कभी नहीं… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

गुस्से से पैर पटकती दामिनी… खुद से बड़बड़ाती… किचन में जाकर फटाफट सब्जियों पर छुरी पटक पटक कर… अपना गुस्सा निकालने लगी… जल्दी-जल्दी हाथ चलाते हुए… उसने कुकर में सारी सब्जियां डालकर सूप बनने को चढ़ा दिया…

 बच्चों की तो कब से फरमाइश हो रखी थी… मशरूम की सब्जी और साथ में पूरी… सब बनाकर पापा जी को उनका सूप देकर… सभी खाना खाने लगे…

 मोहन जी ने सूप पिया… सूप का स्वाद उन्हें कुछ अजीब सा लगा… पर उन्होंने कुछ कहा नहीं… अभी कुछ घंटे पहले ही उन्होंने दामिनी को कुछ बातें सुना दी थी… जिसका उन्हें अफसोस हो रहा था… “बेचारी कितना कुछ करती है… शांति के नहीं रहने का जरा भी एहसास नहीं होने देती… सब कुछ समय पर देना… करना… सारी जिम्मेदारियां तो वही उठाती है…!”

 मोहन जी अपना सूप पीकर… बत्ती बुझाकर… सोने चले गए… मगर थोड़ी ही देर में उनके शरीर में अजीब बेचैनी का एहसास शुरू हो गया… शरीर एंठने लगा… पूरे बदन में खुजलाहट शुरू हो गई… जी मिचलाने लगा… उन्होंने हड़बड़ा कर बेटे को आवाज़ लगाई… मगर आकाश सोने चला गया था…

 दामिनी अभी भी किचन में थी… मोहन जी उसे बुलाना नहीं चाह रहे थे… थोड़ी ग्लानि में थे… परंतु कोई सुधार न होता देख… अंत में वह दामिनी को आवाज लगा बैठे…” बेटा दामिनी… दामिनी…!”

 दामिनी तुरंत ही भागी आई…” क्या हुआ… पापा जी…!”

 वह अपनी हालत बताते… उससे पहले वह थोड़ा बेहोश से हो गए… बात उनके मुंह से नहीं निकल पा रहा था… दामिनी ने जल्दी से आकाश को उठाया… रात के 11:00 बज रहे थे…

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 दोनों पापा को लेकर अस्पताल गए… उन्हें तुरंत ही इमरजेंसी में भर्ती लिया गया…

” मगर हुआ क्या है पापा को…!” आकाश जैसे चिल्ला उठा…

 इमरजेंसी में डॉक्टर ने चेकअप करके कहा…” हम अभी कुछ नहीं कह सकते… पर कुछ गलत खाने का असर भी हो सकता है… क्या खाया था रात को…!”

” सिर्फ सूप…!” आकाश दामिनी की तरफ देखते हुए बोला…

 दामिनी तो जैसे पत्थर हो गई…” यह मैंने क्या कर दिया…!”

” क्या हुआ… तुम्हें क्या हुआ…!”दामिनी फूट-फूट कर रोने लगी…” एक तरफ पापा की ऐसी हालत… ऊपर से तुम क्यों शुरू हो गई… बताओगी… क्या हुआ.…!”

” मुझे माफ कर दो आकाश… पापा की ऐसी हालत मेरी वजह से है… मैंने सूप में मशरूम भी डाल दिया था…!”

” क्या… ऐसा क्यों किया तुमने… दामिनी… तुम तो अच्छे से जानती हो ना…!”

 आकाश भाग कर डॉक्टर के पास गया… और उन्हें बता कर दवाइयों का बंदोबस्त कर… थोड़ी देर में वापस आया… दामिनी अभी भी रो रही थी… आकाश गुस्से में था… उसने उसे चुप कराने की कोशिश भी नहीं की…

 करीब 1 घंटे बाद मोहन जी की स्थिति स्थिर हो गई… समय पर सही दवा मिल जाने के कारण वे ठीक हो गए…

 असल में उन्हें मशरूम से बचपन से ही एलर्जी थी… यह बात दामिनी को पता थी… कई चीज ऐसी थी जो मोहन जी को प्रभावित करती थी… वह थोड़ा सेहत के मामले में कच्चे थे…

 उनके ठीक होने की खबर से आकाश का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ…” आप उन्हें चाहें तो घर ले जा सकते हैं… या फिर सुबह ले जाएं…!” बोलकर नर्स चली गई…

 दामिनी का सुबकना जारी था… अब आकाश ने उसकी और ध्यान दिया…” बताओ ऐसा क्यों किया तुमने…!”

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” मुझे माफ कर दो प्लीज आकाश.…!” दामिनी फिर फूट पड़ी… “शाम को पापा जी ने मुझे डांटा था… मैं इतना उनकी सेहत के लिए दिन-रात लगी रहती हूं… पर फिर भी वह मुझे ही सलाह दे रहे थे… कि कैसे खाना बनाऊं… उन्हें क्या दूं… कैसे दूं… कितना तो केयर करती हूं… कितनी चीज नहीं डालनी है… क्या-क्या परहेज करना है… पर फिर भी उनका सुनाना मुझे बहुत चुभ गया…

 इसलिए मैंने जानबूझकर मशरूम डाल दिया… कि बस नौटंकी करते हैं… भला यह खाने से क्या होगा… उसी की सब्जी बनानी थी… तो दो-चार टुकड़े सूप में भी मैंने डाल दिए…

 आज देख ही लेती हूं… क्या होता है… मगर मैं नहीं जानती थी… इसका असर इतना भयानक होगा…!” आकाश ने दामिनी के कंधे पर हाथ रखा… फिर थोड़ा समझाते हुए बोला…” देखो दामिनी… अब रोना बंद कर दो… तुम्हारे पश्चाताप के आंसुओं से तुम्हारे सारे अपराध धुल गए हैं… हम सभी जानते हैं… तुम पापा की कितनी चिंता करती हो… उनकी सेहत के साथ खिलवाड़… तुम जानबूझकर नहीं कर सकती… बस ऐसा प्रयोग दोबारा नहीं करना…!”

 दामिनी ने नाक सुड़कते हुए… अपनी आती हुई रुलाई में थोड़ा प्यार भर कर… पति की ओर देखते हुए कहा…” कभी नहीं… मैं पापा जी से भी… घर जाते ही माफी मांगूंगी… इतना प्यारा परिवार और पति… सब कुछ उन्हीं का दिया है… मैं उनका बुरा अपने हाथों से… अब कभी नहीं होने दूंगी…कभी भी नहीं……!”

रश्मि झा मिश्रा 

पछतावे के आंसू…

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