जो दिखता है वो सच नहीं – राशि रस्तोगी

“हैप्पी एनिवर्सरी माई लव..” इस कैप्शन के साथ एक खूबसूरत सी तस्वीर मेरी सहेली की उसके पति के साथ, सुबह फेसबुक खोला तो दिखी| हालांकि ये तस्वीर मेरी सहेली ने नहीं पोस्ट की थी बल्कि उसके पति ने स्वयं की थी|

तस्वीर देखते ही सहज़ मुँह से निकल गया, “कितनी खुशनसीब है ये, जो इसके हस्बैंड हमेशा ऐसी तस्वीरें खुद से ही लगाते है.. कितना प्यार है दोनों में..” चूकि ये कोई पहला अवसर नहीं था, अधिकांशतः मेरी सहेली पूजा के पति पवन जी अपनी फेसबुक पर ऐसे अपडेट पोस्ट किया करते थे|

शायद ही कोई ऐसा वीकेंड हो, जब ये लोग घूमने ना जाते हो.. कभी किसी नये रेस्टोरेंट में नयी डिश एक्सपलोर करते हुए तस्वीरें, कभी दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए| उन्हें देखकर अच्छा तो बहुत लगता था बस कभी कभी मन में हल्की सी चुभन होती थी मेरे, कि हम इनके तरह क्यूँ नहीं है| पर कहते है ना यदि आप अपनी जिंदगी में ज्यादा व्यस्त हो तो दूसरों के बारे में सोचने का ज्यादा वक़्त नहीं मिलता है, वैसे ही कुछ मिनट बाद, ये सब बातें भूल मै अपने कामों में लग जाती थी|

कुछ महीनों बाद..एक दिन मै अपने बेटे के साथ पार्क में घूम रही थी कि अचानक मेरी निगाहेँ दूर बैठी एक महिला पर जा टिकी.. दुखी, परेशान सी वो महिला, अपनी आँखों से बहते हुए आंसू छिपा रही थी और कोशिश कर रही थी कोई उसे नोटिस नहीं करें.. थोड़ा करीब से देखा तो आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि ये तो मेरी सहेली पूजा ही है|

मै उसके निकट गयी और पूछा, “क्या हुआ पूजा? तुम यहाँ पार्क में अकेले? कोई परेशानी है क्या.. मुझे बताओं..”

“नहीं, बस ऐसे ही!” इतना बोल पूजा मुस्कुराने की नाकामयाब सी कोशिश कर रही थी|

“देखों, तुम परेशान तो हो.. ये तो तय है.. बताना नहीं चाहती कोई बात नहीं लेकिन बताने से मन का बोझ हल्का हो जायेगा..” मैंने कहा|



पूजा सुबकते हुए बोली, “यार, मेरे हस्बैंड पिछले कुछ महीनों से अजीब सा व्यवहार कर रहे है.. रात कों देर से आते है.. मोबाइल अपने हाथ में रखते है फिर चाहे बाथरूम में ही क्यूँ ना हो! रात में किसी से मैसेज में बात करते है.. फ़ोन लॉक रहता है तो पता ही नहीं चलता था कि क्या चल रहा है.. पर आज, मैंने उन्हें किसी से बात करते सुना कि शाम कों मिलेंगे और यूँ सुबह सुबह मुझे घर पर कॉल नहीं किया करो! उन्हें लगा मै सो रही हूँ, पर असलियत में मै जगी थी.. कुछ समझ नहीं आ रहा कि मै क्या करुँ? अब ये तो पक्का है ये मेरा वहम नहीं है.. पर क्यूँ, कब कैसे क्या हो रहा है, ये सब प्रश्न मुझे चैन से जीने नहीं दे रहे है.. कैसे सामना करुँ, इस समस्या का कुछ सूझ नहीं रहा..”

पूजा की बात सुनकर मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया.. जिस इंसान कों मै इतना खुशमिजाज, पत्नी से प्यार करने वाला समझ रही थी वो तो सिर्फ एक धोखेबाज  निकला.. खैर मैंने कहा, “सीधा सीधा पूछ लों यार, क्यूँ ऐसे घुट घुट कर जीना..जो भी है असलियत तो सामने आनी ही चाहिए, ऐसे कोई किसी कों धोखा नहीं दे सकता है!”

पूजा बोली, “हां, सही कहा तुमने.. सच का सामना तो करना ही होगा..परसो मेरे सास, ससुर आ रहे है यहाँ हमारे पास.. तब उनके सामने ही अब इस बात कों पूछूँगी, मुझसे ये सब अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका है..”

अपने हिसाब से पूजा की समस्या का समाधान बता कर मै तो अपने घर वापस आ गयी लेकिन मन ही मन सोच रही थी कि, “सच है आजकल लोगों ने खुशियों के मुखौटे लगाये हुए है, दुनिया को धोखा देते है और साथ ही साथ अपने जीवनसाथी को भी,अंदर की असलियत जानों तो समझ आता है कि कितना कुछ चल रहा है! ऐसे दिखावों से तो अपनी सीधी साधी जिंदगी ही बेहतर है कम से कम कुछ दिखावा तो नहीं है इसमें..”

-समाप्त —

@स्वरचित

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धन्यवाद  

राशि रस्तोगी 

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