जहां चाह वहां राह – शिव कुमारी शुक्ला : Moral stories in hindi

विनी क्या कर रही है। 

अरे माँ चार दिन रह गए मेरा स्कूल खुलने वाला है सो नई किताबें आयेंगीं उन्हीं के लिए अलमारी साफ कर रही हूँ।

 पर बेटा तेरे पापा तो  मना कर रहे हैं आगे पढ़ाने से।

क्यों मम्मी क्या हुआ  मैं तो पूरे जिले प्रथम आई हूँ अपने स्कूल में और साइन्स लेकर आगे पढ़ना चाहती हूँ ताकि डाक्टर , वैज्ञानिक बन सकूँ। अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं।

तभी कमरे में आते पापा ने उसकी बात सुन लीऔर बोले बस हो गई पढ़ाई। लड़कियों के लिए  इतनी पढाई बहुत है अब शादी  कर अपने घर जा और अपनी घर गृहस्थी सम्हाल।

नहीं पापा अभी में बहुत छोटी हूं अभी से शादी । नहीं पापा मुझे अभी पढ़ना है  आप मेरी पढ़ाई बन्द नहीं करवायें।

तेरे ससुराल वाले शादी के लिए बहुत कह रहे हैं सो मुझे अब शादी करनी ही है। असल में विनी की सगाई बचपन में  ही उन्होंने दोस्त के बेटे से कर दी थी। बेटा भी बारहवीं कर रहा था। किन्तु उनकी पत्नी  की तबीयत खराब रहने लगी थी सो घर में काम की परेशानी आने लगी थी , इसलिए उन्होंने सोचा कि बेटे की शादी कर दें बहू आकर घर   सम्हाल लेगी। सो मात्र पन्द्रह साल की बच्ची को शादी के मजबूर किया जा रहा था।

विनी रोने लगी पापा आप मुझे अभी से अपने से दूर करना चाहते हैं। पापा मेरी पढ़ाई मत छुडाओ मैं पूरे विद्यालय की सबसे होशियार छात्रा हूँ मेरा भविष्य मत खराब करें।

ज्यादा  बड़ी -बड़ी बातें  मत बना जो में कह रहा हूं, वही होगा मुझे न सुनने की आदत नहीं है।

 मैं भी आपकी बेटी हूं मुझे भी न सुनने की आदत नहीं है मैं पढ़ाई  नहीं छोडूंगी और न अभी शादी करूंगी।

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सह सुनते ही वे गुस्से से आग-बबूला हो विनी को मारने के लिए हाथ उठाया जबान लडाती है कहते जैसे ही उसे थप्पड़ माराना चाहा बीच में उसकी मम्मी  आ गई क्या करते हो बडी बेटी पर ऐसे हाथ उठाते हैं क्या। उसकी बात समझने की कोशिश करो। यह सब तुम्हा‌री शह पर बोल रही है तुम  ही इसे उल्टा ज्ञान दे रही हो बेटी पर हाथ नहीं उठाते तो मैं तुम्हारे ऊपर तो उठा सकता हूं कहते एक जोरदार थप्पड उन्होंने अपनी पत्नी के मार दिया। बेटी के सामने थप्पड खाते नैना जी के आत्म- सम्मान पर गहरी चोट लगी। उन्हें पति से ऐसी अपेक्षा नहीं थी।

दोनों  मां-बेटी शहर जाने को तैयार हो जाओ शादी  की खरीदारी करने चलना है। शादी नहीं  करेगी वहां मेरा दोस्त परेशान हो रहा है  और ये यहाँ बैठ कर प‌ढ़ाई करेगी, बड़बड़ाते हुए जैसे ही कमल जी जाने लगे मां के अपमान से आहत विनी जोर से बोली। नहीं चलेंगे आपके साथ  न कोई शादी होगी। आप देख रहे हैं  न माँ की हालत वह पढ़ी लिखी नहीं  हैं  पूर्णतया आपके ऊपर निर्भर है इसीलिए आए दिन आपके द्वारा मार खाकर गालियां सुनकरअपने बच्चों के सामने आपमानित होती रहती हैं, मुझे भी आप मां जैसी  जिन्दगी देना चाहते हैं। में भी जिन्दगी भर माँ की तरह पिटती रहूं , गालियां सुनती रहूँ। मैं मरना पसंद करुगीं पर ऐसी जिंदगी नहीं।

 वे गुस्से से बोले देख अपनी बेटी को अभी तो केवल दसवीं  तक ही पढी है तब  इतनी  बडी-बड़ी बातें अपने बाप के सामने बोलने लगी है यदि और पढली तो क्या करेगी। विनी बोली और आप माँ को क्यों सुना रहे हैं  ,  और पढ  लूंगी तो आत्मसम्मान से जी पाऊंगी ।

अब उनके क्रोध का ठिकाना नहीं था,बोले नैना समझा लें इसे नहीं तो मार -मार कर हड्डी तोड़ दूंगा इस की। कहते बाहर चले गए।

माँ-बेटी एक दूसरे के गले लग  रोती रहीं। बेटा  मैं  तो चाहती हूं कि तू पढे और  अपने पैरों पर खड़ी  हो जाए तो रोज-रोज मेरी जैसी जिल्लत भरी जिन्दगी तो न जीनी पड़े  पर मैं मजबूर हूं देख लिया न  तूने। मां चिन्ता मत कर में सब सम्हाल लूंगी । बेटी का आत्मविश्वास देखकर चकीत रह गई । पापा के साथ गई, खरीदारी भी करी किन्तु  विनी  का दिमाग तेजी से घूम  रहा था कि वह कैसे शादी को रोके। वह अपने आपको असहाय पा रही थी। तभी उसे ध्यान आया अपनी टीचर मैडम का जो उसे बहुत प्यार करती थीं सो  उसने उनसे साहायता लेने की सोची। पापा ने उसके घरसे निकलने पर भी रोक लगा दी थी। सो उसने  पापा से कहा पापा मैं  एक बार स्कूल जाकर अपनी सहेलियों से मिल आऊं।

