सुचित्रा खाना बना रही थी कि फोन की घंटी बजी …… पति कृष्णमूर्ति सब्ज़ियाँ लाने के लिए बाज़ार गए हुए थे …….. इसलिए उसने ही फ़ोन उठाया …….. अभी हेलो कहा भी नहीं था कि बेटी सुधा ने कहा …… माँ मुझे आप से अर्जेंट काम आ गया है ……. दो दिन के लिए मेरे घर आ सकतीं हैं क्या? ना मत करना मैं आपका इंतज़ार करूँगी!!! …….. उसका गला रुँध गया था …… वह कहती जा रही थी कि मुझे आपकी बात आज भी याद है माँ जब आपने कहा था “ जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा “ ! कहते हुए गले से आवाज़ नहीं निकली और उसने फोन रख दिया ।
सुचित्रा का दिल घबरा रहा था ….. बहुत सारे विचार मन में आ जा रहे थे….. ऐसी कौनसी बात हो सकती है ….. जो मुझे उसने अर्जेंट बुलाया है ……. मन किसी अनहोनी की शंका से भर गया था ।
कृष्णमूर्ति जैसे ही बाज़ार से वापस लौटे…. सुचित्रा ने उनके हाथों से सामान लिया …….उनके हाथों में पानी का गिलास थमाकर सामान जमाने लगी ।
कृष्णमूर्ति ने आश्चर्य से सुचित्रा की तरफ देखा क्योंकि वह सारी सब्ज़ियों के दाम …. जब तक नहीं पूछ लेती साँस नहीं ले लेती थी …… आज कुछ कहा ही नहीं!! उन्होंने पानी पीने के बाद पूछा क्या बात है ? कुछ परेशान सी लग रही हो?
सुचित्रा- सुधा ने मुझे अर्जेंट अपने घर दो दिन के लिए बुलाया है ।
कृष्णमूर्ति- तुमने पूछा नहीं क्या बात है?
सुचित्रा- वह घबराई हुई थी और जल्दी से फोन काट दिया था …… इसलिए पूछ नहीं सकी। आप आज रात की ट्रेन की टिकट बुक करा दीजिए …….. कल सुबह तक पहुँच जाऊँगी । लक्ष्मी से कह देती हूँ …….दो तीन दिन आपके लिए खाना बनाकर दे देगी ।
कृष्णमूर्ति ने ठीक है कहकर लैपटॉप लेकर आए और ऑनलाइन ही सुचित्रा का एक बैंगलोर का टिकट बुक कराया ।
उन दोनों ने जल्दी से खाना खाया …… सुचित्रा ने लक्ष्मी को खाने के लिए फोन पर बताया….. और एक छोटे से …..बैग में अपना सामान रखा ।
उन्हें याद आया कल ही थोड़े से लड्डू और मुरकुल बनाए थे ……..उन्हें नातिन सौम्या के लिए पैक कर लिया क्योंकि खाली हाथ कैसे जा सकते हैं ।
कृष्णमूर्ति , सुचित्रा को स्टेशन छोड़ने गए और उन्हें बार-बार आगाह किया कि पहुंचते ही फोन कर देना और बिटिया को क्या प्रॉब्लम है …….वह भी बता देना ।
सुचित्रा जी ने सबके लिए सर हिला दिया ट्रेन चल पड़ी……..सुचित्रा से कुछ खाया भी नहीं गया और रात भर सो भी नहीं सकी ।
