हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कही जमीं कही आसमां नहीं मिलता
आरती का हमसफर उसे विवाह के पहले ही वर्ष छोड़कर चला गया । लेकिन अब आरती अकेली नहीं थी उसके साथ छोटा सा रोहन भी था। इतनी लंबी जिंदगी कैसे कटेगी? पंडित कहते आरती के जीवन में पति का सुख नहीं लिखा लेकिन आरती ने भी जिद कर ली वह बिना हमसफर के जिंदगी अकेले नहीं काटेगी और उसने अपनी पसंद से गगन से विवाह किया।
गगन एक बहुत चाहने वाला पति था ।आरती को पलकों पर बिठा के रखता। शादी के 2 महीने हो चुके थे ।गगन रात को घर नहीं आया ।आरती परेशान परेशान घूम रही है। अंत में उसने पुलिस थाने जाना ठीक समझा। पुलिस ने गगन की एक हाल की तस्वीर मांगी ।
आरती जब अलमारी में तस्वीर ढूंढ रही थी तब उसके हाथ एक पैकेट लगा ।उस पैकेट में कई दवाइयों के पत्ते थे, इंजेक्शन थे ,शीशियां थी।आरती समझ नहीं पा रही थी आखिर घर में इतना बीमार कौन है जो इतनी सारी दवाइयां खाता है। वह अपनी सास के पास गई और सब दवाइयां मेज पर रख दी।
“मम्मी जी यह सब दवाइयां किसकी हैं ,मेरी अलमारी में रखी थी, घर में इतना बीमार कौन है ?”
उसकी सास आरती को देखती रह गई ।एक पल को शर्म उनकी आंखों में तैर गई फिर अपना मन कठोर करके बोला “तुमने तो प्रेम विवाह किया है ,तुम्हें नहीं पता गगन नशा लेता है।”
आरती के पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी थी ।घर की छत एक पल में ढहती दिखाई थी। तभी अचानक रोहन के रोने की आवाज आती है। आरती के पीछे उसकी सास भी कमरे में आती हैं। उनके आंखों में आंसू हैं ।
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“आरती बेटा तुम परेशान ना हो, गगन एक-दो दिन में वापस आ जाएगा। मुझे लगा था तुम्हारे प्यार में उसने नशे की लत छोड़ दी है। पहले भी तीन-चार दिन के लिए गायब हो जाता था। उसे नशा मुक्ति केंद्र में भी रखा गया लेकिन कोई फायदा नहीं, वापस लौटते ही नशा करने लगता। हम तो हार गए बेटा अब तुम उसका साथ मत छोड़ना आखिर वह तुम्हारा हमसफर है। तुम्हें हर कदम उसका साथ देना होगा।”
आरती को बार-बार उस पंडित की कही बात याद आ रही थी कि आरती के जीवन में पति का सुख नहीं लिखा। उसने भारी आवाज में कहा कि वह हर कदम गगन का साथ निभायेगी। आरती जानती थी उसने कह दिया लेकिन हमसफर का हम कदम साथी बनना आग पर चलने समान होगा।
गरिमा जैन