“जिस घर में बुजुर्ग हंसते हुए दिखाई दे उस घर में भगवान का वास होता है” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे दीदी.. आप इस समय ..अचानक से.. सब ठीक तो है ना.. दोपहर 3:00 बजे अचानक से बहन सुभद्रा को देखकर भैया सिद्धांत और भाभी कमला दोनों आश्चर्यचकित रह गए! हां हां भई… सब ठीक है अपने निखिल का ट्रांसफर इसी शहर में हो गया है आज सुबह ही मैं निखिल और कीर्ति और दोनों बच्चों के साथ यहां आई हूं,

मैंने तो कह दिया जब मकान शिफ्ट हो जाए तब मुझे बुला लेना मैं एक-दो दिन के लिए भैया भाभी के यहां चली जाती हूं! लेकिन दीदी.. वह अकेले बच्चों को संभालेंगे या मकान को शिफ्ट करेंगे अगर आप उनके साथ रहती तो उनकी भी मदद हो जाती! अरे.. नहीं नहीं सब कर लेंगे वह अपने हिसाब से, सब आता है उन्हें,

मैं क्या यहां भी काम करने आई हूं और भाभी आप यह क्या पालक मूली बथुआ को लेकर बैठ गई हो और भैया तुम भी ना दोनों बच्चों को खिलाने और पढ़ाने में लगे हुए हो, मतलब तुम्हारी बहु रानी  आराम कर रही है, यह अच्छा है.. बहु ने  यहां बेचारे भैया भाभी को काम पर लगा दिया, आप दोनों बेचारे घर का काम भी करें

बच्चों को भी संभाले, क्या तुम्हारे बेटा बहू से इतना भी नहीं होता, मैं तो बहू को अपनी मुट्ठी में रखती हूं! अरे नहीं जीजी.. ऐसी कोई बात नहीं है, क्या यह घर और बच्चे हमारे नहीं है, अच्छा आप बैठो मैं चाय बना कर लाती हूं!  हल्के-हल्की सर्दियां भी शुरू हो गई है तो हमने ही कहा था कि बच्चों को थोड़ी देर धूप में ले आते हैं बाहर और बैठे-बैठे सब्जियां भी साफ हो जाएगी,

दिनभर अंदर पड़े पड़े टीवी देखते रहते हैं! हां भाभी कितना भी अपने घर की बातें छुपा लो पता तो चल ही जाता है मुझे तो लगता है आपकी बहू एक नंबर की आलसी और निकम्मी है! नहीं जीजी …आप ऐसे कैसे कह रही हो? मेरी बहू मेरी बेटी की तरह है वह हमसे इस तरह व्यवहार करती है जैसे कोई बेटी अपने मां-बाप से करती है!

थोड़ी देर में ही बहू रजनी बाहर आई और जैसे ही उसने बुआ जी को देखा उनके चरण स्पर्श करते हुए बोली…. अरे बुआ जी.. आपने तो हमें सरप्राइज दे दिया सब खैरियत तो है? भैया भाभी कैसे हैं? उन्हें भी साथ ले आते! हां हां सब ठीक है बेटे का ट्रांसफर इसी शहर में हो गया मैंने सोचा तुम सबको यह बात फोन पर नहीं बताऊंगी

बल्कि जाकर तुम्हें वह क्या कहते हैं सरप्राइस दूंगी और इसीलिए मैं यहां आ गई, अभी वह दोनों मकान को जमा रहे हैं जब मकान जम जाएगा तब वह मुझे फोन कर देंगे! ठीक है बुआ जी तब तक आप यहां पर आराम से रहिए आपको कोई दिक्कत नहीं होगी, मम्मी मैं चाय पकौड़े बनाकर लाती हूं आप तीनों तब तक बातें  कीजिए और बहू अंदर चली गई!

चाय नाश्ते के बाद में कमला जी अपनी बहू की खाने की तैयारी में मदद करवाने के लिए रसोई में चली गई, दोनों सास बहू ने मिलकर काफी सारी चीज बना ली थी और सुभद्रा जी को खाने के लिए बुलाया, इतनी सारी चीज देखकर बुआ जी गदगद हो गई और बोली… अरे भाभी इतना सब करने की क्या जरूरत थी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं!

हां दीदी पर रजनी ने यह सब बना लिया यह हमारे साथ-साथ सभी का बहुत अच्छे से आदर सम्मान करती है! रात को सोते समय सुभद्रा जी ने कमला से कहा… भाभी तुम कुछ जरूरत से ज्यादा ही अपनी  बहू की प्रशंसा नहीं कर रही? अरे ऐसी कोई बहू नहीं होती जितना तुम बढ़ा चढ़ा कर बता रही हो! नहीं  दीदी.. रजनी सच में बहुत अच्छी है

और ऐसा कहकर वह सब सो गए! अगले दिन बुआ जी ने रजनी से कहा.. रजनी बेटा तेरे सास ससुर  घर के कामों में तुम्हें सहयोग करते हैं या नहीं? अरे बुआ जी… आप कैसी बातें कर रही हैं मम्मी पापा तो मेरा अपनी बेटी से बढ़कर ध्यान रखते हैं, देखो ना चिंकी और मिंकु दोनों मम्मी पापा जी के पास ही तो रहते हैं पापा जी सारा बाहर का काम करते हैं

और मम्मी भी मेरी कितनी मदद करती है! रजनी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर बुआ जी आश्चर्यचकित रह गई, न सास की बुराई बहू करें ना बहू की बुराई सास  ऐसा कैसा संभव है? खैर बुआ जी को वहां रहते दो-तीन दिन हो गए और बेटा बहू का कोई भी फोन नहीं आया, बुआ जी समझ गई कि उनके बेटे बहु चाहते ही नहीं है

की बुआ जी वहां वापस आए! भाभी  भी बुआ जी का दर्द समझ गई तब उन्होंने कहा.. देखिए दीदी आजकल जमाना ऐसा नहीं रहा की सास अपनी हुकूमत चलाएं और बहू चुपचाप सुन ले आजकल तो सास और बहू अगर मां बेटी की तरह रहेंगे तो ही परिवार में खुशियां रहेगी आप हम दोनों को देखिए मैं और तुम्हारे भैया कितने खुश रहते हैं

बेटा बहू भी हमारा एक-एक चीज का अच्छे से ध्यान रखते हैं और हम भी बेटे बहू की हर फरमाइश पूरी करने की कोशिश करते हैं हमसे जितना बन पड़ता है हम उतना  घर बाहर के काम में सहयोग देते हैं किसी के सामने अपनी बहू की बुराई नहीं करते कभी कोई बात हो भी जाती है तो आपस में बैठकर ही मामला सुलझा लेते हैं!

हां भाभी तुम बिल्कुल सही कह रही हो जिस घर में बुजुर्ग हंसते हुए दिखाई दे उस घर में भगवान का वास होता है यह आपको देखकर समझ आ गया भाभी आपने मेरी आंखें खोल दी अब से मैं भी अपने बच्चों के साथ बिल्कुल ऐसा ही व्यवहार करूंगी,

अच्छा भाभी अब मुझे अपने  घर जाना चाहिए बेचारे बेटे बहु परेशान हो रहे होंगे! हां जी जी आप सही कह रही हैं अगली बार आप सपरिवार यहां आना आना!  और ऐसा सुनकर सुभद्रा देवी खुशी खुशी अपने घर चली गई!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

“जिस घर में बुजुर्ग हंसते हुए दिखाई दे उस घर में भगवान का वास होता है”

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