनों साड़ियां तुम अपनी अलमारी में रख लो ,,,,
तुम्हारे यहां सफाई रहती है ,,,
कोई चूहा नहीं आएगा जेठानी दौड़कर सबकी नजर बचाकर दो साड़ियां लेकर देवरानी की अलमारी में रखते हुए बोली अलमारी का लॉक लगा दो यह बात राम और मां को पता ना चले वरना वह दोनों कहेंगे की दो साड़ी भी संभाली नहीं जाती तब सीता ने कहा ,,
,
, ठीक है दीदी ,,, जैसा आप चाहो ,,
राम जब दुकान पर बैठने गया और दोपहर को सीता स्कूल से बच्चों को लेने गई तो जेठानी ने सासू मां को अपने कमरे में बुला लिया और अलमारी दिखाते हुए कहा मां जी 2 दिन से मेरी सिल्क वाली साड़ियां नहीं मिल रही है ,,, मेरी मां ने मेरे जन्मदिन पर दी थी परसों मुझे अपनी सहेली की सालगिरह पर जाना है उधर से मां भी आएगी मां ने कहा था जो साड़ी जन्मदिन पर दी थी तुझे वही पहनकर आनी है अगर मैं सिल्क वाली साड़ी पहन कर नहीं जाऊंगी तो मां पूछेगी साड़ियां कहां खो गई तब मैं क्या जवाब दूंगी कल सीता छत पर कपड़े सुखाने आई थी उसके बाद से ही दो साड़ियां गुम है —
मां ने बड़ी बहू को डांटते हुए कहा तो तुम अपनी देवरानी पर इल्जाम लगा रही है की साड़ियां उसने चुराई है तब बड़ी बहू बोली अभी सीता के कमरे में कोई नहीं है ,, तलाशी ले लेते हैं दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा
मां भी गुस्से में सीता के कमरे में पहुंची बड़ी बहू इधर-उधर नाटकीय अंदाज से साड़ी ढूंढते हुए बोली मां जी तुमने सही कहा था इस कमरे में तो कहीं साड़ी नहीं मिली तब मां ने कहा वह कोने वाली एक अलमारी तो रह गई इस अलमारी की एक चाबी सीता के पास रहती है दूसरी चाबी मेरे पास मां ने बटुए से चाबी निकाली अलमारी का लॉक खोला तो ऊपर वाले खाने में सिल्क की दो साड़ियां रखी हुई थी तब जेठानी बोली ,,,
यही साड़ियों को तो मैं ढूंढ रही थी
इस कहानी को भी पढ़ें:
मां ने बड़ी बहू से कहा साड़ियां इसी अलमारी में रखी रहने दो मां ने फिर वैसे ही अलमारी का लॉक लगा दिया ,,
मां ने तुरंत एक वकील को बुलवाया और कहा मैं अपने छोटे बेटे राम और छोटी बहू सीता को मकान नंबर B/2-578 और दुकान चल अचल संपत्ति से हमेशा हमेशा के लिए बेदखल करती हूं
राम को जब खबर मिली कि उसकी मां ने उसे चल अचल संपत्ति से बेदखल कर दिया है तब राम ने मां से कहा ठीक है मां ,,, जैसा आपका आदेश
मां ने कमरे की कुंडी अंदर से लगाकर राम को अकेले में कहा लेकिन एक शर्त है यह बात मोहल्ले वालों को ,, रिश्तेदारों को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैंने छोटी बहू छोटे बेटे को घर से बेदखल कर दिया है रात 12:00 बजे जब सारा मोहल्ला सो जाएगा तब तू अंधेरे में अपने बीवी बच्चे लेकर चुपचाप चला जाएगा
,, घर से बिल्कुल खाली हाथ जाना होगा ,,
एक जोड़ी कपड़े भी मैं नहीं ले जाने दूंगी मुझसे मोहल्ले वाले पूछेंगे तो मैं कह दूंगी छोटे बेटे और छोटी बहू की कहीं दूर सरकारी नौकरी लग गई है इसलिए वह रातों-रात ही बच्चों को लेकर चले गए हैं
