कड़वाहट – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

योगिनी हर रोज की तरह रसोई में अपने बच्चों व पति के लिए नाश्ता बना रही थी कि उसकी बेटी गौरी उछलती कूदती उसके पास आई और कहने लगी,मां देखो, चाची ने आज मेरा कितना अच्छा हेयर स्टाइल बनाया है।तुम तो हर रोज वही सीधी मांग निकाल कर दो चोटियां बना देती थी।

क्लास में मेरी सारी सहेलियां आजकल ऐसी ही स्टाइल बना कर आती हैं।मां एक बार देखो न मैं आज कितनी अच्छी लग रही हूं इस हेयर स्टाइल में ।मां सच में चाची बहुत अच्छी व होशियार है।

हां हां देख लिया तू बहुत अच्छी लग रही है पर मेरा पल्लू छोड़ मुझे काम करने दे।आजकल बहुत बोलने लगी है हर समय चाची के पेट में घुसी रहती है।स्कूल पढ़ाई करने जाती है या फैशन करने। पढ़ाई पर ध्यान लगा , पिछले टैस्ट में मैथ में कितने कम नम्बर आए थे तेरे,टीचर ने मुझे बुलाकर कहा था कि मैथ के लिए गौरी को ट्यूशन की जरूरत है,तभी रागिनी ने रसोई में प्रवेश किया,अरे मेरे होते हुए ट्यूशन की क्या जरूरत है मैं गौरी को मैथ पढा दूंगी बैसे भी मैथ मेरा फेबलेट सब्जेक्ट रहा है।,

दस साल की गौरी तो मां के डांटने पर सहम कर चुपचाप स्कूल चली गई,लेकिन योगिनी का मूड उखड़ गया।

जब से रागिनी इस घर में व्याह कर आई है उसके देवर रितेश के लिए।तभी से उसके मन में कुछ उलझन ही हो गई है

कहने को रागिनी उसके सगे मामा की बेटी है,तो बैसे तो उसकी सगी ममेरी बहन ही है,तो फिर रागिनी के लिए उसके मन में बह प्यार क्यों नही रह गया जो शादी से पहले था,हर गर्मियों की छुट्टियों में जब योगिनी अपनी मां के साथ मामा के घर जाती थी तो दोनों मिल कर कितनी धमाचौकड़ी मचाती थी,साथ खाना साथ खेलना लगता था जैसे दोनों सगी बहनें हों इतना प्यार था दोनों में।

रागिनी उससे सिर्फ दो साल ही तो छोटी है,फिर वही तो उसे अपने देवर के लिए अपनी देवरानी बना कर लाई है, फिर रागिनी के लिए उसके मन में इतनी कड़वाहट क्यों घुलती जा रही है।रागिनी का नाम लेते ही वह एकदम से झल्ला जाती है और कुछ भी उल्टा सीधा बोलने लगती है।

रागिनी शादी से पहले भी इस घर में कई बार आचुकी थी।शादी से पहले जब भी अपनी दीदी योगिनी के पास आती तो अपनी दीदी की हरेक काम में खूब मदद कर देती ,इतना ही नहीं योगिनी की सास के भी कई छोटे बड़े काम कर देती साथ ही हर काम करते समय उसके चेहरे पर एक उजली की मुस्कुराहट फैली रहती।रागिनी का बिंदास स्वभाव योगिनी की सास को बहुत अच्छा लगता।काम तो योगिनी भी करती थी पूरे घर के लेकिन एक कर्तव्य समझ कर,उसका स्वभाव रागिनी से एकदम उलट था।

रागिनी तीखे नैन-नक्श की सांवली रंगत लिए हुए थी,साथ ही पढ़ाई में भी उसकी अधिह रूचि नही थी, अतः बीए करने के बाद उसने कई सारे कोर्स कर लिए थे,बैसे उम्र तो शादी के लिए हो चली थी पर उसका सांवला रंग हर समय आड़े आ जाता।

