हां तो गायत्री बहन क्या सोचा फिर आपने.. चलने के बारे में! देखिए.. ज्यादा दिन की बात नहीं है सिर्फ दो दिन का टूर है हम रात को यहां ट्रेन से जाएंगे सुबह पहुंच जाएंगे अगले दिन रात की ट्रेन से चलेंगे उसके अगले दिन यहां वापस आ जाएंगे, इतना अच्छा मौका मिल रहा है अभी मौसम भी सही है तो 2 दिन के लिए हरिद्वार हो आते हैं,
हम सब हर महीने के महीने जाती हैं तो सोचा इस बार आपसे भी कहें! हां हां …क्यों नहीं.. मैं इनसे बात कर लेती हूं तो यह भी चल चलेंगे वरना मेरे बिना घर पर अकेले बोर हो जाते हैं इनका मन भी नहीं लगता, सुशीला की बात सुनकर गायत्री जी ने कहा! देखिए गायत्री बहन ऐसा है की हरिद्वार हम सब केवल सहेलियां जा रही हैं
उनके साथ में किसी के भी पति नहीं जा रहे तो भाई साहब को आप कह दीजिए कभी अगली बार जब सबका टूर बनेगा तब देख लेंगे, अभी तो सब औरतें ही जा रही है! फिर तो मैं नहीं जा पाऊंगी आपको पता है हमारे उनके तो डायबिटीज है इन्हें तो रोज इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है, दो शादीशुदा बेटे हैं
दोनों बाहर रहते हैं, बेटी अपने ससुराल है, इनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर, मेरी जिम्मेदारी उनके ऊपर है, हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा है, मानती हूं जिम्मेदारियां तो कभी खत्म ही नहीं होगी किंतु मैं इनको ऐसे हालत में छोड़कर घूमने फिरने जाऊं यह भी तो सही नहीं है ना!
हां आप कह तो सही रही है गायत्री बहन… जिम्मेदारी तो कभी खत्म ही नहीं होगी तो क्या आप कभी जाएंगी ही नहीं! अरे जाऊंगी क्यों नहीं.. बिल्कुल जाऊंगी, पर हां जहां भी जाऊंगी इनके साथ ही जाऊंगी आज तक हर कदम पर हर मुश्किलों में इन्होंने मेरा साथ दिया है तो मैं इनको ऐसे अकेला छोड़कर कैसे जा सकती हूं और माना आपके साथ चली भी गई तो मेरा मन तो यहीं पर अटका रहेगा
इन को तो रसोई का कोई भी काम करना नहीं आता सुबह की चाय से लेकर रात के दूध तक सारी जिम्मेदारी मैं निभाती हूं, डायबिटीज के मरीज हैं तो इन्हें हर 2-4 घंटे में कुछ ना कुछ खाने को चाहिए होता है नहीं तो तबीयत खराब हो जाती है, मैं मानती हूं भगवान का ध्यान धर्म भी बहुत जरूरी है पर ऐसी हालत में इनको छोड़कर जाने का मेरा बिल्कुल मन नहीं करता
इसलिए आप मुझे माफ कीजिए और मैं मानती हूं जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होगी किंतु इन जिम्मेदारियां का भी अपना ही एक आनंद है इन जिम्मेदारियां के चलते ही तो लगता है हम दोनों एक दूसरे के कितने करीब हैं वरना पहले तो बच्चों की पढ़ाई लिखाई शादी विवाह के कारण कभी एक दूसरे को इतना समय साथ बिताने के लिए मिला भी नहीं तो अब जब समय मिल रहा है तो इसे क्यों गवाया जाए, सही कह रही हूं ना हां! गायत्री बहन आप बिल्कुल सही कह रही हैं पति-पत्नी का हर कदम पर साथ होना यही बहुत बड़ी बात है, चलिए आप अपनी जिम्मेदारी निभाइए हम अपनी और ऐसा कह कर सुशील जी चली गई!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होगी