हम दोस्त बनकर रहेंगे – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

आशा और रजनी लखनऊ के एक पार्क की हरी घास पर बैठे एक दूसरे को अपलक निहार रहे थे l शाम का सूरज अपनी लालिमा से अनुपम छटा बिखेर रहा था l आकाश रजनी की सुंदर छवि को अपनी आंखों में जीवन भर के लिए बस लेना चाहता था l

रजनी भी आकाश की मनमोहक तस्वीर को अपने हृदय में बस चुकी थी l दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े ऐसे बैठे थे जैसे दिल ही दिल में जीवन भर का साथ निभाना का वादा कर रहे हो l लेकिन पहले उनका डॉक्टर बनने का सपना था l इसके बाद ही वह शादी कर सकते थे l

आकाश गांव से शहर में पढ़ने के लिए आया था वह अपने गांव प्रधान का बेटा था गांव में उसके पिता की अच्छी इज्जत थी l खेती बाड़ी भी उनके पास अच्छी थी l रजनी लखनऊ से ही थी उसके पिता एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे l

जिनका कुछ दिनों पहले देहांत हो चुका था l रजनी उनकी इकलौती संतान थी इसलिए घर पर अब रजनी और उसकी मां ही थी l रजनी के पिता की इच्छा उसे डॉक्टर बनाने की थी l आकाश और रजनी की मुलाकात नीट की कोचिंग के दौरान हुई थी l वह मुलाकात अब प्यार में बदल चुकी थी l वे अब शादी के सपने भी देखने लगे थे l उनका पहला सपना डॉक्टर बनने का था जो कुछ दिनों बाद पूरा होने जा रहा था l

समय बिता और वह दिन भी आ गया जब दोनों के हाथ में एमबीबीएस की डिग्री थी l दोनों बहुत खुश थे 

आकाश और रजनी शाम को इस पार्क में मिले जहां वह घंटे बैठकर बातें करते थे l तब रजनी बोली की आकाश तुमने शादी के बारे में क्या सोचा है अपने घर वालों को कब मिलवाओगे l

आकाश ने कहा कि कल ही मैं अपने गांव जा रहा हूं अपने मां-बाप जी को दो-दो खुशखबरी एक साथ दूंगा l

रजनी ने कहा कि मैं अपनी मां से तुमको मिलवा दिया है इसलिए मेरे लिए तो अब कोई दिक्कत नहीं है l लेकिन तुम्हारे गांव से लौटने तक मुझे चिंता रहेगी कि तुम्हारे मम्मी पापा क्या कहते हैं l

आकाश ने कहा की मां बाबूजी मुझे बहुत प्यार करते हैं वह मेरी पसंद को सम्मान देंगे l

रजनी बोली काश ऐसा ही हो l

दूसरे दिन आकाश अपने गांव जाता है अपने मां-बाप जी के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेता है वह उसे गले से लगा लेते हैं l और खुश होकर मोहल्ले में मिठाई बांटते हैं l

आकाश की मां उसकी पसंद का खाना बनाती है और उसे बड़े प्यार से खिलाता है l खाना खाने के बाद सभी लोग बैठ कर बातें करते हैं l इस समय गांव के एक प्रतिष्ठित सज्जन आकाश के पिताजी से हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं और गले मिलते हैं वे आकाश की कामयाबी की बधाई भी देते हैं तभी आकाश उनके पैर छूता है l

आकाश के पिता दीनदयाल जी उन्हें मिठाई खिलाते हैं तभी वह मिठाई खाते हुए कहते हैं की दीनदयाल जी अब तो बेटा डॉक्टर बन गया है तो अपने वादे के मुताबिक दूसरी मिठाई कब खिलाओगे l

दीनदयाल जी बोले जल्दी ही खिलाऊंगा l फिर वे चले जाते हैं l उनके जाने के बाद आकाश ने अपने पिताजी से पूछा कि यह किस वादे की बात कर रहे थे l तू दीनदयाल जी ने आकाश को बताया की तब तुम्हारा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया था l उसे समय गांव के कुछ लोगों के बीच इन

सज्जन ने अपनी बेटी की शादी के बारे में चर्चा की और सभी ने मुझसे कहा कि डॉक्टर बनते ही उनकी बेटी की शादी तुमसे कर दूं l तभी मैंने सब लोगों के बीच में उनसे वादा किया कि उनकी बेटी को ही अपने घर की बहु बनाऊंगा l क्योंकि वह गांव के प्रतिष्ठित आदमी थे और उनकी बेटी पढ़ी-लिखी सुशील और संस्कारी भी है वह उसी की बात कर रहे थे l तुम्हें भी लड़की दिखा दी जाएगी l

यह सुनकर आकाश तो जैसे पत्थर सा हो गया वह कुछ सोच भी नहीं पा रहा था उसके सपनों का महल धराशाई हो गया l अपने मन की व्यथा किसी से का भी नहीं सकता था l फिर कुछ संयत होकर आकाश बोल की पिताजी शादी की इतनी क्या जल्दी है मैं अभी एमडी करूंगा उसके बाद शादी के लिए विचार करूंगा l

इस पर दीनदयाल जी बोले कि यह सब तो शादी के बाद भी कर सकते हो मैंने चार लोगों के सामने उन्हें जवान दी है मेरी समाज में क्या इज्जत रह जाएगी l वह बेटी के पिता है अपनी जिम्मेदारी से जल्द ही मुक्त होना चाहते हैं l

