कहाँ है मेरा घर – कामिनी मिश्रा कनक : hindi stories with moral

hindi stories with moral : वृद्धाश्रम कि सीढ़ी पर बैठी 65, 66 बर्षिय गिरजा जी  आँखों में आज भी किसी का इंतज़ार लेकर हाथों में एक तस्वीर लेकर ,जिसे बार बार देखती रहती है  ……मानो वो उस तस्वीर से कुछ कह रही है …….

 मैं बहुत  कोशिश करता हूँ , कि  उनके दर्द को बाँट सकूं । और वह किसकी तस्वीर है उसे देख सकूँ…… उनकी मैं कुछ मदद करु ।

परंतु मैं जब भी उनके पास  जाता हूँ, वो वहाँ से उठकर चली जाती है…….मानो जैसे अपना दर्द बताना नहीं चाहती है ………….परंतु  ख़ामोश निगाहे उनकी  बहुत कुछ कहके  चली जाती है । परंतु आज मैं इनसे इनका दर्द ज़रूर जान कर रहूँगा …….

रुको अम्मा …… रुको … पीछे से मोहन गिरजा जी को आवाज़ देते हुए ।

गिरजा जी – मोहन बेटा तुम फिर मुझे रुकने को बोल रहा है …

मोहन – हाँ अम्मा आप हर रोज़ किसका इंतज़ार करती है , फिर आप रोज़ दिन में कही चली जाती है आज मैं भी चलूँगा आपके साथ ….

गिरजा जी – मोहन बेटा मैं जानती हूँ तुम्हें मेरी फ़िक्र है …. परंतु तेरी अम्मा अभी इतनी बूढ़ी नहीं हुई है …

मोहन – हाँ ……..हाँ अम्मा मैं जानता हूँ ….. एक बात बताओ आपके हाथ में ये तस्वीर किसकी है ।

गिरजा जी – फिर तुम शुरू हो गए …जब मैं इस दुनिया से चली जाऊँ तब देख लेना  ये तस्वीर …..

मोहन- अम्मा तुम ऐसी बात ना करो …… नहीं देखनी ये तस्वीर मुझे ……अभी तो तुम्हें मेरे बालकन भी खिलाने है ….

गिरजा जी –  हाँ…. हाँ  ज़रूर बेटा …… बोल कर गिरजा जी वृद्धाश्रम से बाहर निकल जाती है ……

मोहन – रुको अम्मा ….मैं भी चलता हूँ ।

गिरजा जी- मोहन तुम मेरे साथ जाओगे तो इस गेट पर कौन रहेगा …. क्यू अपनी नौकरी ख़तरे में डाल रहे हो…

मोहन- अच्छा ठीक है अम्मा आप जल्दी आ जाना …..

 

गिरजा जी – हाँ बेटा मै आ जाऊँगी …

2 , 3 घंटे बाद मोहन  अरे विमला ताई अम्मा आ गयी क्या …..?

विमला ताई- नहीं मोहन अभी तो नहीं आयी ।

मोहन – मैं अम्मा को ढूँढ कर आता हूँ….

विमला ताई- मोहन गेट छोर कर जाएगा तो यहाँ कौन देखेगा …….अभी जाने की ज़रूरत नहीं है । थोड़ी देर और देख लेते है वो आ जाएँगी …..

ठीक है ताई मोहन बोल कर गेट पर बैठ जाता है ….. हे भगवान  अम्मा जहां कही हो वो ठीक हो ।

उधर  अम्मा के हाथ से तस्वीर गिर जाती है ……… तभी वो तस्वीर सम्भु  देख लेता है ……….

सम्भु- अरे अम्मा जी यह तस्वीर आपके पास कैसे …….?

गिरजा जी – दे दो बेटा ये मुझे दे दो …………

सम्भु- नहीं पहले आप बताओ ये आपके पास कैसे ये तो मेरे ओमि सर है ……………..ये आपके पास कैसे …………. 

गिरजा जी – बेटा कौन ओमि …..? 

सम्भु- आप ओमि सर को नहीं जानते …….. गिरजा निवास के ओनर है आप ये तस्वीर ले कर क्यों घूम रही हों कही चोरी तो नहीं करोगी ना ……….

गिरजा जी- चोरी और मैं ….. अरे बेटा मुझे देख कर तुम्हें ऐसा लगता है …… 

सम्भु- देखो अम्मा मुझे क्या लगता है और क्या नहीं ये सब छोरों …. परंतु आप रोज़ इस घर के पास आती हो और थोड़ी देर इधर – उधर देख कर  चली जाती हो …. और आज आपके पास ये तस्वीर मिली है । कुछ तो गड़बड़ है… लगता है मुझे पुलीस को बुलाना परेगा ….

गिरजा जी कि आँखें नम हो जाती है …. वो वहाँ से जाने लगती है … तभी सम्भु रुको आप ऐसे नहीं जा सकती है … आपके घर वालों को बुलाना परेगा … आपका घर कहाँ है …….?

गिरजा जी – मेरा घर …..कौन सा घर  …… कैसा घर ………………कहाँ है मेरा घर ….मेरे पति ने मेरे लिए घर बनाया  वो घर ……….. 

सम्भु – लगता है बुढ़िया पागल है ,  पता नहीं कहा से आ गयी ।

गिरजा जी – बेटा मैं पागल नहीं हूँ …बोलते बोलते गिरजा जी बेहोश हो जाती है … तभी वहाँ मोहन आ जाता है 

मोहन- अम्मा उठो अम्मा  …….. अम्मा तुम्हें क्या हुआ ।अम्मा आँखें खोलो …………………अम्मा देखो मैं हूँ मोहन …..

सम्भु- भाई ये कौन है क्या आप जानते हो इन्हें…

मोहन – हाँ…………..हाँ ………..मैं इन्हें  दो ढाई साल से जानता हूँ ………

सम्भु- कौन है ये ………?  इनका नाम क्या है …….?

कुछ बोला ही नहीं इन्होंने मुझे लगता है ये यहाँ चोरी करने आइ थी , और कुछ पागल भी लग रही है  ।

मोहन- नहीं ….नहीं  भाई ये चोरी  नहीं कर सकती है ।

सम्भु- देखो भाई मुझे इनके हाथ में ये तस्वीर मिली ये मेरे मालिक ओमि सर कि है ।

मोहन- दिखाना तस्वीर 

मोहन तस्वीर को देखने लगता है ….इसी तस्वीर को ले कर बैठी रहती थी  अम्मा …….

सम्भु – एक बात और ये इस घर को देखती रहती है, तभी मुझे लगता है ये चोरी करने आयी थी …………..

तभी मोहन घर पर लगे बोर्ड को देखता है ( गिरजा निवास )

वो सब समझ जाता है …

लेकिन तब तक गिरजा जी कि साँसें थम चुकी थी , और पथराई आँखें  घर को ही देख रही थी  । 

कामिनी मिश्रा कनक

फ़रीदाबाद

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