जीवन साथी की तलाश – अमिता कुचया :  Moral Stories in Hindi

आज घर में चहल पहल थी कि चलो सीमा का रिश्ता तय हो रहा है। वह सांवली रंगत की थी।उसकी फोटो को फिल्टर से सुंदर बना कर भेजा गया था। आज पांचवी बार लड़के वाले देखने आ रहे हैं ,दोपहर खाने की तैयारी के साथ सीमा को मेकअप करके तैयार किया गया।ताकि सीमा का रंग उस

पर हावी न हो जाए। नाक नक्शे कटीले होने के बावजूद उसे रिजेक्ट किया जाता था। आज देखने दिखाने की बात हुई। तब होने वाले सास ससुर ने कहा- पहले हम लड़की देख ले , फिर मेरा बेटा देखेगा। 

जब लड़की लाने की बात हुई। तब उन्होंने कहा-देखिए सुशील जी हमें आपकी बेटी बिना मेकअप में देखना नहीं तो पता चले शादी का मेकअप जब धुले तो रंगत ही बदल जाए। ये सुनकर सीमा के मां बाप परेशान हो गये। तब उन लोगों ने देखा और पूछा – कौशल्या जी क्या बात है आप लोग का

चेहरा:क्यों उतर गया जैसे लाखों का दहेज मांग लिया हो। तब सीमा की मां बोली -भाई साहब और बहन जी हमारी बेटी लाखों में एक है। पर ये कोई भी बात हुई कि बेटी बिना मेकअप के …वो आजकल सभी लोग मेकअप थोड़ा बहुत करते हैं। तब वे बोले – हमारे घर में सब गोरे है। हम ये नहीं चाहते हैं कि हमारे घर में काला टीका लग जाए। 

तब उन लोगों ने मजबूरी में सीमा को यूँ ही दिखाया ,तब वे सब बोले- अरे भाईसाहब आपकी बेटी तो हमारे घर में सही बैठ नहीं पाएगी। घर में काला टीका थोडे़ ही लगवाना है। ये कहकर वो लोग चले गए। 

अब क्या था रिश्ता नहीं हो पाता है। पर सीमा के पढ़ी लिखी होने के बावजूद उसे समाज के ताने सुनने पड़ते थे। वह हताश हो जाती थी। मां पापा की चिंता को देखकर कहती – माँ भगवान ने मुझे ऐसी सांवली सी रंगत क्यों दी। और रोने लगती है। तब उसकी सहेली वर्षा रोते हुए देख कहती -अरे सीमा तू रो मत तू रोतड़ू लड़की कब से हो गई। भगवान ने भी कुछ सोचा होगा। 

उस समय सीमा को उसकी माँ और वर्षा चुप करा देती है। 

पर ये उदासी वर्षा नहीं देख पाती हैं तब वर्षा कहती -चल सीमा मैरिज डॉट कॉम पर सर्च करते हैं कि कोई तो बंदा होगा सूरत से नहीं सीरत से देखे। तब सीमा कहती- तू ये क्या कह रही है !!कोई क्या सोचेगा। तब वह कहती – किसे पता चलेगा। कि तूने ये एप पर फोटो और प्रोफाइल अपलोड की है।। बस अंकल जी का नंबर न होकर तेरा नंबर होगा। कोई भी बंदा सीधे से घर तो आएगा नहीं, ज्यादा से ज्यादा वो फोन करेगा और हम मैसेज से ही बात करेंगे। 

अंकल और आंटी जी कितने परेशान हो चुके हैं ,,और तू भी कम दुखी नहीं है। इसलिए मैं ये सोच रही हूँ। 

उसने अपनी सांवली सूरत वाली फोटो अपलोड की और पूरा बायोडाटा भी डाला। अब तो उसे लग रहा था मुझे कोई समझेगा भी या नहीं। पर तीन मैसेज देखकर उसकी आंखें चमक गयी, तीन लोगों ने सिलेक्ट किया। उसकी सहेली वर्षा से उसने कहा -ऐसे ही हम किसी पर यकीन नहीं कर सकते हैं। 

