जानवर – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“मोना तुम इस समय कहां जा रही हो”?? मोना की बड़ी बहन शालिनी ने पूछा

माई डियर दीदी मैं कम्बाइंड स्टडी के लिए अपने “दोस्त गौतम के घर जा रही हूं मोना ने जबाव दिया और आज रात मैं वहीं रहूंगी कल आप से मुलाकात होगी गुड नाईट दीदी”,

“तुम गौतम के साथ उसके घर रात में अकेली रहोंगी”? शालिनी ने आश्चर्य से पूछा

नहीं दीदी! मेरे साथ रिया, रेखा कुणाल और अमित भी वहां आ रहें हैं। अच्छा दीदी चलती हूं मैं लेट हो रहीं हूं यह कहते हुए मोना घर से बाहर निकल गईं।

मोना रात में अकेले लड़कों के साथ रहेगीं यह सोच, सोचकर शालिनी का दिल बैठा जा रहा था 

उसे बेचैनी महसूस होने लगी थी, वह वहीं कमरे में चहलकदमी करने लगीं उसका मन-मस्तिष्क शून्य हो गया था उसके दिल में एक दर्द की लहर उठी वो अनकहा दर्द जिसे वो वर्षों से अपने दिल में छुपाए थी लेकिन अब शायद उसे छुपाए रखना सम्भव नहीं था आज उसे अपने उस अनकहे दर्द को  कहना ही होगा शालिनी यही सोच रही थी तभी उसे अपनी मां की आवाज सुनाई दी।

“क्या हुआ शालिनी? तुम इतनी परेशान क्यों हो?

तभी शालिनी की मां सुनीता ने वहां आकर शालिनी से पूछा,

“मां! मोना रात में अपने दोस्तों के साथ अकेली रहेंगी मैं यहीं सोचकर परेशान हूं” शालिनी ने अपनी मां से कहा

“तो इसमें घबराने वाली कौन सी बात है वह तो अकसर अपने दोस्तों के साथ मिलकर रात में स्टडी करतीं है” सुनीता जी ने सहजता से जवाब दिया।

“मां ! आपको उसे लड़कों के साथ रात में स्टडी करने के लिए मना करना चाहिए”

“तुम भी तो रात को अकेले स्टडी के लिए जाती थीं मैंने तो तुम्हें भी कभी मना नहीं किया, तो आज मोना को क्यों मना करूगीं”??

“तुम कबसे इस बात को गलत मानने लगीं”? सुनीता जी आश्चर्य ने पूछा

“एक बार मैंने तुम्हें मना किया था तो तुमने कितना हंगामा मचाया था, फिर तुमने अपने पापा से मेरी शिकायत कर दी थी”।

“उस समय तुम्हारे पापा ने मेरा कितना अपमान किया था। तुम लोगों के सामने कहा था कि, यह अनपढ़ औरत खुद तो जाहिल है मेरी बेटियों को भी अपने जैसा बनना चाहतीं हैं”।

“तुम्हारे पापा ने मुझसे कहा था कि, मेरे घर में तुम्हारे मायेक का संस्कार नहीं चलेगा यह मेरा घर है यहां मेरी बेटियों को तुम कभी भी कहीं आने-जाने के लिए नहीं रोकोगीं,उस दिन से मैंने तुम दोनों को कभी न रोका और ना कभी टोंका तुम लोग अपनी मर्जी की मालिक हो जैसा चाहो वैसा करों, तुम लोगों को कुछ भी कहने सुनने का अधिकार तुम्हारे पापा को है मुझे नहीं, मैं तो इस घर की केयर टेकर हूं इससे ज्यादा कुछ नहीं, आज वर्षों का छिपा हुआ दर्द सुनीता जी के मन से बाहर निकल आया”।

इतना कहकर सुनीता जी अपने आंखों से निकल आए आंसूओं को छिपाते हुए वहां से चलीं गईं। शालिनी ने मां के आंसूओं को देख लिया था और उनके दिल की पीड़ा को भी महसूस किया।

शालिनी भी अपने कमरे में चली गई उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और वह सोचने लगी “मां के  अनकहे इस दर्द का कारण मैं हूं मैंने ही अपने पापा को मां के ख़िलाफ़ भड़काया था। क्योंकि मैं अपनी स्वच्छंदता

