“ दीदी गूंजा की शादी में आ रही हो ना….जल्दी से आओ ना…. सब बार-बार पूछ रहे हैं घर की बड़ी बेटी कहाँ ग़ायब है…. भतीजी का ब्याह है उनको तो सबसे पहले आना चाहिए ।” रति अपनी बड़ी बहन राशि से बोली
राशि हूँ हूँ कर बोली,“ माँ को फोन दो…. हम बात कर रहे थे तुम्हें छीनना ज़रूरी था….!” प्यार से ग़ुस्से के लय में राशि ने कहा
“ हाँ बेटा बोल..।” सुमिता जी बोली
“ माँ मैं उन यादों को भूला ही नहीं पा रही हूँ….. तुम ही बताओ कैसे उस घर में आऊँ जहाँ मेरा और मेरी बच्ची का अपमान हुआ हो,काश उस वक़्त तुम साथ देती तो ऐसी नौबत ही नहीं आती,हम दोनों के मन में खटास इस कदर भर गई है कि अब बात करने का जरा भी जी नहीं करता..।” राशि उदास हो कर बोली ,चाहती तो वो भी थी इकलौती भतीजी के ब्याह में जाए पर …
“ बेटा ब्याह का घर है….. नित्या ने फोन भी किया है तो अब क्या बात है जो तुम्हें यहाँ आने से रोक रहा है ?” सुमिता जी ने पूछा
” जाने दो माँ यादों को कुरेदने से टूटे दिल ना जुड़े हैं ना जुड़ सकते….।” कह राशि ने फ़ोन रख दिया
जाने क्यों एक मन कर रहा था उड़ कर अपनी प्यारी भतीजी के पास चली जाए और एक दिल भाभी नित्या के कटु व्यवहार से छलनी हुआ पड़ा था ….
यादें अच्छी हो या बुरी ज़ेहन से जल्दी जाती नहीं है…. और जो याद करने लायक़ बात हो वो हम भूल भी जाते पर जो दिल तोड़ दे वो कहीं अंतस मन में रह जाती है….
राशि ना चाहते हुए भी अतीत को अपने उपर एक बार फिर से हावी होने देने लगी…..
“ राशि दीया को ऐसे कपड़ों का शौक़ है तो आप ख़रीद दिया करिए जब औक़ात नहीं है तो शौक़ भी नहीं रखने चाहिए ।”नित्या ग़ुस्से से भरी बोली थी
“ क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों बोल रही है….?” तभी राशि की नजर अपनी बेटी दीया पर पड़ी जो डेनिम की हॉट पैंट पहने हुए थी….. बात समझते देर ना लगी
“ दीया ये क्या और किसका पहन लिया है तुमने..?” राशि उसकी ओर झपटते हुए गई और एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दी
“ माँ ये गूंजा दी ने दिया है…. बोली ये अब मुझे नहीं होता नई रखी है तुम पहन लो…. मैं जानती हूँ पापा को ऐसे कपड़े नहीं पसंद तो मैं क्यों ही पहनूँगी पर दी ने ही ज़िद्द कर के पहना दिया…. उसी समय मामी कमरे में आ गई और मुझे देखते ही आपको आकर बोल दिया….. मैं बस बदलने ही जा रही थी ।” दीया गालों को सहलाते हुए बोली
“ भाभी दीया के पापा को नहीं पसंद ऐसे कपड़े पहने…. वो क्यों ही लेंगे….. और दीया कह तो रही है गूंजा ने दिया।”राशि बात को ख़त्म करने के ध्येय से बोली
नित्या अपनी बेटी को ग़ुस्से से घूरने लगी जिससे सहम कर गूंजा ने कहा ,“ नहीं मम्मा दीया ने खुद लेकर पहन लिये ये बोल कर दी मेरे उपर कैसे लगते हैं ?मैं क्यों ही दूँगी उसको जब ये आप मेरे लिए महँगे ब्रांड का लेकर आए हो…दीया तू झूठ क्यों बोल रही कि ये मैंने दिया…।” कहते हुए गूंजा दीया को घूरने लगी
दीया गूंजा की इस हरकत से हतप्रभ रह गई थी ।
नित्या ने राशि को दमभर भला बुरा सुनाया….. सप्ताह भर को मायके आई राशि का मन ऐसा कसैला हुआ की वो बेटे बेटी को ले कर वापस अपने घर आ गई।
सुमिता जी उस वक़्त अपनी किसी दोस्त के घर कीर्तन में गई हुई थी जब लौट कर राशि को ना पाया तो नित्या से पूछा।
“ अच्छा हुआ चली गई पता नहीं मेरी बेटी के ना जाने कितने कपड़े लेकर चली जातीं होगी,आदमी को अपनी औक़ात देख कर काम करना चाहिए….. बेटी को महँगे कपड़ों का शौक़ है तो दे उसे ख़रीद कर,मेरी बेटी के लेकर पहनने की ज़रूरत नहीं है ।”नित्या कह अपने कमरे में चली गई
सुमिता जी के कुछ भी समझ ना आया तब वो राशि को कॉल कर दी।
राशि ने सब कुछ बता दिया और बोली,“ माँ आज भाभी ने बहुत बेइज़्ज़ती कर दी ,अब कभी नहीं आऊँगी वहाँ,तुम्हारा मन करे तो फोन कर लिया करना पर हमें आने कभी ना कहना और अब ये बात ना जाने भाभी किस किस से कहेंगीं…ऐसे में वहीं आकर फिर से बेइज्जत नहीं होना मुझे।”
सुमिता जी गूंजा के कमरे में गई और पूछी,“ बेटा सच बताना दीया ने तुम्हारे कपड़े लिए थे….?”
