शांति के जन्म होते ही उसकी मां स्वर्ग सिधार गई शांति का लालन पालन की जिम्मेदारी उसकी दादी ने उठाया। लेकिन दादी भी कब तक इतनी छोटी बच्ची को पाल सकती थी आखिर में फैसला यह किया गया शांति के पापा की शादी उसकी छोटी मौसी से कर दिया जाए। अगले साल ही शांति की मौसी शादी होने के बाद छोटी मां बन गई थी। शांति की मौसी ने शांति को अपने बेटी की तरह प्यार दिया। समय के साथ शांति के भी बचे हुए लेकिन उसने कभी भी शांति और अपने बच्चे में अंतर नहीं किया बल्कि शांति को भी वो अपनी बड़ी बेटी की तरह मानती थी। वक्त का पहिया तेजी से घूमता रहा और अब शांति एक सुंदर किशोरी का रूप ले चुकी थी सुंदर तो वह बचपन से थी लेकिन जवानी में शांति की सुंदरता और भी निखर गयी थी
शांति ग्रेजुएशन के आखिरी साल में थी वह डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि ग्रेजुएशन करने के बाद वह क्या करें क्योंकि वह अपने आपको हमेशा से सेल्फ डिपेंडेंट रखना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि शादी के बाद अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने ससुराल वालों या अपने पति के ऊपर निर्भर रहें। उसे सामाजिक कार्यों में भी बहुत खुशी होती थी। उसे गरीबों की मदद करना बहुत अच्छा लगता था। तभी उसे उसकी एक सहेली ने बताया कि शांति तुझे आईएएस की तैयारी करनी चाहिए अगर तू आईएस बन जाएगी तो सेल्फ डिपेंडेंट तो होगी ही साथ में कितनी महिलाओं को भी सेल्फ डिपेंडेंट कर सकती है और तेरा जो सपना है सामाजिक कार्य करने का वह भी पूरा कर सकती है क्योंकि तुम्हारे पास पावर होगा।
शांति ने अब यह फैसला कर लिया था कि वह आईएस की तैयारी करेगी और इसके लिए वह कोचिंग करने के लिए दिल्ली जाएगी। लेकिन यह सब करने के लिए उसे अपने पापा मम्मी और दादी से आज्ञा लेना होगा। शांति अपनी दादी से ज्यादा क्लोज थी और उसे अपने दिल की हर बात बताती थी शांति ने अपनी इच्छा अपनी दादी से बताई । शांति की दादी भी पढ़ी-लिखी महिला थी उन्होंने एक बार में ही शांति को हां कर दी और बोली शाम को तुम्हारे पापा जैसे ही घर आएंगे मैं उनसे बात करूंगी।
लेकिन जैसे ही यह बात शांति की मौसी को पता चली घर में शांति को दिल्ली भेजने की तैयारी चल रही है उसने घर में हंगामा शुरू कर दिया बोली एक छोटे से किराने की दुकान में इतने लोगों का पालन पोषण हो रहा है यही बड़ी बात है, और कोई शांति अकेली नहीं है जो दिल्ली पढ़ने चली जाएगी फिर उसके छोटे भाई बहन भी कहने लगेंगे कि हम भी दिल्ली पढ़ने जाएंगे तो क्या हमारी औकात है सबको दिल्ली पढ़ने भेजने की। मैंने अपने जीजा जी( यानी शांति के मौसा जी ) से शांति की शादी की एक जगह बात की है शादी के लिए। शादी हो जाएगी वह अपने ससुराल में जाकर पढ़ती रहें जितना पढ़ना है। लड़के वाले ने शांति को पसंद कर लिया है और अगले सप्ताह शांति को देखने आने वाले हैं।
शांति नाराज हो गई और गुस्से में जाकर अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया दादी ने जब प्यार से बोला कि मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगी तो उसने दरवाजा खोला।