को सही मानती थी।

मैंने मां के प्रेम और संस्कारों को बन्धन समझा जिसकी बहुत बड़ी सज़ा मुझे मिल चुकी है। मैं अपने दिल पर लगे घावों की पीड़ा को किसी को बता भी नहीं सकतीं क्योंकि उसकी जिम्मेदार मैं स्वयं हूं,यह सोचते हुए शालिनी अतीत की गहराइयों में उतरती चली गई।

आज से 3 साल पहले कि बात है,,,,,,,,,,,

“मम्मी!! मैं विनोद के घर स्टडी के लिए जा रही हूं आज रात वहीं रहूंगी शालिनी ने अपनी मां से कहा और जाने लगी”।

तभी सुनीता जी ने कहा” शालिनी रुकों!! मुझे तुम से कुछ कहना है यह हर दूसरे तीसरे दिन तुम पढ़ाई के नाम पर रात को घर से बाहर रहतीं हों यह ठीक नहीं है”।

“तुम अब बड़ी हो गई हो इस तरह लड़कों के साथ रात में अकेले रहना उचित नहीं है कुछ ऊंच नीच हो गई तो बहुत बदनामी होगी”।

मम्मी मैं वहां अकेली नहीं रहती मेरी सहेलियां भी वहां होती हैं आप अपने जमाने की बात ना कीजिए जब लड़कियों को घर में बन्द रखा जाता था।

हम लोग नये जमाने में जी रहे हैं यहां लड़कियां भी  लड़कों के साथ उठती बैठती हैं।

मेरी सहेलियों की मम्मी लोग तो उन्हें नहीं रोकती आप को हमेशा यह समस्या रहती है कि मैं लड़कों से दोस्ती क्यों करतीं हूं??

आप का यही विचार मुझे जीवन में कभी आगे बढ़ने ही नहीं देगां। विनोद के घर पर सभी सुविधाएं हैं इसलिए हम सारे दोस्त उसी के घर पर एक साथ पढ़ते हैं, उसका घर बहुत बड़ा है।

“आप क्या चाहतीं हैं कि, मैं भी तुम्हारी तरह रोटियां सेंकने का काम करूं”? शालिनी ने व्यंग से सुनीता जी से पूछा

“मेरा यह मतलब नहीं है बेटा, मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूं कि तुम रात में अकेले लड़कों के साथ ना रहों” सुनीता जी ने समझाने की कोशिश की

तभी शालिनी के पापा वहां आ गए उन्होंने पूछा क्या बात हो रही है तुम लोगों में??

सुनीता जी कुछ बोलतीं उससे पहले ही शालिनी ने रोते हुए कहा पापा मम्मी रोज मुझे अपने दोस्तों के साथ पढ़ने के लिए रोकतीं हैं। वहां विनोद के घर पर सभी सुविधाएं हैं इसलिए मैं वहां जाती हूं।

मम्मी को लगता है कि, हम लोग वहां मस्ती करने जाते हैं। ठीक है आज से मैं नहीं जाऊंगी अगर इस बार मेरे नम्बर अच्छे नहीं आएं तो कहीं अच्छी जगह मेरा सलेक्शन नहीं होगा इसकी जिम्मेदार मम्मी होंगी, फिर आप लोग मुझे कुछ मत कहिएगा।

गुस्से में यह कहकर शालिनी अपने कमरे की ओर जाने लगी, तभी उसके पापा की आवाज सुनाई दी रूकों बेटी तुम्हें जहां जाना है तुम जाओ मैं इस गंवार औरत से तंग आ चुका हूं।यह अपने जैसा तुम लोगों को भी बनाना चाहती है जो मैं हरगिज़ नहीं होने दूंगा।

” थैंक्यू पापा आईं लव यू”शालिनी अपने पापा से कहती हुई विनोद के घर चलीं गईं।

शालिनी जब विनोद के घर पहुंची तो वहां और कोई नहीं आया था।

“विनोद आज अभी तक कोई आया नहीं”?? शालिनी ने पूछा

“तुम बैठो सभी आ ही रहें होंगे” विनोद ने कहा

तभी नौकर शरबत लेकर आ गया उसने शरबत मेज पर रखा और जाने लगा विनोद ने कहा” रामू काका अब तुम जाओ हम लोग खाना अपने आप निकाल कर खा लेंगे”,।