गूंजा पल भर को ख़ामोश रही फिर जिस दादी का हमेशा उसे सपोर्ट मिलता रहा है उससे झूठ बोलने की हिमाक़त वो ना कर सकी और सब सच बता दिया ।
“ नहीं दादी,मैंने ही दिया था पर वो कपड़े मम्मा लेकर आई थी और बहुत महँगे थे,मैं डर गई थी कि अब मम्मा मुझे डाँटेंगी इसलिए मैं…।”गूंजा सिर झुकाए बोली
“ बेटा आज तुम्हारी वजह से घर की बेटी बेइज़्ज़त हो कर चली गई है, मेरे ख़याल से इसके लिए तुम्हें बुआ और दीया से सॉरी कह कर सब बात साफ करनी चाहिए ।” सुमिता जी ये कहकर जाने लगी तो गूंजा उन्हें रोकते हुए राशि को फ़ोन लगा कर माफ़ी माँगी ।
राशि बस हाँ कर दी थी पर भतीजी के झूठ और भाभी के तानों को वो भूल नहीं पा रही थी।
दो साल गुजर गया राशि ना मायके गई ना नित्या कभी फ़ोन कर उससे कभी कुछ बोली।
और अभी दस दिन पहले ही नित्या का फ़ोन आया था।
“गूंजा की शादी तय हो गई है,सभी रस्में दो दिन में सम्पन्न होंगी क्योंकि लड़का बाहर रहता है और उस वक़्त ही वो आएगा,शादी का कार्ड भेज दिया है,आप सब आइएगा ।” नित्या ने बस इतना ही कहा था
राशि का भाई कभी कभी फ़ोन कर पूछा करता था क्या बात है घर नहीं आ रही हो,राशि बच्चों की पढ़ाई का बहाना बना देती थी ऐसे में राशि को लग गया था कि भाई को कुछ भी नहीं मालूम है ।
आज से घर में लोग जुटने शुरू हो गए थे…… इसलिए ही राशि की बहन ने उसे फ़ोन कर के आने को कहा।
“ मम्मी गूंजा दी की शादी में हम कब जा रहे हैं?” दीया की आवाज़ से राशि अतीत से बाहर निकल आई
“ हम नहीं जा रहे हैं ।” कह राशि कुर्सी से उठी और अपने लिए चाय बनाने चल दी
दीया समझ गई माँ अब तक वो सब भूल नहीं पाई है,
गूंजा ने ही मैसेज कर के दीया से पूछा था कि वो लोग कब आ रहे ऐसे में दीया ने गूंजा को बता दिया कि वो लोग नहीं आ रहे हैं ।
गूंजा को समझते देर नहीं लगी कि बुआ अब तक उस बात को भूल नहीं पाई है और अपनी गलत की वजह से उसने बुआ का मायका भी ख़त्म कर दिया है,गूंजा को आज बुआ का नहीं आना बहुत खल रहा था वो अपनी दादी और पापा को बुला कर बोली,“ राशि बुआ शादी में नहीं आ रही है,दादी को तो पता है वो क्यों नहीं आ रही है पर पापा आप कुछ नहीं जानते ..। ये कहकर गूंजा ने वो सारी बातें अपने पापा से कह दी
” माँ तुमने भी जब तब यही कहा कि वो दीया और दिव्य की पढ़ाई की वजह से नहीं आ रही है और मैं मान जाता था, अब समझ आया हर साल राखी पर आने वाली मेरी बहन ने बहाने बनाने क्यों शुरू कर दिए थे,इस बार भी कोई ना कोई बहाना बना कर वो नहीं आती और मैं मान भी जाता…।” कहते कहते रितेश ने फ़ोन निकाल राशि को कॉल लगा दिया
“ राशि तुम अपनी पैकिंग करो मैं लेने आ रहा हूँ ।” भाई की बात सुन कर राशि कोई जवाब देती उससे पहले ही फोन डिस्कनेक्ट हो गया ।
” पापा मैं भी चलूँगी आपके साथ,बुआ का रिश्ता मेरी वजह से यहाँ से ख़त्म हुआ है और अब मुझे ही सम्मान के साथ उन्हें यहाँ लेकर आना होगा ।” गूंजा ने कहा
