जैसी करनी वैसी भरनी – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज फिर ऑफिस में रूमा के बॉस ने उसे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। काम में मगन रूमा हाथ पर कुछ रेंगता हुआ महसूस कर जैसे ही चिहुँक कर अपना हाथ हटाया तो देखती है कि उसका बॉस उसके बगल में खड़ा धूर्तता से मुस्कुरा रहा था। रूमा के तन बदन में आग लग गई.. लेकिन घर के हालात सोच फिर चुप रह गई। 

“रूमा नाम है.. कभी तो रूमानी हो जाया करो।” कहकर मुस्कुराता हुआ बॉस अपने कैबिन की ओर बढ़ गया।

“क्या कर सकते हैं रूमा.. हमारी नियति यही है.. ना नौकरी छोड़ सकते हैं.. ना ही कुछ कर सकते हैं।” रूमा के साथ काम करने वाली सपना ने कहा। उसकी बातों को सुनकर रूमा की आँखों में आँसू आ गए। रूमा, सपना, रूबी तीनों एक ही हाॅस्टल में रहती हैं और एक ही कंपनी में काम करती हैं।

इसके अलावा तीनों में ही एक साम्य है कि उनकी कमाई से उनका घर चलता है। इसके कारण तीनों अपने बॉस के गलत इरादों को मन में ढ़ोती चलती है। पैरों को घसीट कर ऑफिस की सीढ़ियाँ मजबूरी में चढ़ती हैं और अपमान के कोष में एक और अपमान जमा कर चेहरे पर मुर्दनी लिए शाम में हॉस्टल लौट जाती हैं। ऑफिस के पुरुष भी चुप्पी साधे तमाशा देखते हैं.. कौन आफत मोल ले.. सब यही सोचते हैं।

ठंड की सुबह हॉस्टल के बगीचे में रूमा बैठी पत्तियों पर पड़ी ओस की बूँदों को देख रही थी। तभी रूबी और सपना उसे खोजती हुई बगीचे में आ गई।

“रूमा यहाँ बैठी हो.. नींद खुली तो तुम्हें कमरे में नहीं देख घबरा गई थी मैं और सपना।” रूबी कहती है।

“इतनी ठंड में खुद को बिना चादर में लपेटे क्यूँ बैठी हो रूमा।” सपना पूछती है।

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इन ओस की बूँदों को देख रही हो, अकेले एक जगह ही रूकी रहती है और फिर विलीन हो जाती है। अब ये देखो… बोलकर रूमा पत्तियों पर पड़ी सारी ओस की बूँदों को मिला देती है.. देखा.. ये सब भी जब मिल गई तो जिधर इच्छा हुई उधर बहने लगी… बेखौफ.. रूमा कहती है।

“अगर हम तीनों भी बिना डर के एक होकर निर्णय लें तो ऑफिस में होने वाली घटना के कारण रोज रोज की बेइज्जती से शर्मिंदगी से पीछा छूटेगा…नहीं तो इनका मन बढ़ता जाएगा और हमारी जैसी कितनी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार होता रहेगा।” रूमा कहती है।

“पर कैसे.. क्या करना है?” दोनों पूछती हैं।

“ये कब काम आएगा। थोड़ी हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी” हाथ के मोबाइल को हिलाती हुई रूमा कहती है।

“क्या बात है स्वप्न सुन्दरी.. बहुत हाॅट लग रही हो।” सपना के कंधे को दबाता हुआ बॉस कहता है।

सपना एक बगल होकर खड़ी हो जाती है। इसमें डरने वाली क्या बात है… कोई पराये थोड़े ना हैं हम.. कहकर बॉस उसके बालों में हाथ डालने की कोशिश करता है। सपना बॉस के हाथ को झटक रूमा के पास जाकर खड़ी हो जाती है और बॉस दोनों को गंदी सी मुस्कान देता हुआ चला जाता है।

“अब शर्मिंदा होने की बारी उसकी है।” बॉस के जाते ही रूमा सपना के कंधे पर हाथ रखती हुई कहती है। 

सुबह बॉस के घर में हंगामा मचा हुआ था.. उसकी पत्नी और बच्चे मोबाइल पर आए वीडियो को देख कैफ़ियत माँग रहे थे और बॉस कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।

तभी दरवाजे पर दस्तक से सबकी बहस रूकती है और रूमा, सपना, रूबी के साथ पुलिस हथकड़ी लिए जैसी करनी वैसी भरनी के तर्ज पर दरवाजे पर खड़ी थी।

 

आरती झा आद्या

दिल्ली

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