इस गुनाह की माफ़ी नहीं! –  प्रियंका सक्सेना

आज गार्गी और राकेश बहुत परेशान हैं बार-बार एकदूसरे को देख रहे हैं। वे दोनों पापाजी के रूम में कुर्सियों पर बैठे हैं ,पास में ही पापाजी लेटे  हैं शायद अब जाकर उनकी आँख लग गई है।  तभी उन दोनों ने एकदूसरे को आँखों ही आँखों में कुछ इशारा किया और पापाजी के रूम से बहार आ गए। आते वक़्त उनके रूम का दरवाज़ा आहिस्ता से ढुलका भर दिया। कितने परेशान हैं पापाजी और उनको आज जाकर पता चला ! लानत है ऐसी लापरवाही पर दोनों शायद मन ही मन में ऐसा ही सोच रहे हैं। 

खैर देर आये दुरुस्त आये ! कुछ बड़ा न घट जाये या कुछ अनहोनी न हो जाये ये सोचकर दोनों ही एकसाथ बोले,” अब क्या?”

राकेश ने कहा,”तुमने तो देखकर भाँप भी लिया पता नहीं मेरी आँखों पर क्या पर्दा पड़ा था जो मैं अपने ही पिता की तकलीफ महसूस नहीं कर पाया।”

“देखिये, अब घबराने से कुछ नहीं होगा। हम लोगों को एक्शन लेने की ज़रूरत है और वो भी आज के आज!” गार्गी ने पति को समझते हुए कहा हालांकि सोच तो वो भी कुछ ऐसा ही रही थी कि गलती इंसान के जीवन का एक हिस्सा है परन्तु यह गलती हमसे कैसे हो गई?

इतनी बड़ी ग़लती और उसका भयावह परिणाम सोचकर ही कांप गए गार्गी और राकेश फिर उन्होंने फैसला लेने में तनिक भी देर नहीं लगाई और पुलिस स्टेशन फोन‌ लगाया, इंस्पेक्टर ने उनकी परेशानी धैर्यपूर्वक सुनी। 

वक्त देर रात का था लेकिन पुलिस ने मामले की  गंभीरता को समझते हुए सुबह तक नहीं रुकने का फैसला लिया  और  पुलिस के दो जवानों के साथ इंस्पेक्टर घर पहुंचने के लिए जीप में पुलिस चौकी से निकल पड़े। 

तब तक आज सुबह से अभी तक के घटनाक्रम पर एक नज़र डाल लेते हैं …

दरअसल हुआ कुछ यूं कि आज सुबह गार्गी पापाजी के रूम में गई तो उसने देखा कि चन्दन पापाजी से कुछ कह रहा है जिसे सुनकर पापाजी घबरा से गए। उनके चेहरा वैसे तो निर्विकार रहता है परन्तु गार्गी उनकी परेशानी को उनके हाव-भाव से जान लेती है आखिरकार पापाजी को बहुत चाहती है और उनका ख्याल रखती है। माँजी को गुजरे चार  साल हो गए हैं।  ससुर-बहु में पिता-पुत्री का ही रिश्ता दिखाई देता है।

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पापाजी को परेशान जानकर गार्गी ने चन्दन से पूछा,” क्या बात है? क्या कह रहे थे पापाजी से तुम कि उनके चेहरे पर घबराहट दिखाई दे रही है?”

अचानक से गार्गी को रूम में देखकर चन्दन का चेहरा फक पड़ गया और वह कहने‌ लगा,” बाबूजी को नहाने  नहीं स्पंज कराने के लिए पूछ रहा था… नहीं चाय के लिए कह रहा था…हां याद आया पानी पीने के लिए पूछ रहा था… और कुछ नहीं, मेमसाब…”

गार्गी को नौकर चन्दन के हड़बड़ा कर उल्टे-पुल्टे जवाब सुनकर संदेह हो गया, उसकी हरकतों ने पुख्ता कर दिया कि कुछ तो गलत है इस आदमी में! इस कदर हकला कर तो आदमी तभी बोलता है जब वो झूठ बोल रहा हो। 

चन्दन गार्गी के ससुर जी की देखभाल के लिए रखा गया है। दो महीने पहले उन्हें लकवा हुआ‌ था फलस्वरूप उनके शरीर के बाएं अंग लकवाग्रस्त हो गए, बोल भी नहीं पाते हैं। बेटे राकेश ने भरपूर सेवा की परंतु नौकरी पर जाना तो है ही तब ससुर जी के दैनिक कार्यों हेतु एक पुरुष सहायक की आवश्यकता पड़ी। चन्दन एक एजेंसी के जरिए आया था। चन्दन रात में अपने घर वापस चला जाता है। 

