सोनू सदर बाजार की एक छोटी सी दुकान में काम करता था शाम 8:00 बजे दुकान का शटर लग जाता था दोपहर में ही सोनू नजदीक के शराब के ठेके से एक इंग्लिश की बोतल हमेशा की तरह खरीद लेता था।
सदर बाजार के मेट्रो स्टेशन के पीछे ही उनके साथी ,,विजय ,, रघु ,, और ,, रमेश ,, जो सोनू की दुकान के आसपास ही काम किया करते थे
किराने की दुकान से प्लास्टिक के चार गिलास नमकीन, पानी की बोतल आदि पहले से ही खरीद कर रख लेते थे।
सोनू के आते ही रोज की तरह बोतल का ढक्कन खुलता 2 घंटे जमकर पार्टी चलती इधर उधर की खूब बातें होती रात के 10:00 बजते ही सब अपनी बाइकों और स्कूटी को स्टार्ट करते और अपने अपने घर आ जाते थे।
कुछ दिनों से सोनू एक बोतल के साथ एक फ्री वाली बोतल भी साथ में लाने लगा।
अपनी अपनी दुकानों की छुट्टी होने के बाद अब तो वह चारो घंटो घंटो दोनों बोतलों को खाली करने में जुटे रहते
पीते पीते रात के कब आठ से नौ और नौ से दस और दस से ग्यारह बज जाते
,, पता ही नहीं चलता था।,,
सोनू नशे में धुत अपनी बाइक में झूमता हुआ अपने घर पटेल नगर पहुंचता लड़खड़ाते हुए अपने घर के दरवाजे की बेल बजाता
उसकी पत्नी,, शीतल,, दरवाजे को खोलती
,, तो ,,, सोनू गुस्से में कहता दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगाई
शीतल घबराते हुए कहने लगी आपका इंतजार करते-करते आंख लग गई थी।
इतना कहते ही शीतल रसोई घर की तरफ चल पड़ी जो खाना रसोई घर में ठंडा हो चुका था उसे जल्दी से दोबारा गर्म किया।
शीतल खाना लेकर जब कमरे में पहुंची तो उनके पति सोनू बिस्तर पर लुढ़के हुए पड़े थे।
शीतल ने बहुत जगाया लेकिन सोनू ने आज कुछ ज्यादा ही पी रखी थी।
शीतल ने सारी रात वहीं बैठे बैठे बिताई।
रात के 3:00 बज चुके थे सोनू की अचानक आंख खुली देखा उसकी पत्नी शीतल वही फर्श पर ही चादर बिछाकर लेटी सो रही थी।
सोनू के सर में दर्द होने लगा भूख भी जोरों की लग रही थी सामने उसकी थाली भोजन से ढकी हुई रखी थी।
एकाएक एक जोर की हवा से खिड़की खुल गई
सोनू को खिड़की के बाहर एक बूढ़ा सा आदमी दिखाई दिया
सोनू मन ही मन में बुदबुदाया
शायद कोई चोर है खाना बाद में खा लूंगा पहले इस चोर को पकड़ता हूं शायद मेरी बाइक चुराने आया होगा।
सोनू ने झट दरवाजा खोला,,
दबे पांव सीढ़ियों से नीचे उतरा और गली में आकर उस बूढ़े व्यक्ति को पकड़ लिया।
सोनू ने जैसे ही उस बूढ़े आदमी को पकड़ा सोनू को एक जोर का झटका लगा जैसे उस बूढ़े आदमी के शरीर में करंट दौड़ रहा हो
सोनू ने हिम्मत दिखाते हुए कहा,, कौन हो तुम ,, ,,यहां क्या कर रहे हो,,
उस बूढ़े आदमी ने शांत स्वर में कहा,, मैं ईश्वर हूं और मैं तुमसे ही मिलने आया हूं,,
सोनू हंसने लगा और हंसते हुए बोला चोर जब पकड़े जाते हैं तो वह अपने आप को बचाने के लिए नई नई बातें बतानी शुरू कर देते हैं।
,, मैं कैसे मान लूं कि तुम ईश्वर हो,,
उस बूढ़े आदमी ने फिर कहा ठीक है पूछो क्या पूछना चाहते हो
सोनू को कुछ सूझ नहीं रहा था उसने अपनी पत्नी के बचपन के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की
