कॉलिज में घुसते ही नीता की नजरों ने सपन को तलाशना शुरू कर दिया,जब कहीं भी नहीं नजर आया तो क्लास रूम में आगई।
क्लास रूम में आई,देखा सपन किसी किताब में नजरें गड़ाए बैठा था।
ये लो मै पूरा कॉलिज छानआई जनाव की तलाश में और ये जनाव किताब पढ़ने में मश्गूल हैं।
अच्छा सपन ये बताओ कि किताव में मुंह घुसा कर बैठने के अलावा तुम्हें और किसी बात में कोई दिलचस्पी नहीं है क्या,जब देखो बस कितावों में घुसे रहते हो। हम कॉलिज में पढ़ाई करने ही के आते हैं,फिर मुझे तो पढ़ाई पूरी करके पापा का बिजनेस सम्हालना है।
नीता व सपन की पहली मुलाकात बड़ी ही मजेदार रूप से हुई थी,पहले दिन ही नीता कॉलिज आने में लेट हो गई थी हड़बड़ाहट में चली जा रही थी कि सामने से आते सपन से टकरा गई,नीता की सारी बुक्स नीचे गिर गई,फिर जैसे ही सिर उठा कर नीता ने सपन को सॉरी कहा, ठीक उसी समय ही सपन ने भीनीता को सॉरी बोला। सपन ने नीता को ध्यान से देखा तो देखता ही रह गया। झील सी गहरी आंखें,घनी केश राशि बल खाती कमर व ऊपर से लम्बी छरहरी काया। पता नही किसके दिल की मलिका बनेगी यह लडक़ी। कॉलिज में यों भी नीता की खूबसूरती के बहुत सारे दीवाने थे,सभी उससे दोस्ती करने की चाहत रखते थे।फिर अपने बिचारों को झटका दिया और नीता सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, हम आज से दोस्त हैं,नीता ने भी एक उचटती सी नजर सपन पर डाली और अपना हाथ उसके आगे बढ़ाया,यस अब हम अच्छे दोस्त हैं।
क्लास रूम से निकलने के बाद वे दोनों एक दूसरे से मिलने लगे,कभी किसी कॉफ़ी शॉप में या कभी कॉलेज के ,पास बने मॉल में,सपन ने अपना इम्प्रैशन जमाने के चक्कर में एक दो बार नीता को शॉपिंग भी कराई।
बढ़ती मुलाकातों के साथ सपन का प्यार भी नीता के लिए बढता जा रहा था,लेकिन इतनी जल्दी वह अपने प्यार का इजहार करना नही चाह रहा था।उधर नीता भी सपन की कम्पनी एन्जॉय तो कर रही थी , सिर्फ इसलिए कि बह उसको घुमाता फिराता शॉपिंग करबाता।
इन दोनों की दोस्ती कोतकरीबन चार या पांच महीने हो चले थे।नीता के नेचर के बारे में सपन इतना समझ गया था कि नीता एक बिंदास नेचर की मस्त लड़की है । लाइफ ऐनजॉय करना घूमना-फिरना मस्ती करना उसके स्वभाव में शामिल था।इतना जाननेकेबाद भी सपन नीता से प्यार किए जारहा था।उसकी फरमाइशें पूरी कर रहा था,इसी उम्मीद में कि शायद शादी के बाद नीता मैच्योर होजायगी और घर परिवार के लिए अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाएगी।
नीता भी सपन थे बारे में इतना तो जान चुकी थीकि अमीर बाप का बेटा है जिसको उसके ऊपर पैसा खर्च करने में कोई गुरेज नहीं है। कयोंकि अभी तक सपन नेउसकी हर फरमाइश कोखुशहोकर पूरा किया था इसी आस में कि शादी होजाने केबाद तो नीता को अपने हिसाब से समझा लेगा।
एक दिन नीता बड़ी चहकती हुई कॉलेज आई और सपन से कहने लगी कि सपन यू नोइस बीकैड तीन दिनों की छुट्टी लगातार है तो क्यों न हम दोनो किसी हिल स्टेशन पर घूमने चलें,या स्नो फॉल देखने चलें मुझे स्नो फॉल देखना बहुत पसंद है।
सपन ने उसकी पूरी बात सुनी फिर कहने लगा कि ये सब तो शादी के बाद की बातें है अभी तो हमें अपनी पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए।
अरे यार , तुम शादी को लेकर इतने सैंटी क्यों हो, शादी भी जब होनी होगी हो जायगी,अभी तो लाइफ ऐनजॉय करो।
अच्छा नीता यह बताओ कि तुम्हारे पेरेंट्स शादी से पहले किसी के साथ इस तरह हिल स्टेशन जाने की इजाजत दे देंगे।
हां नीता बोली इसमें नया क्या है, आज-कल सभी घूमते हैं इस तरह।फिर पापा मेरे हैं नहीऔर मम्मी भी बहुत आधुनिक विचारों की हैं, उन्हें तो मेरे इस तरह घूमने पर कोई फर्क नही पड़ता।
परंतु मेरे पेरेंट्स तो कभी यह इजाजत नहीं देंगे कि शादी से पहले किसी लड़की के साथ हिल स्टेशन घूमने जाऊ।इस मामले में वे लोग कुछ पुराने ख्यालों के ही है ,और मै भी उनकी बिना इजाजत के ऐसा करने की सोच भी नही सकता।
यह सुन कर नीता का मुंह बन गया, परंतु सामने सेउसने कुछ कहा नही लेकिन चुपचाप क्लास में चली गई।
दूसरे दिन सपन ने नोटिस किया कि नीता क्लास में मौजूद नहीं थी।जब तीन दिन लगातार सपन ने नीता को क्लास में नहीं देखा तो उसकी दोस्त मीरासे पूछा, क्या नीता बीमार है जो तीन दिन क्लास में नजर नहीं आई।
मीरा ने कहा तुमको नही मालूम वह तो अगम के साथ हिल स्टेशन गई है,मेरे सामने अगम से कह रही थी कि मैं तो सपन के साथ इसलिए घूमती हूं कि वह अमीर बाप का बेटा है मेरे ऊपर खूब ख़र्च करता है मेरी फरमाइश पूरी करता है।
तो क्या तुम उसके साथ शादी नहीं करने बाली, शादीऔर सपन से उसके जैसे लोग इमोशनल फूल होते हैं,जिनको आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है।एक दो दिन उसके साथ घूमने क्या चली गई तो शादी के सपने सजाने लगा उस जैसे बोरिंग के साथ शादी का तो सोचा भी नहीं जा सकता।
सपन यहसब सुन कर चौंक गया उसको लगा जैसे किसी ने उसके पैरों के नीचे से जमीन खींच ली हो।
जब नीता घूम कर लौटी तो क्लास खत्म होने पर सपन के पास आई और बोली हाय ,सपन शाम को कॉफ़ी हाउस चलें।
सपन ने तुरंत जबाव दिया,नीता # बस बन्द करो अपना ये नाटक#में तुम्हारी हकीकत जान चुका हूं तुमने मेरे सच्चे प्यार का इस तरह सिला दिया, शायद तुमको भी कभी सच्चा प्यार नसीब न हों।आज से मेरी तुम्हारी दोस्ती खत्म।तुम किसी के प्यार के काबिल हो भी नही। अच्छा हुआ समय रहते मेरी आंखें खुल गई।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
नई दिल्ली