बस में गाना चल रहा है…
आज फिर जीने की तमन्ना हैं…
आज फिर मरने का इरादा हैं…
सखियों की टोली आज पिकनिक जा रही है…
मैं लवली हमारा किट्टी ग्रुप आज अपनी पच्चीसवीं सालगिरह मना रहा है….मैं जब शादी होकर आई तो आते ही दोनों जेठानियों ने बताया कि हमारी किट्टी है तुम्हें भी शामिल कर देतें है…बस जब सबसे मिली तो सभी मस्त…मजेदार…बिंदास…आठ से शुरु हुई किट्टी में अब उन्नीस मेम्बर थे…सबसे बड़े आ. खडेंलवाल भाभी …व्यास भाभी…नीमा भाभी..तीन सीमा भाभी…जैन भाभी..दुबे भाभी…जायसवाल भाभी…कचौले भाभी..सोच रही थी तभी सीमा भाभी बोलें…क्या सोच रही हैं..??
सोच रही हूँ कि हम सब साथ होतें हैं तो कोई टेन्शन नहीं मजे ही मजे होतें हैं…!!
नीमा भाभी बोली हाँ सच हम सब साथ हों तो अलग ही सुकुन मिलता है…!!!!
इतने में दुबे भाभी बोली अच्छा तो हमें भी लगता हैं पर बीच-बीच में हमें इनकी याद आती रहती हैं….!!!!
ऐसा भाभी ! बोलकर…सभी ने जोरदार ठहाका लगाया…!!!!
इतने में सीमा भाभी बोली…ऐ सब सुनों रे अब तो सबकी उम्र हो रही है तो बहुएँ ले आएँगे और अपन सब तो एक जगह ही रहेंगे…अपना बुढ़ापा सुधर जायेगा…!!!!
इतने में छोटी सीमा भाभी बोली…अरे हमको तो अभी टाईम हैं बहू लाने में हम तो बूढ़े नहीं होगें…क्यूँ लवली भाभी सही बोली ना मैं…!!!!
जैन भाभी बोली सबका नं. आयेगा भाई…एक-एक करके सभी सास बन जायेंगे…!!!!
सीमा जैन भाभी बोली…पता नहीं अपने लिए जीना कब मिलेगा….??
दुबे भाभी बोली….सोचना छोड़ दो अपने हिसाब से जियों मैं तो जो मुझे करना है वही करती हूँ बाकि जिसको जो सोचना सोचता रहें…!!!!
सीमा भाभी बोली…हँसते रहो…मस्त रहो…ठहाके मारते रहों…!!!!
खडेंलवाल भाभी ने कहा…अरे कुछ भजन भी गा लो…पाँच भजन भी गायें..!!!!
कविता भाभी बोली…हर बार जाने का प्रोग्राम बनता था…आज तो आनंद ही आ गया…!!!!
मंजू भाभी बोली..बिल्कुल सही कहा भाभी आपने…!!
वापस आकर सबने नारा लगाया….आज के आनंद की जय हो…!!!!
लवली सोच रही थी कि जब सब सखियाँ साथ हो तो जो मस्ती होती है वो ही याद करके समय अच्छा बीत जाता है…सच तभी तो कहतें हैं…दोस्त दिल से जुड़ें होतें हैं…!!!!
पर कहतें हैं ना जब ज्यादा खुश हो जाओ तो नज़र लग जाती है बस वही हुआ एक दिन सुबह-सुबह खबर आ गई कि दुबे भाभी नहीं रही..सुनकर दिल धक से रह गया…ऐसा लगा हमारी किट्टी की धड़कन चली गई…!!!!
बस हमारी प्यारी भाभी चली गई…मैं सोच रही थी कि अब हम जब कभी पहले जैसे खुश होगें…!!!!
सबका कहना यही था कि दुबे भाभी जाते-जाते बहुत कुछ सीखा गई कि जहाँ जाना है जाओ…जो करना है करो..सोचते मत रहो कभी भी वक्त का कुछ पता नहीं कब किसका समय आ जायें…ज़िन्दगी जियों और बिंदास जियों…!!!!
मैं वहाँ नहीं जा सकती…
घर पर काम बहुत हैं…!!!!
बस यही सोचते-सोचते….
ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं हम..!!!!
पर जब वक्त निकल जायें तो….
सोचतें हैं कि…काश !!!!
जी लेते जरा हम…!!!!
#5वां_जन्मोत्सव
#कहानी नं.-2
अप्रकाशित
मौलिक व स्वरचित©®
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)