रात में राकेश पापाजी को देख ही लेते हैं। गार्गी उनके खान-पान और अन्य सभी आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखती है।  राकेश और गार्गी की एक छोटी सी बेटी है, जिया ढाई साल की प्यारी सी बच्ची है जो अपने दादाजी से बहुत प्यार करती है और आजकल उनकी हालत देख अपनी मम्मी से ढेरों सवाल पूछा करती है कि दादाजी कब ठीक होंगे ? कब चलेंगे ? वो बिस्तर पर क्यों हैं पहले जैसे खेलते क्यों नहीं हैं मेरे साथ आदि आदि… गार्गी बच्ची को तरह तरह की बातें कर बहलाती है। वे दोनों रोज सुबह ईश्वर से दादाजी के ठीक होने की प्रार्थना करते हैं।  जिया दादाजी के  बैठकर उनसे बातें भी करती है। 

अभी कुछ दिनों से गार्गी देख रही थी कि सुबह चन्दन के आने से उसके जाने तक पापाजी का चेहरा मुरझाया रहता। हालांकि चन्दन के जाने के बाद रात से सुबह तक वे प्रफुल्लित रहते।

शाम को राकेश के ऑफिस से आने तक गार्गी किसी ना किसी बहाने से पापाजी के रूम के आसपास रही और राकेश के आते ही उसे पापाजी  का परेशान होना, चन्दन का हड़बड़ाना और अपना शक सभी कुछ बताया।

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चन्दन के जाने के बाद खाना निबटने के बाद उसी रात राकेश और गार्गी पापाजी के पास गए, उनसे पूछने लगे,”पापाजी, आपको कोई तकलीफ़ है, कहीं दर्द है?”

चन्दन तो आपको परेशान नहीं कर रहा है?”

सुनकर उनकी आँखों से आंसू की बूंदें गालों पर बहकर तकिए पर गिरी, बोल तो वे  सकते  नहीं थे।

गार्गी और राकेश इतना तो अब तक समझ ही गए थे कि बात ज़रूर कुछ  बड़ी है। भारी सवाल ये था कि पापाजी कैसे बता पाएंगे?

गार्गी ने कहा,” पापाजी, मैं कोशिश करती हूँ , आपका दायां हाथ पकड़कर लिखवाने की जो आप बताना चाह रहें हैं।”

दरअसल पापाजी लेफ्टहैंडर हैं यानि वे बाएं हाथ से लिखते हैं और बायां  भाग लकवाग्रस्त है। 

गार्गी ने उनके दाएं हाथ को अपने हाथों के सहारे पकड़वाकर लिखवाया कि उन्हें क्या दिक्कत है।

गार्गी का संदेह सच था, चन्दन गार्गी के ससुर जी को धमका रहा था कि अपना एटीएम कार्ड उन्हें दें और पासवर्ड बता दें नहीं तो वह उनकी  पोती जिया को उठाकर ले जाएगा और उसे बेचकर पैसे बना लेगा।

गार्गी की जागरूकता से यह बात उजागर होते ही दोनों ने इस प्रॉब्लम को जड़ से ख़त्म करने के लिए पुलिस को फोन कर दिया।

पुलिस अब तक घर आ चुकी है , सारी बातें विस्तार से जानकर और पापाजी के हाथ से लिखे टूटे-फूटे शब्दों को पढ़कर पुलिस इंस्पेक्टर मान गए कि चन्दन अपराधी है परन्तु 

पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा कि यह सबूत काफी नहीं है चन्दन को अरेस्ट करने के लिए। पुख्ता सबूत चाहिए ताकि उसकी गिरफ्तारी के बाद सजा भी पक्का मिले।

पुलिस ने रातों रात पापाजी के रूम में सीसीटीवी इंस्टॉल करवा दिया।

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पुलिस ने गार्गी, राकेश, पापाजी को चन्दन से रोजाना की भांति नार्मल व्यवहार करने के लिए कहा।

अगली सुबह चन्दन आया , पापाजी के रूम में जाकर उनके नित्य कर्म करवाए। थोड़ी देर बाद जब उसने देखा कि गार्गी बेटी जिया को स्कूल छोड़ने गई है और राकेश ऑफिस जा चुके हैं तब चन्दन ने अपना अच्छाई का मुखौटा उतर फेंका और  पापाजी को धमकाते  हुए कहा,” ऐ बुड्ढे ! तू बड़ा ढीठ है। मुझे बता तेरी अलमारी में एटीएम कार्ड कहां रखा है? जल्दी बता नहीं तो तेरी पोती को उठा ले जाऊंगा, तुझे कभी देखने नहीं मिलेगी वो! आज दे दे मुझे एटीएम कार्ड और पासवर्ड भी नहीं तो आज के  आज ही मैं  बेच दूंगा तेरी प्यारी पोती को । “