शाम को जब शांति के पापा दुकान बंद करके घर आए तो शांति की दादी ने दिन में हुई बातों का जिक्र किया कि शांति आईएएस की तैयारी करना चाहती है और वह दिल्ली पढ़ने जाना चाहती है। शांति के पापा बोले मां यह अच्छी बात है की शांति को पढ़ना अच्छा लगता है और मैं भी जितना हो सका उसको सपोर्ट करता हूं लेकिन हमारी औकात नहीं है कि हम अपनी बेटी को दिल्ली पढ़ने के लिए भेज दें तुम्हें तो पता है कि आजकल लड़कियों की शादी में कितना खर्चा हो जाता है और उससे छोटी तीन और बहने हैं दो भाई हैं हम कहां से मैनेज कर पाएंगे। इसकी छोटी माँ ने एक जगह शादी की बात करी है हम शांति की शादी कर देते हैं परिवार खानदानी है और लड़का सरकारी नौकरी करता है और दहेज की डिमांड भी कुछ ज्यादा नहीं है शांति अपने ससुराल में जितना पढ़ना हो पढ़ाई करें।
अब बेचारी शांति की दादी भी क्या करें जब बेटा और बहू ही सपोर्ट नहीं कर रहे हैं तो आखिर में शांति को भी अपने छोटी मां और पापा की बात मानना ही पड़ा और कुछ दिनों में शांति की शादी तय हो गई। मजबूरी की वजह से भले उसकी छोटी मां शांति को दिल्ली पढ़ने नहीं भेजा लेकिन शांति को वह अपनी बड़ी बेटी से कम नहीं मानती थी उसकी भी मजबूरी थी आखिर वह भी तो एक मां थी उसे अपने सभी बच्चों के बारे में सोचना होता है।
6 महीने बाद शांति की शादी हो गई और वह अपनी ससुराल चली गई ससुराल में उसका परिवार बहुत ही छोटा था उसके पति एक भाई और एक बहन थे , बहन की शादी भी उसी के साथ ही हो गई थी। अब शांति को लेकर परिवार में सिर्फ 4 सदस्य थे शांति के सास ससुर और उसका पति मोहित।
शांति को पता चला कि यूपीएससी के प्री का फॉर्म निकला हुआ है तो उसके अंदर आईएएस बनने का जो भूत था वह जागना शुरू कर दिया उसने सोचा शाम को मोहित जब ऑफिस से आएंगे तो उनसे वह बात करेगी। क्योंकि शांति अब दिल्ली में ही रहती थी इसीलिए वह अपने घर से भी रोजाना कोचिंग जा कर आ सकती थी लेकिन ससुराल वालों की इजाजत मिले तब तो। मोहित खुले विचार वाला पुरुष था लेकिन शांति की सास थोड़े पुराने ख्यालों की थी इसीलिए शांति को इसी का डर था कि शायद उसकी सास तैयार ना हो।
डिनर के बाद रात में शांति ने जब अपने अपने पति मोहित से बात की। वह आईएस की तैयारी करना चाहती है तो मोहित बहुत खुश हुआ बोला यह तो बहुत अच्छी बात है तुम्हें पढ़ने में इतनी रुचि है जानकर मुझे बहुत खुशी हुई नहीं तो लड़कियां शादी के बाद अपना पूरा जीवन किचन में ही गुजार देती है बताओ मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं।
शांति बोली कि मुझे एक आईएएस की कोचिंग में एडमिशन करा दीजिए मैं कुछ दिन तैयारी करना चाहती हूं मोहित इस बात के लिए तैयार हो गया।
सुबह जब सब लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे तो मोहित ने अपनी मां से कहा कि मां शांति आई एस एस की तैयारी करना चाहती है और मैं चाहता हूं कि इसका एडमिशन एक कोचिंग में करा दूं। इतना सुनते ही शांति की सास थोड़ी गुस्से में हो गई और बोली, “मोहित कैसी बात करते हो अब बहू क्या पढ़ाई करेगी जब पढ़ना ही था तो शादी क्यों करी यह शांति का ससुराल है कोई यूनिवर्सिटी और कॉलेज नहीं जहां पर यह पढ़ने आई है और लोग क्या कहेंगे।” मोहित ने कहा, “इसमें कोई गलत बात नहीं है मां शांति क्या गलत कर रही है पढ़ाई करना कोई गलत बात नहीं है।” शांति के ससुर जी ने भी शांति का ही सपोर्ट किया और उन्होंने अपनी पत्नी शकुंतला से कहा, “शकुंतला यह तो अच्छी बात है अगर बहू पढ़ना चाहती है तो पढ़ने दो।” शांति की सास ने कहा तुम लोगों को जब अपने मन से ही सब कुछ करना था तो मेरी राय लेने की क्या जरूरत थी तुम लोगों को जो अच्छा लगे करो मैं कुछ नहीं कहूंगी। शांति के ससुर ने आंखों के इशारे पर अपने बेटे और बहू को चुप रहने के लिए कहा। और उन्होंने बाद में अपने बेटे और बहू से कहा कि मेरे पास एक ऐसा प्लान है जिससे बहू कोचिंग करने भी चली जाएगी और शकुंतला को पता भी नहीं चलेगा इसे कहते हैं सांप भी मर जाना और लाठी भी नहीं टूटना।
