जेठानी की चतुराई सामने आ ही गई – अमिता कुचया

रिमझिम को आज सुबह उठने में देर हो गई । उसने घड़ी की ओर देखा तो आठ बज चुके थे, उसने सोचा मम्मी को लगेगा कि मैं देर से उठी हूं, इसलिए उसने सोचा कि क्या किया जाए •••

फिर उसे ख्याल आया मम्मी के पैर की मालिश कर दूं तो वह मेरे देर से उठने पर गुस्सा भी नहीं होगी। और उनसे कह दूंगी कि कमरे की सफाई में देर हो गई।

जबकि  देवरानी सीमा सुबह से झाड़ू पोंछा करके कपड़े  धुलने में लगी हुई थी।इधर अब रिमझिम क्या करें उसका ठंड में बर्तन धुलने का मन‌ नहीं था।उसका मन पानी में  हाथ डालने का नहीं हो रहा था। उसने अपने लिए चाय बनाई और चाय का  कप लेकर सासुमा के कमरे में पहुंच गई और कहने लगी- मम्मी जी आपने चाय पीएगी क्या •••??

फिर सावित्री जी ने कहा -“नहीं बहू, मैंने पी ली रिमझिम ने बनाई थी।”फिर वह तेल उठाकर पूछती है -मम्मी आपके पैर में सरसों का तेल मल दूं, आपके पैर ठंड में अकड़  जाते हैं।तभी सासुमा ने भी खुश होकर कहा-  हां हां बहू नेकी और पूछ पूछ , क्यों नहीं लगा दे तेल••••

इस तरह रिमझिम  अब खुश हो जाती है कि उसे ठंडे पानी में हाथ नहीं डालने पड़ेंगे।

थोड़ी देर में सीमा कपड़े धुलकर किचन‌ में आती है तो देखती है ,न तो बर्तन साफ हुए न ही किचन साफ हुआ है ,अब वह अचानक उसे मम्मी जी के कमरे में देखती है तो दंग रह जाती है! अरे दीदी ,आप ने बर्तन भी साफ नहीं किए ,न ही किचन, मुझे खाना भी बनाना है वैसे भी ठंड के दिन कितने छोटे होते हैं ।

अरी छोटी ,मम्मी के पैरों में अकड़न हो जाती है इसलिए तेल लगा रही थी।

अभी जा रही हूं और वह मजबूरी में उठकर जाती है क्योंकि बर्तन साफ करने की बारी उसी की होती है।वह किचन में जाते ही गिरने का नाटक करती है ••उई मां ••••आह लग गई •••वह जैसे  ही चिल्लाती है तभी सासुमा और देवरानी सीमा दौड़ी आ जाती है, वह ऐसा नाटक करती  है कि जैसे उठते ही नहीं बन रहा हो•••फिर सीमा उसे उठाकर कमरे तक ले जाती है। उसे सासुमा और वह आ‌राम करने कहती हैं। और उनके कमरे से बाहर निकलते ही वह मोबाइल चलाने ‌लग जाती है।

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अब जैसे तैसे सीमा बर्तन और किचन साफ करके खाना भी बनाती है।उसे काम करते- करते सुबह से शाम भी हो जाती है।उसे जेठानी का भी काम करना पड़ जाता है।

उसे लगता है कि दीदी को दर्द हो रहा है। वह सहानुभूति दिखा कर कमरे में ही खाना चाय सब दे जाती है।

पर सच तो बाहर आना ही था।

तीन दिन बाद ••••

जब सीमा उसके कमरे में झाडू लगा रही थी। तब उसे  दर्द की दवा गिरी हुई मिल जाती है।अब वह समझ जाती है ,दीदी की दर्द वाली दवा है, उन्होंने खाई ही नहीं।वह नाटक कर रही है ••••

अगले पूरे दिन उस पर  सीमा नजर रखती है , उसे अपनी जेठानी रिमझिम के ऊपर बहुत गुस्सा भी आता है ,कि कैसे नाटक करके बिस्तर पर चाय खाना कर रही है और मैं इधर दिन रात एक करके काम में लगी हुई हूं •••

अब उसे सच बाहर लाना था ।अब वह सासुमा मां से पूछती है -“मम्मी जी क्या ये आपकी‌ दवा है मुझे झाड़ू लगाने में मिली है।” तब सासुमा कहती ये तो रिमझिम की दवा है •••

