कल मेरी ननद विभा का जन्मदिन था । विभा दीदी मेरे पति से आठ साल बड़ी हैँ ।
नंदोई मनोज जी दस साल हुये SBI से ब्रांच मेनेजर के पद से रिटायर हो चुके हैं ।
सुबह जब उनको शुभकामनायें देने के लिये फोन किया तो उन्होंने हमें अपने यहां लंच पर इनवाइट कर लिया । और इसरार भी किया कि लेट मत होना ।
वो देहली में मॉडल टाउन में रहती हैं । उन्होंने बताया कि अमेरिका से उनका बेटा और बेटी भी परिवार सहित आये हुये हैँ
हम उनके फ्लैट पर पहुंचे तो कमरा भरा हुआ था परिवार के सदस्यों से । विभा दी किचन में अकेली लगी हुई थी तैयारी में ।
मैंने उन्हें इस उम्र में किचन में खटते देखा तो रहा नहीं गया । मैंने कहा “दीदी यह कैसा जन्मदिन हुआ , आप अकेली किचन में हैं “।
बाकी सब नहाने धोने , तैयार होने में मस्त थे । उनकी ब्याहता बेटी नमिता और बहु एकता अपने छोटे बच्चों में लगीं थीं ।
जीजा जी ड्राइंग रूम में बैठे टी वी पर कोई फिल्म देख रहे थे । मैंने दीदी की मदद करनी चाही लेकिन उन्होंने कहा कि सब तैयारी हो चुकी है ।
इतने में बेटा केक लेकर आ गया । जीजा जी ने सबको आवाज़ दी “आ जाओ केक काटें “।
दीदी भी पसीने से लथपथ साड़ी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई आईं तो केक काटने की रस्म शुरू हुई ।
दीदी ने चाकू पकड़ा ही था कि 3साल की पोती ज़िद करने लगीं कि केक मैं काटूंगी
नाइफ उसके हाथ में दे दिया । सब बड़े ख़ुश हो कर बच्चे की वीडीओ बनाने लगे ।
बेटे ने कहा “मम्मी ,आप ज़रा पीछे हट जाओ , ताकि बच्चे का वीडीओ बन सके”
केक कटा , दीदी ही सब के मुँह में केक डाल रहीं थीं । हैपी बर्थ डे सॉंग गाया गया । उसके बाद लंच लगा दिया गया ।
दीदी के घुटनों में दर्द था मगर जाहिर किये बिना वो दौड़ भाग करती रहीं । खाना खा कर सब अपने अपने बच्चों के साथ घूमने निकल गये ।
सब जूठे बर्तन समेट कर मैं और दीदी खाने के लिये मेज़ पर बैठे तो दीदी के चेहरे पर थकान थी , और मैं सोच रही थी कि मैं किसके जन्मदिन पर आईं हूँ ।
जीजा जी टी वी देखने में मस्त थे । जिसका जन्म दिन था उसकी तरफ़ तो किसी का ध्यान भी नहीं था ।
क्या ही अच्छा होता अगर कुछ स्नैक्स और खाना बाहर से मंगवा लिया जाता ताकि दीदी को ख़ुद ही सारा इंतजाम अकेले न करना पड़ता । या फिर केक घर में काट कर सब लोग किसी रेस्टोरेंट में जाकर लंच करते , दीदी की आऊटिंग भी हो जाती ।
अनु ‘ इंदु ‘