उस बूढ़े आदमी ने सोनू का हाथ पकड़ा और एकाएक वहां से अदृश्य हो गया।
सोनू कुछ ही सेकंड में एक फ्लैट की सीढ़ियों पर खड़ा हुआ था साथ में वह बूढ़ा आदमी भी था
वह बूढ़ा आदमी बोला इस फ्लैट के भीतर चलते हैं
दरवाजे को बिना खोले ही वह बूढ़ा आदमी सोनू को फ्लैट के भीतर ले आया
वह देखो बेड पर बैठे-बैठे 10 साल की पतली दुबली से लड़की रो रही थी
तुम्हारे ससुर और सास इस समय थाने में है सामने पड़ोस में रह रहे हरिराम ने आज शराब पीकर अपनी पत्नी सीमा को बहुत मारा नशे में उसने उसका सर फोड़ दिया पुलिस हरिराम को पकड़ कर ले जा चुकी है
शीतल के पिता पड़ोसी होने के नाते गली वालों के साथ थाने गए हुए है।
थोड़ी देर में शीतल के माता-पिता भी घर आ चुके थे बिस्तर पर बैठते हुए आपस में बातें करने लगे
हम यह मोहल्ला ही छोड़ देंगे यहां आए दिन शराब पीकर हरिराम गली के बाहर भी झगड़ा करने लगा है
मैं अपनी बेटी शीतल का रिश्ता ऐसे लड़के से करूंगा जो कभी शराब न पीता हो
भले ही वह गरीब हो उसका मकान छोटा हो
शीतल अपने मम्मी पापा की बातें गौर से सुन रही थी
शीतल मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगी हे ईश्वर जब मैं बड़ी हो जाऊं तो मेरी शादी ऐसे लड़के से करना जो कभी शराब व किसी तरह का नशा ना करता हो
,, जब मनुष्य ज्यादा दुखी होता है और उस समय वह ईश्वर से
जो कुछ भी मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।,,
सोनू वही खड़ा सब देख रहा था और शीतल के मन की बातें भी सुन पा रहा था।
उस बूढ़े आदमी ने कहा सोनू तुम आंखें बंद करो
सोनू ने आंखें बंद की थोड़ी देर बाद आंखें खोली
तो बेड पर एक 20 बर्ष की सुंदर सी लड़की सो रही थी वह बूढ़ा आदमी बोला यह शीतल है जो अब बड़ी हो चुकी है। आओ इसका पीछा करते हैं
,, आज यह कहां-कहां जाती है।
शीतल की आंख खुलते ही मां से बोली मां आज मेरा नौकरी का दूसरा साल है।
पिता को तो 3 वर्ष हो चुके हैं इस दुनिया से गए हुए।
तुम कब तक घर की जिम्मेदारियां निभाती रहोगी
मैं जॉब करूंती हूं और जो भी पैसे इकट्टे करूंती हूं तुम उन पैसों से मेरी धूमधाम से शादी करना लेकिन ध्यान रहे।
लड़का शराबी नहीं होना चाहिए।
मां ने चाय का प्याला आगे बढ़ाते हुए कहा बचपन से सुन रही हूं तेरी यह कहानी
मां थोड़ा करीब आकर शीतल के पास बैठ गई और बोली मुझे सब पता है तू जहां जॉब करती है वहां एक सोनू नाम का लड़का है सुशील है शहर में अपना मकान है शराब इत्यादि से दूर रहता है और तुझे लड़का पसंद भी है।
शीतल शरमाते हुए बोली,, मां,,
जब तुम जानती हो मेरे दिल की बात तो,,
,, कुछ करो,,
मैं आज ही सोनू के घर जाकर तुम्हारे रिश्ते की बात चलाती हूं।
ला मेरी अलमारी से मेरी महंगी वाली साड़ी निकाल एक कोरे कागज पर लिख दे सोनू के घर का पता
पहले मैं मोहल्ले के आसपास के लोगों से पूछूंगी सोनू किस तरह का लड़का है अगर मोहल्ले वालों ने ठीक बताया तो समझो रिश्ता पक्का।
थोड़ी देर में सोनू के मोहल्ले में शीतल की मां पहुंच गई
आते जाते लोगों को देख शीतल की मां एक गली में रुक गई सोनू का घर तो ढूंढ लिया लेकिन घर में घुसने की हिम्मत ना की
