लो नेहा दीदी… मैंने चाय बना दी है, अब आप जाकर इसे मामा जी को दे दीजिए !क्यों… तेरे पैरों में क्या मेहंदी लग रही है जो मैं मामा जी को चाय लेकर आऊं… यह काम तू भी तो कर सकती है! अरे दीदी… मेरे पास और भी तो बहुत सारे काम है करने को, आप दे आओगे तो क्या घिस जाओगी?
तभी बाहर से मम्मी चिल्लाई… अरे.. यह दोनों बहने रसोई में क्या कर रही हो.? इतनी देर से एक कप चाय का नहीं बना तुमसे, मामा जी कितनी देर से बैठे हुए हैं.. चलो जल्दी करो.. दोनों चाय लेकर आओ! ऐसा सुनकर छोटी रितु गुस्से से दनदनाती हुई कमरे में चली गई, तभी मामा जी बोले, रहने दे बहन… मैं खुद ही जाकर रसोई में से चाय ले आता हूं ,अरे तू बैठना..
मैं लाती हूं जाकर, पता नहीं लड़कियों को क्या हो गया है, कोई आ जाता है तो एक कप चाय देना भी भारी हो जाता है इनसे! तू रुक भाई …मैं ही लेकर आती हूं, चाय पीने के बाद मामा जी चले गए, और मम्मी फिर गुस्से में उन दोनों बहनों के पास आई और उनसे अपने मामा की खातिरदारी न करने के कारण चिल्लाने लगी और बाहर चली गई!
तब नेहा को ऋतु के ऊपर कुछ शक होने लगा और उसने पूछा ….रितु तुम वैसे तो इतना सारा काम भाग भाग के करती हो, किंतु जब भी मामा जी आते हैं.. मैंने देखा है ना तो तू उनके पास जाती है, ना ही उनकी कोई खातिरदारी करती है, ना ही उनसे ठीक ढंग से बात करती है, कभी पड़ोस में रहने वाले मामा के घर जाति तक नहीं है , जबकि मामा जी तुझे कितना प्यार करते हैं! दीदी… मुझे इस बारे में आपसे कोई बात नहीं करनी, क्यों नहीं करनी बात.. बता तो सही, आखिर बात क्या है?
नेहा की बात सुनकर रितु बोली… दीदी.. कई बार मामा जी जब आप लोग कोई घर पर नहीं होता और मैं अकेली होती हूं तब अक्सर आते हैं और मेरे साथ गंदी गंदी बातें करते हैं यहां तक कि गलत तरीके से मेरे ऊपर हाथ भी फेरते हैं, मुझे उनसे बहुत घिन आती है, और जब मैं मना करती हूं तो मुझे धमकाते हैं, मैंने एक दो बार मम्मी से भी यह बात कहने की कोशिश की किंतु मम्मी ने बात हंसी में उड़ा दी, और कहा….
अरे बेटा.. वह तो मजाक करते हैं, रितु की बात सुनकर नेहा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई! क्या रितु… तेरे संग भी इतना सब कुछ हो रहा था और तूने यह सब बताया भी नहीं, अरे पागल.. कोई वारदात होने का इंतजार कर रही है क्या? यह रवि मामा जी मेरे साथ भी ऐसा ही करते थे इसीलिए मैं उनके सामने नहीं जाती और जब एक बार मुझे इनकी हरकतें बर्दाश्त नहीं हुई तब मैंने उनको थप्पड़ मार दिया,
उसके बाद यह मुझसे दूर रहते हैं, किंतु इन्होंने अब तुझे अपना निशाना बना लिया! कहने को तो यह मम्मी के सगे चाचा के बेटे हैं और हमारे लिए हमारे मामा! मम्मी कितना चाहती है इनको और कितना विश्वास है इन पर, किंतु अब नहीं रितु… “जो मेरे साथ हुआ वह मैं तुम्हारे साथ नहीं होगा”,.. मैंने कितने दिनों तक मामा की अश्लील हरकतें बर्दाश्त की थी,
जब इनकी हरकतें हद से आगे बढ़ने लगी तब मैंने उनको गुस्से में थप्पड़ मार दिया और यह भी कह दिया कि मैं मामी और तुम्हारी बेटी से इसकी शिकायत कर दूंगी तब उन्होंने मुझसे माफी मांगते हुए कहा था कि… आज के बाद में ऐसी कोई हरकत नहीं करूंगा और तुम घर पर यह बात मत कहना और मैं भी उस समय बदनामी के डर से चुप हो गई, क्योंकि कितना भी हो यह समाज आज भी लड़कियों को ही गलत साबित कर देता!
किंतु मेरी बहन… अब तुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है, जितना तू डरेगी ऐसे लोग तेरा गलत फायदा उठाएंगे! अब हम मम्मी पापा से खुलकर इसके बारे में बात करेंगे और मामा जी को भी सबक सिखा कर मानेंगे! जो मेरे साथ हुआ वह तुम्हारे साथ कभी नहीं होगा…. यह सुनकर रितु रोते हुए अपनी बहन नेहा के गले लग गई! हां दीदी… अब डरने की जरूरत हमें नहीं, मामा जैसे जानवरों को है और इसका अंजाम उन्हें भुगतना ही होगा!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
जो मेरे साथ हुआ वह तेरे साथ नहीं होगा