ट्रेन सुबह ही बैंगलोर पहुँच गई ….. सुचित्रा कई बार सुधा के घर आ चुकी है …….इसलिए आटो लेकर ….उसके घर पहुँच गई ।
घर के सामने जैसे ही आटो रुकी …….सुधा भागकर बाहर आई …….जैसे वह माँ का ही इंतज़ार कर रही हो ।
सुधा माँ को देखते ही ……..जल्दी से अंदर ले गई चाय पानी पिलाया । वे कुछ पूछती उसके पहले ही कहा ……..माँ सौम्या अपने कमरे में है …….उससे बात कीजिए ना ! मैं इस बीच खाना बना देती हूँ ।
सुचित्रा ने धीरे से सौम्या के कमरे के दरवाज़े को खटखटाया ……बहुत बार दरवाज़ा खटखटाने के बाद ……. सौम्या ने दरवाज़ा खोला सामने …….नानी को देखकर वह खुशी से उछल पड़ी और उनके गले लग गई ।
उनका हाथ पकड़कर जल्दी से अंदर ले गई और कहा मुझे मालूम था……. माँ आपको जरूर बुलाएगी । चलो अच्छा हुआ आप आ गई ….. अब आप ही मुझे इंसाफ़ दिला सकती हो ।
सौम्या ने बताना शुरू किया कि नानी मैं रोज कॉलेज जाती थी ……. वहीं पर मेरी मुलाक़ात कमल से हुई ……. उसके पिता हमारे कॉलेज के चौकीदार हैं …… वह अपने पिता को कॉलेज छोड़ने आता था ….. हम रोज एक दूसरे को देखते थे……..फिर आपस में बातें करने लगे पता नहीं क्यों मुझे वह भाने लगा …….उसकी हँसी मेरे लिए उसका चिंता करना ………यह सब अच्छा लगने लगा ।
उसने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है तो क्या हुआ ……….मैं पढ़ रही हूँ ! मैं नौकरी कर लूँगी । माँ के पास पैसा है ….. इतना बड़ा घर है तो कमी किस बात की है….. जब आदमी काम करता है और औरत घर सँभालती है तो लोगों को कोई दिक़्क़त नहीं होती है लेकिन जब आदमी घर सँभालता है और औरत नौकरी करने लगती है तो सबको प्रॉब्लम होती है ।
मैं माँ को अभी से बताना नहीं चाहती थी नानी ……….वह तो माँ को अचानक से पता चल गया था । अब बताइए मैंने क्या गलत किया है ? प्यार ही तो किया है ।
सुचित्रा चुपचाप अपनी नातिन के मासूम चेहरे को देखने लगी और सोचने लगी कि इतिहास ऐसे ही दोहराता है शायद । बीस साल पहले सुधा इसी तरह से बातें कर रही थी …….आज उसकी बेटी उसी तरह से बातें कर रही है ।
सुचित्रा ने सोच लिया था कि जो कष्ट सुधा ने भुगते हैं ……. वो नातिन को भुगतने नहीं दूँगी सोचते हुए उसे गले लगाया और कहा जो कुछ भी तुमने कहा है …… वह सब सोलह आने सच है ।
नानी की बातों को सुनकर सौम्या को अच्छा लगा ……चलो !! नानी तो मुझे समझ रही है । सुचित्रा ने उससे कहा कि मैं एक कहानी सुनाती हूँ …….उसे सुनकर मुझे बताना जो हुआ वह ठीक है क्या ?