“ तू कैसे जा सकती हैं चार दिन बाद तेरी शादी है।”सुमिता जी ने कहा
“ जाने दो माँ ढाई घंटे जाने और ढाई घंटे आने में लगेंगे और दो घंटे रूठी बहन को मनाने में ,हम जल्दी आ जाएँगे…और हाँ नित्या मार्केट गई हुई है उसे कुछ मत बताना हम कहाँ गए हैं मैं आकर बात करूँगा उससे ।” रितेश कह कर बेटी के साथ निकल गया
सफर तय कर के जब वो पहुँचे ,राशि उन्हें देख फफक कर रो पड़ी।
“ बुआ इतनी बड़ी गलती हो गई मुझसे जो आप मेरी शादी में शामिल भी नहीं हो सकती ….बुआ भतीजी तो एक जान होती है…. मुझे लगा था आप मेरा डर समझ कर मुझे माफ कर दी होगी पर आप अभी भी उन यादों को सँजोए बैठी थी और मैं ये समझ ही नहीं पाई…. आप सब अभी चलो हमारे साथ।”गूंजा बुआ के गले लग कर रो पड़ी
“ पागल है तू राशि, नित्या की बात दिल पर लगा कर बैठ गई, वो तो कब का बोल कर भूल भी गई होगी,अपनी भाभी की आदत जानते हुए भी..।”कह कर रितेश बहन को गले से लगा लिया
राशि की एक ना चली और वो बच्चों के साथ जाने की तैयारी करने लगी तभी निकुंज आ गए जो इन सब बातों से अनभिज्ञ थे…..
” निकुंज जी आप भी साथ चलिए,मेरी बहन तो बच्चों की पढ़ाई है परीक्षा है कह कर के आने से मना कर रही थी इसलिए हमें ही लेने आना पड़ा।”रितेश ने कहा
”अभी मुश्किल होगा मेरा जाना ,शादी वाले दिन पक्का पहुँच जाऊँगा इसको आशीर्वाद देने।” गूंजा के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रखते हुए निकुंज ने कहा
रितेश सबको लेकर जब घर पहुँचा,नित्या देखते ही दौड़ कर आई,” अच्छा किया राशि तुम आ गई,मैं तो सोच रही थी कि रति का बेबी अभी छोटा है वो बुआ की रस्मों को कैसे निभा सकेंगी…..।”
राशि आश्चर्य से नित्या को देख रही थी,”हे भगवान मैं जिस बात को सालों से यादों में रख घुल रही थी और ये बोलकर भूल भी गई है, उफ़फ ये नित्या भी ना , जब ग़ुस्सा करती हैं भगवान जाने क्या क्या बोल जाती हैं और बाद में सामान्य हो जाती जैसे कुछ हुआ ही ना हो।”
राशि भी उन यादों को परे झटक कर लग गई भतीजी की शादी में…..
” बेटा कह रही थी उसकी बात को इतना दिल पर ना ले…पर तू ….. ज़िद्द पर अड़ी रही….. देखा उसको…..लग रहा है क्या वो कभी कुछ बोली भी होंगी?”सुमिता जी राशि को सीने से लगाकर दुलार करते हुए बोली
राशि पुरानी यादों को घर के उस ताक पर रख सदा के लिए परदा लगा दी मानो वो घटना कभी घटी ही ना हो।
दोस्तों किसी किसी का स्वभाव वाक़ई बहुत अजीब होता है ग़ुस्से की रौ में ना जाने क्या क्या बोल जाते हैं फिर सब कुछ भूल जाते हैं,मानो बात आई गई ख़त्म,ऐसे लोग अपना स्वभाव चाहकर भी बदलने में असमर्थ हो तो सामने वाले को भी उसी तरह से उसे स्वीकार कर लेना चाहिए, मनमुटाव कर के रिश्ते बिगड़ जाए इससे बेहतर है हम भी उसकी तरह सब भूल कर आगे बढ़ जाए ।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
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