कच्चे धागे-एक पवित्र बंधन (भाग–11) – शशिकांत कुमार : Moral Stories in Hindi

एक बहुत ही सुंदर करीब 30 वर्ष की कुमारी कन्या उसके सामने जिसके पूरे शरीर के चारो तरफ एक दैवीय औरा चमक रहा था…

ऐसा लग रहा था जैसे मानो देवलोक से कोई परी उसके सामने उतर आयी हो

आ..आ ..आप कौन है? (यशोदा बोली)

मैं तुम्हारी बुढ़िया माता

न …न… नही ऐसा कैसे हो सकता है

उस देवकन्या ने तुरंत अपना रूप बुढिया के रूप में बदल ली  और फिर से उसने एक नया रूप लिया

यही रूप साध्वी का है मेरी बच्ची

साध्वी……(राघव अचानक आया और साध्वी का नाम सुनते ही बोल उठा)

हां

साध्वी …. मैं इसी रूप में साध्वी थी और राधिका के साथ इसी रूप में रह रही थी

वैष्णवी मेरे इस रूप को देखेगी तो जरूर कुछ हरकत करेगी

क्योंकि जब वो मेरे बूढ़े शरीर को पहचान सकती है तो इस रूप को जरूर पहचानेगी

और इतना कहकर वो फिर से बुढ़िया के रूप में आ जाती है

पर फिलहाल मुझे मेरी बेटी यशोदा से बात करनी है

यशोदा….. राघव कह रहा था की तुम पश्चताप कर रही थी मुझे अपने घर से भगाकर

हां माता

आपने ही मुझे वैष्णवी के लिए उपाय बताया था और आशीर्वाद दिया था और मैंने आपको ही अपने घर से दुत्कार कर भगा दिया

मुझे माफ कर दो मां

मैं अपनी पुत्री की चिंता में आपका अपमान कर बैठी..

पुत्री …

जो पिछले 40 वर्षो से पश्चताप कर रही हो ये ग्लानि लेकर की जिसने उसे अपने घर में पनाह दिया उसी को एक राक्षस के हवाले कर बैठी उसके मां बाप और भाई से जुदा करवा दिया उसके लिए अगर कोई पश्चताप करे इससे बढ़कर अभी मेरे लिए और क्या बड़ी बात होगी

लेकिन मेरे मन में तुम्हारे लिए लेष मात्र भी कोई गिला शिकवा नहीं है।

माता कल रात वैष्णवी ने…..

हां हां मैं जानती हूं मुझे राघव ने आज सुबह सब बता दिया था (यशोदा को बीच में कटकर बुढ़िया बोली)

तुम चिंता मत करो

जैसा कि मैंने बताया था की राधिका का शरीर बिना कपड़ो के नवलासुर के पास पड़ा है इसलिए वैष्णवी भी उसी अवस्था में रहने की कोशिश कर रही होगी

क्योंकि जैसे जैसे वैष्णवी के दिन गुजर रहे होंगे उसे पूर्वजन्म की सारी बातें याद होती जायेगी

इसलिए मेरी बच्ची अब माता वैष्णो देवी पे भरोसा रखो और वैष्णवी को मेरे पास लाओ

वैष्णवी नवलासुर का वध करने के बाद केवल तुम्हारी वैष्णवी रहेगी उसके अंदर से राधिका का असर खत्म हो जाएगा

ठीक है माता….(यशोदा बोली)

तभी राघव जाकर वैष्णवी बुढ़िया के सामने ले आता है

तुम दोनो थोड़ा पीछे हट जाओ (बुढ़िया ने राघव और यशोदा को कहा तो दोनो पीछे हट गए)

राधिका…

ओ राधिका…. ( बुढ़िया ने बड़े प्यार से नाम लिया)

वैष्णवी अपने चेहरे को बुढ़िया की नजरों के विपरीत कर दी

राधिका ….तुम अभी भी नाराज हो मेरी बहन

वैष्णवी बुढ़िया को देखती है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है और फिर चेहरा घुमा लेती है

राधिका मेरी बहन

नारायण हमारा इंतजार कर रहा है

तू राखी नही बांधेगी उसे ?

इसबार जब वैष्णवी पलटी तो सामने बुढिया साध्वी के रूप में थी

वैष्णवी जैसे चीत्कार उठी और साध्वी के गले लग गई..

