उस दिन के बाद टूटे रिश्ते जुड़ने लगे और आज आभा विवाह के बाद विदा होते हुए जब मानसी से गले मिलकर फुटकर रोई तो मानसी का दुलार वाला हाथ उसे अपनी मां का सा हाथ प्रतीत हो रहा था ।
लगभग 12 वर्ष पहले मानसी इस घर में बहू बनकर आई थी। घर में बड़ी दीदी राधिका का विवाह हो चुका था और मंझली बहन रुचि के विवाह के लिए लड़का देख रहे थे। सबसे छोटी बहन आभा तो स्कूल में ही पढ़ रही थी। मानसी के आने के बाद विकास का मानसी के प्रति बढ़ता प्यार तीनों बहनों को पसंद नहीं था।
सबसे बड़ी विवाहित बहन राधिका बिना वजह ही मानसी से प्रतिद्वंदिता रखती थी। माता जी की तबीयत तो अस्थमा शुगर की वजह से जब तब खराब हो ही जाती थी। राधिका का विवाह विकास के विवाह से सवा साल पहले ही हुआ था और उसके पास छोटी बच्ची भी थी। उसके संयुक्त परिवार के ससुराल में जहां कि सबको बेटे की आस थी बेटी के होने के बाद राधिका को वह सम्मान नहीं देते थे।
विकास और मानसी की शादी के बाद जब इन दोनों ने तीसरे ही दिन घूमने जाने का प्लान बनाया तो तब से ही राधिका के मन में इन दोनों के प्रति गुस्से ने जगह ले ली थी। राधिका को तो उसकी सास ने कहीं घूमने नहीं जाने दिया। वह तो तीसरे दिन से ही सारे घर का काम संभालने लगी थी इसके विपरीत मानसी के लिए उसकी माताजी ने घर में झाड़ू पोछा और बर्तन के लिए कामवाली भी रख दी थी। राधिका को अपनी माता जी से भी गुस्सा था कि जब तक वह घर में रही तब तक तो उससे ही सारे घर का काम करवाती थी अब बहू को इतना लाड क्यों? मानसी बहू कोई घर में महारानी आई है कि वह कोई काम भी नहीं कर सकती।
यूं भी राधिका का उसके ससुराल में मन लगता भी नहीं था और बच्ची के बाद में किसी भी बहाने तीज त्यौहार में वह अपना अधिकतम समय मायके में ही काटने लगी थी। जवांई जी भी अक्सर मायके में ही आकर थोड़े-थोड़े समय के लिए रहने लगे थे।
राधिका के ससुराल में राधिका को लगता था उसके पति विकास भैया के जैसे जोरू के गुलाम क्यों नहीं थे ? रसोई के कामों में भी मां मानसी से ज्यादा काम नहीं करवाती थी ।रसोई के काम को भी अधिकतर रुचि को ही कहती थी कि पराए घर जाने से पहले घर का काम करना सीख ले। राधिका को हमेशा गुस्सा आता रहता था कि अपने घर में तो बहू आराम कर रही है और हम बहनों को काम करवाने के लिए लगा रखा है।
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अपने साथ वह अपनी दोनों बहनों के मन में भी मानसी के खिलाफ जहर भरती रहती थी। सासू मां और विकास जितना मानसी का प्यार और ख्याल रखते थे उतना ही दोनों छोटी बहन ने भी मानसी से चिढ़ने लगती थी।
जब तब सासू मां की तबीयत खराब होने पर राधिका का साथ पाकर, तीनों बहनें कोई भी ऐसा मौका नहीं छोड़ती थी जिसमें कि मानसी को तंग ना किया जाए।
जब से सासू मां को पता पड़ा कि मानसी के भी दिन चढ़ रहे हैं और उसे रसोई की हर चीज से उकताहट सी होती थी। बदबू से उसे हर समय
उल्टियां ही आती रहती है तब से मानसी का ख्याल और भी ज्यादा रखा जाने लगा।