पुलिस जीप में पास ही इंतज़ार में थी और जब वह यह कह रहा था कि तभी धड़धड़ाते हुए पुलिस का दस्ता पापाजी के रूम में घुसा।

चन्दन का गिरेबान पकड़कर एक झापड़ लगाकर इंस्पेक्टर ने कहा,”लाचार-अशक्त बुजुर्ग को डराते शर्म नहीं आती! “

चन्दन बुरी तरह घबरा गया। वह हकलाते हुए बोला,” मैं तो बाबूजी को चाय के लिए पूछ रहा था।”

“चन्दन ,तेरी चाय-नाश्ता खातिरदारी सब करेंगे हवालात में! बच्ची को बेचेगा, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और बुजुर्ग को डराने-धमकाने और बैंक बैलेंस साफ करने की प्लानिंग के जुर्म में लम्बा अंदर जाएगा तू, ये मेरी गारंटी है!” इंस्पेक्टर ने हथकड़ी लगाते हुए कहा

“गलती हो गई साहब, आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगा।” हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगा चन्दन,  आँखों में मगरमच्छी आंसू  भरकर  राकेश के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगा  

“तूने गलती नहीं गुनाह किया है! चन्दन, इस गुनाह की माफ़ी नहीं है समझे !तू सजा का ही पात्र है , हमारे विश्वास का ये बदला दिया तूने! अब आज से ही हम किसी पर भी जल्दी से भरोसा कर लेने की अपनी आदत को तिलांजलि देते हैं।” राकेश गुस्से में बोला

चन्दन के गिरफ़्तार होने के बाद राकेश और गार्गी ने पापाजी से  कान पकड़कर माफ़ी मांगी लेकिन पापाजी ने इशारे से कहा कि उनकी कोई गलती थी ही नहीं। 

अदालत में मुकदमा चला, चन्दन को सात साल की सश्रम सजा सुनाई गई। जिस एजेंसी ने चन्दन को इनके घर भेजा था उसको आदमी को भेजने से पहले उसकी जांच सही तरीके से नहीं करने के जुर्म में और अपराधिक प्रवृत्ति के आदमी को बुजुर्ग अशक्त पापाजी के काम के लिए भेजने की लापवाही के एवज में एक भारी रकम चुकानी पड़ी।

अंत भला तो सब भला! इधर पापाजी की तबीयत में चन्दन के जाने के बाद आश्चर्यजनक रूप से सुधार आने लगा। कुछ समय पश्चात वे धीरे धीरे अपने नित्यकर्म करने लगे। पांच महीने में तो पापाजी पूरी तरह ठीक हो गए। सात महीने बाद पापाजी के हँसी-ठहाकों से घर गूंजने लगा। सबसे ज्यादा खुश  जिया है उसके जोड़ीदार वापिस   से अच्छे जो हो गये हैं। जिया और दादाजी की जोड़ी अब तो साथ मिलकर गाना सुनते हैं ,पज़ल्स साल्व करते हैं और कार्टून देखते हैं।

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गार्गी ने यदि जागरूक रहकर नौकर की हरकत और पापाजी के परेशान व्यवहार के ऊपर ध्यान नहीं दिया होता तो क्या से क्या हो सकता था, इसकी कल्पना से ही गार्गी और राकेश सिहर जाते हैं हालांकि गार्गी और राकेश अपनी गलती ये भी मानते हैं कि उन्हें अनजान आदमी चन्दन की हरकतों पर‌ नजर शुरुआत से ही रखनी चाहिए थी।

लेखिका की  कलम से पाठकों के लिए –

दोस्तों, नौकरों को यदि रखें तो एकदम निश्चिन्त न हो जाए और खासतौर से अगर बुजुर्ग या बच्चों के लिए रखा जाए तो समय-समय पर आकस्मिक निरीक्षण करना जरूरी है। आज के दौर में किसी पर भी आँख मूंद कर विश्वास करना नहीं चाहिए। कभी-कभी हरेक पर भरोसा करने की आदत के चलते इंसान से गलती हो जाती है और जिस कारण वह या उसके अपने किसी परेशानी में फंसे सकते हैं, इसलिए जागरूक रहिए, सतर्क रहिए!

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा। कहानी में निहित संदेश यदि अच्छा लगा हों तो कृपया लाइक, कमेंट और शेयर कीजिएगा।

धन्यवाद। 

#माफी 

– प्रियंका सक्सेना 

(मौलिक व स्वरचित)

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