“कच्चे धागे ” – कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

राज और प्रिया की शादी को अभी चार महीने ही हुए है, दोनों ने मां बाप के खिलाफ जाकर शादी की थी और एक नए शहर में जाकर अपनी गृहस्थी बसा ली….

राज को एक बहुत अच्छी कंपनी में जॉब मिल गई, लेकिन प्रिया का प्रयास अभी जारी था, वह घर पर रहकर ही नौकरी की तलाश कर रही थी।

सुबह ऑफिस के लिए निकलते हुए राज ने प्रिया का माथा चूमा और शाम को जल्दी आने के लिए कहकर निकल गया।

राज अभी आधा रस्ते ही पहुंचा था की ऑफिस से बॉस का फ़ोन आया, बात ख़त्म करके राज ने गाड़ी वापस घर की ओर मोड़ ली,

प्रिया के साथ आज पूरा दिन बिताने की खुशी से ही वह रोमांचित हो रहा था… घर पहुंचकर राज जैसे ही दरवाज़े पर पहुंचा अंदर से आती

कुछ आवाजों से उसके पैर वहीं जम गए…”ज्यादा समय नहीं है हमारे पास, राज ने घर जल्दी आने को बोला है”….

प्रिया के साथ किसी पुरुष के हंसने की सम्मिलित आवाज से राज का ख़ून खौल उठा…

“ओह प्रिया तुम मेरी पीठ पीछे ये सब गुल खिला रही हो और मैं तुम्हारे प्यार में अपने घरवालों तक के खिलाफ़ चला गया,

मगर आज मैं तुम्हे रंगे हाथों पकड़कर हमेशा के लिए रिश्ता ख़त्म कर लूंगा”…. ऐसा सोचते हुए राज अंदर जा ही रहा था

की तभी उसे अपने ऑफिस के दोस्त अजय और विनय हाथों में सामान उठाए उसी के घर आते नजर आए और दोनों ने

बड़ी गर्मजोशी से राज़ को बधाई दी तो उसे कुछ समझ नहीं आया, थोड़ी उलझन में जब उसने घर में क़दम रखा तो हैरान रह गया,

पूरा घर गुब्बारों और रंग बिरंगी लड़ियों से सजा हुआ था… 

“हैप्पी बर्थडे भाई” सुनकर राज ने पलटकर देखा की उसका छोटा भाई हाथ में केक और फूलों के साथ उसे मुबारकबाद दे रहा है…

“अरे तो वो आवाज़ मेरे भाई की थी” …. तभी प्रिया ने मुस्कुराते हुए राज को जन्मदिन की बधाई दी

और बोली आपके जन्मदिन को खास बनाने के लिए ही ये सब प्लानिंग की थी और इसमें मेरा साथ आपके ऑफिस के दोस्तों अजय भैया और विनय भैया ने दिया है….

“अब आप जल्दी से तैयार हो जाइए क्योंकि इस सरप्राइज़ में हमारे साथ शामिल आपके बॉस अपने परिवार के साथ लंच पर आने ही वाले होंगे”…..

प्रिया ने प्यारी सी मुस्कान के साथ राज से कहा और सारी व्यवस्था एक बार फिर से देखने लगी…

वहीं राज को अपनी सोच पर बहुत खेद हो रहा था  # रिश्तों के बीच विश्वास का धागा बहुत पतला होता है, 

यदि उसमे एक बार गांठ पड़ जाए तो जीवन भर वो दर्द नासूर की तरह दुखता है

इसलिए बिना पूरी बात जानें आधा अधूरा देख सुनकर निर्णय कभी नहीं लेना चाहिए।

स्वरचित मौलिक रचना 

#रिश्तों के बीच विश्वास का एक पतला धागा होता है।

कविता भड़ाना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!