ब्यूटीशियन का कोर्स,हाउस कीपिंग का कोर्स और भी कई सारे छोटे छोटे कोर्स कर लिए थे।रागिनी के पापा का मानना था कि खाली बैठने से इस उम्र में कई बार मन भटकने लगता है अतः व्यस्त रहना जरूरी है।

इधर योगिनी के देवर रितेश का रिश्ता भी कहीं नहीं हो पारहा था।शायद इसी को संयोग कहते हैं कि एक दिन योगिनी की सास ने उससे कहा कि बहू तुम्हारी ममेरी बहन का रिश्ता यदि रितेश से हो जाय तो कैसा रहेगा।लड़की देखीभाली है , सुघड़ व समझदार भी है, मुझे तो उसका स्वभाव बहुत अच्छा लगता है।

दोनों बहनें एकघर में देवरानी जेठानी बन जायेंगी।

पहले तो योगिनी ने इस रिश्ते के लिए अपनी असहमति जताई,मम्मी जी कहती तो आप ठीक हैं लेकिन आपने तो देखा है न रागिनी का रंग सांवला है और अपने रितेश भैया को एकदम गोरे चिट्टे है।

अरे बहू रंग का क्या है भगवान ने दो ही रंग बनाए हैं गोरा व काला।उसके नैन नक्श तो कितने प्यारे है,साथ ही उसके स्वभाव का बिंदास पन कितनी बार यहां आई है कैसे फुर्ती से हरेक काम करती है और हर समय मुस्कराती रहती है। मुझे तो वह बहुत पसंद है रितेश के लिए।

तुम जाकर अपने मामा से इस बात बात करले,हमें दहेज बगैरह कुछ नही चाहिए बस एक सुघड़ व समझदार लड़की चाहिए।

योगिनी ने मामा से बात की तो मामा तो एकदम खुश हो गए कहने लगे बेटा इससे अच्छी बात और क्या होगी दोनो बहने एक घर में रहेंगी और में भी निश्चिंत कहूंगा कि रागिनी अपनी बहन के साथ है।

योगिनी ने मामा के मन की बात अपनी सास को बताई,सास ने अपने बेटे रितेश से बात की, रितेश ने भी रागिनी को देखा हुआ तो था ही।अतह उसने भी इस रिश्ते के लिए अप ी रजामंदी देदी।

आनन फानन में पंडित जी से शुभ मुहूर्त निकलवा कर ,चट मंगनी पट व्याह होकर रागिनी अपनी बहन की देवरानी वन कर आ गई। शुरू शुरू में तो दोनो बहनें बहुत खुश थी। सारे काम मिल बांट कर निपटा लेती।रागिनी को खाली बैठने की आदत नही ंथी वह घर की साफ सफाई से अलावा साज सज्जा भी त कर देती जिससे घर के लोग उसकी तारीफ कर देते।यही सिलसिला जव कई बार दोहराया गया तो उ सके मन में रागिनी के लिए # कड़वाहट पनपने लगी।

अब वह रागिनी को अपनी बहन कम देवरानी अधिक समझने लगी ,कई बार बेवजह उस पर अपनी खीज निकाल देती। रागिनी योगिनी की भावना से अनजान अपने काम करती रहती।आज जब गौरी स्कूल से वापस लौट कर आई तो बहुत ख़ुश थी क्योंकि मैथ टैस्ट में उसे पूरे दस मेंसे दस नम्बर मिले थे।यह कमाल रागिनी ने किया गौरी अपने मार्क्स दिखाने सीधी चाची के रूम में गई ,देखा चाची आपके पढ़ाने का कमाल आज मुझे पूरे नम्बर मिले हैं। गोरी खुशी से उछलती कूदती जब मां के पास गई कि देखो मां , चाची ने इतने अच्छे से पढ़ाया कि मुझे पूरे नम्बर मिले मां चाची सच में बहुत अच्छी है

