पूरब पढ़ा लिखा होनहार लड़का था। पिता की मृत्यु के बाद माँ ने ही पाल पोसकर बड़ा किया था । आज अपने दम पर उसने सरकारी नौकरी पाई थी । नौकरी करते हुए दो साल हो गए थे।
उसकी माँ उसके पीछे पड़ गई थी कि नौकरी करते हुए तुझे दो साल हो गए हैं अब तो मेरी बात मान ले शादी के लिए हाँ कह दे ना । माँ को नाराज़ नहीं करना चाहता था परंतु क्या करें वह कुछ साल और माँ को खुश रखना चाहता था । इसीलिए शादी के लिए हरी झंडी नहीं दिखा रहा था ।
कहते हैं न समय का पहिया हमें कैसे घुमाता है कि हम भी मात खा जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है ।
वैसे ही एक दिन पूरब ऑफिस से घर आया था तो उसके मामा जी आए हुए थे । पूरब ने उन्हें नमस्ते किया और हाल-चाल पूछकर अंदर फ़्रेश होने चला गया था । माँ ने चाय बनाकर पूरब को बुलाया वह बैठक में चाय पीने आ गया ।
माँ भी वहीं बैठ गई थी । इधर उधर की बातें करने के बाद मामा जी मुद्दे पर आ गए थे कि उनके पहचान में एक लड़की है जो पढ़ी लिखी नहीं है परंतु घर के सारे कामकाज में निपुण है ।
पूरब ने उन दोनों से कहा कि , आप लोग किस ज़माने में जी रहे हो । आजकल पढ़ाई का बहुत ही महत्व है । नौकरी करने की ही ज़रूरत नहीं है पर माँ कम से कम अपने बच्चों को पढ़ाने बैठ जाएँ यही बहुत है ।
मामा ने कहा–देख पूरब तू बहाने मत बना बच्चों को ट्यूशन भेज कर भी पढ़ाई पूरी करा सकते हैं । समझने की कोशिश कर उसे घर के सारे काम आते हैं पढ़ाई के बारे में उनके माता-पिता की राय यह है कि कितना भी पढ़ा लो पर लड़कियों को रसोई ही सँभालना है । इसलिए उन्होंने सोचा उन पैसों को भी दहेज में दे देंगे । मामा आप खुद सोचिए माँ ने भी पढ़ाई नहीं की थी । पापा की मौत के बाद मुझे पालने के लिए उन्हें कितनी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ा था । आपका सहारा नहीं होता तो क्या हुआ होता ।
देख पूरब तब की बात अलग है वैसे भी हम बुरा क्यों सोचें बेटा वैसे भी शुभ अवसर पर शुभ शुभ बोलना चाहिए ।
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अब तू मेरी बात सुन एक बार मेरे साथ चल कर उस लड़की को देख ले । मैंने उन लोगों से वादा किया है कि मैं तुम्हें लेकर जरूर आऊँगा । मेरी बात रख लेना चाहे तो लड़की को देखने के बाद पसंद नहीं आया है कहकर मना कर देना ।
पूरब को यह बात अच्छी लगी थी कि मैं लड़की को देख कर पसंद नहीं आई तो मना कर सकता हूँ। बस आनन फ़ानन सब मिलकर लड़की को देखने उनके घर पहुँच गए ।
ईश्वर की कृपा थी या पूरब की नज़रों का धोखा कि पूरब ने उस लड़की को देखा और हाँ कह दिया था । शायद इसे ही भाग्य का फ़ैसला कह सकते हैं क्योंकि उस समय किसी ने भी क्या पूरब को भी याद नहीं था कि वह लड़की पढ़ी लिखी नहीं है । पूरब ने घर से निकलने के पहले पढ़ाई के महत्व के बारे में जो भाषण दिया था उसे भी ताक पर रख दिया और शादी के लिए राजी हो गया था ।
जब लड़के लड़की की तरफ़ से हाँ हो गई थी तो फिर देर किस बात की है सोच कर बड़ों ने शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया था । कुछ ही दिनों में दोनों की शादी धूमधाम से हो गई थी । अब तक हमने वह लड़की कहा था पूरब की पत्नी को असल में उसका नाम प्रीति है । प्रीति ससुराल में आकर यहीं की हो गई थी । पूरब भी उसे बहुत प्यार करता था । उसमें बस यही एक कमी थी कि वह पढ़ी लिखी नहीं है वरना हम कह सकते हैं कि वह तो सर्वगुण संपन्न थी ।