वो दोनों ने मैसेज पर जवाब देने शुरू किए। पहले वाले बंदे को बिन माँ के लिए एक बच्चों की माँ चाहिए थी। दूसरे वाले के बारे में पूरी तरह मैसेज देखने के बाद सीमा और वर्षा ने जाना वो कमलेश है, उसकी खोज बीन की, तब पता चला वो तो सही नहीं है। फिर एहसास हुआ कि उसके लायक ऐसा कोई नहीं है,,जो उसे दिल से चाहे। तीसरे वाला उसे सूरत से ही पसंद ना आया।ना ही उसकी पक्की नौकरी थी वह केवल प्राइवेट जॉब करता था। 

और फिर सीमा ने आस छोड़ दी। कि कोई ऐसा जीवन साथी मिलेगा, जो उससे शादी करने के साथ दिल जान से प्यार करे। उसकी फ्रिक करे। 

समय बीत रहा था। फिर एक दिन अचानक से उसके व्हाट्सएप पर मैसेज आया सीमा जी मैं आपसे मिलना चाहता हूं। 

तब सीमा ने कहा- जी आप कौन ? और आप मुझे क्यों मिलना चाहते हैं? तब मैसेज में आंसर आया जी मैं धीरज हूं। मैंने आपकी एक एप प्रोफाइल देखी जहां न कोई दिखावा झलका नही ,और ना ही फोटो में फिल्टर या मेकअप दिखा। 

बस मुझे आपकी सादगी भा गयी। 

तब सीमा ने कहा- जी मैं

क्या आपसे बाद में बात कर सकती हूं। तब हां में जवाब आया। थोड़ी देर में वह वर्षा को बताती -तब बहुत खुश होती है कहती- अरे वाह सीमा देख तेरे लिए भगवान ने इतनी अच्छी जोड़ी बनाई है। कितना सुंदर और स्मार्ट है, ऐसा न लग रहा है कि पैसे वाला होने पर भी घमंड है, फोटो से कितनी सादगी झलक लगी है यार…. 

तब सीमा ने संशय कर पूछा – क्या धीरज मुझे सामने से देख पसंद करेगा। 

तब वर्षा बोली – अरे चिंता क्यों करती है मैं हूँ ना तेरे साथ….. 

उससे बात कर, पता मांग, पूरी कुंडली हम निकाल लेंगे। 

वर्षा के कहने उसने जवाब देने चालू किए, पसंद नापसंद सब जानने की कोशिश की। उधर धीरज को बेचैनी होने लगी वो कहने लगा, हम कब तक मैसेज पर बात करेंगे?क्या मैं फोन पर बात कर सकता हूं। ये सब देखकर उसे विश्वास बढ़ने लगा। 

उसने अपनी सहेली को बताया। तब वह बोली- नहीं सीमा पहले हम भेष बदलकर उसकी कुंडली निकालेंगे, उसके पतेे पर जाएंगे। तब वहां पहुंचकर सच्चाई मालूम करेंगे। तब कुछ तय करेंगे, पता चले कहीं ये भी कोई धोखेबाज ना हो। 

दोनों प्लान बना कर दूसरे शहर पर उसी पता पर जाती है। घर से बहाना बनाकर कहती है कि हम लोग कालेज से पिकनिक पर जा रहे है। सुबह से निकल कर शाम को वापसी भी करती है। 

तब वर्षा और सीमा को उसकी तहकीकात करके उन्हें पता चलता है कि एक सीमा नाम की लड़की को वह पसंद करता है उसी से शादी करना चाहता है।

अब तो उनको यकीन बढ़ जाता है कि बंदा तो सीमा पर मर मिटा है। वह सही है, इसके अलावा उसके आफिस और पडोस पर जाकर पता लगाती है। तब पता चलता है कि धीरज सीधा साधा इंसान है। यह गाँव से आकर नौकरी कर रहा है। इसके बूढ़े माँ बाप है, और गाँव में जमीन है। 

अब वर्षा और सीमा की नजरों में उसके प्रोफाइल के अनुसार वह खरा उतरता है। सीमा का यकीन धीरे – धीरे बढ़ते हुए गहरे प्यार में बदल जाता है। और फोन पर बातें होने लगती है,एक दिन बार बार मैसेज की आवाज सुन कर मां कहती- अरे सीमा देख तो तेरे फोन पर कितने मैसेज आ रहे हैं , टूं टूं की आवाज आ रही है,मैं कुछ काम कर रही हूँ। तब वो मुस्कुरा कर मैसेज का रिप्लाई करने लगती है। 

  तब उसकी मुस्कान देखकर उसकी मां बोलती – किसके इतने मैसेज आ रहे है ,और तू खुश होकर मुस्कुरा रही है,क्यों सीमा आजकल ज्यादा ही खुश रहती है, मोबाइल पर ज्यादा ही लगी रहती है। मुझे भी तो बता तेरी खुश होने के राज क्या है। 

तब वह सकपकाकर कहती नहीं माँ कुछ नहीं…. 