सोचा पहले पड़ोस में पूछ लूं
सामने से तीन युवक आते नजर आए उन्होंने आपस में कहा
अरे विजय वह औरत शायद अजनबी लग रही है इस मोहल्ले की नहीं है रघु ने रमेश से कहा चलो चल कर पूछते हैं शायद हम उनकी मदद कर सके
नमस्ते आंटी जी क्या हम आपकी मदद कर सकते हैं
शीतल की मां कहने लगी यहां आस-पास सोनू का घर है
हां हां वह सामने सोनू का ही तो घर है रघु ने तुरंत उत्तर दिया
मेरी बेटी शीतल के लिए किसी ने रिश्ता बताया था सोनू के लिए क्या सोनू कामकाजी जिम्मेदारी निभाने वाला लड़का है।
विजय बीच में बोला वह बचपन से हमारा ही दोस्त है हमने उसे कभी भी शराब पीते हुए नहीं देखा ना किसी तरह का नशा कल शाम को वह कह रहा था वह जहां जॉब करता है उसे वहां तन्खाह कम मिलती है इसलिए उसने सदर बाजार में एक दुकान पर नई नौकरी ढूंढी है वहां उसे कुछ बढ़कर तन्खाह मिल रही है शायद वह अब सदर बाजार में ही काम करेगा।
शीतल की मां बोली,,,
शादी के बाद खर्चे भी बढ़ जाते हैं जिम्मेदार आदमी पहले से ही तैयारियां करनी शुरू कर देता है ताकि घर में आर्थिक स्थिति की नौबत ही ना आए।
शीतल की मां ने आसपास के कुछ लोगों से और पूछा लोगों ने बताया सोनू तो बहुत अच्छा लड़का है पढ़ा लिखा भी है
अपना मकान है घर में एकलौता है
उसकी शादी जिसके साथ भी होगी वह खुश रहेगी
शीतल की मां बहुत खुश थी आज शीतल को ऐसा पति मिलने वाला है जो कभी शराब नहीं पीता
विजय और रघु और रमेश को जब इस बारे में पता चला कि शीतल की मां ज्यादा जोर शराब पर दे रही थी
तीनों ने आपस में फैसला ले लिया एक बार सोनू की शादी हो जाने दो अब तो वह हमारे सदर बाजार में ही दुकान पर काम करेगा
उसे शराब पीने की ऐसी लत डालेंगे कि उसकी पत्नी उसे छोड़ कर भाग जाएगी।
सोनू को जब अपने मित्रों के द्वारा ऐसी बातें सुनने को मिली तो उसका खून उबल गया
उस बूढ़े आदमी ने सोनू को रोका और कहा
अपने बचपन के तुम्हारे तीनों दोस्त है
वह तुम्हारे लिए शराब का इंतजाम करते हैं
दूसरी तरफ तुम्हारी पत्नी शीतल है जो तुम्हारे घर का ख्याल रखती है तुम्हारा और तुम्हारे बच्चों का ख्याल रखती है तुम्हारा घर बनाती है सारी जिंदगी साथ निभाने के लिए अपना घर छोड़ चुकी है
सोनू की आंखों में आंसू थे वह बूढ़े आदमी के चरणों में गिर पड़ा और रोने लगा।
बूढ़े आदमी ने कहा अपनी आंखें बंद करो सोनू ने अपनी आंखें बंद की जब सोनू ने आंखें खोली तो अपने कमरे पर बिस्तर पर लेटा हुआ पाया था खिड़की का दरवाजा खुला हुआ था
उसकी पत्नी शीतल फर्श पर चादर बिछाएं सो रही थी
सुबह के 5:00 बज चुके थे शीतल की आंख खुली
तो अपने पति सोनू के पैरों से जूते उतारने लगी
सोनू एकदम उठा और बोला यह तुम क्या कर रही हो जूते मैं खुद उतार लूंगा
शीतल हैरत से सोनू के चेहरे को देखने लगी और बोली पहले भी जूते में ही उतारा करती थी तुम्हारे ,, लेकिन आज आप मना क्यों कर रहे हो।
अब सोनू किस तरह बताएं कि आज उसने ईश्वर से मुलाकात की है
उसने सामने खिड़की की तरफ देखा तो वह बूढ़ा आदमी एक पल के लिए मुस्कुराया और फिर अंतर्ध्यान हो गया