रात के 12:00 चुके थे राम ने अपनी पत्नी को जागते हुए कहा उठो,, मां ,, और पिताजी के कमरे में जाकर उनका आशीर्वाद ले आओ बच्चों को भी मां के कमरे में लेती जाओ यह मासूम बच्चे दादी मां से मिल लेंगे फिर ना जाने किस जन्म में मुलाकात हो —
रात के अंधेरे में राम बीवी बच्चों को लेकर किसी नए शहर की ओर पैदल ही निकल पड़ा सीता पैदल चलते-चलते थक गई रात के लगभग 2:00 बज चुके थे सीता ने चलते-चलते कहा ,, ना जेब में पैसे ,, ना अपनी कोई नौकरी, न रहने की व्यवस्था छोटा बेटा गोद में लिए मैं थक चुकी हूं और कितना चलना होगा हम कहां जा रहे हैं —
राम ने कहा यह तो मुझे भी नहीं पता हम कहां जा रहे हैं बस जैसे-जैसे सड़क आगे को जा रही है हम भी चल रहे हैं 4 साल की बेटी को मैंने कंधे पर लटका रखा है मैं तो एक बार भी नहीं थका ,, ना मैंने तुमसे किसी बात की शिकायत की ,,
तुम तो मर्द हो रात भर चलते रहोगे मगर मैं तो एक औरत हूं मां ने हमें घर से निकाल दिया और तुमने कारण भी न पूछा मैं तो तुम्हारे साथ रह लूंगी लेकिन बच्चों को तो छत चाहिए यह कोई फिल्म का सीन थोड़िना चल रहा है कि एक सेठ टकरा जाएगा और वह हम पर तरस खाकर हमें रहने की जगह दे देगा
इस कहानी को भी पढ़ें:
देखो बादल घिर आए है ,, लगता है बारिश शुरू होने वाली है
राम को सड़क किनारे दूर एक पुरानी सी टूटी झोपड़ी दिखाई दी राम ने सीता से कहा बारिश शुरू हो जाए इससे पहले बच्चों को लेकर वहां पहुंचते हैं —
झोपड़ी तक पहुंचते पहुंचते तेज मूसलाधार बारिश शुरू हो चुकी थी सीमा आंचल में छुपाए 3 साल के बेटे को झोपड़ी के कोने में लिए बैठ गई राम ने 4 साल की बेटी को वही अपने नजदीक बिठा लिया धीरे-धीरे बारिश का पानी छप्पर से बहता हुआ झोपड़ी के भीतर घुसने लगा
तभी झोपड़ी के बाहर एक हाथ में डंडा दूसरे हाथ में छाता लिए एक लंबा चौड़ा शरीर नीली वर्दी पहने उसने जोर से भारी आवाज में गरजते हुए कहा ,,
कौन हो तुम ,, और इतनी बारिश में इस झोपड़ी में कहां से आए सीता ने सच बताना चाहा तो राम ने रोक दिया और गार्ड से कहा ,, गांव से आए हैं
हम शहर में नए हैं काम की तलाश है और रहने का ठिकाना खोज रहे हैं गार्ड ने देखा बारिश अब कुछ हल्की हो चुकी है गार्ड ने कहा पहले मैं इसी झोपड़ी में रहता था अब एक नई झोपड़ी वहां देखो बना ली है उसी में रहता हूं
वह गार्ड उन्हें अपनी नई झोपड़ी में ले गया वहां एक पलंग कुछ खाने पीने के बर्तन अलमारी में दो चादर एक कंबल ,, गार्ड ने बताया मैं यहां सालों से रह रहा हूं सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की रखवाली करता हूं अब बूढ़ा हो चुका हूं मुझे एक नए गार्ड की तलाश है क्या तुम गार्ड का काम कर सकोगे रहने के लिए यह झोपड़ी है
उस बूढ़े गार्ड ने राम को उसी समय अपनी नीली वर्दी डंडा सीटी दे दी और कहा मैं अभी आता हूं फिर वह बूढ़ा कभी लौटकर न आया
सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हुए राम को 16 साल हो गए बच्चे वही पास के सरकारी स्कूल कॉलेज में पढ़ने लगे राम पलटकर फिर कभी मां के घर नहीं गया क्योंकि यह आजीवन वाला वनवास था
राम की बेटी प्रियंका 20 बरस की हो चुकी थी उसका बेटा कार्तिक 19 वर्ष का ,,,,
कार्तिक कई दिनों से नौकरी की तलाश में था
,, आज सुबह ,,
इस कहानी को भी पढ़ें:
कार्तिक एक कंपनी में पहुंचा वहां उसे गार्ड के लिए सिलेक्ट कर लिया गया और नौकरी का पता एक पर्ची पर लिख दिया जिस पर लिखा था मकान नंबर B/2-578 ,, कुछ घंटे बाद
कार्तिक एक शानदार बड़े से मकान के सामने रुका आंगन में एक चमचमाती कार खड़ी है दरवाजे पर एक बूढ़ी महिला बैठी थी कार्तिक ने बताया मैं एक सिक्योरिटी गार्ड हूं ,, कृपया आप मुझे मकान नंबर B/2–578 यह एड्रेस बता देंगी कार्तिक ने एक पर्ची दिखाते हुए कहा
बूढ़ी महिला ने चश्मा चढ़ाते हुए पर्ची अच्छी तरह पढ़ी और कहा यह एड्रेस तो हमारे घर का है मेरे बड़े बेटे नवीन और बड़ी बहू नीतू ने कल ही एक नई कार खरीदी है उस कार की रखवाली के लिए ही एक गार्ड कंपनी से बुलवाया होगा ,, तुम ठीक पते पर आए हो
वर्दी पहन लो और सड़क पर खड़ी कार की रखवाली करते रहो मैं घर में खबर कर देती हूं कि ,, गार्ड आ चुका है ,,
धूप तेज थी कार्तिक 4 घंटे तक कार के पास खड़ा रहा ,,
कार्तिक का गला सूखने लगा इतने में वह बूढ़ी महिला एक जग में पानी और एक गिलास ले आई लो बेटा पानी पी लो मैं तुम्हारे लिए कुर्सी का इंतजाम करती हूं वरना तुम खड़े-खड़े थक जाओगे
इतने में बड़ी बहू कमरे से बाहर आई और अपनी सासू मां के हाथों से पानी का जग छीनते हुए बोली राम राम राम न जाने कौन बिरादरी का है हमारे घर के बर्तनों को छूत की बीमारी लगा देगा ,, मां जी तुम्हें कितनी बार कहा है मेरे बिना पूछे इस घर में कोई काम मत किया करो
गार्ड को कुर्सी देकर उसे आलसी बना दोगी खड़े रहने दो वह दूर पानी का प्याऊ लगा है पानी भी वही से पी लेगा बाहर के लोगों से इतनी हमदर्दी लगाना ठीक नहीं है ,,
इतने में उस बूढ़ी महिला का बड़ा बेटा कमरे से बाहर आकर बड़बड़ाया मां तू पागल हो गई है जब से छोटा बेटा राम घर से गया है तब से तेरा दिमाग सटक गया है सपने में भी राम-राम चिल्लाती रहती है,,,,,
कार्तिक के 12 घंटे पूरे हो चुके थे वह अपने घर लौट आया
मां को अपनी नई नौकरी के बारे में बताते हुए एक पर्ची मां को थमा दी,, मां ,, मैं इस एड्रेस पर गार्ड की नौकरी के लिए नियुक्त हुआ हूं
मां ने जब पर्ची पर एड्रेस पढ़ा तो चौंक गई वह तुरंत समझ गई यह तो कार्तिक की,, दादी ,, का घर है उसने कार्तिक को बताया
कल जब तुम सुबह ड्यूटी के लिए जाओ तो उन बूढी महिला के चरण छू लेना ,,
कार्तिक ने कहा ठीक है ,, मां ,, जैसा तुम कहती हो मैं वैसा ही करूंगा लेकिन अभी तो भूख लगी है जोरों की ,,, पहले खाना परोस दो