तब उसकी मां उसके फोन को देख कर कहती -दिखा तो अपनी मां को नहीं बताएगी। तब वह सब कुछ बताती है। तब मां चौंकते हुए कहती – क्या सीमा तू इतने आगे निकल गयी ,हम लोग को भनक तक नहीं लगने दी !!! 

तब वह कहती – मां सबके ताने सुन -सुन कर हताश हो चुकी थी आपको परेशान देखकर मुझे रोना आता था। पर वर्षा ने सलाह दी। और हम लोग सब पता लगाया। तब जाकर धीरज से बात होने लगी। 

मुझे धीरज बहुत अच्छा लगने लगा। वो भी आपसे मिलना चाहता है,,मां पर मैनें सोचा जल्दबाजी सही नहीं। बस अभी फोन पर ही बातचीत होती है। जब तक आपसे से ना मिला दूं ,तो कैसे आगे का सोच सकती हूं। तब मां कहती – हां सीमा किसी को जानने समझने में हर्ज ही क्या है, पर हमें अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। तुम मिल लो और पापा से मिला दो तब कुछ सोचना। नहीं मां अब सोचने की कोई गुंजाइश नही ,मुझे समझ आ गया धीरज जी मुझे पसंद करते हैं। 

फिर उसकी मां कहती- कब मिला रही हो धीरज से… 

फिर चहककर कहती – हां मां बात करके बताती हूँ। 

आज तो सीमा के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। जैसे सारे जहां की खुशियाँ हाथ थामने को तैयार हो। वह तुरंत ही धीरज को फोन मिलाती है, मैनें मां को सब बता दिया है। वह भी मिलना चाहती है। तब धीरज कहता – हां हां सीमा मुझे भी कब से इस दिन का इंतजार था कि कब हम मिले और जीवन में हमारा साथ न छूटे। वो तो तुम्हारी फोटो और बातों से मन को समझाता था। 

और फिर दोनों आमने सामने एक कैफे मिलते ही उन्हें ऐसा लगता है, कि क्यों मिलने में इतना समय लगा दिया। 

अब तो दोनों कहते हम कितने दूर होते हुए कितने दिल के पास थे। तभी तो हम एक हो पाए। दोनों कह पड़ते है।

फिर थोड़ी देर बाद सीमा बोली – पता नहीं मुझे डर रहता था। कहीं कोई मेरे दिल से ना खेल जाए। बस इसी लिए मैं धीरे- धीरे ही तुम्हें समझना चाहती थी। तभी धीरज कह उठता सीमा अब हमें कोई दूर नहीं सकता , ये एहसास ही है जो हम दोनों को करीब ले आया। तभी सीमा कहती – हां धीरज मैंने

कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी दिन आएगा। पहले तो लगता था कि लोग क्या कहेंगे। पर मेरी सहेली वर्षा मेरी हिम्मत बनी और मैं आपसे मिल पाई। तब धीरज बोला मैं भी ना जाने कब से बैचेन था। पर मैं अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहता था, इसलिए समय दिया ताकि तुम मुझ पर विश्वास कर सको। 

और दोनों एक दूजे का हाथ थाम कर एक दूसरे को देखने लगे। प्यार से धीरज ने कहा -मेरी सीमू…….. 

फिर लजाते हुए वह कह उठी मेरे धीरु… ..

इस तरह उनका प्यार मंजिल तक पहुँच गया और वे दोनों खुशी – खुशी विवाह के बंधन में बंध गए।। 

स्वरचित मौलिक रचना

मासिक रचना के अन्तर्गत हिन्दी कहानी

अमिता कुचया ✍️

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