शीतल एकाएक फिर बोली क्या हो गया उस खिड़की की तरफ क्यों देख रहे हैं आप
सोनू झट बिस्तर से उठा नहा धोकर तैयार हुआ और किचन में शीतल के साथ हाथ बंटाने लगा
शीतल अब भी खामोश थी सोचने लगी पहले तो कभी किचन में मेरा हाथ नहीं बटाया।
सोनू ने एक बार फिर कहा आज अपने हाथों का गरमा गरम खाना पैक कर देना मैं आज से बाजार का खाना नहीं खाऊंगा।
शीतल की आंखें चमक उठी शादी को 14 वर्ष बीत चुके हैं।
शीतल सोचने लगी जब उसकी नई नई शादी हुई थी वह अपने पति सोनू के लिए हमेशा खाना पैक करती थी लेकिन धीरे-धीरे खाना पैक करने का रिवाज खत्म होता गया और सोनू को बाहर बाजार का चटपटा खाना खाने की लत पड़ गई।
शीतल ने आज अपने हाथों से मटर पनीर की सब्जी और नरम नरम रोटियां सोनू के टिफिन में बांध दी।
सोनू अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करके सदर बाजार अपनी दुकान पर पहुंचा आज सोनू खामोश था ,, उसने मन लगाकर काम किया शाम के 8:00 बजते ही दुकान का शटर लगने लगा सोनू ने बाइक स्टार्ट की और सीधा अपने घर पहुंचा
घर के दरवाजे की बेल बजाई शीतल ने दरवाजा खोला और घड़ी की तरफ देखने लगी
आप इतनी जल्दी शीतल एकाएक मुंह खोल कर बोली
सोनू ने कहा अब अंदर भी आने दोगी या गेट पर ही खड़ा रखोगी
सोनू कमरे के अंदर आया टेलीविजन बंद था बच्चे
बाथरूम में हाथ धोने गये थे।
पापा की आहट सुनते ही बच्चे सोनू से लिपट गए बच्चे बोले ,, पापा ,, आप मम्मी और हम सब मिलकर खाना खाएंगे अभी खाना किसी ने नहीं खाया
शीतल किचन से चावल का पतीला दूसरे हाथ में रायता से भरा ढोंगा ले आई फिर दूसरा चक्कर पर गरमा गरम रोटियां और सब्जी का पतीला ले आई
आज सोनू और उसकी पत्नी शीतल और बच्चों ने मिलकर एक साथ खाना खाया खाना खाते समय बड़ा मजा आया
खीरे के छोटे-छोटे टुकड़े कभी बच्चे उठाते कभी शीतल कभी सोनू
कभी किसी के गिलास का पानी खत्म हो जाता तो शीतल जल्दी से खाली गिलासों को पानी से भर देती
इतने में सोनू के माता-पिता जो दूसरे कमरे में खाना खा रहे थे सोनू की आवाज सुनकर झट चले आए
सोनू एकाएक जल्दी से उठा और बोला मुझे किसी ने नहीं बताया बच्चों,,, कि तुम्हारे दादा दादी दूसरे कमरे में खाना खा रहे हैं
आज हम सब दादा दादी के कमरे में खाना खाएंगे
थोड़ी देर में सारे पतीले गिलास कटोरी चम्मच दादा-दादी के कमरे में पहुंच गए।
पूरा परिवार एक साथ भोजन करने लगा।
मानो ऐसा लग रहा हो जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।
बच्चों की दादी शीतल से बोली आज मैं ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कि मैं अपने बेटे सोनू और अपने नाती पोते के साथ आज शाम को खाना खाऊं।
आज ईश्वर ने मेरी सुन ली है
इतने में शीतल बोली रात भर में भी यही ईश्वर से विनती करती रही कि मेरे पति शराब छोड़ दे और छुट्टी होने पर सीधे घर आए लेकिन जब यह सच में घर आ गए तो ऐसा चमत्कार देखकर मैं चकित रह गई।
सोनू चाह कर भी किसी को बता नहीं पा रहा था कि आप लोगों की बात ईश्वर से हुई है लेकिन मैं तो रात भर ईश्वर के ही साथ था।