इस कहानी को भी पढ़ें:
अगले दिन कार्तिक सुबह 8:00 बजे समय पर ड्यूटी पर पहुंच गया चमचमाती लाल रंग की कार पर थोड़ी धूल जम चुकी थी
गली में शानदार टेंट लगा रहा था कुछ कुर्सियां रिक्शे से उतर रही थी तभी कमरे से वह बूढ़ी महिला खांसते हुए कार्तिक के पास आकर बोली,, मेरे घर के लोग कह रहे थे इस कार को भी साफ कर दिया करो ,, एक बाल्टी में पानी , और कपड़ा ले लिया करो
तब कार्तिक ने कहा क्या मैं तुम्हारे पैर छू सकता हूं हमारी मां ने कहा था बड़े बूढ़ो का आशीर्वाद ले लेना चाहिए
कार्तिक ने झुक कर चरण स्पर्श किए
वह क्या जाने कि यह कार्तिक की दादी मां है ,,
तब उस बूढ़ी महिला ने कहा मैं तो तेरी दादी की उम्र की हूं
तू मुझे दादी मां कहकर बुला सकता है
तब कार्तिक ने पूछा यह टेंट और कुर्सियां क्यों आई है,, दादी मां
चश्मा चढ़ाते हुए उसने कार्तिक को बताया मेरी बड़ी बहू नीतू की आज सालगिरह है आज तरह-तरह के पकवान बनाए जाएंगे तुझे जितना खाना हो तू जी भर के खा लेना
दोपहर हो चुकी थी धीरे-धीरे मेहमान इकट्ठे हो चुके थे
डीजे पर खूब नाच गाना चल रहा था सभी मेहमान तरह-तरह के पकवान खाने में जुटे हुए थे
रिश्तेदारों ने कहा – तुम्हारी तरक्की रात दिन हो रही है अब तो कार ले ली और एक सिक्योरिटी गार्ड भी रख लिया
मगर एक बात है इस घर का छोटा बेटा राम और छोटी बहू सीता कि जब से सरकारी जॉब लगी है वह लोग तो यहां कभी आते ही नहीं
तब नीतू ने सिल्क की साड़ी का पल्लू संभालते हुए कहा ,
उन दोनों की सरकारी नौकरियां हैं दोनों मिलकर दो लाख रुपए कमाते हैं कुछ महीने पहले विदेश में उन्होंने एक नया बंगला खरीदा है,, अब हम गरीबों को कौन पूछता है
सभी रिश्तेदार कहने लगे हमें राम से ऐसी उम्मीद नहीं थी आज अमीर बन गया तो अपने बूढ़े मां-बाप को भूल गया
धीरे-धीरे शाम होती गई कार्तिक इंतजार करता रहा शायद यहां से कुछ खाने को मिल जाए तभी एक रिश्तेदार ने कहा गार्ड भैया तुम भी खाना खा लो कार्तिक जैसे ही पंडाल में पहुंचा और उसने थाली में दो पूरी और आलू की सब्जी रखी
इस कहानी को भी पढ़ें:
इतने में बड़ा बेटा नवीन आता दिखाई दिया उसने कहा मैं इस घर का मालिक हूं और तेरा भी मालिक हूं तुम जैसे छोटे लोग
अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे थाली वापस रखो और जाकर कार के पास खड़े हो जाओ यह खाना तुम्हारे लिए नहीं रिश्तेदारों के लिए है
तभी नीतू आते हुए बोली सिक्योरिटी गार्ड अपनी औकात भूल जाते हैं
मैं अभी कंपनी में फोन घुमा कर इस सिक्योरिटी गार्ड को नौकरी से निकलवाती हूं,,,
कहानी कलयुग की — भाग 2
सिक्योरिटी गार्ड कार्तिक अपनी ड्यूटी पर तैनात था
किसी रिश्तेदार ने कहा गार्ड भैया तुम भी खाना खा लो
,,, पंडाल में सब खाना खा रहे हैं
कार्तिक ने पंडाल में घुसकर थाली में दो पूरी और सब्जी रख ली