साध्वीऔर राधिका के इस मिलन को देखकर राघव और यशोदा की आंखों से आंसू निकल आए और उन दोनो को पक्का विश्वास हो गया की वैष्णवी हो राधिका है पिछले जन्म की।

तुमने मुझे किस अवस्था में छोड़ दिया है साध्वी? ( वैष्णवी इस तरह से बोल रही थी जैसे वो 5 की न होकर एक 20 साल की लड़की हो)

राधिका …. मैं अपने होश में नहीं थी मेरी बहन मुझे नवलासुर ने अपने वश में कर रखा था

इसलिए तूने अपनी बहन को उस राक्षस के सामने पिछले 40 वर्षों से बिना कपड़ो के छोड़ आई?….. ( राधिका दर्द भरी आवाज में बोली)

राधिका उसी की सजा तो भुगत रही हूं मैं, मैं अपने लोक में वापस नही जा सकती जब तक की तुम्हारे शरीर को उस राक्षस से छुड़वा न लूं

अपने लोक का क्या मतलब है साध्वी?

साध्वी ने अपने रूप को फिर से देवकन्या के रूप में परिवर्तित किया और वैष्णवी उसे देखकर हैरान थी..

तुम कौन हो? (वैष्णवी ने देवकन्या से पूछा)

मैं ही साध्वी हूं राधिका

और मैं एक देवकन्या हूं जो माता वैष्णो देवी की तुम्हारी तरह ही बड़ी भक्त थी लेकिन जब मुझे पता चला की मुझसे से भी बड़ी भक्त पृथ्वी पर मौजूद है तो मैने माता को उसी क्षण मुझे पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में भेजने को कहा ताकि मैं साबित कर सकूं की माता की सबसे बड़ी भक्त मैं ही हूं और माता ने मुझसे मेरी शक्ति लेकर मुझे बिना किसी मदद के साबित करने का मौका पृथ्वी पर भेजकर दिया और वही मंदिर पे तुमसे मुलाकात हुई और तूने मुझे अपने घर में रहने का मौका दी…

मेरी शक्ति न होने के कारण ही मैं नवलासुर के वश में होकर तुम्हारे साथ अनर्थ कर बैठी थी मेरी बहन

मुझे माफ कर दो …

नही नही …

माफी तुम नही मैं मांगती हूं जो बिना तुम्हारी गलती की तुम्हे अपने साथ हो रही घटना के लिए जिम्मेवार मान रही थी

एक पांच साल की लड़की को एक 20 साल की लड़की की तरह बात और व्यवहार करते हुए देखकर राघव और यशोदा एक ही समय में एक ही आत्मा के दो शरीर के रूप में देख रहे थे और अब उन दोनो को राधिका के लिए भी अपनी बेटी वैष्णवी जैसी भाव आ रही थी

वैष्णवी… क्या तुम अपनी दीदी राधिका को नही बचाओगी?.. यशोदा बोली

यशोदा के मुंह से ये बात सुनकर साध्वी ,राघव और स्वयं वैष्णवी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई

उधर  लवनासुर के गुफा में लवनासूर पिछले 40 वर्षों से राधिका के उस अग्नि रूपी आवरण के हटने का इंतजार कर रहा था लेकिन वो चिंतित भी था की कही राधिका के प्राण न निकल गए हो

इसलिए उसने उसके प्राण बाहर न जा पाए इसलिए उसी क्षण जब राधिका के ऊपर अग्नि का घेरा लगा था उसी समय से उसने प्राण रोकने वाली हवन करने बैठ गया था लेकिन उसे ये अंदाजा भी न था की उसकी आत्मा तो माता वैष्णो ने उसी क्षण अपने पास सुरक्षित कर लिया था क्यूंकि माता को रक्षाबंधन से एक दिन पहले “कच्चे धागे”

के रूप में राखी बांधकर उनसे “एक पवित्र बंधन जो बना लिया था राधिका ने  माता ने उसी पवित्र बंधन की खातिर राधिका को अपवित्र  होने से बचाएं रखा और उसके प्राणों को भी अपने पास सुरक्षित रखा।

आज 40 वर्ष के बाद जब वैष्णवी को साध्वी  अपना देवकन्या का रूप दिखा रही थी उसी क्षण इधर राधिका के शरीर में एक हलचल हुई जिसे नवलासुर ने भांप लिया था और अब वह दोगुना उत्साह से हवन करने लगा…

राधिका के अग्नि आवरण भी अब हल्का सा मद्धम हो गया था

इधर देवकन्या को भी राधिका के शरीर में हो रहे हलचल के बारे में पता चल गया था लेकिन सुरक्षा आवरण का कमजोर होना देवकन्या को समझ नही आया और वो अब बहुत ज्यादा चिंतित हो उठी

तभी उसने माता वैष्णो देवी का आह्वान किया

और उसी क्षण यशोदा के घर में एक तेज रोशनी प्रकट हुई……

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