मेरे बच्चों और पतिदेव को जानवरों से बड़ा प्यार है,,,पर मुझे उन्हें छूने में बड़ा डर लगता है इसलिए मैं दूर ही रहना पसंद करती हूँ,,,
एक बार बेटे के मित्र के पिताजी का ट्रांसफर जबलपुर हो गया,,,उनके पास डाबरमैन प्रजाति का कुत्ता था,,देखने में ही बड़ा खूंख्वार लगता था ,,,वैसे भी यह भेड़िया प्रजाति का प्राणी है,,,
वो बोले,,,रितिक तुम ले जाओ इसे,,,तुम्हारे यहाँ खूब जगह भी है और जरूरत भी,,अन्धा क्या चाहे दो आँखे,,,पिता पुत्र के मन की हो गई,,तुरंत घर ले आये,,,नामकरण किया ‘जैकी’,,,,
मेरी सहमति का तो कोई सवाल ही नहीं था,,,
काला रंग और कटी पूंछ,,,जरा सी आहट पर इतनी तेज भौंकता कि लोग डर के मारे घर में घुसने की हिम्मत ही नहीं करते ,,,
घर काफी खुला- खुला है,,अब बाहर की रखवाली से मैं भी निश्चिंत हो गई थी,,,
नवंबर का महीना चल रहा था,,गुलाबी ठंड पड़ने लगी थी,उस दिन शुक्रवार था,,दीपावली के बाद सभी परिवारजन वापस लौटने की तैयारी में थे,,तो मैंने सोचा वैभवलक्ष्मी व्रत का उध्यापन कर लूँ,,,
पूजा होते होते शाम हो गई फिर सभी लोग अपने-अपने घर चले गये,,,
असल में पतिदेव तीन भाई हैं,,सब दूसरे शहर में रहते हैं पर दीपावली पर सभी घर आते हैं और इकट्ठे हो कर ही त्योहार मनाते हैं ,,
सब के जाने के बाद मैने रितिक से कहा,,बहुत थक गई हूँ आज तो ,चलो थोड़ी देर आराम करते हैं,,
बोला ,,चलो लेट कर दोनों बातें करेंगे,,
उस समय उसकी उम्र लगभग 12 -13 साल थी,,उसने जींस टीशर्ट पहन रखी थी,,मैने कहा,,पहले कपड़े बदल लो फिर आराम से बातें करेंगे,,
उनके पापा ट्रांसपोर्ट चले गये थे,,घर में बड़ा बेटा अमन और हम दोनों ही थे ,,उस दिन लाईट नहीं थी,,इमरजेन्सी लाईट की धीमी रोशनी थी,,
तभी किसी ने बाहर पटाखा चला दिया,जिससे डर कर जैकी अन्दर आ कर पलंग के नीचे घुस गया,,,ऐसा पहली बार हुआ था,,रितिक ने उसे डांट कर बाहर जाने को कहा,,वह जाने लगा तो हम दोनों भी उसके पीछे आये कि ये निकल जाये तो गेट बंद कर के निश्चिंत हो जायें,,,
पता नहीं उसे अचानक क्या हुआ,,वह पलटा और एकदम से रितिक पर हमला कर दिया
मैं रितिक को पूरी ताकत से अपनी तरफ खींच रही थी पर जैकी ने उसके पैर में दांत गड़ा रखे थे,,दहशत के कारण हम दोनों के मुंह से बस घरघराहट की ही आवाज निकल रही थी,,
घबराहट और डर से रितिक को बचाते हुए मैं गिर गई,,अब मेरे ऊपर रितिक और उसके ऊपर जैकी,,अब उसने पैर छोड़ कर जांघ में दांत गढ़ा दिये थे,,उस पल ऐसा लगा कि हम बचेंगे ही नहीं आज तो,,,
तभी आवाज सुन कर अमन आ गया,,उसने जैकी को जोर से लात मारी फिर भी उसने नहीं छोड़ा,,तब अमन ने बेंत उठाया और बेंत देख कर वह भाग गया ,,
ईश्वर का लाख -लाख शुक्र है कि बेटे ने जींस पहन रखी थी जिसके कारण केवल दांतो के ही जख्म हुए,,वो भी तो एक-एक अंगुल गहरे थे,, अगर उसने जींस न पहनी हुई होती तो क्या होता यह सोचकर ही रूह कांप जाती है
कमलेश राणा
ग्वालियर