कहानी सुनना किसे पसंद नहीं आता है सौम्या ने कहा नानी भूख लग रही है ………खाना खाते हुए कहानी सुनूँगी …. सुचित्रा जल्दी से रसोई में गई और सौम्या के लिए खाना परोस कर ले आई ।
उसने बताना शुरू किया कि बीस साल पहले की घटना है …….. एक छोटी सी चुलबुली सी लड़की सलोनी जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी ……. कॉलेज में पढ़ाई करती थी और सहेलियों के साथ घूमना फिरना मस्ती करना यही उसका काम था ……..वह इंजीनियरिंग के आखिरी साल में थी……. कैंपस में उसका सेलेक्शन भी हो गया था ।
एक दिन अचानक वह एक लड़के के साथ घर आई और माता – पिता से कहा ……. हम दोनों शादी करना चाहते हैं …… यह राजेश है हमारे कॉलेज के पास ही …… इसके पिता की चाय की दुकान है और हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं ।
माता-पिता की तो जैसे जान ही निकल गई थी ……. इतनी पढ़ी लिखी लड़की और एक अनपढ बेरोजगार युवक से शादी करना चाहती है । उसे समझाया , बुझाया… डराया धमकाया ……. कोई फायदा नहीं हुआ !! माता-पिता को सोचने का भी मौका …… उसने नहीं दिया और उसके साथ मंदिर में शादी करके आ गई ।
माता-पिता क्या करते? उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था ….. पिता ने ग़ुस्से में कहा कि मैं अपनी जायदाद में से तुम्हें कुछ नहीं दूँगा ……..तुम मुझे अपनी शक्ल भी नहीं दिखाना ……. कहकर उसका सारा सामान बाहर फेंक दिया ।
पिता को ग़ुस्सा आ रहा था कि जिस लड़के से तुम शादी करना चाहती हो …….उसके बारे में जान तो लो वह कौन है ? उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी है ? वह क्या करता है?
कुछ नहीं सीधे प्यार करते हैं और जी लेंगे कहकर माता-पिता से अलग जाकर शादी कर लेना कहाँ की समझदारी है।
माता-पिता भी जब कोई रिश्ता ढूँढते हैं तो दस लोगों से पूछताछ करते हैं …….तब जाकर बेटी का रिश्ता करते हैं । उस समय भी कई बार ग़लतियाँ हो जाती हैं…… मैं नहीं कहती हूँ कि माता-पिता के द्वारा लाया गया रिश्ता ही अच्छा होता है लेकिन वे जाँच तो कर लेते हैं ।
सौम्या के दिमाग़ में नानी की बातें बैठ रहीं थीं । उसने पूछा आगे क्या हुआ नानी ?
सुचित्रा ने एक गहरी साँस ली और …..आगे की कहानी सुनाने लगी । सलोनी अपने पति के साथ चली गई ….. माता-पिता भी किसी तरह से ज़िंदगी जीने लगे थे …….शायद आठ महीने हो गए थे ……..अचानक एक दिन सलोनी का फोन आया ……..वह अपने माता पिता से एक बार मिलना चाहती थी ।
पिता के मना करने पर भी माँ ……उससे मिलने उसके बताए पते पर गई देखा ……..वह दूर एक कोने में बैठी हुई थी !!! उसे देखकर लग रहा था कि …….शायद वह माँ बनने वाली है ।
माँ वहाँ उसके पास पहुँची तो …….उसे देखकर सोनल रोते हुए ……उसके गले लग गई । वहाँ बैठकर उन्होंने चाय पीते हुए बातें शुरू की ……… सोनल ने बताया कि आप लोगों के लाख मना करने पर भी …….. मैंने राजेश से शादी कर ली।
माँ हम पाँच, छह महीने तक खुश थे…….. राजेश मेरे आगे पीछे घूमता था ……… मैं उसके प्यार में सिर से पैर तक डूब गई थी
धीरे-धीरे ……वह दो तीन दिन तक ग़ायब रहने लगा …..जब भी पूछती कहता था कि काम ढूँढने जा रहा हूँ ।
मुझे जब पता चला कि मैं माँ बनने वाली हूँ ……..बहुत खुश थी ……मैं राजेश का इंतज़ार कर रही थी!!!! ख़ुशख़बरी बताने के लिए कि अचानक एक औरत …… कुछ लोगों के साथ आ गई और मुझे दिखाकर कहने लगी कि ……. इस औरत ने ही मेरे पति को अपनी जाल में फँसा लिया है ……..मैं अपने दो बच्चों को लेकर कहाँ जाऊँगी ।
मुझ पर जैसे गाज गिर गई थी ……… माँ मैं सकते में आ गई थी उसी समय वहाँ …….राजेश आया और सबसे कहने लगा कि इस औरत ने मुझे …… अपनी जाल में फँसा लिया है…… इसलिए मैं इसके आगे पीछे घूमने लगा हूँ ।
पत्नी और बड़ों के सामने …….उसने मुझे धुत्कार दिया और पत्नी से माफी माँग ली उसका हाथ पकड़कर ……मेरी तरफ देखे बिना चला गया ।
उन्होंने मुझे धमकी दी और यह भी कहा कि पहली……. पत्नी के रहते दूसरी शादी मान्य नहीं होगी …….इसलिए अपने हद में रहो कहकर चले गए ।
माँ मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? ……..इसीलिए मैंने आपको फोन किया कि अब मैं क्या करूँ बताइए?
