कहां… तुम चले गए

रीना अपने  कमरे में साड़ी बदल रही थी  तभी उसकी सासू मां ने बाहर से आवाज लगाई रीना और कितना टाइम लगेगा जल्दी तैयार हो जाओ दिल्ली जाने में भी हमें कम से कम 3 घंटे लगेंगे।   वास्तव में बात यह था कि आज 26 जनवरी का दिन था और रीना के पति रमेश जो की आर्मी में था कश्मीर में आतंकवादियों के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था.  इंडिया गेट पर 26 जनवरी की परेड में आज रमेश को भी वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा। पुरस्कार प्राप्त करने के लिए रीना अपनी सास के साथ दिल्ली जाने की तैयारी में थी रीना का गांव दिल्ली से कोई 50 किलोमीटर दूर मेरठ के पास था।

रीना को आज अपने पति रमेश की याद बहुत आ रही थी ।  रीना की शादी को हुए कोई ज्यादा दिन नहीं हुए थे अभी तो 1 साल भी नहीं बीता था इनके शादी का और यह दिन देखना पड़ा।  रीना अचानक से सोफे पर बैठ गई और सोचने लगी।

कितनी खुश थी वो जब उसकी शादी रमेश से तय हुई थी क्योंकि रीना के पिताजी भी आर्मी में नौकरी करते थे और रीना को आर्मी वाला लड़का बहुत पसंद था और जिससे उसकी शादी हो रही थी वह लड़का भी आर्मी में था।   रीना की शादी जब से रमेश से तय हुई थी रीना रमेश से फोन पर जब भी टाइम मिलता खूब बातें करती और उसके आर्मी के बहादुरी के किस्से सुना करती थी। उसे आर्मी के किस्से सुनना बहुत ही अच्छा लगता था बचपन में वह  किस्से अपने पिताजी से भी सुना करती थी।

समय बीता और रमेश और रीना की शादी हो गई रमेश अपनी शादी के लिए 1 महीने की छुट्टी लेकर आया था।



दोनों एक दूसरे से इतना ज्यादा प्यार करते थे  कि कोई देखने से यह नहीं कह सकता था कि इन दोनों की शादी अरेंज मैरिज हुई है ऐसा लगता था दोनों ने लव मैरिज शादी  की हो।

रीना  को सफाई बहुत ही पसंद थी और अपना घर बिल्कुल ही साफ सुथरा रखती थी और सामान  बिल्कुल तरीके से अपनी जगह पर रखती थी चाहे किचन में बर्तन हो या किचन का कोई भी सामान हो वह जब भी देखो तो वह  अपनी जगह पर ही मौजूद होते थे। कोई अंधा आदमी भी रीना के किचन में जाएगा तो उसे पता चल जाएगा कि यह सामान यहां होता है।

लेकिन रमेश इसके बिल्कुल ही उल्टा था वह अपना सामान बिल्कुल अस्त-व्यस्त रखता था इस बात पर रीना और रमेश में अक्सर कहा-सुनी हो जाया करता था।  एक दिन रीना जब अपने बेडरूम में आई तो देखी कि पूरा घर कपड़ों से बिखरा पड़ा है रमेश को कहीं जाना था तो उसे अपना शर्ट मिल नहीं रहा था इस वजह से उसने  अलमीरा से सारे कपड़े निकाल कर बेड पर बिखेर दिया था।