दीनदयाल जी बोले कि हम लोगों ने बड़ी परेशानी झेल कर तुम्हें यहां तक पहुंचा हैl

आकाश चुपचाप सुन रहा था और अंदर ही अंदर घुट घुट रहा था l उसने नाश्ता भी नहीं किया कह दिया मन नहीं है l मां के ज्यादा कहने पर थोड़ा सा खाना खाया और अपने कमरे में जाकर चुपचाप लेट गया l नींद तो उसकी आंखों से कोसों दूर थी l रात में कभी कभी बैठ जाता कभी घूमने लगता किसी तरह से रात कट कर सुबह अपनी मां से बोला कि मुझे लखनऊ में काम है अभी जाना है और नाश्ता करके लखनऊ के लिए रवाना हो गया l

लखनऊ पहुंचकर सबसे पहले वह रजनी से मिला रजनी खुशी देखते ही समझ गई कि मामला गंभीर है वह बोली की आकाश मुझे मेरा जवाब मिल गयाl रजनी के दिल का दर्द आंसुओं के रूप में आंखों से बाहर बहने लगा l

आकाश की आंखों से भी अश्रु धारा बहने लगी l वह रजनी के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला की चलो रजनी हम कोर्ट मैरिज करेंगे l हमने प्यार किया है l

रजनी बोली नहीं आकाश मुझे ऐसे संस्कार नहीं मिले हैं कि मैं भाग कर शादी करूं और ना ही मेरी मां तैयार होगी l और तुम भी अपने माता-पिता के खिलाफ जाकर शादी नहीं करोगे उन्होंने बड़ी परेशानी से तुम्हें पढ़ाया लिखाया है l

जहां तक मेरा सवाल है मैंने अपने मन मंदिर में तुम्हें बिठाया है इसलिए अब किसी और के लिए जगह नहीं है l मैंने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है और अपना रास्ता भी चुन लिया है l

आकाश कहता है कौन सा रास्ता l

रजनी बोली तुम जो सोच रहे हो ऐसा मैं कुछ भी नहीं करूंगी l आगे चलकर मैं अपना नर्सिंग होम बनवाऊंगी और लोगों की सेवा करूंगी l

रजनी बोलते जा रही थी और उसके दिल का दर्द आंखों से बह रहा था बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी l

फिर वह बोली की आकाश तुम घर जाओ और उसे लड़की से खुशी से शादी करो और कभी भी उसे दुख मत देना l हम जब भी मिलेंगे एक दोस्त की तरह मिलेंगे l तुम्हारे सुखी जीवन की कामना करती हूं और बोलिए आकाश में अब चलती हूं l

रजनी रोती हुई तेज कदमों से अपनी गाड़ी की तरफ चली जाती है और आकाश ठगा सा खड़ा रह जाता है उसके पास ना तो बोलने के लिए शब्द थे और ना ही रजनी को तसल्ली दे सकता था l

दूसरे दिन आकाश गांव चला जाता है और शादी हो जाती है और वह अपनी पत्नी के साथ जीवन व्यतीत करने लगता है l यहां रजनी भी अपना गम हल्का करने के लिए ज्यादातर हॉस्पिटल में ही अपना समय व्यतीत करती है l

करीब 1 साल बाद रात में रजनी के पास एक फोन आता है l

डॉ रजनी आप जल्दी हॉस्पिटल लिए एक सीरियस पेशेंट है l रजनी अपनी गाड़ी से जल्दी हॉस्पिटल पहुंचती है वहां जाकर देखते हैं की एक महिला प्रसव की पीड़ा से तड़प रही है l उसे महिला के पास एक बुजुर्ग दंपति खड़े हुए हैं l डॉ रजनी उसे महिला को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के लिए कहती है इतने में ही वहां आकाश आ जाता है और उसे महिला के पास आकर खड़ा हो जाता है l वह रजनी से कहता है कि यह ऑपरेशन तुम करोगी l तभी रजनी समझ जाती है कि यह आकाश की पत्नी है वह उसे

ऑपरेशन थिएटर में भेज देती है और फिर आकाश से 

 कहती है कि ब्लड का इंतजाम कर लीजिए जरूरत पड़ेगी l

आकाश के घर के लोगों का किसी का ब्लड मैच नहीं कर रहा था और बैंक में भी नहीं था l वह रजनी से कहता है कि बाहर से ब्लड मंगा रहा हूं और फोन करने लगता है l रजनी अंदर चली जाती है l

कुछ देर बाद एक दूसरी डॉक्टर आकर रहती है बधाई हो डॉक्टर आकाश बेटा पैदा हुआ है डॉक्टर रजनी ने अपना ब्लड देकर आपकी पत्नी की जान बचाई l आकाश सोचता है कि मैं फिर रजनी का कर्जदार बन गया l

आकाश रजनी के पास पहुंचता है और कहता है कि तुम बहुत महान हो l दोस्ती का पूरा फर्ज निभा रही हो l इतने में आकाश के माता-पिता भी आ जाते हैं आकाश की आंसुओं से भरी आंखों को देखकर भी समझ जाते हैं कि यह वही लड़की है जिससे वह शादी करना चाहता था मां उसके मनोभावों को पढ़ लेती है और पूछती है l तो आकाश कहता है की मां यह वही देवी है जिसे अपना खून देकर आपकी बहू और पोते की जान बचाई l उसके मां-बाप भी रजनी से माफी मांगते हैं हाथ जोड़कर कहते हैं की बेटी हमने तुम्हारे साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है हमें माफ कर दो l और भगवान तुम्हें हमेशा सुखी रखें l

बिंदेश्वरी त्यागी बरहन आगरा 

अप्रकाशित स्वरचित 

हम दोस्त बनकर रहेंगे

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