फिर दोनों उसके कमरे में जाकर पूछती है, तब उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। और वह सकपका जाती है और हकलाकर कहती हैं नहीं ये मेरी नहीं है। उसके बाद वो पूछती है दीदी आपका कमर का दर्द कैसा है?इतने में रिमझिम कराहते हुए कहती -“अरे सीमा ये दर्द तो जाने का नाम ही‌ नहीं ले रहा है ,चार दिन निकल गये।”

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अरे हां दीदी सही बात है, उसकी हां हां में मिलाती है और चाय देकर तभी अचानक से कहती – “अरे दीदी आपके कंधे‌ में छिपकली!!वह एक दम डर कर उठ जाती है, सीधे से खड़ी हो जाती है। क्योंकि उसे कोई दर्द तो था नहीं, यही सास देखती रह जाती है तब वह झेंप जाती है।

उसके बाद सीमा बोलती -“क्यों दीदी आपके चार दिन से नाटक कर रही थी।नाटक करते हुए बिल्कुल भी शर्म नहीं आई। मुझे तो कल ही पता चल गया था कि  आप नाटक कर रही हो आप चलते हुए जब फोन पर अपनी मां से बात कर रही थी।पर मेरे पास कोई सबूत नहीं था कि मम्मी जी को बोल करसमझा पाऊं। कि आप झूठा नाटक कर रही हो।पर आज तुम्हारी फेंकी हुई दवा ने कमाल कर दिया। दीदी रिश्तों के बीच यही छोटी छोटी बातें बड़ी बन जाती है।आप तो बड़ी हो आपको तो समझ होनी चाहिए। अगर मैं करती  छोटी कहलाती या कोई बच्चा भी करें तो बचपना कहलाता पर पर आपसे यह उम्मीद नहीं थी।

फिर सासुमा भी बोल पड़ी ,बता ••••रिमझिम तूने ऐसा क्यों किया ??

वो वो ••••मम्मी जी बहुत ठंड थी, तो पानी में हाथ डालने का मन नहीं हो रहा था बस इसलिए ये••••

तब सासुमा ने कहा – क्या!!तुझे बिल्कुल शर्म नहीं आई ऐसी हरकतें करते हुए तेरी देवरानी को ठंड नहीं लगती ?वो क्या मशीन है ,तू बड़ी कोमल है,और नाजुक फूल की बनी है और तेरी देवरानी लोहे की•••ये न समझ कि वह इंसान नहीं है उसे भी ठंड  लगती  है••••



इस तरह वह शर्म से पानी -पानी हो जाती है, उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं । वह कहती हैं कि मैंने थोड़े से सुख के लिए अपनी छोटी बहन समान देवरानी को परेशान किया। फिर वह अपनी देवरानी के हाथ पकड़ कहने लगी कि छोटी मेरी ग़लती माफी के लायक नहीं है, फिर भी तू बड़ी बहन समझकर उपकार करके मुझे माफ़ कर दे।छोटी, मुझे भी सबक मिल गया कि आलस करने की मेरी इस गलती पर पछतावा हो रहा है

इस तरह देवरानी ने जेठानी को माफ कर दिया।

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दोस्तों -ये छोटी छोटी बातें ही अविश्वास का कारण बन जाती है। जिससे एक दूसरे के प्रति विश्वास  भी कम हो जाता है यही कारण है कि ज्यादा चतुराई ही लड़ाई का कारण बन जाता है। किसी को इतना परेशान नहीं करना चाहिए किसी के सरल व्यवहार से कोई इतना परेशान हो कि आपको प्यार और सम्मान ही न दें। इसलिए परिवार में आपसी रिश्ते में ज्यादा चतुराई ही कभी कभी शर्मिंदा का कारण बन जाती है।

अपने परिवार में एक दूसरे का ख्याल रखें यही हमारे संस्कार होते हैं। इसलिए इसकी ढाल बना कर कभी किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। नहीं तो दोबारा दर्द तकलीफ में भी कोई साथ न दें।

परिवार में बड़े का बड़प्पन बनाना है तो ऐसी हरकतें नहीं करना चाहिए जैसे कि रिमझिम ने की।

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#संकल्प २२

आपकी अपनी दोस्त ✍️

अमिता कुचया

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