बात ये थी की शांति के ससुर के घुटने में कई सालों से दर्द हो रहा था वह डॉक्टर को दिखा दिखा कर थक गए थे एक डॉक्टर ने उन्हें रोजाना आकर फिजियोथेरेपी करने को बोला था लेकिन वो आलस के चलते जा नहीं पा रहे थे।
इसी बात का फायदा शांति के ससुर जी ने उठाया और अपनी पत्नी शकुंतला से कहा, “शकुंतला कल से मैं फिजियोथेरेपी करने जाऊंगा और तुम्हें तो पता है कि मुझसे अकेले जाना नहीं हो पाता है तो मैं सोच रहा हूं कि मेरे साथ बहू भी चले और 1 घंटे की तो बात है और बहू वही रहेगी फिर मुझे लेकर आ जाएगी।” शकुंतला ने कहा, “ठीक है लेकर चले जाओ आखिर बहु तो एक बजे के बाद बैठी ही रहती है घर में काम ही क्या है।
शांति के ससुर जी का प्लान कामयाब हो गया और शांति ने एक कोचिंग में एडमिशन करा लिया और इसी बहाने शांति और उसके ससुर जी घर से निकल जाते और शांति कोचिंग करके आ जाती शांति के सास को लगता शांति और उसके ससुर फिजियोथेरेपी करने गए हैं।
शांति बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही इंटेलिजेंट थी उसने पहले ही प्रयास में प्री और मेंस दोनों क्वालीफाई कर लिया लेकिन इसकी चर्चा उन्होंने अपनी सास से कभी नहीं की उसके पति और ससुर का कहना था कि जब फाइनल सिलेक्शन हो जाएगा तभी तुम्हारी सास से बताया जाएगा अभी इस बात को सरप्राइज रहने दो।
शांति की सास सुबह-सुबह पूजा करने मंदिर जरूर जाती थी। एक दिन वह मंदिर से पूजा कर वापस लौट रही थी तो उनकी पड़ोसी निर्मला जी ने कहा शकुंतला बहन आज तो बड़ी वाली पार्टी चाहिए तुमसे। शकुंतला जी ने आश्चर्य से पूछा “किस बात की पार्टी चाहिए भाई मैं भी तो जानू मेरी बहू की शादी हुये 2 साल हो गए लेकिन एक पोता तो दिया नहीं किस बात की पार्टी दूँ” क्या बात कर रही है शकुंतला बहन क्या आपको नहीं पता आपकी बहू आईएएस बन गई है।
आईएएस क्या बात कर रही हो घर बैठकर किचन से कोई आईएएस बनता है इसके लिए बहुत पढ़ना पड़ता है। निर्मला जी ने कहा शकुंतला बहन क्या आपको सच में नहीं पता कि आपकी बहू आईएएस बन गई है। शकुंतला जी जैसे ही वह अपने घर पहुंची उनके घर पर अड़ोस पड़ोस के लोगों द्वारा बधाइयां देने की ताता लगा हुआ था। अब तो शकुंतला जी को यकीन हो गया था कि उनकी बहु जरूर आइएएस बन गई है। शकुंतला जी ने जैसे ही घर के अंदर प्रवेश किया शकुंतला की बहू शांति ने अपनी सास के पैर छुए। शकुंतला जी ने आश्चर्य से अपनी बहू से पूछा बहू तुमने यह सब कैसे किया मैंने तो तुम्हें कभी पढ़ते हुए देखा ही नहीं। शांति ने अपनी सास को सब कुछ सच-सच बता दिया कि कैसे उसके ससुर जी ने उसको कोचिंग में एडमिशन कराया और वह अपनी तैयारी करती रही। अब जो भी हो शकुंतला जी का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था क्योंकि उनकी बहू आइएएस जो बन गई थी।
दोस्तों इस कहानी के माध्यम से आप लोगों से बस यही आग्रह है अगर आप सास हैं तो अपनी बहू को भी अपनी बेटियों की तरह पढ़ने का अधिकार दें अगर वह पढ़ना चाहती है। क्योंकि यह किसी संविधान में नहीं लिखा गया है कि लड़की शादी के बाद जब बहू बन जाए तो उसे पढ़ने का अधिकार नहीं है वह शादी के बाद कुछ नहीं कर सकती है शादी के बाद भी औरतें बहुत कुछ कर सकती हैं।