इतना  फ़र्क़ क्यों टीचर – सुमिता शर्मा 

रचना और पुनीत एक शिक्षक दम्पति थे और दो  बेहद प्यारी जुड़वाँ बेटियोँ के माता पिता।पर दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर था दिखने में।

जहां  त्रिशा दिखने में बिल्कुल बार्बी डॉल सी लगती,वहीँ काकुल साधारण सी परन्तु बेहद कुशाग्र ।उसकी बोलती आँखे और मीठी बोली सबको पल भर में अपना बना लेती।

रचना जहाँ एक डिग्री कॉलेज में सँस्कृत की व्याख्याता थी ,वहीँ  पुनीत मनोविज्ञान के शिक्षक दोनों ने ही अपनी बेटियों को अच्छी परवरिश दी थी ।

दोनों बेटियां महानगर  के अच्छे और नामी गिरामी स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ती थीं।जहाँ काकुल  बहुत  ही शान्त और प्यारी बच्ची ,वहीँ त्रिशा बहुत ही सक्रिय और चुलबुली। स्कूल की कोई भी एक्टिविटी बग़ैर त्रिशा के पूरी न होती।

साँवली सलोनी काकुल जिस बात को पढ़ लेती जल्दी भूलती नहीँ।हमेशा टॉप रैंक बच्चों में उसका नाम आता पर जब भी स्कूल में कोई भी फंक्शन  होता उसे कभी टीचर सेलेक्ट ही नहीँ करतीं।

दर्शकों की भीड़ में बैठी अपने क्लासमेट्स को बड़ी हसरत से देखती और ताली बजाती। अक्सर अपनी मां से पूछती ,”कि मैम मुझे कभी क्योँ नहीँ लेतीं मम्मी?एक बार कहिये न उनसे कि मुझे भी चान्स दें न”।

“ओ.के. बेटा मैं मैम से जरुर कहूँगी “रचना ने आश्वासन दिया।

माँ  की बात सुनकर ,काकुल की आँखे जुगनू सी झिलमिला उठीं खुशी के मारे।

 

 रचना ने भी एक दिन पेरेंट्स मीटिंग के बाद…उसकी क्लास टीचर से उसकी तीव्र इच्छा देखकर प्रार्थना की ” मैम! एक बार काकुल को भी मौका दीजिये  बहुत पसंद है उसे भी एक्टिंग।”

 

टीचर ने एक उचटती सी नज़र डालकर रचना को आश्वस्त कर दिया ,”डोंट वरी मैम! अबकी बार काकुल को ज़रूर मौक़ा दूँगी”।

 

एक दिन रचना तबियत ख़राब होने के कारण हाफ डे लेकर घर जल्दी आ गयी ।

माँ को घर देखकर  त्रिशा के साथ काकुल भी खुशी से दौड़ती हुई रचना के पास  आयी।



मम्मा !”आज पता है मैम ने  मुझे भी प्ले में सेलेक्ट किया है “द स्लीपिंग ब्यूटी”…प्रैक्टिस भी की थी आपको दिखाऊँ…”काकुल आज रोज़ से थोड़ी ज़्यादा खुश थी।

तब तक पुनीत की भी घर वापसी हो चुकी थी ,उसने भी खुशी से ताली बजाकर कहा ,”वाओ… आज तो हमारी दोनों प्रिंसेस सिलेक्ट हो गईं।

अब मम्मा और पापा दोनों ही प्रैक्टिस देखेंगे और शाम को आइसक्रीम भी खाने चलेँगे।

त्रिशा और काकुल दोनोँ ही प्ले की प्रैक्टिस ख़ुशी-ख़ुशी दिखाने लगीं।

लेकिन पुनीत का चेहरा सफ़ेद पड़ गया और रचना की आँखों के साथ गला भी भर गया।

त्रिशा को प्रिंसेस का रोल मिला था और काकुल को नौकरानी का ,त्रिशा भी पूरे जोश में हुक्म दे रही थी और काकुल उसे निभा रही थी।

अरे!ये काकुल को कैसा रोल मिला है त्रिशा,रचना ने त्यौरियां चढ़ा कर पूछा ?

“सर्वेंट का,क्योंकि ये ब्यूटीफुल नहीँ है मम्मी और सर्वेंट लोग ऐसे ही लगते है,त्रिशा ने थोड़ा  मासूमियत से कहा।

पर काकुल वो इस बात से कोने में जा कर सिसकियाँ लेकर रोने लगी।

“मम्मी!आपने मुझे सर्वेंट्स जैसा फेस क्यूँ लगाया?उसने भरी आँखों से रचना से पूछा?अगर आपने मुझे त्रिशा जैसा फेस लगाया होता तो मैं भी प्रिंसेस बनती।”

“न बेटा !आप तो हमारी सबसे क्यूट और प्यारी प्रिंसेस हो पुनीत ने बाहें फैलाकर कहा।

 

“पता है! हमने आपका नाम काकुल क्योँ रखा ?

क्योँ पापा?