ठीक है छोटे मालिक कहकर रामू वहां से चला गया,

विनोद ने शरबत उठा कर शालिनी को दिया।

शालिनी ने कहा तुम भी लो!! हां मैं लेता हूं! विनोद ने कहा

तभी फोन की घंटी बज उठी फोन उठाकर विनोद ने कहा अरे तुम लोग कहां हो अभी तक आये नहीं शालिनी आ चुकी है! ठीक है तुम लोग आओ मैं फोन रखता हूं इतना कहकर विनोद ने फोन रख दिया।

शालिनी तब तक शरबत पी चुकीं थीं, उसे देखकर विनोद के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई पर जल्दी से उसने स्वयं को संभाल लिया।

शरबत पीने के बाद से ही शालिनी का सिर चकराने लगा उसने विनोद से कहा पता नहीं क्यों मेरा सिर चकरा रहा है!!

विनोद ने मासूमियत से पूछा क्या हुआ??” तुम्हारी तबीयत तो ठीक है”?

“हां तबीयत तो ठीक है, पर पता नहीं क्यों मुझे नींद आ रही है “शालिनी ने कहा

“ठीक है तुम थोड़ी देर आराम कर लो तबतक सभी लोग आ जाएंगे” विनोद ने शालिनी से कहा

शालिनी वहीं बेड पर लेट गई, और उसे नींद आ गई,

कुछ देर बाद शालिनी ने महसूस किया कि, कोई उसके नाज़ुक अंगों को सहला रहा है।

उसने आंख खोल कर देखने की कोशिश की उसने देखा कि विनोद उसके ऊपर झुका हुआ है और उसके कपड़े उतारने की कोशिश कर रहा है।

शालिनी ने विरोध करने की कोशिश की पर नशें में होने के कारण उसका शरीर साथ नहीं दे रहा था।

विनोद ने उसके नशें में होने का फ़ायदा उठाया और उसकी इज़्ज़त को तार तार कर दिया। विनोद पूरी रात शालिनी के शरीर से अपनी हवस की आग बुझाता रहा। नशीली दवा के असर के कारण शालिनी अपने होशों हवास में नहीं थी इसलिए वह विनोद का विरोध नहीं कर सकीं।

सुबह जब वह पूरी तरह होश में आई तो उसका सब कुछ लूट चुका था। उसने विनोद को नफ़रत से देखते हुए कहा “तुम इन्सान नहीं जानवर हो तुमने दोस्ती के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया है ईश्वर तुम्हें इसकी सजा जरुर देगा।

आज के बाद तुम्हारे जैसे जानवर से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है  मैंने खुद को मार्डन दिखाने के चक्कर में अपना सब कुछ गंवा दिया मैंने अपने ही हाथों अपने माथे पर कलंक का टीका लगा लिया अब मैं कभी भी खुद से नजरें नहीं मिला पाऊंगी विनोद मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझा और तुम तो भेंड़ की खाल में भेड़िये निकले”

इतना कहकर शालिनी फूट-फूटकर कर रो पड़ी विनोद खड़ा शालिनी को देखकर कुटिलता से मुस्कुरा रहा था उसने बेशर्मी से हंसते हुए कहा,” शालू तुम भी क्या बात लेकर बैठ गई हो तुम जवान हो सुन्दर हो तुम्हें तो खुश होना चाहिए मैंने तुम्हें जवानी का स्वाद चखा दिया तुम्हारा जिस्म बहुत ही खूबसूरत है ऐसी जवानी मैंने पहले कभी नहीं देखी ये रोना धोना छोड़ो और मेरे साथ

जिंदगी का मजा लो आज रात मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा आज मैं शैम्पेन की बोतल खोलकर रखूंगा शैम्पेन पीने के बाद जब तुम्हारा जिस्म मेरी बाहों में होगा तो स्वर्ग का मजा आएगा अब सती सावित्री बनने का नाटक छोड़ो उठकर कपड़े पहनो रात को पढ़ने के बहाने आना जब-तक तुम्हारी शादी नहीं होगी मैं तुम्हें मर्द का सुख दूंगा” 

विनोद की बात सुनकर शालिनी के पूरे बदन में आग लग गई उसने  एक जोरदार थप्पड़ विनोद के गाल पर लगाते हुए गुस्से में दांत पीसकर कहा,” तू इंसान नहीं दरिंदा है मुझे तो शर्म आ रही है मैंने तेरे जैसे जानवर से दोस्ती की अगर मैंने किसी कुत्ते से दोस्ती की होती तो वो भी वफादार होता तूझे तो जानवर कहना भी जानवर का अपमान है आज के बाद अगर तू मेरे सामने भी आया तो तूझे जान से मार दूंगी”  उस समय शालिनी की आंखों में अंगारे दहक रहे थे

