कच्चे धागे-एक पवित्र बंधन (भाग–6) – शशिकांत कुमार : Moral Stories in Hindi

साध्वी एक देवकन्या थी और उसने एक मनुष्य के साथ अपनी पवित्रता को खोने वाली थी…

इधर राधिका उसका इंतजार कर रही थी। राधिका को ऐसा लग रहा था जैसे वो दोनो प्रेम की बाते करने में खोए हुए हो लेकिन उसे ये तनिक भी अंदाजा नहीं था की उसकी संरक्षण में साध्वी नवल के साथ सीमा लांघने को शुरुआत कर चुकी है।

साध्वी चलो अब काफी वक्त हो गया है….राधिका बोली

उधर साध्वी प्रेम की तंद्रा तोड़कर बाहर आती है और नवल से कल मिलने का वादा करके राधिका के पास आती है

ओह राधिका मुझे माफ कर दो ..थोड़ी देर हो गई (साध्वी बोली)

नवल को आंखे राधिका के शरीर को घूरे जा रहा था जिसे राधिका ने समझ लिया था फिर भी उसने साध्वी की खातिर चुप रहना ही मुनासिब समझी

और दोनो अपने घर के लिए चल पड़ी…

साध्वी …

मुझे यह आदमी कुछ ठीक नहीं लगता

क्यूं….ऐसा क्यों बोल रही हो राधिका?

हां , ऐसा इसलिए क्योंकि वो मुझे एकटक देखे जा रहा था

हा हा हा हा हा …. (साध्वी हंसी)

अरे तुझे तो कोई भी देखे तो देखता ही रह जाए

तू है ही इतनी खूबसूरत

मजाक छोड़ो साध्वी और इसे थोड़ा गंभीरता से सोचो

की जो वयक्ति तुमसे प्रेम कर रहा है वो किसी और को देखे ये तुम्हे अटपटा नही लगेगा?

अरे राधिका उसने ऐसे ही देखा होगा तुझे

चलो मैं तुम्हारी खातिर नवल से पूछ लूंगी और समझा दूंगी की मेरी बहन को गौर से न देखे

हा हा हा हा हा …….. दोनो हस्ते हुए घर में प्रवेश करती है

कहा थी इतनी देर से तुम दोनो राधिका? …. रामेश्वर जी ने पूछा

पिताजी वो हम दोनो मंदिर गई थी

हां तो …मंदिर में तुम्हे इतनी देर तो कभी नहीं लगती

वो…वो.. चाचाजी

मंदिर के फर्श सफाई करने में थोड़ी समय लग गई इसलिए देर हो गई

अच्छा अच्छा ठीक है

मैं तो इसलिए पूछा रहा था क्योंकि पास वाले गांव रूपसपुर से अचानक रहस्यमी तरीके से दो घंटे के अंतराल में दो लड़कियां गायब हो गई है आसपास के इलाकों में ढूढने की लाख कोशिश के बावजूद वो दोनो नही मिली है

इसलिए मैं हिदायत देता हूं की आगे से मंदिर में पूजा करके ज्यादा समय उधर रुकना नही है तुम दोनो को…

जी पिताजी ….. (राधिका बोली)

राधिका ,साध्वी और नारायण तीनों एक कमरे में बैठकर तरह तरह के बातें बनाने लगे

मुझे तो लगता है किसी प्रेमी के संग भाग गई होगी….राधिका बोली और मुस्कुरा कर तिरछी निगाहों से साध्वी को देखकर तंज कसी

साध्वी राधिका को देखकर मुस्कुरा उठी और बोली हां मुझे भी यही लगता है एक प्रेमिका रही होगी और दूसरी उसकी सहेली या बहन इसलिए दोनो एक के साथ ही फरार हो गई होगी

हा हा हा हा ….. दोनो हस पड़े

तुम दोनो ये सब क्या बात कर रही हो दीदी मुझे कुछ समझ नही आ रहा…. नारायण बोला

तू अभी नहीं समझेगा नारायण

तू छोटा बच्चा है जब बड़ा होना तब समझा दूंगी…

(साध्वी की बात सुनकर एक बार फिर हसी गूंज उठी)

दिन ऐसे ही गुजरते गए और इस बात को लगभग एक वर्ष बीतने वाले थे

इस दौरान नवल और साध्वी का प्रेम संबंध होठों का होठों से मिलन से आगे बढ़कर अंग से अंग मिलकर दोनो दो शरीर  से एक शरीर बन बैठे थे जबकि नवल की आंखे राधिका को पाने की चाहत कर रखी थी और साध्वी का केवल नवल द्वारा भोग किया जा रहा था जबकि साध्वी को नवल के इस चाहत की भनक तक न लगी थी जिस कारण उसने अपना जिस्म तक नवल को सौंप दिया था….

और इस तरह से एक मनुष्य रूप में आकर देवकन्या कलयुग के प्रभाव में आकर एक बड़ी पाप कर बैठी थी

अंबिका जी एक शाम राधिका और साध्वी के साथ बैठी थी

साध्वी ….

तुम दोनो को याद है एक दिन राधिका के पिताजी ने तुम दोनो को हिदायत दी थी मंदिर पर ज्यादा समय मत लगाना रूपसपुर गांव से दो लड़कियां रहस्यमई परिस्थितियों में गायब हुई थी?

हा ..चाची

याद है

क्या हुआ?

उसमे से एक लड़की रूपसपुर के पास पागल वाली स्थिति में मिली है और केवल हंसते और बड़बड़ाते रहती है और राधिका के पिताजी बता रहे थे  उसके बड़बड़ाने के क्रम में एक नाम लेती है

“नवल”

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