क्योंकि आपकी आँखे बिल्कुल हिरन जैसी हैँ और वह भूल गयी ,अपने पापा के दुलार से।

उन दोनों मासूमों को ये ज्ञान भी नहीँ था ,कि वो क्या कर रहीं हैं और उनके माँ बाप  के दिल पर क्या बीत रही है।शाम को दोनों को वायदे के अनुसार आइसक्रीम भी खिलाई पुनीत ने।

 



लेकिन अगले दिन दोनों ने ही उनकी प्रिंसिपल से बात करने का निर्णय ले लिया।

 

अगले दिन रचना  और पुनीत दोनों तय समय पर स्कूल पहुँच गए ।

प्रिंसिपल  मिसेज कपूर ने अपने पूरे  रुआब के साथ उन दोनों  को बैठने को कहा और उनसे आने का कारण पूछा ? इसके साथ ही खुद को बेहद व्यस्त बताते हुए जल्दी बात खत्म करने की ताक़ीद भी की।

लेकिन पुनीत ने भी बेहद दृढ़ता के साथ कहा ,”मैम आपको आज हमारी बात भी सुननी पड़ेगी और समय भी देना पड़ेगा,क्योंकि मुद्दा बेहद संवेदनशील है।”

“कहना क्या चाहते हैं आप मिस्टर शर्मा?प्रिंसिपल ने थोड़े  तीखे स्वर में कहा।

“वही जो सच है मैम “रचना ने भीगे स्वर में कहा।

मेरी दोनों बेटियों को प्ले में लिया गया ,पर  एक को रोल दिया प्रिंसेस का और दूसरी को नौकरानी का ऐसा क्योँ?

प्रिंसीपल ने थोड़ा चौंकते हुए ,घण्टी बजाई और पियोन को कहा ,कि एक्टिविटी टीचर सोनिया मैम को  मेरे पास भेजिए।”

सोनिया ने भी परेशानी भरे हाव भाव के साथ अंदर दाखिल होते हुए आने की परमिशन माँगी।

“मिस सोनिया !क्या मिस्टर शर्मा की शिकायत सही है या नहीँ”मिसेज कपूर ने प्रश्न किया?

पूरा मामला सुनने के बाद सोनिया बड़ी ढिठाई से बोली ,” सॉरी टू से मैम लेकिन बच्चे को रोल तो उसका लुक देखकर ही दूँगी न और वैसे भी एक प्ले ही तो है।क्या फ़र्क़ पड़ता है जो सर को इतना बुरा फील हो रहा है।”

 



बहुत ज़्यादा फ़र्क़ पड़ता है मैम ,क्योंकि दोनों ही मेरी अपनी बेटियाँ हैं और अगर काकुल को दिया जाने वाला रोल किसी और बच्चे को मिलता तो भी मेरी सोच वही होती जो इस समय है,रचना बोली।

“और क्या मैम !अगर मेरी जगह आप की बच्चियां होतीं तो क्या आप दूसरी बेटी को उसे साधारण लुक्स के कारण नौकरानी के रोल के लिए चुने जाने का कारण बता पातीं,”पुनीत ने थोड़ा ठहर कर कहा।

 

ये बच्चे हैं,बेहद कोमल मन वालेऔर कच्ची मिट्टी के जैसे ; शिक्षण के पेशे में होकर भी  अगर हमलोग भी उनके मन मे ऐसी घटिया बातों के बीज रोपने लगे तो बाकी लोग क्या करेंगे?

 

ज़िम्मेदार नागरिक हो कर भी उन्हें हम ख़ुद ही दूसरे से ख़ुद को कमतर मानने  को …अनजाने में ही सही पर मजबूर कर रहे हैं,और स्लीपिंग ब्यूटी जैसे प्ले से क्या  सीख मिलेगी बच्चों को अच्छा होगा कि उन्हें आप कुछ प्रेरक  सिखाएं ।हमारा इतिहास कई महान व्यक्तित्वों से भरा पड़ा है।

थोड़ी देर के लिए तो ऑफिस में शान्ति छा गयी पर थोड़ा सोचकर मिसेज कपूर ने बेहद सधे स्वर कहा,”मिस्टर एन्ड मिसेज शर्मा ! आप दोनों का सुझाव आदर योग्य है और इस पर हम अमल भी करेंगे ।”

हम गलत थे आपकी शिकायत और सुझाव दोनों पर ज़रूर ध्यान दिया जाएगा।

जी शुक्रिया 

इतना कहकर रचना और पुनीत दोनों ने ही मिसेज कपूर से विदा ली।

और अगले दिन त्रिशा और काकुल फिर स्कूल से घर वापस आयीं बेहद खुशी खुशी, लेकिन अब रोल बदल गया था उन दोनों का अब किरदार  झाँसी की रानी  और उनकी सखी झलकारी बाई का था।

श्रेष्ठ अभिनेत्री का प्राइज भी काकुल ने अपने भावप्रवण अभिनय से जीता और अपनी टीचर के साथ सबका दिल भी।

काश  हमारे  समाज मे भी दौर फ़र्क़ नहीं बराबरी का आये और बच्चों को भेदभावपूर्ण बर्ताव की  नहीँ  खूबसूरत दुनिया मिले।

सुमिता शर्मा 

 

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