शालिनी का ऐसा रूप देखकर विनोद का चेहरा डर के मारे सफेद पड़ गया उसने घबराकर अपनी नजरें झुका ली शालिनी ने उसे घृणा से देखा फिर अपनी बेवसी पर उसकी आंखों से आंसू छलक आए वो अपना सब कुछ गंवाकर अपने घर लौट आईं, उसके बाद उसने कभी भी विनोद से कोई सम्बन्ध नहीं रखा विनोद भी उससे दूर ही रहा

शालिनी के दूसरे दोस्तों ने उससे पूछा भी कि,वो विनोद के घर स्टडी के लिए क्यों नहीं आती तब उसने कहा उसकी मां को रात में बाहर रहना पसंद नहीं है उस घटना के बाद वो कभी रात को किसी दोस्त के घर नहीं गई उसका तो दोस्ती पर से विश्वास ही उठ गया वो अपने अनकहे दर्द को अपने मन में ही छिपाए रही।

उसके बाद वह गुमसुम रहने लगी उसके मम्मी-पापा ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने झूठी कहानी बनाकर सुना दी, उसने कहा, “उसकी सहेली के मम्मी-पापा की एक्सीडेंट में मौत हो गई है इसी वजह से वो परेशान है ” इसी बीच उसकी बैंक में नौकरी लग गई और वो  दूसरे शहर चली गई थी।

आज  पूरे तीन साल बाद जब वो घर आईं तो उसने अपनी मासूम बहन को भी वही नादानी करते हुए देखा जो वह वर्षों पहले कर चुकी थी।

वह अतीत से वर्तमान में लौट आईं उसने आज फैसला कर लिया कि, वह अपने मम्मी पापा को अपने साथ घटी उस घटना के बारे में सब कुछ बता देंगी जिस अनकहे दर्द को आज तक उसने छुपाएं रखा था अब उसे बताने का समय आ गया है।

वह सुबह का इंतजार करने लगी जैसे ही मोना सुबह घर आईं उसने उसे मम्मी पापा के कमरे में बुलाया और बैठने के लिए कहा।

शालिनी ने गम्भीरता से कहा” पापा आज मैं आप लोगों से कुछ कहना चाहती हूं जिसे मैंने वर्षों से अपने दिल में छुपा कर रखा है वो राज वो अनकहा दर्द अब मुझसे सहन नहीं होता”।

“क्या बात है बेटा तुम किस राज किस अनकहे दर्द के बारे में हमें बताना चाहती हो? तुम इतनी गम्भीर क्यों हो क्या बात है ?

शालिनी के पापा ने उतावले होकर पूछा

शालिनी ने गहरी सांस ली फिर उसने वर्षों पहले अपने साथ घटी घटना के बारे में अपने घर वालों को बता दिया।

शालिनी की कहानी सुनकर उसके पापा स्तब्ध रह गए पर सुनीता जी के चेहरे पर कोई भाव नहीं था वो बस शालिनी को देखती रहीं। तभी शालिनी ने मोना से कहा मोना जो गलती मैं ने की है वह तुम ना करों वरना मेरी तरह जीवन भर स्वयं को माफ़ नहीं कर पाओगी और तुम्हारी आत्मा पर लगा घाव तुम्हें जीवनपर्यंत दर्द देता रहेगा उस दर्द को तुम किसी से कह भी नहीं पाओगी।

इस दुनिया में इंसान के रूप में जानवरों की कोई कमी नहीं है जिन्हें पहचानना भी बहुत मुश्किल होता है”

अपनी बात कहकर शालिनी चुप हो गई फिर अपनी मां के पास जाकर जमीन पर बैठकर उनकी गोद में सिर रख दिया और रोते हुए बोली “मुझे माफ़ कर दो मम्मी मैंने आपको गलत साबित करने के लिए स्वयं को ही बर्बाद कर लिया” ।

सुनीता जी ने कुछ नहीं कहा बस उनकी अंगुलियां  शालिनी के बालों में कंघी करने लगीं बेटी का दर्द महसूस करके  उनकी आंखों में आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा ।

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!