रीना ने रमेश से बोला यार तुमने घर का क्या हाल बना रखा है जब भी घर में आओ घर को पूरी तरह से कबाड़ खाना बनाकर रख देते हो खुद तो तुम्हें कुछ करना नहीं है कभी भी अपने कपड़े जब ढंग से नहीं रखोगे तो वह तुम्हें कैसे मिलेगा।  सच कह रही हूं मैं, किसी दिन मेरा अगर दिमाग खराब हुआ तो मैं सारे कपड़े जला दूंगी फिर पहन लेना जो पहनना है। पता नहीं तुम्हें अक्ल कब आएगी यह देखो यह कोई जूते रखने की जगह है मैंने हमेशा बोला है जूते बाहर रखा करो और यह जुराबे कितना गंद मचा रखा है। मैंने बोला है कि इसे जब भी बाहर से आओ तो खोल कर बाथरूम में रख दिया करो लेकिन यह बातें तुम्हें तो समझ ही नहीं आती।  यह कंघी यहां पर क्यों रखे हो मैंने हमेशा बोला है कि जब भी तुम कंघी करो उसके बाद ड्रेसिंग टेबल के दराज में इसको रख दो लेकिन तुम एक भी सामान सही से कभी रखे हो जो अब रखोगे।



रमेश बोला अरे स्वच्छ भारत अभियान की अम्मा अब चुप भी रहो कब से बोले जा रही हो मुश्किल से मुझे 5 दिन और रहना है इस घर में फिर अपने घर को सजाती रहना और जैसी मर्जी वैसे रहना।  अब तो मैं अगले 6 महीने बाद ही तुमसे मिलने आने वाला हूं। रमेश बोला तुम्हें पता है सामान इधर-उधर बिखरा रहता है तो लगता है कि इस कमरे में कोई रहता है नहीं तो ऐसा लगेगा कि इस कमरे में कोई रहता ही नहीं है यह  बेडरूम है या कोई भूत का घर जहां बिल्कुल ही शांत वातावरण है।

रीना बोली हां सही कह रहे हो..  आप अपनी गलती छुपाने के लिए जो मर्जी कह  दो अरे जहां से जो सामान उठाते हो वही रख देने में क्या चला जाता है  तुम्हारा। लेकिन ऐसा करोगे ही नहीं, अगर तुम अपने कपड़े अलमारी में ढंग से रख दोगे तो तुम्हारे कपड़े जब भी ढूंढोगे वहीं मिलेंगे लेकिन यह बात तुम्हें समझ आए तब तो।

रमेश ने कहा अरे मेरी जान अब गुस्सा भी छोड़ो और सुनो मेरी बात।  रीना बोली नहीं सुननी मुझे तुम्हारी कोई भी बात बस रोज एक ही बात कहते हो कि कल से सब कुछ ठीक हो जाएगा और मुझे बेवकूफ बनाते रहते हो कितनी मेहनत से मैं पूरे घर की साफ-सफाई करती हूं लेकिन तुम्हें तो मेरी फिक्र ही नहीं है बिल्कुल ही।

रमेश बोला हां बाबा ठीक है कल से बिल्कुल ही मैं समान को सहेज कर रख लूंगा तुम्हारी डांट से तो मैं क्या इस कमरे के सारा सामान अपने आप ही अपनी जगह पकड़ लेंगे।   रीना मैं इतनी बुरी हूँ जो सामान भी मुझसे डर जाएंगे। जाओ मैं तुम से बात नहीं करती।

रमेश बोला या तुम तो बुरा ही मान गई चलो देखो मैं अभी 5 मिनट में कैसे कमरे को ठीक करता हूं और  अब तो खुश हो।

एक-दो दिन तो रमेश अपना सामान तरीके से रखता रहा लेकिन ठीक तीसरे दिन से वही हाल।  रीना लेकिन अब कुछ भी नहीं कह रही थी अब तो उसे बस यह दर्द सता रहा था कि दो-तीन दिनों में रमेश की छुट्टियां खत्म होने वाली है और वह 6 महीने के लिए यह घर छोड़ अपने आर्मी कैंप में चला जाएगा।  बस यही सोचती थी कि वह यह 6 महीने कैसे जी पाएगी। एक महीना मे ही इन दोनों के बीच इतना ज्यादा आपस में प्यार हो गया था कि अब एक पल भी अलग रहना मुश्किल सा लगने लगा था।