इस बात से नाराज होकर वहां के मालकिन और मालिक नाराज हो गए और सिक्योरिटी गार्ड कार्तिक को नौकरी से निकलवाने की धमकी दे डाली
अब आगे ,,,,,,,,,,
कुछ देर बाद वहां पंडाल पर एक नया सिक्योरिटी गार्ड आया
उसने कार्तिक को बताया तुम्हें नौकरी से निकाल दिया गया है तुम्हारे बदले मैं यहां पर ड्यूटी करूंगा कार्तिक कुछ देर तो खड़ा सोचता रहा फिर उदास चेहरा लिए अपना बैग उठाए घर वापस आ गया ,,,
,, मां ,, ने अपने बेटे कार्तिक से घर जल्दी आने का कारण पूछा
,,,, आज तुम 2 घंटे पहले ही आ गए तब कार्तिक ने बताया मां मुझें कंपनी वालों ने नौकरी से निकाल दिया है कार्तिक ने सारी बात ,,मां ,, को बता दी तब ,, मां ,, ने कहा गलती तो तेरी ही थी
तू वहां का सिक्योरिटी गार्ड था तुझे पंडाल में घुसकर खाना नहीं खाना चाहिए था ,,,,
एक गार्ड अपने मालिक और उनके रिश्तेदारों के बीच खड़े होकर खाना खाए तो उन्हें अपनी इज्जत घटती हुई नजर आती है जब तुझें घर से मैंने टमाटर की सब्जी ,, और चार रोटी दी थी तो तूने वहां खाने की लालच क्यों की ,,,
कल कंपनी में जाकर फिर से उसी पते पर जाकर नौकरी के लिए हाथ पैर जोड़ ,,, किसी भी तरह वह नौकरी हासिल कर ,,
,, मगर ,, मां ,, वहां के लोग ठीक नहीं है ,, कार्तिक कुछ परेशान होते हुए बोला ,,
,, मां ,, ने गुस्से से कहा तुझें वही नौकरी करनी है तन मन से उनकी सेवा करनी है ,, तुझें मेरी बात माननी ही पड़ेगी
कार्तिक ने अपनी बड़ी बहन प्रियंका को कहा देखो ना ,,,बहन ,, मां ,, मुझें वही नौकरी करने के लिए कह रही है,,
मां ने एक बार फिर कहा बहन से क्या बात कर रहा है,, तुझे वही नौकरी करनी पड़ेगी मैंने तो कह दिया ,, सो कह दिया
कार्तिक सुबह कंपनी में चला गया और वही नौकरी के लिए जोर दिया तब सुपरवाइजर ने कहा इस बार गलती नहीं होनी चाहिए और तुम्हें हर महीने जुर्माने के तौर पर पांच सौ रुपए मुझें अपनी सैलरी से देने होंगे
कार्तिक, राजी हो गया ,,, आखिर उसे मां की बात भी तो माननी थी,,
सुपरवाइजर बाइक में कार्तिक को बिठाकर उसी मकान नंबर B/2 – 578 पर ले आया ,,,
सुपरवाइजर ने घर के सभी लोगों को बाहर बुला लिया और बताया यह कार्तिक नाम का सिक्योरिटी गार्ड यही ड्यूटी करेगा ,,,
हमारे पास इसके अलावा कोई और सिक्योरिटी गार्ड नहीं है
और ध्यान रखना
इतने सस्ते गार्ड हमारी कंपनी ही घर-घर पहुंचाती है ,,,
अगर इसने पंडाल से एक थाली खाना ले लिया था
तो उसके लिए हम माफी मांगते हैं
हमें एक थाली का पैसा कम दे देना जब तुम,,
,,,, हमें महीने में सैलरी दो,,,
सुपरवाइजर कार्तिक को वहीं गली में छोड़कर चला गया ,,
कार्तिक कार के पास चुपचाप खड़ा हो गया कार्तिक मन ही मन विचार करने लगा ,, ना जाने मां ने मुझे यहां क्यों भेज दिया और कहती है कि इनकी अच्छे से सेवा करना ,,
उस घर की बड़ी बहू कमरे में झललाती हुई आई ,,,,,,,
अपने आप ही बड़बड़ाती हुई बोली उस सुपरवाइजर ने फिर हमें यही गार्ड दोबारा थमा दिया ,,
