“एक तो ज़बरदस्ती की शादी ,उस पर ऐसा बेरुख़ी भरा व्यवहार…. ये तो ऐसा लगता जैसे किसी को जीते जी मारा जा रहा हो…. बता ना मैंने कहा था क्या अपने घर की बहू बना कर लाओ… खुद ही आई थी मेरा हाथ माँगने तिस पर मेरे मम्मी पापा को भगवान जाने कितने सुहाने सपने दिखा दिए थे
आपकी बेटी को तो हम राजकुमारी बना कर रखेंगे जैसे हमारी तुहीना को रखते हैं …. पर जब से आई हूँ पता नहीं किस बात की खुंदक निकाल रही है।” कनिका अपनी सबसे अज़ीज़ दोस्त राशि से ये सब कह रही थी
“यार कुछ बात हुई होगी… ऐसे मन ही मन सोच कर मनमुटाव करना मुझे जरा भी समझ नहीं आ रहा …..तू ख़ुद ही सोच कर देख… तेरी तरफ़ से तो कोई गलती नहीं हुई…हो सकता है कनु…… तू पहले जैसे व्यवहार करती हो अब नहीं कर रही हो… मैं ये नहीं कह रही तू ही गलत होगी पर सोच कर देख ना जिसे इतनी हसरत से बहू बनाकर लाए हो उसके साथ बेरुख़ापन क्यों ही करेंगे।”राशि कनिका को समझाते हुए बोली
“ तू कहना क्या चाहती है मैं ही ग़लत हूँ…? चल रहने दे बेकार ही तुझसे अपने दिल की बात शेयर कर दी।”कहते हुए कनिका ने फोन रख दिया
पर राशि से बात करने के बाद कनिका सच में सोचने पर मजबूर हो गई कि आख़िर ऐसा क्यों हो रहा ….
कनिका की बुआ की जेठानी ने ही कनिका को पसंद कर अपने घर की बहू बनाया था…. वो शुरू से कनिका को देखती रही क्योंकि वो अक्सर बुआ के घर आया करती थी …बुआ के साथ मिलकर उनके काम में भी मदद करती थी … सौम्य शालीन कनिका को बुआ की जेठानी अचला जी बहू बनाने के लिए अपनी देवरानी पर जोर देती रहती थी…
कनिका के मम्मी पापा को भी जाना पहचाना परिवार मिल रहा था और तुषार अच्छे पद पर कार्यरत था तो ना करने की गुंजाइश ही नहीं रही… पर कनिका का मन अभी शादी करने का नहीं था…वो तुषार से बात भी की थी कि शादी के लिए मना कर दो पर उसने कहा यार मम्मी कब से तुम्हें बहू बनाने के सपने देख रही है ऐसे क्या कह कर मना कर सकता हूँ
और फिर तुम ही सोचो चाची जी भी तो मुझ से सवाल करेगी तो क्या कहूँगा… क्यों नहीं करनी…. ऐसा करो शादी करने का मन बना लो ना….. हो सकता है शादी के बाद सब तुम्हें ठीक लगने लगे….. और मना ही करना है तो तुम ही चाची जी से बोल कर मना कर दो.. कनिका के पास भी कोई चारा नहीं था और वो तुषार की दुल्हन बन कर आ गई…. शुरू के दिनों में नई दुल्हन के मजे ले लिए
उसके बाद जब घर गृहस्थी सँभालने की बारी आई कनिका ने सास से कहा,”मम्मी जी मुझसे ये सब काम नहीं होंगे… मैं ये सब नहीं कर सकती …खाना पकाओ… घर साफ सुथरा रखो… हम एक काम करते हैं ना एक सहायक/ सहायिका जो सही लगे रख लेते हैं …. आप को भी आराम मिल जाएगा ।”
अचला जी कनिका की बात सुन बहुत आहत हुई… जो लड़की अपनी बुआ के साथ लगी रहती थी …संस्कारी लगी आज वो कोई और ही लग रही थी…. वो बोली कुछ नहीं पर उनके व्यवहार में तब से बेरुख़ी सी आ गई थी जिसे कनिका ने भी महसूस किया पर उस पर सोचने को तैयार ही नहीं हो रही थी ।
पता नहीं क्यों आज राशि से बात करने के बाद वो अपनी बुआ को फ़ोन करने का मन बना लिया…
“ हैलो बुआ कैसी है…. आप को पता मम्मी जी मुझसे बहुत बेरुख़ा व्यवहार कर रही है… समझ नहीं आ रहा क्यों..आपसे कुछ कहा है क्या?”कनिका ने पूछा
“ कनु तू ये बता शादी से खुश तो है ना….. तेरा मन नहीं था क्या…. ?“ बुआ ने पूछा
