साक्षात्कार

दोस्तों यह  एक सच्ची कहानी है एक बार की बात है एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एक व्यक्ति मैनेजर की पोस्ट के लिए इंटरव्यू  देने गया था इंटरव्यू में उसके सर्टिफिकेट जांच होने के बाद जो इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति था उससे पूछा कि आप बचपन से ही काफी मेधावी छात्र  रहे हैं आप का सर्टिफिकेट देखने से यह पता चलता है। आपको तो अपने स्कूल के दिनों में स्कॉलरशिप भी मिलती होगी, उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि नहीं मुझे कोई भी स्कॉलरशिप नहीं मिलता था बल्कि आज मैं यहां पर हूं तो मेरी माता पिता  की देन है अपने खेतों में मेहनत करके मेरी पढ़ाई की फीस चुकाते थे।

इसके बाद इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति ने उस व्यक्ति से पूछा कि पहले आप अपना हाथ दिखाओ।  उसने हाथ आगे कर दिया तो देखता है उसके हाथ बिल्कुल ही मुलायम और फूलों जैसा कोमल है। इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति ने उस व्यक्ति से पूछा कि क्या आपने कभी भी अपने माता-पिता का खेती करने में मदद किया है।  तो इंटरव्यू देने आए व्यक्ति ने उस व्यक्ति से कहा कि मैंने कभी भी खेत में काम नहीं किया है और मेरे माता-पिता ने भी कभी करने को नहीं बोला है वह यह चाहते थे कि मैं पढ़ लिखकर बहुत बड़ा आदमी बनूँ।



इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति ने उस व्यक्ति से बोला ऐसा करो तुम आज घर जाओ और अपने माता-पिता का भी हाथ देखना और फिर कल आकर मुझसे मिलना फिर देखेंगे तुम्हें नौकरी पर रखना है या नहीं।

इंटरव्यू देने आए व्यक्ति ने ऐसा ही किया वह अपने घर पहुंचा और घर पहुंचने के बाद उसने अपने पिताजी से बोला पापा आप मुझे अपना हाथ दिखाइए।  उस व्यक्ति का पिता इस बात को समझ नहीं पाया कि बेटा उसका हाथ क्यों देखना चाहता है फिर भी उसने अपना हाथ आगे कर दिया। व्यक्ति क्या देखता है उसके पिता के हाथ बिल्कुल ही कठोर और खुर्दरे हैं क्योंकि खेतों में काम करते हुए और हल चलाते हुए हाथ बिल्कुल ही कठोर हो गए थे।

इंटरव्यू देने आए व्यक्ति को यह एहसास हो गया कि उसके माता-पिता ने उसको यहां तक पहुंचाने के लिए कितनी मेहनत की है।

अगले दिन वह व्यक्ति जब इंटरव्यू देने गया तो कंपनी के डायरेक्टर ने उससे पूछा कि तुमने अपने पिता के हाथ देखा तो क्या महसूस किया।  इंटरव्यू देने आए व्यक्ति ने जवाब दिया कि मुझे यही महसूस हुआ कि कि मां बाप अपने बेटों के जीवन में आगे बढ़ने के लिए कितनी मेहनत करते हैं उन्हें अपने सुख सुविधा की जरा भी परवाह नहीं होती है बस यह वह चाहते हैं कि उनका बेटा बहुत आगे बढ़े जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छुए इसलिए हमारा भी यही कर्तव्य बनता है कि हम अपने मां बाप को वह सारी सुख सुविधाएं दे जो उन्होंने हमें देने के लिए अपने जीवन में कभी भी नहीं पाया हो।



कंपनी के डायरेक्टर ने उस युवक को यही जवाब दिया कि यह कंपनी मेरे बेटे की तरह है और मैंने आज यहाँ तक पहुंचाने में अपना जी जान लगा दिया है इसीलिए मैं चाहता हूं कि जो भी इस कंपनी में नौकरी करें वह इस कंपनी को अपने बेटे की तरह माने और इसको आगे बढ़ाने के लिए अपना सब कुछ लगा दे।  और मुझे लगता है यह काम तुम बखूबी कर सकते हो क्योंकि तुम्हें इस चीज का एहसास हो चुका है।

दोस्तों हमें भी कहीं पर भी कोई भी काम करते हैं तो उसे हमें अपना मान कर करना चाहिए अगर आप यह मानकर काम करेंगे कि मैं तो नौकरी कर रहा हूं मेरा क्या मुझे तो अपनी तनख्वाह से मतलब है तो आप अपने जीवन में कभी भी तरक्की नहीं कर सकते हैं इसके लिए आपको अपना जी जान लगाना पड़ेगा आप जहां भी काम करते हैं या जो भी काम करते हैं उसे आपको अपना बेटा मानना पड़ेगा।

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