 दिनों का काम है गुजरना और वह गुजर भी गए रमेश अपने ड्यूटी पर लौट गया।  आपस में फोन पर बातें होती रहती थी। अब यह घर सूना-सूना लगने लगा था कई बार तो रीना जानबूझकर पूरे कमरे में कपड़े फैला देती थी जैसे रमेश फैला देता था रीना  महसूस करना चाहती थी रमेश को उस कमरे में और उसे ऐसा महसूस भी होता था कि रमेश उसी कमरे में है।

एक दिन शाम को यह बुरी ख़बर रीना को जैसे ही मिली कि रमेश एक मुठभेड़ में मारा गया ऐसा लगा कि वह सुनकर खुद ही मर गई लेकिन मरना इंसान के बस की बात कहां है यह तो तभी मुमकिन है जब ऊपरवाला चाहे।

धीरे धीरे अपनी जिंदगी में नॉर्मल हो गई थी और आज 26 जनवरी के  दिन रमेश को वीरता पुरस्कार मिलने जा रहा था वह बहुत खुश थी।

वह आज रमेश को फिर से महसूस करना चाहती थी।  रीना अचानक से सोफा से उठी और अलमीरा से जितने भी कपड़े थे सब निकाल कर बेड पर फेंक दिया ऐसा लग रहा था उसे कि रमेश यही है इसी कमरे में है और वह उसको महसूस कर रही थी।

तभी कमरे के अंदर रीना के सास आई उन्होने देखा  कि मीना ने पूरे कमरे को अस्त-व्यस्त कर रखा है रमेश के सारे कपड़े निकाल कर पूरे रूम में इधर-उधर फेंक रखा है।  रीना की सास ने पूछा यह क्या कर रखी हो चलो जल्दी से देर हो रहा है।



रीना बोली माँ जी आपको कैसे बताऊं आज रमेश आए थे और उन्होंने ही यह सारे कपड़े बिखेरे हैं।  रीना की सास समझ गई थी आज रीना को रमेश कुछ ज्यादा ही याद आ रहा है याद तो रीना के सास को भी आ रहा था आखिर वह भी तो एक बेटे की माँ है कैसे अपने बेटे की याद कैसे नहीं आएगा।  लेकिन जो सच है उसे तो स्वीकार करना ही पड़ेगा और उन्होंने अपने बहु से भी कहा बेटी जो एक बार इस दुनिया से चला जाता है वह लौटकर वापस नहीं आता है और तुम्हें भी अब इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा और अपने जीवन में आगे बढ़ना पड़ेगा मैं बहुत जल्द ही तुम्हारी शादी किसी अच्छे लड़के से देख कर कर दूंगी क्योंकि अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हुई है।

रीना अपने सासू मां के गले लग गई और रोने लगी बोली मां मैं अब इस घर को छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी मैं रमेश से बहुत प्यार करती हूं और आप मेरी जिंदगी में कोई दूसरा नहीं आएगा।

रीना की सास बोली बेटी जब तुमने मुझे मां बनाया है तो मां का भी हक होता है अपनी बेटी की जिंदगी को संवारना और मैं तुम्हारी जिंदगी को बर्बाद नहीं कर सकती अब मेरा बेटा तो वापस नहीं आ सकता है लेकिन मैं अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद नहीं होने दूंगी और तुम्हें अब रमेश को भूलना ही होगा और अपने दिल पर पत्थर रखो और जल्दी से चलो नहीं तो लेट हो जाएगा।

दोस्तों हम जब किसी से  हद से ज्यादा प्यार करते हैं  तो उस इंसान को भूलना इतना आसान नहीं होता है लेकिन कई बार हमें अपनी जिंदगी में पुरानी बातों को भूल कर आगे बढ़ना होता है इसी का तो नाम जिंदगी है क्योंकि जो चले जाते हैं वह लौटकर कहां आते हैं और जीवन का नाम तो है चलना और हमें भी चलते ही जाना है।

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