अच्छा चुप कर ,जब गौरीदेखो तब चाची की तारीफ करती रहती है,योगिनी का मूड आज फिर उखड़ गया।उसको लगने लगा कि जबसे रागिनी इस घर में आईं हैं घर के सभी भी लोग उसको ज्यादा पसंद करते हैं और हर समय उसके काम की तारीफ करते हैं।मैं जो पूरे दिन रसोई में खटकी हूं उसका क्या? मेरे लिए तो आजतक किसी ने कभी प्यार के दो बोल नही बोले।पता नही इस रागिनी ने आकर कौन सा जादू कर दिया है,सास ससुर तो क्या खुद उसके पति समीर भी तोयह कहने से नहीं चूकते कि कुछ सीखो रागिनी से,कैसे हर समय मुस्कराती रहती है और एक तुम हो तुम्हारे चेहरे पर तो हर समय बारह ही बजे रहते है,हंसना मुस्कुराना तो दूर की बात है

एक सप्ताह बाद योगिनी का जन्म दिन आने वाला था।सो रागिनी ने मन ही मन प्लान बनाया कि इस बर्थ डे पर दीदी को सरप्राइज देकर उनका मन खुश कर देते हैं।योगिनी के स्वभाव में आए बदलाव व चिड़चिड़ापन को रागिनी महसूस तो कर रही थी,लेकिन यह नही समझ पा रही थी कि इसका कारण वही है

दूसरे दिन इतबार होने के कारण सभी लोग आराम से सो कर उठे,रागिनी ने कही दीदी आज आप घर का कोई काम नही करेंगी। नाश्ता व लंच मैं बनाऊंगी।फिर शाम को हम सब किसी अच्छे से रेस्तरां में जाकर डिनर करेंगे।लेकिन मम्मी जी राजी होंगी इस सब के लिए,योगिनी ने कहा मैने उनसे परमीशन लेली है,उनका कहना है चलो सबका चेंज हो जायगा।जीजाजी व रितेश से भी मैंने बात करली है।

शाम को योगिनी का अच्छे से मेकअप करके व खूब अच्छे से तैयार किया रागिनी ने सभी रेस्तरां पहुंचे।वहां योगिनी के पति समीर ने व रितेश ने पूरा हॉल बुक करके बर्थडे का पूरा इंतजाम कर रखा था।योगिनी के अलावा सभी को इस प्लान के बारे में पता था।नजदीकी मित्र व परिचितों को भी इसमें निमंत्रित किया था।

हॉल में पहुंचते ही योगिनी ने देखा कि हैपी बर्थडे योगिनी का बैनर लगा हुआ था पूरा हॉल लाइटों से जगमगा रहा था। साथ ही फूलों की सजावट भी तारीफ के काबिल थी।

योगिनी यह सब देख कर आश्चर्य चकित हो गई,तभी उसकी सास ने आकर कहा कि बहू ये सब तुम्हारी देवरानी का किया धरा है।हमें तो मालूम ही नही था कि तुम्हारा बर्थ-डे कब होता हैइसी ने बताया कि शादीसे पहले तुमअपना बर्थडे कितनी धूमधाम से मनाया करतीं थीं। सो चलो इस बार दीदी कोसरप्राइज देते है। सच बहू तुम्हारी देवरानी लाखों में एक है।

योगिनी मन ही मन बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि मैं तो इससे अपने मन में इसकी तारीफ सुन कर कडवाहट लिए बैठी थी ,और यह तो अभी भी मुझे अपनी बड़ी बहन ही मानती है, धिक्कार है मेरी सोच पर।योगिनी ने रागिनी कोगले लगा लिया,उसकी आंखों से प्रेम के आंसू बहने लगे।तभी गौरी दौड़ती हुई आई और कहने लगी देखो मां मैं कहती थी न कि चाची बहुत अच्छी है तब तो मुझे डांट घर चुपकरा देती थी।अब देखो खुद उनको कितने प्यार से गले मिल रही हैे।तू चुप घर गौरी ,आजकल बहुत पटर पटर

बोलने लगी है ।चाची की चमचीजो बन गई है।दोनों बहनों के बीच थी कडवाहट दूर होगई थी सभी मिल जुल घर पार्टी का आनंद लेने लगे।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

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