जा मिल आ। 

अनुमति पाकर वह दौड़ती हुई सी अपने स्कूल गई। और सीधी उन मैडम  के पास गई और रोते हुए उन्हें अपनी परेशानी बताई। मैडम मुझे कोई रास्ता बताओ ताकि अपनी पढ़ाई जारी रख सहूँ।

वे बोलीं ठीक है मैं तुम्हारे पापा  को समझाने की कोशिश करती हूँ।  

नहीं मैडम वे आपकी बात नहीं मानेंगे और कहीं आपको अपमानित कर दिया तो मुझे अच्छा नही लगेगा।

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नहींं ऐसा कुछ नहीं होगा में प्रधानाचार्या मैडम से भी बात करती हूँ। तुम अभी घर जाओ।

 दो दिन बाद स्कूल से बुलावा आया तो वे बोले कि मेरी बेटी ने तो पढाई छोड दी है मुझे क्यों बुलाया है।

चपरासी बोला सर मुझे नहीं मालूम क्यो बुलाया है औरों को भी बुलाया है ये   पत्र उन्हें भी देने जा रहा हूँ।

कमल जी ने जाने की सोची। जब वे  प्रधानाचार्या जी से मिले तो उन्होंने सम्मानपूर्वक उन्हें बिठाया और  विनी के स्कूल न आने का कारण पूछा कि वह हमारे स्कूल की होनहार छात्रा है स्कूल खुले सप्ताह भर हो गया वह क्यों नहीं  आ रही है।

मैडम अब वह नहीं पढ़ेगी में अगले महिने उसकी शादी करने जा रहा हूं।

अरे आप इतने समझदार होकर अपनी बच्ची के भविष्य से खिलवाड करने जा रहे हैं , वह बहुत बुद्धिमान  है आगे चल कर बहुत उन्नति  करेगी, आपका नाम रोशन करेगी, उसकी पढ़ाई  छुडाने की गल्ती  मत करीए। अभी उसकी उम्र ही  क्या है महज पन्द्रह साल उसके नाज़ुक कन्धों पर आप गृहस्थी का  बोझ डाल कर उसकी जिंदगी  बर्बाद क्यों करना चाहते हैं। 

मैडम हमारे खानदान में बेटियों को पढाने रिवाज नहीं है उसने तो अपनी जिद से दसवीं कर ली है आगे पढे कर क्या  करेगी।

खानदान के रिवाज को बदला भी तो जा सकता है कमल जी । विनी आपका,  आपके खानदान का चमकता हीरा है उसे धरातल तो 

दो पैर आगे बढाने  को खुला आकाश दो उड़ान भरने के लिए फिर देखें कैसे वह आपके खानदान का और आपका नाम रोशन करती  है।फिर बालविवाह कानूनन अपराध भी है क्यों इस अपराध के भागी बनना चाहते हैं आप। आप शांत मन से सोचें कि आप अपनी बेटी के साथ क्या करने जा रहे हैं उत्तर खुद ब खुद आपको मिल जाएगा कल से विनी को खुशी-खुशी विद्यालय भेजें मेरा यह आपसे विनम्र आग्रह है। कमल जी प्रधानाचार्या  के बात करने के ढंग से उनके व्यकित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके और सोचा यह सब पढाई का परिणाम है। अब विनी उन्हें उसी रूप में दिखाई दे रही थी। घर जाकर भी वे प्रधानाचार्या जी से हुई बातों  पर मनन करते रहे।

आखिर में उन्होंने  स्वयं को इस बात के लिए  मना लिया कि विनी आगे पढेगीअभी से शादी कर घर गृहस्थी के पचड़े  में नहीं पडेगी। वे विनी के कमरे में  गए तो देखा विनी किताबें हाथ में लिए बैठी रो रही थी। उसके पास  बैठ कर प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराते बोले मेरी बेटी क्यों अपने आँसू बहा रही है इन्हें तो बाद में विदाई के समय के लिए बचा के रख अभी तो कल से स्कूल जाने की तैयारी कर ।

 यह सुनते हो विनी ने  पापा की ओर देखा क्या कहा पापा  आपने।

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जो तुमने सुना वही अब कोई शादी नहीं होगी कल से तुम  स्कूल जाओगी और अपनी पढ़ाई पूरी करोगी। अब तो खुश हो  जा। 

विनी खुश हो अपनी पापा के गले लग गई पापा आप नहीं जानते कि आपने यह कहकर मुझे कितनी खुशी दी है और पापा सॉरी, मैंने आपसे गुस्से में जो कहा उसके लिए। किन्तु पापा एक बात और आपसे कहना चाहूँगी कि आप मेरी  मां का बात-बात पर अपमान करना छोड दें क्या आप जानते हैं जब वह अपने बच्चों के सामने अपमानित होती  हैं तो उन्हें कितनी शर्मिन्दगी महसूस होती है। यदि आपस में किसी बात को लेकर भतभेद है और तकरार होती भी है तो वह स्वस्थ तरीके से  होनी चाहिए  न कि हिंसक तरीके से ।

विनी मैं तेरी बातों से सहमत हूं आगे से ऐसा करने से अपने रोकने का  प्रयास करूंगा।

शिव कुमारी शुक्ला

4-4-24

स्व रचित मौलिक एवं अप्रकाशित

शब्द प्रतियोगिता***तकरार

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