मैं इस सिक्योरिटी गार्ड के बच्चे को मजा चखा कर रहूंगी जिस तरह राम और सीता को इस घर से निकलवाया था उसी तरह कोई तरकीब लगानी होगी ,,,,,,,,
बड़ी बहू ने अपने पति नवीन को कमरे में बुलाया और दरवाजे की अंदर से कुंडी लगा ली और फिर कहा देखो राम तो अब कब का इस घर से बेदखल हो चुका है,, यह मकान और यह दुकान अब केवल हमारी ही है ,, यह मकान तुम्हारी मां के नाम है अब वह बूढ़ी भी हो चुकी है कुछ ही दिनों में मर भी जाएगी
लेकिन कब मरे यह हमें पता नहीं ,,
मैंने इसी शहर में एक नया फ्लैट देखा है अभी ले लेंगे तो 1 साल बाद उसकी कीमत 4 गुना बढ़ जाएगी मैं सोच रही हूं इस मकान को बेचकर हम वह नया फ्लैट खरीद लेते हैं उस फ्लैट को मैं अपने नाम ही रखूंगी ,, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है
पति ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा ,, राम और उसकी बीवी उसके बच्चे तो कहीं गरीबी में दम तोड़कर मर चुके होंगे
अब इस मकान पर केवल हमारा ही हक है,,
लेकिन मकान मां बेचने के लिए राजी नहीं होगी
वह शायद राम का इंतजार कर रही है
उसे लगता है राम आज भी जीवित होगा
नीतू ने कहा — मेरे पास एक सुझाव है
तुम्हारी मां को तो आज नहीं तो कल मर ही जाना है
अगर हमने यह मकान नहीं बेचा और कल को अगर राम के बच्चे आ गए तो कानूनन दादी के मकान में पोते पोतियों का हिस्सा होता है
तब हमारा अपना नया फ्लैट नहीं आ सकेगा
तुम अपने बच्चों को लेकर दिल्ली के चिड़ियाघर चले जाओ
अभी के अभी
नवीन बच्चों के कमरे में गया बच्चों को तैयार किया और चिड़ियाघर की और निकल गया बच्चों के दादाजी को भी अपनी नई कार में बिठाकर ,,,
कार्तिक ने देखा कार तो चली गई वह मकान के छज्जे के नीचे खड़ा हो गया क्योंकि उसका ड्यूटी का समय अभी बाकी था ,,,
कार्तिक खाना खाने लगा घर से टिफिन में खिचड़ी रखकर लाया था तभी उसे मकान के फर्स्ट फ्लोर से शोर सुनाई दिया
कार्तिक को लगा शायद कोई चोर मकान में पीछे की दीवार फांदकर घुस आया है कार्तिक अपनी खिचड़ी छोड़कर तुरंत फर्स्ट फ्लोर की तरफ सीढ़िओ से चढ़कर दौड़ा
कार्तिक ने देखा नीतू अपनी सासू मां की गर्दन पूरी ताकत से दबा रही है वह बूढ़ी बुरी तरह फड़फड़ा रही थी जब तक कार्तिक पहुंचा वह दम तोड़ चुकी थी,,,
कार्तिक कुछ समझता की गली के बाहर पुलिस की जीप का सायरन सुनाई दिया
पुलिस तुरंत फर्स्ट फ्लोर पर चढ़ी और कार्तिक को हिरासत में ले लिया बुढ़िया को ध्यान से देखा तो वह मर चुकी थी
नीतू ने शोर मचाते हुए कहा ले जो इसे ,, पकड़ के ,,ले जो ,,इसने ही मेरी देवता जैसी सासू मां का मर्डर कर किया है
कार्तिक को तुरंत थाने ले जाकर लॉकअप में बंद कर दिया
गली मोहल्ले के लोग इकट्ठे हो चुके थे रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया सब जगह यह खबर फैल चुकी थी कि कार्तिक नाम के सिक्योरिटी गार्ड ने फर्स्ट फ्लोर पर आकर बुढ़िया का गला दबाकर उसे वहीं पर मार डाला,,
