हमदर्दी के पीछे का कड़वा सच – रश्मि प्रकाश

“रति देखो मुझे समझाने की कोशिश मत करो…वो सब क्यों हुआ किन परिस्थितियों में हुआ तुमने भी देखा…बेकार मेरे पास अपनासमय बर्बाद कर रही हो जाओ जाकर अपने पति को सँभालो…. उसे सँभालो इससे बेहतर है तुम ख़ुद को सँभालो…. ऐसी सोच वाले पतिके साथ रहने से क्या ही फ़ायदा जो तुम्हारे साथ ऐसा सलूक करता है।” राशि ने कहा और दरवाज़ा बंद कर लिया 

रसोई में जाकर एक कप चाय बनाकर ले आई और बीती बातें सोचने लगी

अभी चार महीने पहले ही वो यहाँ अपने ढाई साल के बच्चे के साथ शिफ़्ट हुई थी….. नौकरी के सिलसिले में पति निकुंज की पोस्टिंगदूसरी जगह थी और दूरियाँ इतनी की जल्दी जल्दी आना संभव भी नहीं था… वो राशि को घर शिफ़्ट करवाने के बाद बस एक बार आयाथा….उस फ़्लोर पर छह फ़्लैट थे… राशि के एकदम सामने एक कपल रहते थे रति और पवन… राशि ज़्यादा किसी से घुलती मिलतीनहीं थी पर ना जाने क्यों रति और पवन उसके बेटे कुश को देख उससे बातें करने लगे और फिर धीरे-धीरे घर आना जाना शुरू करदिया… बातों बातों में रति ने बताया उनकी शादी को दस साल हो गए बच्चे के लिए बहुत कोशिश कर रहे पर निराशा ही हाथ लग रही… कोई कमी हो तो इलाज भी करवाए पर … इसलिए जब कुश को देखा तो बस उसपे प्यार आ गया…. तुम्हें बुरा तो नहीं लगता हम यूँआकर कुश के साथ खेलते या अपने घर ले जाते…..।”

राशि को क्या बुरा लगता वो तो सोचती यहाँ मेरे साथ अकेला ही रहता है अच्छा है ये लोग भी उससे बात करते हैं

अभी दस दिन पहले कुश की तबियत ख़राब हो गई अकेले राशि घबरा रही थी…. निकुंज ऑफिस की तरफ़ से एक मीटिंग के लिएविदेश गया हुआ था तब पवन और रति ने दिन रात राशि की मदद की और कुश का पूरा ध्यान रखा…..

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अब तो पवन भी अकेले भी जब तब कुश के साथ खेलने आ जाता या कभी अपने घर ले जाता…..एक दिन रति के घर से उसके रोने कीआवाज़ सुनाई दी और पवन के जोर ज़ोर से चिल्लाने की… राशि को कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वो गौर कर रही थी रति अब कमबात करने लगी है…. हमेशा परेशान और उदास रहने लगी है…राशि दोस्त होने के नाते कभी सामने पड़ने पर कुछ पूछना भी चाहती तोरति ना में सिर हिला देती… 

पवन अब भी कुश को साथ लेकर जाता फिर लाकर छोड़ जाता कुश भी पवन के साथ मजे से खेलता….आज सुबह रविवार होने कीवजह से राशि घर पर ही थी…तभी उसे रति की आवाज़ सुनाई दी,” पवन ये सही नहीं कर रहे हो….वो ऐसी नहीं है तुम्हें ज़रूर कोईग़लतफ़हमी हो रही है… उसका पति है।”

हॉल में आवाज़ सुन राशि ने दरवाज़ा खोल कर सामने देखा तो दंग रह गई… रोती हुई रति के चेहरे पर लाचारी दिख रही थी और पवन वोतो राशि को देखते इधर आ गया और बोला,“ राशि सच कहना तुम्हें कुश के पापा के रुप में मैं नजर आता हूँ ना?” 

“ ये क्या कह रहे हो पवन… दिमाग़ ठिकाने पर तो है… कुश को पापा की ज़रूरत नहीं है उसके पापा है माना वो यहाँ कम आ पाते इसकामतलब क्या और तुमसे ये किसने कह दिया?” राशि आश्चर्य से पूछी 

“ अभी उस दिन तुमने ही तो कहा कुश के पापा होते तो वो भी ऐसे ही उसके साथ खेलते….।” पवन कुश को देख उसे गोद में लेने कोहुआ 

“ हाथ मत लगाओ मेरे बेटे को पवन ….।” ग़ुस्से में राशि ने कहा और कुश को गोद में ले ली

“ पवन बस करो क्यों तमाशा कर रहे हो…. देखो कुश भी सहम गया है ।” रति पवन को खींचते हुए अपने फ़्लैट की ओर दरवाज़े सेनिकलने को जैसे ही हुई पवन धक्का देते हुए बोला,“ एक बच्चे को जन्म तो दे नहीं सकती बड़ी आई मुझे सँभालने वाली….।”

राशि जल्दी से रति को सँभालते हुए बोली,“ पवन अभी के अभी यहाँ से निकलो नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी…. मैं तो तुम्हें अच्छा इंसानसमझ रही थी पर तुम तो….. छि: ऐसी घटिया सोच …. कमी ना रति में नहीं तुम्हारे में है पवन….जाओ अपना इलाज करवाओ…. रतिप्लीज़ अपने इस पागल पति को लेकर निकलो मेरे घर से।” राशि ग़ुस्से में चिल्लाई

रति ज़बरदस्ती पवन का हाथ पकड़ कर राशि के घर से निकली तो देखा कॉरिडोर में बहुत लोग खड़े थे…. रति का चेहरा शर्म से झुकगया 

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राशि को बहुत देर तक पवन के गरजने और रति के रोने की आवाज़ सुनाई देती रही…. अभी राशि बाहर जाकर कुछ सामान लेकर आईही थी कि राशि के घर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुन रति दरवाज़े पर से ही राशि से आज के लिए माफ़ी माँग रही थी पर जो हुआउसके लिए राशि पवन को कभी माफ नहीं कर सकती थी जो इंसान बच्चे की आड़ में ऐसी सोच रखता हो ऐसे दोहरे चेहरे वाले इंसान सेदूर ही रहने में भलाई है।

राशि ने सोच लिया था निकुंज के आते जल्दी से ये सोसाइटी छोड़ कर चली जाएगी पर इसकी नौबत नहीं आई पूरी सोसायटी में पवनके क़िस्से आग की तरह फैल गए थे उनके लिए यहाँ रहना मुश्किल हो रहा था वो लोग सप्ताह के भीतर ही ये सोसाइटी छोड़ कर कहींचले गए….. कहाँ गए किसी को खबर ना हुई…. गलती करने पर इंसान मुँह छिपाकर ही रहता है और रात अंधेरे भाग निकलता है ।

दोस्तों आजकल महिलाएँ नौकरी के सिलसिले में अकेले रहती है….. वैसे तो बड़े महानगर में किसी को किसी से ज़्यादा सरोकार नहींहोता पर कुछ लोग इतना अपनापन जताने लगते की आप चाह कर भी नज़रअंदाज़ नहीं कर पाते और नतीजा ऐसा भी निकल सकता है… ऐसे दोहरे चेहरे वाले लोगों से खुद को बचाकर रखना ज़रूरी होता है।

मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#दोहरे_चेहरे 

मौलिक रचना 

अप्रकाशित

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