कड़वाहट – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हे कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा।

“सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा।

   “तुम्हारी वजह से मै ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो गया, सब तुम्हारी वजह से हुआ, ना तुम लड़ती, ना मै गुस्सा होता, ना मेरा काम खराब होता है, “नितिन ने खींझ कर बोला, और कमरे में चला गया। टी. वी. देखते हुये सास -ससुर भी बेटे -बहू की बात सुन रहे थे।”बहू तुमको समझ होनी चाहिए, जब पति बाहर जा रहा हो तो उसे प्रेम से भेजना चाहिए ना कि झगड़ा कर के, बताओ उसके ऑफिस में भी कहा -सुनी हो गई,तुम घर में आराम से रहती हो अतः बाहर की परेशानी का तुम्हे अंदाजा नहीं है “सासु माँ ने मेघा को ही दोषी मानते हुये कहा तो ससुर जी ने भी नाक पर खिसक आये चश्मे को ठीक करते, अपनी पत्नी की बात के समर्थन में सर हिलाया। तभी बेटा रौनक खेल कर आ गया, उसने भी अपने होमवर्क ना होने की वजह से मिली सजा का दोषी मेघा को ही बताया।उधर बेटी, अपना रिजल्ट लेकर सिग्नेचर कराने माँ के पास आई और कम नम्बर के लिये माँ को जिम्मेदार ठहराई।हर तरफ से उठी ऊँगली का निशाना मेघा ही थी।

           हर सुबह हर गृहणी की दिनचर्या दौड़ -भाग से शुरु होती है और शाम जब सब लौटते है तो कामों की सफलता के लिए अपनी पीठ ठोकते है और विफलता की जिम्मेदार घर की गृहणी को मान ऊँगली उधर उठ जाती है। यही मेघा के साथ हो रहा था, बीस साल शादी के होने को आये, पर अभी भी हर गलती की जिम्मेदार मेघा ही मानी जाती है। मेघा ने भी कभी प्रतिरोध नहीं किया। आज भी मेघा ने कुछ नहीं कहा।मन में एक कड़वाहट उभर आई जिसे दबा वो अपने काम में लग गई….|

सबको खाना खिला, रसोई का काम खत्म कर जब कमरे में आई तो नितिन के खुर्राटे की आवाज आ रही थी। आज मेघा का मन अनमना सा हो गया। सुबह पांच बजे उठती है, सात बजे तक नाश्ता -खाना बना, सबको उठा कर चाय -दूध, नीबू पानी पकड़ा मेघा सबका टिफ़िन पैक करती है, |

कई बार उसकी चाय ठंडी हो जाती है। पर सब कुछ छोड़ कर सबकी जरूरतों को पूरा करने में लगी रहती। सब के जाने के बाद सास -ससुर का नाश्ता लगा वो बाकी काम को पूरा करने में लग जाती, कभी नाश्ता करती कभी छूट जाता।और लोगों की तरह उसके पास इतना समय नहीं रहता वो पड़ोसियों या सहेली से गप्पे मारे। फिर भी घर का हर सदस्य अपनी विफलता का श्रेय उसे ही देता है । सासु माँ को छींक आ जाये तो उसकी दोषी भी मेघा हो जाती, उसने अदरक और कालीमिर्च कूट कर चाय में नहीं डाली थी।

           किशोरवय के बच्चे अगर मोटे है तो तुरंत बोल दिया जाता, ध्यान रखों, मोटापा अच्छा नहीं है, अगर बच्चे पतले है तो माँ तो कुछ खिलाती नहीं तो बच्चे मोटे कैसे होंगे।

बच्चे पढ़ने में तेज है तो पिता को श्रेय मिल जाता, पढ़ने में कमजोर है तो माँ का दोष है, ध्यान नहीं देती।पति की तोंद निकल आई तो कोई उनको सलाह नहीं देगा -भाई थोड़ा कम खाओ या योगा वगैरा करो, आलस्य छोड़ो पर नहीं दोषी मेघा हो जाती, खाने में तेल और मसाले ज्यादा डालती है इसलिये मोटापा बढ़ गया।सोचते -सोचते कब मेघा नींद के आगोश में चली गई, पता नहीं चला। 

सपने में मेघा अपने चारों तरफ उठी हुई उंगलियां देखती है जो उसकी ओर बढ़ रही थी घबरा कर अचानक मेघा जोर से “नहीं…….”की चीख के साथ उठ बैठी।

 पास सोया नितिन घबरा कर उठ गया।पसीने से भीगी मेघा को देख बोला -“दिन भर टी. वी. में उलटे -सीधे प्रोग्राम देखती हो, और रात में डर कर चीख कर मेरी भी नींद खराब कर देती हो”कह कर नितिन तो दूसरी ओर मुँह करके सो गया।