कार्तिक ने खूब गिड़गिड़ा कर कहा की दादी मां को उसकी बड़ी बहू ने ही गला दबाकर मारा है लेकिन कोई कार्तिक की बात सुनने को राजी नहीं था क्योंकि वह एक सिक्योरिटी गार्ड था
और वारदात के समय
फर्स्ट फ्लोर पर केवल तीन लोग मौजूद थे
कार्तिक ,, नीतू ,, और उस घर की बूढ़ी मालकिन
नीतू ने पुलिस वालों को बताया मेरे पति मेरे बच्चे और मेरे ससुर जी चिड़ियाघर देखने गए थे मैं कमरे में टीवी देख रही थी तभी मुझे शोर सुनाई दिया मैं अपने कमरे से बाहर फर्स्ट फ्लोर पर पहुंची तो देखा कार्तिक नाम का सिक्योरिटी गार्ड इस घर की मालकिन की गर्दन दबा रहा था जब तक मैं कुछ करती मेरी सासू मां मर चुकी थी ,,,
2 घंटे हो चुके थे रिश्तेदार और पड़ोसियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया
अर्थी का इंतजाम किया गया उस बुढ़िया को वहां लिटा दिया गया लोग पैर छूते और चादर चढ़ा देते
लोग गली में तरह-तरह की बातें करने लगे शुक्र है हमने सिक्योरिटी गार्ड अपने घर के लिए नहीं रखा सिक्योरिटी गार्ड्स का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए
नीतू ने रोते हुए कहा , कार्तिक जिस कंपनी में काम करता था मैं उस सुपरवाइजर पर भी केस ठोकूंगी उसने जबर्दस्ती ही मुझें यह कार्तिक नाम का सिक्योरिटी गार्ड भेजा था मुझे इसके चाल चलन ठीक नहीं लग रहे थे ,,
जब हमने इसको यहां ड्यूटी से निकाल दिया तो यह जबरदस्ती ही यहां पर नौकरी करने के लिए आया था शायद कोई तगड़ा ही प्लान बनाकर आया था और हमें पता नहीं था की यह मर्डर कर देगा
गली के लोग कहने लगे इस सिक्योरिटी गार्ड को उम्र कैद की सजा होनी चाहिए ,, फांसी होनी चाहिए,,
सभी लोग चुप हो गए और
अर्थी उठाने के लिए आगे आए और अर्थी उठा ली लोगों ने जैसे ही बोला राम राम सत्य है
तभी वह बूढ़ी महिला जीवित हो गई और उठकर बैठ गई
उसने जोर से गरजते हुए कहा मुझे कहां ले जा रहे हो मैं तो जिंदा हूं बुढ़िया की आवाज सुनकर अर्थी रोक दी गई
वही सड़क पर अर्थी रख दी गई,,
भीड़ चारों तरफ खचाखच खड़ी हुई थी आसपास के मोहल्लों को जैसे-जैसे खबर लगती क्या मरी हुई बुढ़िया जिंदा हो गई
भीड़ और भी ज्यादा बढ़ती ही जा रही थी
बुढ़िया ने तुरंत कहा पुलिस बुलाई जाए और उस कार्तिक नाम के सिक्योरिटी गार्ड को मेरे सामने बुलाया जाए कुछ ही देर बाद पुलिस की जीप आ गई साथ में सिक्योरिटी गार्ड कार्तिक को भी ले आई ,,,
बुढ़िया ने पुलिस को बयान दिए मेरी बड़ी बहू नीतू ने कहा सासू मां मैं तुम्हारे पैर छूना चाहती हूं तुम अपनी दोनों आंखें बंद कर लो पहले मुझे कुछ अजीब सा लगा आंखें बंद करने को क्यों कहा गया है ,,
मैंने आंखें बंद कर ली तभी मुझे महसूस हुआ किसी ने मेरी गर्दन कसके जकड़ ली जब आंख खोली तो देखा इस घर की बड़ी बहू दोनों हाथों से मेरी गर्दन दबा रही है मुझे लगा अब मैं मर जाऊंगी इस मजबूत पकड़ से छूट नहीं पाऊंगी