माँ तो माँ होती है ……इसलिए वह सलोनी को अपने घर ले आई ………वैसे भी वह माँ बनने वाली थी ……उसे सड़क पर धक्के खाने के लिए छोड़ नहीं सकती थी ।
पिताजी ने भी उसे स्वीकार किया और डिलीवरी के बाद ……..उसे किसी तरह से मनाकर नौकरी पर भेज दिया और खुद उसकी बच्ची की देखभाल करने लगे ।
इस बीच सलोनी का तबादला हुआ और वह अपनी तीन साल की ………छोटी सी बेटी को लेकर बैंगलोर यह कहकर चली गई कि …… अब मुझे ब्याह नहीं करना है ……..मैं अपनी बच्ची को नौकरी करते हुए सँभाल लूँगी ।
देखा ना बेटा बिना छानबीन किए…… शादी का फ़ैसला करने का ……..क्या परिणाम हुआ था ।
सौम्या के मन में नानी की बातें घर कर गईं …… उसने मन ही मन ठान लिया कि वह ……..कुमार के बारे में पता लगाएगी ।
सौम्या के कुछ दोस्त जो पढ़ने में होशियार और बहुत ही अच्छे घर के भी हैं …….जब उसने उन्हें कुमार के बारे में बताया तो उन्होंने आश्वासन दिया कि …..हम पता लगा लेंगे कि वह कैसा है!!!!
अपने कहे मुताबिक़ ही …….उन्होंने कुमार के बारे में पता लगाया और बताया कि कुमार अच्छा इंसान नहीं है …….वह ऐसे ही अकेले पैसे वाली ……..लडकियों को फँसाता है और कुछ दिन …….. उनके साथ मौज मस्ती करके उन्हें छोड़ देता है ।
यह सुनते ही सौम्या सकते में आ गई क्योंकि …….वह जानती है कि उसके दोस्त कभी गलत नहीं हो सकते हैं ।
कुमार को रंगे हाथ पकड़ने के लिए …….उसने पुलिस को बुलाया और …….उन लड़कियों को भी बुलाया …….जिन्हें कुमार ने धोखा दिया है और रंगे हाथों ……..उसे गिरफ़्तार करवा दिया।
इस तरह से सौम्या ने ……अपने आपको बचा लिया था। नानी से वादा किया कि …….वो नानी का बताया हुआ रिश्ता ही करेगी । …….पढ़ाई पर ध्यान देगी और नौकरी करेगी। जब सुचित्रा बहुत ही खुश हो कर वापस आ रही थी ……. तब सौम्या ने उनके गले लगकर कहा ……नानी बहुत बहुत शुक्रिया मुझे बचाने के लिए !!! नानी आपने मेरी आँखें खोल दीं हैं । आप से वादा करती हूँ कि……. आपको कभी भी शिकायत करने का मौक़ा नहीं दूँगी!!
सुधा ने एक गहरी साँस ली और सोचा काश मैं भी माँ पापा की बात मान लेती तो यह दिन मुझे…… देखना नहीं पड़ता था ….. ईश्वर को मन ही मन धन्यवाद देते हुए सोचा माँ ने सच कहा था कि जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा। आज माँ नहीं होती तो ……. सौम्या की हालत भी ….. मेरे समान ही हो जाती थी ।
वाक्य- जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा
के कामेश्वरी