“ सच्ची बोली बुआ मेरा बिल्कुल मन नहीं था शादी करने का … तुषार से बोली भी थी मना कर दो पर वो बोला मैं नहीं कर सकता तुम बुआ से बोल दो… और हम दोनों ही सबकी मर्ज़ी सोच चुप रह गए… आप तो जानती ही हो मुझे ऐसे शादी के बाद की ज़िम्मेदारियों में फँसना ही नहीं था ।” कनिका ने कहा
“ तू भाभी की मदद नहीं करती है क्या?” बुआ उसकी बात सुन कर पूछी
“ ना ,सब काम मम्मी जी ही करती है … मैं तो उन्हें बोली भी इन सब कामों के लिए किसी को रख लेते हैं पर वो तैयार ही नहीं हुई और मुझसे तो ये सब ना होगा ।” कनिका लापरवाही से बोली
“ शायद यही भाभी की बेरुख़ी की वजह है कनु…..माना तेरा मन नहीं था शादी का एक बार बोल तो सकती थी मुझसे… और रही बात काम ना करने की कनु सब यही सोचती है पर बेटा …घर जब अपना हो तो काम भी करने होंगे ना…. मैं भाभी को जानती हूँ
वो सब कामों का बोझ तुमपर कभी नहीं डालेंगी वो तो बस चाहती है तुम भी थोड़ी ज़िम्मेदारी समझो… तुम्हें पता भी है वो जब भी तुम्हें मेरे घर पर देखती थी कहती थी छोटी तेरी भतीजी को बहू बनाकर ले जाऊँगी… इतनी संस्कारी और काम करने में माहिर है
उपर से सबकी कितनी इज़्ज़त करती हैं बता कोई और क्या खोजेंगी बहू में और मुझे भी लगा मेरी भतीजी को इससे अच्छा घर कहाँ मिलेगा और तू भाभी के सोच के अनुरूप कुछ ना कर रही… उन्हें बुरा तो लगेगा ही ना… बेटा अब जब शादी कर ली है तो निभाने का भी सोच…
क्यों भैया भाभी के साथ साथ हमारी भी नाक कटवा रही है….सोचना कनु तू कहीं गलती तो नहीं कर रही …भाभी बहुत अच्छी है कनु उनका दिल ना दुखा …. वो बहुत जतन से बहू बना कर लाई है तुझे उसका तो ख़्याल कर… बाकी तू ख़ुद बहुत समझदार है कहीं ये मनमुटाव मेरे परिवार में दूरियाँ ना ला दे।” इतना कह कर बुआ ने फ़ोन रख दिया
कनिका सोच में पड़ गई बुआ सच ही तो कह रही है… माँ भी घर में अपने से ही सब काम करना पसंद करती हैं और थकने पर जरा कह दो क्यों करती इतना तो कहती …अपने घर में काम तो करना ही पड़ता है बेटा तभी तो घर के हर कोने से लगाव होता है ।
आज कनिका अपनी सासु माँ के पास गई और बोली,“ मम्मी जी मुझे माफ कर दीजिए… मैं आपके किसी काम में मदद नहीं कर रही थी और आपने कभी तुषार से भी कुछ नहीं कहा… चेहरे पर मुस्कान लिए सब करती रही पर आपकी मुझसे बेरुख़ी मुझे अंदर ही अंदर कचोट रही थी आज बुआ से बात करने से समझ आया आप मुझसे बेरुख़ा व्यवहार क्यों कर रही थी… अब आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी आप बताइए मैं क्या करूँ?”
“ बेटा मैं बस यही चाहती हूँ जैसे तुम अपनी बुआ की मदद करती बातें करती मेरे साथ भी वैसे ही रहो… मानती हूँ तुम्हारी सास हूँ पर बेटा ज़रूरी तो नहीं मैं सास जैसे ही व्यवहार करूँ… मैं तो तुहिना की तरह ही तुम्हें समझ कर घर में लाई…उसके ससुराल जाने के बाद उसकी कमी बहुत खल रही थी…मैं तो बस तुम्हें शुरू से जानती थी इसलिए इस घर की बहू बेटी बना कर लाई।” कनिका की सास ने कहा
कनिका सास की बात सुन गले लगते हुए बोली,“ अब आपको इस बेटी से कोई शिकायत नहीं होगी मम्मी….. सच में मैं क़िस्मत वाली हूँ जो आप मुझे मिली।”
दोस्तों कई बार रिश्तेदारी में ब्याह हो जाने पर परिवार के लोग बहू या बेटी के ससुराल वालों की बातें खुलकर कह नहीं पाते…. क्योंकि बदनामी का डर रहता है पर लोग बिना कुछ कहें बेरुख़ी दिखाने लगते हैं जो रिश्तों में दरार ले आता है ऐसे में ज़रूरी है आपसी बातचीत से मनमुटाव दूर कर लिया जाए।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#मनमुटाव
इसी का नाम समझदारी है
Absolutely