“जज सब अपराधों की सजा एक साथ दे देता है “- बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

लगभग डेढ़ वर्ष से हम बेटे -बहू के साथ जयपुर रह रहे हैं। पारिवारिक  परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी हुई हैं कि हम लोग वापस अपने घर पटियाला जा ही नहीं पाए। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अति वृष्टि के कारण एकाएक पटियाला शहर के एक प्रमुख इलाके में बाढ़ आ गई

और हमारे घर में भी पानी भर गया। सुनकर मन विकल हो गया । बहुत ही विकट परिस्थिति ! दिन भर जगह-जगह फोन कर के हालात की जानकारी लेते रहते,टी वी पर लाइव प्रसारण देखते रहते, पर मन को किसी भी प्रकार चैन नहीं पड़ता था। दो दिन बाद पानी उतरने पर बेटी ने जैसे तैसे सब सम्भालने का प्रयास किया पर हमारी बेचैनी निरन्तर  बढ़ती चली गई। 

बच्चे बार -बार सांत्वना देने का प्रयास करते ” सामान का ही नुकसान हुआ है? आप डेढ़ वर्ष से यहां हैं ।उस सामान के बिना भी गुजारा हो ही रहा है। फिर हम सब लोग हैं न? आप क्यों चिन्ता करते हैं?” या ” फिर यह सब तो Materialistic (भौतिकवादी ) वस्तुएं हैं ।इन सब से क्या लगाव ?  फिर आप कुशल से हैं,हमारे लिए यही सबसे बड़ी बात  है ।” कह कर हमें समझाने का प्रयत्न करते ।

 मैं चुप चाप उनकी बातें सुनती रहती और मन ही मन सोचती ” आज मेरे अपने जाये (बच्चे), जिन्हें हमने उंगली पकड़कर चलना सिखाया, उन्मुक्त आकाश में उड़ने की प्रेरणा दी , आज  इतने बड़े हो गए हैं कि मुझे ही शिक्षा दे रहे हैं। वह नहीं जानते कि यह मैटीरियलिस्टिक वस्तुओं से लगाव नहीं है।

एक प्रकार का भावात्मक लगाव (Emotional attachment) है । विवाह का जोड़ा , बच्चों की पहली पोशाक, मां द्वारा दी गई साड़ियां, शादी की वर्षगांठ पर पति द्वारा दिए गए उपहार, विवाह के बाद बेटियों द्वारा लिखे गए पत्र , बच्चों की उपलब्धियों को कैमरे में कैद अनेकों फोटोग्राफ ऐसी अनगिनत वस्तुएं हैं, जिन्हें हम महिलाएं ताउम्र  सहेज कर रखती हैं। क्या यह सब  मैटीरियलिस्टिक वस्तुओं से लगाव हैं ? शायद यह सब समझने की इनकी उम्र ही नहीं है। “

इस लिए मैं उनकी बातें सुनती जरूर पर मेरे विचारों की सुई तो वहीं अटकी पड़ी थी।हार कर बेटा हमें अपने साथ लेकर पटियाला गया और दो तीन घुमाकर वापस ले आया। बीस साल से जिस घर को सजा -संवार , सहेज कर रखा हुआ था , अपना वह उजड़ा हुआ आशियाना देख कर हम वापस आ गए । अब मन में न कोई दुख था,न मलाल ।

  पर यह क्या ! तीसरे दिन ही खबर आ गई । घर में चोरी हो गई है । चोरी में क्या गया ? मां द्वारा दिए गए कुछ पीतल के बर्तन !मन को  एकबार फिर झटका लगा । दिल का चैन एक बार फिर उड़ गया। कुदरत हमारे साथ  यह क्या खेल खेल रही है  ?  ईश्वर अभी हमारी कितनी परीक्षा लेना चाहता है ?

मन दिन रात इन्हीं विचारों में गुम रहता। दिन तो किसी प्रकार बीत जाता पर रात ! रात की नींद तो उड़ ही गई।सारी रात करवटें बदलते हुए आंखों ही आंखों में गुजार देती।बार -बार यह प्रश्न सालता ” आखिर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है ?

एक रात मन अतीत में विचरण करने लगा। इसी प्रकार  तीस साल पहले भी पटियाला बाढ़ ग्रस्त हुआ था। गीले फर्श पर फिसल जाने के कारण मेरी टांग में फ्रेक्चर हो गया था । कहते हैं विपत्ति कभी अकेले नहीं आती है । उन्हीं दिनों मेरे जेठ के नौजवान बेटे की मृत्यु हो गई। कुछ ही महीनों के अंतराल से मेरे जेठ जी भी इहलोक लीला समाप्त कर गोलोक सिधार गए। एक के बाद एक दुर्घटनाओं से सारा परिवार सकते में आ गया। 

   उन दिनों अपने ताऊ जी से बात करने पर उन्होंने बड़ी ही सधी हुई भाषा में उत्तर दिया “जिस तरह एक जज बहुत से अपराधों की अलग -अलग सजा न दे कर एक साथ सारी सजाएं सुना देता है।उसी तरह ईश्वर भी कभी- कभी बार -बार कष्ट देने की बजाय एक बार में ही सारे कष्टों का भुगतान कर देता है। जिससे जीवन का शेष भाग हम लोग आनंद पूर्वक व्यतीत कर सकें ।”

आज  उनका यह कथन याद कर के सुखद भविष्य की कामना से  मन को कुछ संतोष हुआ।

#आखिर-मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है ?

बिमला महाजन 

C/O Rohit Gupta IAS 

Third floor ,officer enclave Gandhi Nagar ,Jaipur 

Phone number 7597615161

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