जो जीता वही सिकंदर – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

भवानी प्रसाद जी ने अपने दोस्त से बहुत मिन्नत समाजत की , तब जाकर उसने बहुत जुगाड़ से किंशुक की नौकरी का इंतज़ाम किया ।

भवानी प्रसाद जी ने किंशुक को कहा कि तुम्हें कल एक ऑफ़िस में साक्षात्कार के लिए जाना है । बस तुम्हें वहाँ जाकर उनसें मिलना है और नौकरी मिल जाएगी ।

लेकिन पापा मैं ऐसे ही कोई भी काम नही कर सकता ।

अच्छा तो क्या करोगे ??

मैं अपने मियार के हिसाब से नौकरी ढूँढूँगा । अगर नही मिली तो एक क्रिकेटर बन जाऊँगा !

बेटा हर काम इतना आसान नही होता । नीचे से शुरूवत होती है , तब जाकर कहीं ऊँचा मक़ाम मिलता है । याद से कल चले जाना कह वो अंदर चले गए …….किंशुक की माँ ने उसे बहुत समझाया तब जाकर वो मान गया 

अगले दिन किंशुक को ऑफ़िस जाना था । सारे शहर में वर्ल्ड कप का शोर मचा था । इंडिया अगर फ़ाइनल मैच जीत गयी तो भगवान मैं रोज मन्दिर जाऊँगा । तो कोई कह रहा था कि मैं नॉनवेज खाना बंद करदूँगा । आज इंडिया का ऑस्ट्रेलिया से फ़ाइनल मैच है ।

सारे देश में जहां जीत की कामना की जा रही थी । वही टीम इंडिया पर भी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी थी । सब लोग अपना काम ख़त्म कर टी. वी .के सामने बैठ गए । किंशुक भी मैच देख रहा था । तभी उसके पापा का फ़ोन आया तुम्हारा लाड़ला अभी निकला या मैच देख रहा है ।

किंशुक अपने पापा के फ़ोन के बाद तैयार हुआ और दही-शक्कर खा के निकल गया । रास्ते से गुजरते हुए सब जगह शोर मचा हुआ था । इंडिया की बैटिंग चल रही थी , तभी कोहली ने चौका मारा तो ख़ुशी की लहर दौड़ उठी ।

उसे आज ऑफिस जाना है , यें सब भूल वो भी मैच देखने बैठ गया । जब उसे याद आया तो भागा-भागा ऑफ़िस पहुँचा । लेकिन उसके पहुँचने से पहले ही इंटर्व्यू की प्रक्रिया ख़त्म हो चुकी थी । यें सब जान वो सोचने लगा कि , अब पापा को क्या जवाब देगा ??

भवानी प्रसाद सब जान चुके थे और किंशुक के इंतज़ार में वो आँगन में ही टहल रहें थे । उसके पहुँचते ही उन्होंने उसे कुछ नहीं कहा , क्योंकि वो जानते थे कि अब कहने का कोई फायदा नहीं है । बस भवानी प्रसाद ने उससे इतना ही कहा , कि आज तुमने अपनी लापरवाही के कारण सारा बना बनाया काम बिगाड़ दिया है ।

मैंने कितनी सिफ़ारिश की थी , तब जाकर तुम्हें नौकरी मिल रही थी । लेकिन किसी ने सच ही कहा है – “बिन मेहनत के जो मिलता है , उसकी क़दर नही होती “ । ये सुन किंशुक आँखें झुकाए खड़ा रहा क्योंकि वो जानता था , कि इस बार गलती उसकी ही थी । उसने अपने पापा से माफी माँगी और कहा कि आगे से ऐसा कभी नहीं होगा ।

आज किंशुक को जीवन के एक कठोर सत्य का पता चला कि, कोई किसी के लिए नहीं रुकता । जिस मैच की वजह से उसने अपने कैरियर को नज़र अन्दाज़ किया , आज वो टीम इंडिया भी हार गई और मैं भी ।

#गुड गोबर करना

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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