जाति – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

क्या आप जानते हैं कि जैसे इंसानों में ऊंची जाती, पिछड़ी जाति, दलिल आदि जातियां होती है उसी तरह जानवरों में भी जातियां होती हैं? नहीं जानते? तो सुनो, इंसानों की जातियां भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने ही बनाई है। शास्त्रों में जातियों का उल्लेख अवश्य है पर उनके साथ ऊंच नीच का

व्यवहार हम इंसान ही करते हैं। उसी तरह जानवरों की जातियां भी भगवान ने नहीं बल्कि हम इंसानों ने ही बनाई हैं। कुछ जानवरों को पूजा जाता हैं ओर कुछ को अपने फायदे के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है। । सबसे सुंदर पक्षी मोर, जिसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्ज़ा दिया गया है। सबसे निम्न जाति गधे ओर

कुत्ते की हैं। जब भी किसी इंसान को किसी को बुरा भला कहना होता है, तो उसकी तुलना गधे या कुत्ते से की जाती हैं। परन्तु जब बात कुत्तों को शेल्टर होम भेजने की होती हैं तो हमें इनपर प्यार आ जाता हैं।

परन्तु सबसे बुरा हाल जानवरों में बकरे का ओर पक्षियों में मुर्गे का हैं, जिसे हर मौके पर काट कर खाया जाता हैं। काटने वाले, बेचने वाले पकाने वाले और खाने वाले किसी भी इंसान को दर्द नहीं होता। अगर यही कुत्ता किसी इंसान को काट ले, ओर वो मर भी जाए तो किसी को कोई फर्क भी नही पड़ता । 

सड़कों पर बैठे अनगिनत आवारा जानवरों से अक्सर बाइक वाले टकरा कर घायल हो जाते हैं ओर कभी कभी अपनी जान भी गवा देते हैं। अगर फर्क पड़ता है तो मरने वाले के परिवार को ओर उसके अपनो को। 

अगर कोई इंसान किसी कुत्ते को मार दे तो कयामत आ जाती हैं। पुलिस विभाग, पशु प्रेमी ओर न जाने कितने एन जी ओ झंडा उठा लेते हैं कुत्तों को बचाने के लिए। क्या कभी मटन चिकन खाते वक्त इसका पशु प्रेम नहीं जागता ? क्या ये पशु प्रेमी कभी उस परिवार से मिले जिन्होंने किसी अपने को खोया है?  नहीं, इन्हें इंसानों से ज़्यादा राजनीति ओर उसकी आड़ में अपनी रोज़ी रोटी की दुकान

चलानी होती है। अगर सच में ये पशु प्रेमी हैं तो इन्हें केवल कुत्तों के लिए नहीं बल्कि हर उस बेजुबान जानवर के लिए आवाज उठानी चाहिए, जिसपर किसी न किसी रूप में अत्याचार होता है। कभी पूजा के नाम पर, कभी उत्सव के नाम पर, कभी जश्न के नाम पर, कभी स्वाद के नाम पर इनको अपने खाने

की थाली में सजा दिया जाता हैं। आज जितने डॉग लवर्स, सरकार के खिलाफ अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं, मेरी राय में आई डॉग लवर्स को पशु लवर्स बन कर काम करना चाहिए ओर  उन सभी जानवरों को एक ही नज़र से देखना चाहिए। आपकी इसपर क्या राय है, जरूर कॉमेंट करें।

रचना

एम पी सिंह 

स्व रचित, अप्रकाशित 

कहानी.. जाति

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