उस दिन तबीयत खराब होने के कारण जब मानसी उठ ही नहीं पाई तो सासू मां ने विकास को ही मानसी के लिए भी खाना पकड़ा कर मानसी को भी खिलाने के लिए दिया। पिछले तीन दिन से काम वाली भी नहीं आ रही थी और राधिका तो मायके में थी ही शाम को जमाई जी भी अपने दफ्तर से से वापस राधिका के पास मायके मैं ही रह रहे थे।
रसोई का काम भी बड़ा हुआ था। बच्ची भी राधिका को तंग कर रही थी। हालांकि सासू मां लगातार काम में हाथ बंटवा रही थी, आभा के भी पेपर चल रहे थे इसलिए वह कोई काम नहीं करवा पा रही थी। राधिका ने रुचि के पूरी तरह से कान भर दिए थे। गुस्से की अतिरेक में रुचि और राधिका दोनों ही मानसी पर बहुत जोर जोर से चिल्ला रहीथी।
विकास दोपहर में अपनी दुकान से खाना खाने के लिए आया था। उनका घर के नजदीक के ही बहुत बड़ा डेली नीड स्टोर था। समय मिलने पर एक-एक करके विकास और उसके पिताजी घर में खाना खाने के लिए आ जाते थे।
उस दिन मानसी की यूं ही तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी और ऊपर से बहनों का लगातार चिल्लाना सुनकर उसका भी धैर्य जवाब दे चुका था। खाना खाकर जब कमरे से बाहर विकास निकला तो वह उससे कुछ कहने के लिए जैसे ही अपने कमरे से बाहर स्लीवलेस गाउन में
निकली तो उसे देखते ही राधिका जोर-जोर से बड़बड़ाने लगी हमारी तो मां को दिखता ही नहीं है, बहु कुछ भी पहन ले कैसे भी निकल जाए ऐसी बेशर्मी हमारे ससुराल में तो नहीं है हम तो हमेशा घूंघट पर्दे में ही रहे हैं।
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उस दिन मानसी ने सबके सामने ही विकास का हाथ पकड़ कर बोला मैं अब इस घर में कभी नहीं रहूंगी। अगर मेरे साथ अलग रहना है तो चलो अन्यथा मुझे भी यहां से मेरे मायके भेज दो।
सासू मां तभी उसके पास आई और बड़े प्यार से रोती हुई मानसी को उसके कमरे में लेकर गई और पीछे-पीछे विकास भी मानसी के साथ कमरे में ही आ गया था। सासु मां ने बड़ी दुखी मन से मानसी से कहा बेटा विवाह के बाद लड़की का घर केवल उसका ससुराल होता है। अगर किसी को घर से जाना है तो वह हम जाएंगे। तुम इस घर में बहू बन कर आई हो। इस घर की लड़कियां तुम्हारे बच्चों के समान है
अगर तुम्हें इनका रहना पसंद नहीं है तो हम इन्हें इनके ससुराल के लिए विदा कर देंगे। ससुराल बहू का घर होता है और तुम इस घर की बहू नहीं मेरा स्थान लेने वाली इनकी मां हो। यह बच्चियां आज नहीं तो कल अपने ससुराल चली ही जाएंगी। समय इन्हें भी अपनी जिम्मेदारियां सिखा देगा। तुम्हें पसंद नहीं है तो मैं राधिका को जाने के लिए भी कह दूंगी। नहीं, ऐसा नहीं है मानसी ने शर्मिंदा होते हुए सासू मां को बोला।
उस दिन के बाद बदलाव मानसी में ही नहीं अपितु सब बहनों में आ गया था मालूम नहीं सासु मां ने किसे क्या समझाया था और सासू मां के न रहने पर भी वास्तव में अब मानसी ही उन सब की मां में ही परिवर्तित हो गई थी। आज आभा को विदा करने के बाद मानसी बाकी दोनों बहनों को प्यार करते हुए उनकी भी विदाई का सामान जमाने लगी। मानसी अब सच में ही मां में परिवर्तित हो चुकी थी और घर का प्रत्येक सदस्य उसका सम्मान करता था।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा।
#टूटते रिश्ते जुड़ने लगे।