कभी कह कर तो देखो… रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi

“ अरे बहू अब तक चाय नहीं बनी है क्या… कब से हम लोग सैर कर के आ गए… आज चाय में देरी क्यों कर रही हो?” राजबाला जी ने बाहर बरामदे से ही राशि से कहा

“ ला रही हूँ मम्मी जी…सब को सब हाथ में ही वक्त पर चाहिए ये नहीं कि थोड़ा खुद भी हाथ पैर चला ले…बहू होना भी गुनाह हो गया है… हमें तो भगवान ने अमृत पिला कर भेजा है जिसे कभी कुछ हो ही नहीं सकता …देख लो मेरे बीमार होने से किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता है… आप लोगों को क्या है बस वक्त पर सब कुछ मिलता रहे और चाहिए भी क्या आप लोगों को…।“ राशि मन ही मन कुढ़ते हुए कहे जा रही थी और रसोई में लगी पड़ी थी 

“ बीबी जी लाओ मैं कर देती हूँ….ऐसे आपकी तबियत और ख़राब हो जाएगी…।” जैसे ही माला ने कहा राशि उसे भी घुड़की देने लगी

“ अब तू मेरी मदद करेगी… अपना काम वक्त पर ख़त्म कर ले वही बहुत है ..अच्छा चल ये चाय बाहर बरामदे में देकर आ जा ।” कह राशि सबका नाश्ता बना कर अपने कमरे में जाकर चादर तान सो गई 

माँ को सोया देख दीया को एहसास हुआ कि शायद माँ कीं तबियत ठीक नहीं है पर माँ तो माँ है बोलेंगी कुछ नहीं बस काम करती जाएगी और चिड़चिड़ाती रहेगी वो रसोई में से माँ के लिए नाश्ता ले कर आई  साथ ही अपने पापा को भी बता दी

“ लो माँ नाश्ता कर लो और दवाई ले लो।” दीया प्यार से कहते हुए उसे नाश्ता करने के लिए उठाई

“ अब देखो इसको बड़ा प्यार आ रहा माँ पर … तब से सब मिल कर कहे जा रहे नाश्ता नहीं बनाया अब तक लगता है टिफ़िन भी नहीं मिलेगा …. सब तैयार कर तो दिया…. जाओ अपना नाश्ता करो और टिफ़िन लेकर स्कूल जाओ… मैं ठीक हो जाऊँगी ।” राशि ने कहा और चादर में मुँह ढक फिर सो गई 

“मम्मा आज हम स्कूल नहीं जाते हैं ना…..देखो मेरा भी मन नहीं कर रहा… सुबह से दो बार वॉशरूम जा कर आ गया… स्कूल में कैसे मैनेज होगा…?” तभी दिव्य ने आ कर कहा

राशि सुनते उसका पेट चेक की और बोली,“ सब बहाने समझती हूँ…. जाओ तैयार हो जल्दी से…. नहीं तो बस निकल जाएगी ।” 

“ ये क्या मम्मी दिव्य सच में सुबह से परेशान हैं… आपकी चिड़चिड़ सुन वो मुझे बोला था पर मैं उसे चुप करवा दी….आप भी ना…।” दीया कह कमरे से चली गई 

तभी निकुंज कमरे में आए और राशि से बोले,“ तुम्हें लगता है जब तुम बीमार होती हो कोई ध्यान नहीं देता किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता है… पर ऐसा नहीं है….. कभी कभी तुम भी तो बच्चों को या मुझे कह देती हो … बहाने मत बनाओ…. जैसे तुमने अभी दिव्य से कहा… मुझे अभी-अभी दिव्य ने कहा तो उसे दवा देकर आराम करने बोल कर आया हूँ… दीया स्कूल चली गई है…उसकी बारहवीं की परीक्षा है उसे भी पता है उसके लिए पढ़ाई ज़्यादा महत्वपूर्ण है…. रही बात तुम्हारी बीमारी की राशि सबको परवाह है यार…. बस जब तुम चिड़चिड़ करती सब दूर भाग जाते…. तुम ख़ुद से कहोगी नहीं तो पता कैसे चलेगा तबियत नासाज़ है तुम्हारी….अब ये चाय नाश्ता लो…. दवा खा कर आराम करो…. मैं घर से ही काम कर लूँगा…. तुम चिन्ता मत करो।” निकुंज प्यार से राशि को उठाकर चाय पकड़ाते हुए बोला

“ पता नहीं क्यों मैं मेरी तबियत ख़राब होने पर बचपन से ही कभी किसी से कुछ कह नहीं पाई… बस लगता सामने वाला समझ जाए और मैं ऐसे रिएक्ट कर देती…. बच्चों को भी सुना देती हूँ… मुझे माफ कर दो निकुंज सच में कभी-कभी जब शरीर साथ ना दे तो सामने वाले से कह देना चाहिए नहीं तो घर का माहौल ख़राब होता है सो अलग और बच्चे भी फिर कुछ कहते डरने लगते हैं ।” राशि ने उदास हो कर कहा 

“ जी बिलकुल मैडम… हम भगवान थोड़ी ना है जो आपकी बीमारी समझ पाए…और फिर इस सर्दी में ये खाँसी बुख़ार आम है अपना थोड़ा ध्यान खुद भी रखना होता है…पानी में बीसियों बार हाथ धोती हो… स्वेटर पहनना पसंद नहीं… तो बताओ क्या होगा…अभी तुम आराम करो … मैं माँ को बोल दूँगा तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है ।”निकुंज उसे शॉल ओढ़ाते हुए बोला 

कुछ ही देर में राजबाला जी राशि के पास आई और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली,” बहू बुख़ार में तप रही हो … कह देती मुझे….माना रसोई की ज़िम्मेदारी तुमने उठा रखी है .. इसका मतलब ये तो नहीं.. मैं कुछ कर ही नहीं सकती..निकुंज बता रहा था अभी दवाई दिया है… तुम सो जाओ घर के काम होते रहेंगे पहले तुम्हारी तबियत ठीक होनी ज़रूरी है ।”

सास के इतने प्यार से कहे शब्दों से राशि को समझ आ रहा था कि बीमार होने पर फ़िक्र तो सब करते हैं पर जब तक जानेंगे ही नहीं तो कैसे उसकी परवाह करेंगे ।

दोस्तों बहुत सारी औरतें खुद बीमार होने पर भी खुद ही सारा काम करने में लगी रहती है …बोलती कुछ नहीं है …..बस पूरे परिवार पर चिड़चिड़ करती रहती है…. अगर परिवार आपके लिए महत्वपूर्ण है तो आप भी उनके लिए महत्वपूर्ण हैं…. बच्चों की बीमारी माँ भाँप भी लेती है पर बच्चे जल्दी नहीं समझ पाते…एक बार उनसे कह कर तो देखिए …. जितनी समझ होगी वो आपके लिए आपके पास खड़े रहेंगे ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

“मेरे बीमार होने से किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता है…

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