जीवनसाथी – सीमा नेहरू दुबे

सभी के माता पिता अपने अपने बच्चो का घर बसाने का सपना देखते है और उस दिशा मे चल कर किसी भी तरह पूरी कोशीश कर घर भी बसा देते है और फिर क्या! उनका गंगा स्नान जो की हर हिंदू शास्त्र कहता है कि बच्चो के विवाह बाद ही गंगा स्नान का पुण्य कमायो l क्या भाई!!! जैसे बगैर गंगा जी पूछती हो ” सुनो बच्चो का व्याह कर दिया क्या? अगर बिना व्याह करे आये तौ डूबा दूंगी l क्या स्यापा है खुद भी खड्डे मे गिरो और दुसरो को भी बांध दो l चलो ये फसाना तौ बहुत पुराना है ना आगा ना पीछा बस लकीर पर चलते जाना है l कुछ समय तक मै भी यही सोचती थी यार! क्या है क्या ज़िंदगी अकेले नही काटी जा सकती l खैर ये तौ शायद हर पीढ़ी की शिकायत होगी और इसी उठा पोह मे लोगों की ज़िंदगी भी गुजर जाती है l

    शादी जरूरी है ये मुझे सिर्फ एक इतिफ़ाक ने अहसास कराई, हुआ यु कि उन दिनों जब बच्चे छोटे थे तब सबका मतलब सबका ही जीवन एक नियमो के ताने बाने मे ही बुना होता है सो हमारा भी था, रोज का नियम उठो टिफिन तैयार करो फिर बच्चो को तैयार कर के बिल्डिंग के बाहर जब तक उनका स्कूल का वाहन ना आ जाये उनके साथ खड़े रहना और फिर उनको स्कूल के लिए रवाना कर के अंदर आ कर चाय की तैयारी करना l इधर मे रोज ही देख रही थी की एक लकड़ी की  छोटी सी गुमटी एक पान पराग वाले ने लगा ली है, वो भी रोज उसी समय आता था हा वो रोज अपनी पत्नी के साथ आता था वो दुकान खोलता फिर दोनों पति और पत्नी उस छोटी सी दुकान को पान पराग की लड़ियों से सजाते, फिर कुछ टाफ़ी के जार बड़े करीने से रखते, ये प्रक्रिया लगभग एक घंटा होती क्युकी जब मै बच्चो के साथ बाहर आती तौ वो दोनों अपनी दुकान का काम शुरू कर चुकते थे,


मुझे नमस्ते करते फिर दुकान सजा कर पत्नी चली जाती थी l और जब बच्चे  आते तब उस समय वो उसके लिए खाना ले कर आती l दोनो प्रेम से खाते फिर वो चली जाती l हालाँकि ये एक बहुत ही साधारण सी बात है शायद ही किसी का धयान इस छोटी सी दुनिया पर जाता, मै शायद रोज देख रही थी और साथ ही साथ कुछ मुस्कराहटों का आधान प्रधान भी हो चुका था इसलिए उनकी रोज की गतिबिधियों पर नज़र थी l एक दिन अच्छी बारिश हो रही थी छोटे को तौ नही पर बड़ी बेटी को स्कूल जाना था तौ मै उसे बाहर छोड़ने आयी देखा तौ दोनो जन काम कर रहे  थे, एक ने छाता पकडा हुआ था

और दूसरा दुकान लगा रहा था l मेरे से रहा नही गया और बोल ही बैठी अरे आज भी! इस पर दोनो मुस्कान लिए बोले जी मैडम आज भी l पति बोला ” मैडम हम किसी को रख नही सकते क्युकी हमारी हैसियत नही है पर हम मिल कर काम कर लेते है आसान हो जाता है, फिर ये घर जा कर खाना बना लेती है फिर जब में घर जाता हु तौ ये दुकान देख लेती है इस तरह हमारी गाड़ी बड़िया चल जाती है l सच तौ है अगर साथ ही ना हो तौ जीने का क्या मज़ा l प्यार के साथ साथ कोई लड़ने के लिए भी तौ चाहिए, सच है जीवन मे हर किसी को एक साथ चाहिए जो शायद विवाह ही दे सकता है l मै मुस्कराहट के साथ अंदर आई और गैस पर चाय बनाना शुरू कर दिया चलो आज चाय पर पतिदेव के साथ यही चर्चा होगी l

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