समय के साथ साथ सब कुछ बदल गया था । पूरब और प्रीति के दो प्यारे बच्चे भी हो गए थे । दोनों बहुत छोटे-छोटे थे । इसी बीच पूरब की माँ का भी देहांत हो गया था ।
प्रीति ही पूरे घर को अच्छे से सँभाल रही थी । उनके दिन बहुत ही अच्छे से गुजर रहे थे । कहते हैं न सब दिन एक समान नहीं होते हैं वैसे ही एक दिन पूरब जब ऑफिस से आ रहा था उसके साथ बहुत बड़ी दुर्घटना घटी जिसमेंउसकी मौत हो गई थी ।
पूरब के ऑफिस से लोग आए थे और प्रीति को पूरब की नौकरी देने की बात कह रहे थे । मामा जी भी वहीं खड़े थे । जब ऑफिस वालों को पता चला कि प्रीति पढ़ी लिखी नहीं है तो उन्होंने कुछ नहीं कहा और जो भी पैसे सरकार की तरफ़ से मिलने थे । वह सब उसे दिला दिया था । सिर्फ़ थोड़े से पैसों से तीन लोगों की ज़िंदगी नहीं सँवर सकती है। उसे पूरब की नौकरी भी मिल जाती थी तो ज़िंदगी सँवर जाती थी । बच्चों की पढ़ाई लिखाई उनके सपने सब पूरे कैसे होंगे यह सोचते ही प्रीति की हिम्मत टूट गई । एक दिन उसने एक फ़ैसला लिया और एक रात जब मामा जी सो रहे थे तो अपने दोनों बच्चों को लेकर समुंदर के किनारे ख़ुदकुशी करने के लिए चली गई । वहाँ के गार्ड ने उसे देखा और पुलिस को बुला लिया था और उनकी सहायता से उसे घर ले कर आए । लोगों की बातों से मामा जी नींद से जागकर बाहर आते हैं और पुलिस की बातें सुनकर टूट जाते हैं ।
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उन्होंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि प्रीति ऐसा करेगी । उन्होंने मन ही मन ठान लिया था कि प्रीति को किसी भी तरह थोड़ी बहुत पढ़ाई कराकर रहूँगा ।
यह सोचते ही उन्होंने प्रीति को बिठाकर गलत कदम उठाने के लिए डाँटा । उसे हिम्मत दी कि ख़ुदकुशी ही सब समस्याओं का हल नहीं होता है । जब तुम कोशिश करोगी तो सफलता ज़रूर मिलेगी और तुम अकेली नहीं हो मैं तुम्हारा साथ दूँगा । उससे वादा भी लिया था कि फिर कभी ऐसा कदम नहीं उठाएगी । प्रीति ने भी मामा जी की बात मानकर उनसे माफ़ी भी माँग लिया था और वादा किया था कि अब कभी भी वह ऐसे कदम नहीं उठाएगी साथ ही अपनी आगे की ज़िंदगी सँवार लेगी और अपने बलबूते पर अपने बच्चों की परवरिश भी करेगी ।
मामा जी पूरब के घर में ही प्रीति के साथ उसका सहारा बनकर रहते हुए उसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहन देने लगे थे । इस बीच पूरब की भविष्य निधि का उपयोग घर चलाने के लिए किया और प्रीति को पढ़ने के लिए भेज दिया । प्रीति ने भी बहुत ही शिद्दत से पढ़ाई किया । माँ और बच्चे बैठकर एक दूसरे को सुझाव देते हुए पढ़ते थे । इस तरह प्रीति ने बच्चों के साथ मिलकर पढ़ाई की और अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाया कि जहाँ चाह होती है राह अपने आप मिल जाता है ।
मामा जी जब भी प्रीति को मेहनत करते हुए देखा हैं तब उन्हें पूरब की बात समझ में आई थी कि लड़कियों के लिए पढ़ाई करना कितना आवश्यक है ज़रूरत पड़ने पर यही पढ़ाई उनके काम आती है क्योंकि
जाने कब ज़िंदगी में कौन सा मोड़ आ जाए ये कोई नहीं जानता”
के कामेश्वरी
#जाने कब ज़िन्दगी में कौन सा मोड़ आ जाये ये कोई नहीं जानता….