इसलिए मैंने मरने का नाटक किया शायद मुझे मारा हुआ समझ कर मेरी बहू मुझे छोड़ दे
और मेरी सूझबूझ तुरंत काम कर गई मैंने मरने का नाटक किया और बहू ने समझा कि मैं मर चुकी हूं मैं आंखें बंद किए हुए पड़ी रही तभी मुझे मेरी बहू की आवाज सुनाई दी
वह कह रही थी आज से 16 साल पहले अपने देवर और अपनी देवरानी को इसी बुढ़िया के हाथों इसके घर से बेदखल करवाया था
अब बुढ़िया भी गई ,, अब इस मकान पर केवल मेरा ही कब्जा है
********
कार्तिक सिक्योरिटी गार्ड निर्दोष है वह तो शोर सुनकर शायद बचाने के लिए आया था ,,,
बुढ़िया ने तुरंत वकील बुलवाया मोहल्ले के हजारों लोगों के सामने जहां रिश्तेदार पुलिस सभी मौजूद थे ,,
मैं अपनी बड़ी बहू और अपने बड़े बेटे को इस दुकान मकान चल अचल संपत्ति से हमेशा हमेशा के लिए बेदखल करती हूं
तब कार्तिक ने दादी मां से कहा अभी-अभी आपने राम और सीता का जिक्र किया था यह तो मेरे मम्मी पापा का नाम है
कार्तिक ने तुरंत अपने मोबाइल में अपने मम्मी पापा की फोटो दिखाई
फोटो देखकर वह बुढ़िया बिलख बिलख कर रो पड़ी
यही तो मेरे बहू बेटे हैं जिन्हें मैंने 16 साल पहले घर से बाहर निकाल दिया था
इतने में राम और सीता एक ओला गाड़ी से उतरते हुए दिखाई दिए दौड़कर कार्तिक के पास पहुंचे
पुलिस ने थाने ले जाते समय कार्तिक के घर पर सूचना दे दी थी कि आपका बेटा कार्तिक मर्डर के इल्जाम में थाने में बंद है हम कार्तिक को लेकर वहां जा रहे हैं जहां वह सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था क्योंकि हमें सूचना मिली है कि वह मरी हुई बुढ़िया जिंदा हो गई ,, उसके बयान लेने हैं ,,
कार्तिक ने कहा क्या तुम सच में हमारी दादी मां हो
वह बुढ़िया बोली ,, हां बेटा मैं तुम्हारी असली की दादी मां हूं
राम और सीता ने अपनी मां के पैर छुए और सारी बात ध्यान से सुनने के बाद कहा,, बड़े भैया और भाभी इसी घर में रहेंगे
किसी को दर-दर भटकने की जरूरत नहीं है घर से कोई बेदखल नहीं होगा
हम सब मिलकर रहेंगे बूढ़े मां-बापों को दोनों बेटों और दोनों बहू का प्यार मिलना चाहिए और अपने सभी नाती पोतो का ,,
प्रभु श्री राम ने हमेशा ही लोगों का भला चाहा है
तो मेरा नाम भी तो राम है इस बात से मैं कैसे चूक सकता हूं ।
,, समाप्त ,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना
Ram ne thik Kiya par bade bete bahu ko kuch to sabak milna chahiye tha
Kahani theek thi….Par jab chote bete ka beta kaam karne layak ho gaya to bade bete ke bacche chidiyaghar ghoomne wali umar ke kaise hue yeh kuch samajh nahi aaya
Jab chotta beta vivahar se acha tha to usko acha kam kyun nahi mila , jo dukan achi chla sakta hai vo kuch bhi apna Kam karke khud bhi ammer ban sakta tha vo gareeb hi kyun Raha.
super story