 मेघा की आँखों में नींद गायब हो गई।मन ही मन निर्णय लिया अब चुप नहीं रहेगी। अपनी ओर उठी हर उंगली का मुँह -तोड़ जवाब देगी। जो गलतियां उसने की ही नहीं तो उसके लिये भला -बुरा क्यों सुनें।

        सुबह नियत समय पर चाय ना मिलने पर सासु माँ, नितिन सबने चाय के लिये मेघा को आवाज लगाई। “चाय मैंने डाइनिंग टेबल पर रख दी है सबलोग ले लें, क्योंकि सबके कमरे में पहुँचाते,नाश्ते के लिये देर हो जाती है अतः अब से चाय या दूध कमरे में नहीं डाइनिंग टेबल पर मिलेगी”मेघा ने कहा तो सब खींझते हुये डाइनिंग टेबल पर पहुँचे। नितिन बोला -“आज की सुबह तुमने फिर खराब कर दी, देखना ऑफिस में भी कुछ अच्छा नहीं होगा। इन सब की जिम्मेदार तुम हो।”

     “पतिदेव,पहले तो आप अपने अंदर की कड़वाहट को कम करें तभी आपको दूसरे के किये कार्य दिखेंगे….|आपके ऑफिस के प्रेजेंटेशन या कार्य के लिये आपका आलस्य और आप जिम्मेदार है मै नहीं। आप रात में मोबाइल पर लगे रहते, दोस्तों से गप्पे मारते रहते इसलिये आपका काम समय पर पूरा नहीं होता। आप अपने प्रेजटेशन को गंभीरता से नहीं बनाते है अतः दोषी मै नहीं आप है, क्योंकि इसकी खीझ आप मुझ पर उतारते है। “

“और बच्चों, तुमलोग भी पढ़ाई ना कर खेलने में लगे रहते इसलिये नम्बर अच्छे नहीं आते, इसके लिये तुम लोगों का आलस्य जिम्मेदार है मै नहीं। सासु माँ जब आपका बेटा झगड़ा करता है तो मेरा मूड भी खराब होता है, क्योंकि बिना गलती के भी, मै गलत मानी जाती हूँ। मै भी इस घर की सदस्य हूँ। माना मै गृहणी हूँ, घर में रहती हूँ पर घर में रह मै हमेशा आराम करती हूँ ये गलतफहमी है आप सबकी।आप सबकी परेशानी की जड़ मै हूँ तो मै सोचती हूँ कुछ दिनों के लिये मै मायके चली जाती हूँ। आप सब लोग चैन से रहो। मै भी कुछ दिन अपनी माँ के साथ रह लूँ”…”मन की कड़वाहट आखिर जुबान पर आ ही गई, कब तक सबकी जली -कटी सुनती…|

    “अरे बहू, घर में चार बर्तन होते है तो टकराते ही है, इसमें बुरा नहीं मानते है, ये तो हम स्त्रियों को सुनना ही पड़ता है “सासु माँ घबरा कर बोली।

“पर माँ, आप भी स्त्री है, आपने भी सहा तो मेरी तकलीफ क्यों नहीं समझी “मेघा बोली सासु माँ सन्न रह गई, सच ही तो कह रही, यही सब तो उन्होंने भी सहा फिर आज सास बन वो स्त्री की पीड़ा क्यों नहीं देख पाई।

“मेरी गलती है मेघा, तुम सच कह रही,मै स्त्री होकर भी तुम्हारी इस तकलीफ को समझ नहीं पाई, जो मैंने भी झेली थी।, माफ़ करना बेटा,। ” उधर कमरे में ऑफिस जाते समय नितिन ने कहा -तुम्हारा चेहरा देख कर जाता हूँ तभी तो पूरे दिन तरोताज़ा रहता हूँ, प्लीज कहीं मत जाओ।

“मम्मी, हम अपनी पढ़ाई खुद करेंगे, अपनी कमी को आपके सर पर नहीं डालेंगे, जैसा पापा और दादी करते थे हमने भी वही सीख लिया था। सॉरी मम्मी आप नानी के पास मत जाओ “कहते रौनक़ और रिया मेघा के गले लग गये।

      जब तक मेघा चुप थी सब ग्रांटेड लेते थे उसे, पर जब उसने अपनी चुप्पी तोड़ प्रतिवाद किया तो सबकी अकल ठिकाने आ गई। आखिर वो कब तक चुप रहती।

         दोस्तों आप सब की क्या राय है, क्या मेघा ने प्रतिवाद कर सही किया।घर में रहने वाली गृहणी की कीमत परिवार के लोग समझ नहीं पाते। परिवार की शांति के लिये चुप रहना अच्छा है पर बिना वजह के दोष के लिये चुप ना रहे, चुप रहने से कड़वाहट बढ़ती है अतः प्रतिवाद करें, नहीं तो कोई आपकी बात नहीं समझेगा।परिवार में गृहणी केंद्र बिंदु होती है जिसके बिना परिवार अधूरा है।

                      —संगीता त्रिपाठी 

#कड़वाहट

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!